Thursday, September 22, 2011

आइना ए छत्तीसगढ़


सरहदों में बहुत तनाव है क्या
कुछ पता तो करो चुनाव है क्या!
छत्तीसगढ़ की डॉ.रमन सिंह सरकार प्रदेश में शराबबंदी करने की तरफ कदम बढ़ा रही है वहीं संगठन के कुछ बड़े नेता भी सक्रिय हो गये हैं हाल ही में डीजीपी पद से विश्वरंजन की छुट्टïी और प्रशासनिक फेरबदल की भी चर्चा है यह प्रशासनिक कसावट का संकेत है वहीं मंत्रिमंडल के 6 वरिष्ठï सदस्यों से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी दिल्ली बुलाकर समीक्षा कर चुके हैं। मंत्रिमंडल में फेरबदल आगामी विधानसभा चुनाव के मद््देनजर होगा ऐसा कहा जा रहा है। वहीं निगम मंडलों में भी नई नियुक्तियां होनी है। इससे कुछ नेताओं को पद देकर संतुष्टï किया जाएगा जैसा हाल ही पिछले विस चुनाव में पराजित चर्चित नेता अजय चंद्राकर को एक साल के लिये वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाकर किया गया है। इधर कांगे्रस भी आगामी चुनाव के लिये तैयारी कर रही है। हाल ही में विधानसभा में कांगे्रस का आक्रामक रवैया चर्चा में रहा वहीं कांगे्रसी नेताओं की एकजुटता भी आगामी चुनाव के मद्देनजर ही दिखाई दे रही है।
छत्तीसगढ़ कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष बनने के बाद नंदकुमार पटेल की अगुवाई में राष्टï्रपति प्रतिभा ताई पाटिल को रमन सरकार के खिलाफ 20 हजार करोड़ के घपले का आरोप लगाकर 500 पेज का दस्तावेज सौंपकर सीबीआई जांच की मांग करके अपनी सक्रियता का परिचय तो दिया ही है। साथ ही यह भी महसूस कराने का प्रयास किया है कि छत्तीसगढ़ में 'मजबूत विपक्षÓ है। अभी तक तो यही लग रहा था कि विपक्ष में है इसलिये सरकार का विरोध करने की औपचारिकता निभाई जा रही है।
हाल ही में प्रदेश कांगे्रस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठï कांगे्रसी नेता मोतीलाल वोरा, राज्यसभा सदस्य मोहसिना किदवई, डॉ. चरणदास महंत, विद्याचरण शुक्ल, नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे सहित कई विधायकों, पूर्व मंत्रियों ने एकजुटता दिखाकर दिल्ली के खिलाफ शंखनाद किया और इससे यह भी संदेश आम कार्यकर्ताओं तक पहुंचा कि कांगे्रस में 'एकाÓ हो रहा है। हालांकि इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी अनुपस्थिति जरूर चर्चा में रही। बहरहाल छत्तीसगढ़ कांगे्रस ने राष्टï्रपति को ज्ञापन सौंपकर राज्य सरकार पर 20 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है। प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की मानें तो 10 हजार करोड़ का एनयूटी सड़क घोटाला, 3 हजार करोड़ का धान खरीदी, 100 करोड़ का जल आबंटन, खनिज पट्टïों के लिये 100 करोड़ का लेनदेन, 2 हजार करोड़ की पीएमजीवायएस सड़कें घटिया बनाकर घोटाला किया है वहीं आदिवासियों की करीब 1500 एकड़ जमीन उद्योगपतियों को दे दी है। पटेल के अनुसार आरोप पत्र मुद््दों की सीबीआई से जांच कराई जाएगी तो आरोप प्रमाणित भी हो जाएंगे। सीधा आरोप राज्य सरकार पर लगाकर प्रदेश अध्यक्ष ने खनिज पट्टïों की बंदरबाट, उद्योगों-कारखानों के लिये भूमि अधिग्रहण के मामलों में गड़बड़ी प्रदेश की जीवनदायिनी महानदी के पानी आबंटन में किसानों की उपेक्षा केन्द्र सरकार की योजनाओं, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में भ्रष्टïाचार, धान खरीदी में घोटाला, एनयूटी सड़क बनाने में अनियमितता, ऊर्जा विभाग का ओपन एक्सेस घोटाला जैसे प्रकरण राष्टï्रपति को मय दस्तावेज सौंपे हैं।
