Thursday, July 26, 2012

मांगने वाला तो गूंगा था मगर
देने वाले तू भी बहरा हो गया

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 24 घंटे के भीतर 24 से.मी. पानी गिरा और राजधानी में जलमग्न के हालात बन गये। छोटी-छोटी बस्तियों से लेकर शहर की पाश कालोनियां पानी से लबालब हो गई। अविभाजित मप्र से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से हालात वैसे ही है। नगर निगम का बजट हर साल बढ़ता जा रहा है, 2007 में बजट 532.16 करोड़ था तो इस साल 2012 में निगम का बजट 1475 करोड़ यानि लगभग 3 गुना हो चुका है पर हालात में कोई तब्दीली नहीं आई है। छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा के सदस्य विधायक विश्राम गृह में रहते हैं वहां भी हर साल बारिश में पानी घुस जाता है। पिछले साल तो कुछ विधायकों ने सत्र के दौरान भी यह मुद्दा उठाया था पर हालात जस के तस हैं।
कभी राव दम्पत्ति रायपुर में पदस्थ थे। श्रीमती अरूणा मोहन राव, आईपीएस थी तथा शहर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ थी तो उनके पति आइएएस मोहन राव, एडीशनल कलेक्टर के साथ ही निगम प्रशासक भी रहे। उनका रायपुर शहर के विषय में एक कथन काफी दिलचस्प था। रायपुर शहर की बड़ी अजीब समस्या है, बारिश में निचली बस्तियों में पानी भर जाता है तो वहां से पंप आदि लगाकर पानी निकालना पड़ता है और गर्मी में लगभग इन्ही बस्तियों में पेयजल संकट के हालात बन जाते हैं तो टैंकर से पेयजल की आपूर्ति करना पड़ता है, यदि बारिश के पानी को वहां संचित करने की व्यवस्था हो जाए तो गर्मी में पेयजल संकट से निपटा जा सकता है। खैर प्रशासक बनते रहे, महापौर बनते रहे, निगम आयुक्त आते-जाते रहे और रायपुर वासी स्वयं को अपने हालात में छोड़ने के आदि हो गये हैं। छत्तीसगढ़ में जैसे काम की तालाश में पलायन आम बात है वैसे ही बारिश में राजधानी में पानी भरना आम बात है।
महापौर की बयानबाजी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की प्रथम महिला महापौर डा. किरणमयी नायक अब रिकार्ड बनाती जा रही है। महिला महापौर बनने का तो उनका रिकार्ड है ही अब वे अपनी बयानबाजी के लिये भी चर्चा में आ रही है। किसी भी समस्या, सफाई, पेयजल दर में वृद्धि निगम कर्मियों का वेतन, तबादले की बात उठती है और वे सीधा आरोप छग सरकार के मंत्रियों पर लगाकर अपने कत्वर्य को इतिश्री मान लेती है। हाल ही में रायपुर में अनवरत बारिश के बाद नगर की कुछ बस्तियां, पॉश कालोनी और सड़कों पर पानी भरने, बहने को लेकर डा. नायक ने सीधा आरोप ही लगा दिया कि इस समस्या के लिये शहर के दो मंत्री और 3 विधायक (देवजी पटेल भी) जवाबदेह है। यहां तक तो ठीक था उन्होंने यह भी कह दिया कि यह समस्या तब तक रहेगी जब तक जनता ऐसे नकारे विधायक चुनती रहेगी। छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को जनता लगातार चुन रही है, राजेश मूणत भी लगातार विधायक बनते आ रहे हैं. हां नंदे साहू तथा कुलदीप जुनेजा जरूर पहली बार विधायक बने है, महापौर ने तो अपनी ही पार्टी के विधायक तथा नगर निगम में लम्बी पारी खेलने वाले कुलदीप जुनेजा को भी एक तरह से नाकारा ही साबित कर दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि सड्डू मोवा में पानी भरने के लिये छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल द्वारा अभी तक निगम को कालोनी नहीं सौपने की बात भी महापौर ने की तो जयस्तंभ चौराहा तो निगम के पास है, राजातालाब, रेल्वे स्टेशन मार्ग, गुढ़ियारी, तेलीबांधा,क्षेत्र तो निगम मुख्यालय के पास फिर वहां क्यों पानी भर जाता है। थोड़ी सी बारिश में ही जयस्तंभ, काफी हाऊस गली, अमरदीप टाकीज रोड की हालात बिगड़ जाती है क्यों? केवल बयानबाजी करना ही तो समस्या का हल नहीं है। जिन गरीबों के घर पानी घुस गया, उनके घर चूल्हा नहीं जला, मेहनत से इकट्ठा किया गया सामान खराब हो गया उसका क्या? केवल बारिश में राहत पहुंचाना, भोजन का पैकेट देने से समस्या का हल नही हो सकता है। राजधानी की समस्या के हल के लिये कुछ ठोस पहल करना होगा। महापौर मेडम शायद भूल गई हैं कि राजधानी में पूर्व महापौर स्वरूपचंद जैन, संतोष अग्रवाल, तरूण चटर्जी, सुनील सोनी, पूर्व उप महापौर अब्दुल हमीद (कोटा) गंगाराम शर्मा, गजराज पगारिया सलाह देने मौजूद है, इन लोगों के पास रायपुर नगर निगम क्षेत्र का अच्छा अनुभव है, लम्बे समय तक अपनी कार्यकाल में निगम की समस्या से रूबरू हो चुके हैं। क्या पहली बार सीधे महापौर बनी डा. किरणमयी नायक ने कभी इन लोगों से चर्चा करने की जरूरत समझी हैं? रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी बनी है और भाजपा की राज्य सरकार होने के बावजूद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की महिला महापौर को चुनकर एक नया फैसला दिया है पर क्या महापौर जनता के फैसले को सही साबित करने में सफल रही है? रायपुर की जनता बुनियादी जरूरतों के लिये निगम की तरफ देख रही है पर लगता है कि वह भी कांग्रेस-भाजपा की राजनीति के बीच फंसती जा रही है।
महामहिम की सलाह
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल महामहिम शेखरदत्त अविभाजित मप्र के समय रायपुर संभाग के कमिश्नर रह चुके है इस दौरान उन्होंने बस्तर संभाग का भी प्रभार सम्हाला है। पहले पदस्थ होने के कारण उन्हें छत्तीसगढ़ की अच्छी जानकारी भी है। काफी कम लोगों को पता है कि शेखरदत्त की रायपुर में पदस्थापना के दौरान ही शहर को रिंग रोड की सौगात मिली थी यह बात और है कि आज तक रिंग रोड योजना पूरी नहीं हो सकी है। उनके समय ही रायपुर संभाग में बांस वृक्षारोपण योजना सहित मछली पालन योजना को बढ़ावा मिला था। लोगों ने अपने खेतों में फसल के साथ ही मछली पालन की योजना क्रियान्वित की थी। शेखर दत्त उस समय गठित छत्तीसगढ़ विकास प्रधिकरण के सचिव भी थे। इस प्राधिकरण के उपाध्यक्ष तत्कालीन मंत्री झुमुकलाल भेड़िया बनाये गये थे। छत्तीसगढ़ के समुचित विकास के लिये उस समय कुछ बनाई गई योजनाओं भी शेखरदत्त की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
खैर महामहिम बनकर आने के बाद भी क्षेत्र के लिये उनकी संवेदनशीलता जारी है। राजधानी में प्रदूषण से वे भी नाखुश है। हाल ही में उन्होने कारखानों द्वारा प्रदूषण फैलाने पर सीधे थाने जाकर धारा 133 के तहत शिकायत करने की न केवल सलाह दी है बल्कि इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को भी पत्र लिखकर निर्देश देने की बात की है। पर्यावरण जनता चेतना समिति के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा के बाद राज्यपाल शेखर दत्त ने कहा कि कोई भी व्यक्ति धारा 133 के तहत कारखाने के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कर सकता है। पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर निर्देश देंगे कि थाने में रिपोर्ट लिखने में कोई आना कानी न की जाए। उन्होंने तो प्रतिनिधि मंडल को यह आश्वासन भी दिया कि औद्योगिक क्षेत्र का वे औचक निरीक्षण भी करेंगे। ज्ञात रहे कि पूर्व राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन (अब आंध्रप्रदेश के राज्यपाल) ने अपने कार्यकाल में उरला-सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र का औचक निरीक्षण किया था जिससे उस समय हड़कम्प मच गया था और बहुत समय तक प्रदूषण पर नियत्रण की स्थिति बनी रही थी।
डा. चरण का कथन
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एक मात्र सांसद तथा केन्द्र में कृषि राज्य मंत्री डा. चरणदास महंत ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने उद्योगों के लिये प्रदेश के किसानों की करीब एक लाख हेक्टेयर जमीन छीन ली है। उनका सीधा आरोप है कि उद्योगपतियों को राज्य सरकार का संरक्षण है इसलिये किसानो ंकी जमीन छीनी जा रही है। डा. महंत ने तो राज्यसारकर की उद्योगों को जमीन देने की नीति का विरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरबा में अब बिजली बनाने वालों को एक एकड़ भी जमीन अब नही दी जाएगी पर सरकार ने किसानों की जमीन जो ली है उसे वापस कराने क्या करेंगे, कोरबा में यदि राज्य सरकार जमीन अधिग्रहित करेगी तो उसे कैसे रोकेंगे इस सवाल का हालांकि उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है। ज्ञात रहे कि खेती की जमीन घटने के बाद भी फसल उत्पादन बढ़ने की राज्य सरकार की दलील पर भी उन्होंने शंका प्रकट करते हुए जांच की बात की थी पर आज तक जांच की जानकारी नहीं मिल सकी है। वैसे बहुत कम लोग जानते है कि डा. चरणदास महंत राजनीति में आने के पूर्व नायब तहसीलदार के पद पर कार्य कर चुके है और उन्होंने राजस्व मामलों की अच्छी जानकारी भी है। खैर छत्तीसगढ़ कभी च्धान का कटोराज् था अब च्उद्योग का खौलता कड़ाहज् बनने की ओर अग्रसर है। नेता भले ही कुछ नहीं कर सकने की स्थिति में है पर बयानबाजी तो कर ही सकते हैं।
और अब बस
बारिश से रायपुर में जलमग्न के हालात... मेडम महापौर इसके लिये शहर के 4 विधायक ही नहीं गृहमंत्री ननकीराम कंवर ही अधिक दोषी है। उन्होंने बारिश के लिये हवन कराया और उसी के बाद झमाझम बारिश हुई।
0 राजाओं के स्कूल के नाम से चर्चित राजकुमार कालेज की जाच नजूल अधिकारी ने शुरू कर दी है। नजूल जमीन को बंधक रखकर बैक से ऋण लेने का मामला चर्चा में हैं।
0 बाल्को जमीन मामले को लेकर कांग्रेस न्यायालय पहुंच गई है। पहले भी तत्कालीन मुख्य सचिव जाय उम्मेन के खिलाफ सिविल लाईन थाने में शिकायत की गई थी उसका क्या हुआ, किसी को पता ही नहीं चला।
0 पुलिस महानिदेशक बनने की कतार में खड़े एक पुलिस अफसर ने राजनीतिक आकाओं को सेर करने के बाद अब भगवान शंकर की शरण में चले गये हैं। उन्होंने सावन के महीने में महाकाल की नगरी उज्जैन में जाकर पूजा अर्चना की। इसकी जमकर चर्चा पुलिस मुख्यालय में हैं।

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