एस्सार, ठेकेदार और माओवादी माओवादियों को 15 लाख रुपए देने के आरोप में पकड़े गये ठेकेदार बी के लाला 1971-72 में हरियाणा से आकर किरंदुल में चाय की गुमटी लगाता था उसके बाद फेरी लगाकर कपड़े बेचता था उसी के बाद ठेकेदारी शुरू कर दी पहले एनएमडीसी के लिये काम किया आजकल एस्सार गु्रप के विश्वसनीय ठेकेदार के रूप में सक्रिय है। एस्सार की पाइप लाइन विशाखापटनम तक गई है। इस पाइप लाइन का 80 किलोमीटर क्षेत्र पूरी तरह माओवादियों के कब्जे में है। इस पाइप लाइन का रास्ता साफ करने में लाला की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है। सवाल कई तरह के उठ रहे हैं। 15 लाख रुपए उसने किस बैंक से निकाले थे, किस खाते से निकाले थे, उसने 15 लाख की रकम बैंक से क्यों निकाली थी, उस रकम को नक्सलियों को कहां सौंपनी थी आदि कई बातों का खुलासा अभी होना बाकी है। वैसे नये पुलिस कप्तान का यह साहस कहीं उनको ही भारी साबित न पड़े क्योंकि उन्होंने उत्साह में रकम जब्त कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और इस मामले में सरकार की भी किरकिरी हो रही है।
छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र के विशेषज्ञ समझे (?) जाने वाले पुलिस महानिरीक्षक टी जे लांगकुमेर ने राज्य बनने से अभी तक 10 साल से अधिक समय बस्तर में ही विभिन्न पदों पर गुजारा है क्या उन्हें नक्सलियों के मददगारों की जानकारी नहीं थी? एक और नक्सली क्षेत्र में अभियान चलाने की महारत हासिल(?) एसआरपी कल्लूरी को क्या इस ठेकेदार की जानकारी नहीं थी? सवाल यह उठ रहा है कि किसी नक्सली से एक भरमार बंदूक जब्त किसी नक्सली समर्थक को पकड़कर अपनी पीठ ठोंकने वाली पुलिस और खुफिया विभाग को ठेकेदार लाला के कुछ ही वर्षों में करोड़पति बनने की खबर नहीं थी? ठेकेदार लाला ट्रांसपोर्टर का भी काम करता था उसकी गाडिय़ां कदमपुर और पारापुर जैसे खतरनाक क्षेत्रों में परिवहन किया करती थी इससे उसे सालाना 6 करोड़ से अधिक का भुगतान मिलता था। परिवहन में करोड़ों की आय होने वाले ट्रांसपोर्टर को पुलिस जानती नहीं होगी यह बात गले उतरने की नहीं है। बहरहाल माओवादियों के आर्थिक मददगारों पर यदि पुलिस शिकंजा कसने में कामयाब होती है तो यह बस्तर के माओवाद के सफाये के लिये एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। वैसे इस मामले की सीबीआई जांच कराने की बात प्रदेश के एक मात्र कांगे्रस सांसद और केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत कर रहे हैं देखना है कि वे इसमें सफल होते हैं कि नहीं।
एक आईएएस फिर चर्चा में
छत्तीसगढ़ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा अविभाजित मध्यप्रदेश में जनता पार्टी के शासनकाल में संसदीय सचिव रह चुके वीरेंद्र पांडे ने पहले विधायक खरीदी का मामला उठाया था और हाल फिलहाल छत्तीसगढ़ के एक मंत्री राजेश मूणत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर लोक आयोग में शिकायत दर्ज कराई है साथ ही दो आईएएस अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आग्रह किया है। इसमें एक आईएएस तो शुरू से ही चर्चा में है। टिकरापारा स्थित पटवा कॉम्प्लेक्स में 2 लाख मासिक किराये पर एक कार्यालय भवन किराये पर लेने के नाम पर वह चर्चा में रहे। उनके विभाग के खिलाफ अजीत जोगी के कार्यकाल में ही विपक्ष (अभी सरकार में शामिल) ने विधानसभा में 25-30 सवाल भी उठाये थे। बतौर नगरीय प्रशासन सचिव इनके द्वारा रायपुर, बिलासपुर में सड़कों की सफाई हेतु खरीदे गये रोड स्वीपर वाहन अभी भी एक ही स्थान पर खड़े होकर सरकार का मुंह चिढ़ा रहे हैं। इनके ही कार्यकाल में केन्द्र सरकार की योजना के तहत गरीबों के लिये बनाने वाले मकानों के निर्माण हेतु ठेकेदारों को अग्रिम में बड़ी रकम देना, मकान निर्माण में देरी पर विपक्ष के लगातार हमले से मुख्य सचिव को बैठक लेकर चेतावनी देना भी चर्चा में रहा। हाल ही जल संसाधन विभाग के सचिव पद से भी इन्हें हटाया गया है। जांजगीर जिले के 'रोगदा बांधÓ की जमीन को एक निजी उद्योगपति को सौंपने के मामले में विधानसभा समिति जांच कर रही है। चर्चा तो यह भी है कि विपक्ष के पास इस मामले की पूरी जानकारी सुलभ कराने में भी जलसंसाधन विभाग का योगदान रहा है। बहरहाल ये आईएएस अफसर तो अब प्रतिनियुक्ति में दिल्ली जाने की तैयारी में है।
ब्राह्मïण-ठाकुर सफाई ठेकेदार नगर निगम की सफाई व्यवस्था से नाराज महापौर किरणमयी नायक ने नवरात्रि से दीपावली तक सुधारने की चेतावनी देकर कहा है कि यदि निरीक्षण के दौरान गंदगी पाई गई तो सीधे जोन कमिश्नर और स्वच्छता निरीक्षक के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी इस बार सफाई ठेकेदारों को क्लीनचिट दिया गया है। बहरहाल शहर की सफाई के लिये एक करोड़ मासिक का भुगतान हो रहा है यह राशि पिछले साल 80 लाख रुपए थी। बहरहाल सफाई ठेकेदारों को छोडऩे की हिम्मत महापौर महोदया नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि ऐसा करने से उनकी गद्दी ही खतरे में पड़ जाएगी। सूत्रों का कहना है कि राजधानी के 70 वार्डों में सफाई आधारित ठेके दिये गये है। इनमें करीब 25 वार्ड ऐसे हैं जहां सफाई का ठेेका कांगे्रस-भाजपा के अलावा दमदार निर्दलीय पार्षदों के रिश्तेदारों को दिया गया है। वार्डों की सफाई व्यवस्था की बुरी हालत है। अधिकांश वार्डोंे का सफाई ठेका ब्राह्मïणों-ठाकुरों के पास है। सफाई ठेकेदार का मोबाइल नंबर उनके अस्थायी कार्यालय में नहीं मिलता है, सफाई कर्मचारियों की संख्या उनके आने-जाने का समय भी कार्यालय में नहीं होता है। सफाई ठेके के लिये क्या योग्यता निर्धारित की गई है। क्या शर्त है, कितने कर्मचारी सफाई ठेेकेदार द्वारा निर्धारित किये गये है यह भी पारदर्शी नहीं है। आलम यह है कि शहर के प्रमुख वार्डों में गंदगी का आलम है। बहरहाल निगम के जोन कमिश्नर और स्वास्थ्य निरीक्षक सफाई के लिये दबाव बनाएंगे और पार्षद रिश्तेदार सफाई ठेकेदार सहयोग नहीं करेंगे तब क्या होगा...?
और अब बस
(1)
छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख जिलों में तैनात पुलिस कप्तानों की अदला-बदली की चर्चा जमकर है। अपनी बदली और प्रभावी भूमिका में आये गृहमंत्री ननकीराम कंवर पहले उनके आदेश की उपेक्षा करने वाले कुछ अफसरों को निपटा सकते हैं।
(2)
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल का पुनर्गठन टल गया है एक टिप्पणी: ... गृहमंत्री की तलाश जारी है, तलाश पूरी होते ही बदलाव हो जाएगा।
(3)
छत्तीसगढ़ पुलिस के एकमहानिरीक्षक ने एक हवलदार के स्वागत करने पहुंचने पर अपनी खुशी जाहिर की। सरगुजा जिले का वह हवलदार 'बिग बीÓ के शो के लिये चयनित होकर हाट सीट पर बैठकर लौटा है।

आइना ए छत्तीसगढ़

सिलसिला जख्म-जख्म जारी है
ये जमीं दूर तक हमारी है
नाव कागज की छोड़ दी है मैंने
अब समंदर की जिम्मेदारी है

छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन में लोकायुक्त जस्टिस एल सी भादू की यह टिप्पणी कि 'भ्रष्टï लोकसेवकों को महत्वपूर्ण पदों से हटाना जरूरीÓ एक तरह से छत्तीसगढ़ सरकार को आइना दिखाने का ही प्रयास है। जब देश में अन्ना हजारे के अनशन के बाद 'जनलोकपालÓ बनाने की मुहिम का पूरे देश में स्वागत किया जा रहा है स्वयं मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह भी मजबूत लोकपाल के पक्षधर हैं ऐसे समय प्रतिवेदन के माध्यम से लोकायुक्त जस्टिस भादू की टिप्पणी स्वागत योग्य है। जस्टिस भादू ने राज्य सरकार के सचिवों पर गंभीर आक्षेप लगाया है। उनका कहना है कि लोकायुक्त की अनुशंसाओं को विभिन्न विभागों के सचिव गंभीरता से नहीं लेते हैं उसे डस्टबीन (कचरे की पेटी) में डाल देते हैं। ऐसा करते समय सचिवों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अनुशंसा उस व्यक्ति की है जो हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस या जस्टिस रह चुका है।
उन्होंने अपने वार्षिक प्रतिवेदन में कहा है कि सिद्घांतत: किसी लोकसेवक के खिलाफ भ्रष्टïाचार स्थापित होने का आदेश होने पर संबंधित लोकसेवक को महत्वपूर्ण पद से हटा देना चाहिए पर वह अधिकारी महत्वपूर्ण पद पर बना रहता है और आयोग की अनुशंसा ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है।
स्क्रीन
जस्टिस भादू ने कहा है कि सरकारी अमला कब पैसा खा जाए, यह भी कह पाना कठिन है।लेकिन अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि तालाब में मछलियों की संख्या अनगिनत है और हर मछली अधिक पानी पीने को बेताब है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भ्रष्टïाचारियों को बचाया जा रहा है।
लोकायुक्त जस्टिस भादू ने अपने प्रतिवेदन में सरकार को सुझाव दिया है कि आयोग की अनुशंसा को गंभीरता पूर्वक लेकर उसका क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। यदि क्रियान्वयन नहीं करने की स्थिति पैदा होती है तो उस परिस्थिति में कम से कम 3 वरिष्ठï मंत्रियों मुख्य सचिव विभागीय प्रमुख सचिव/सचिव की कमेटी द्वारा विचार-विमर्श कर सामूहिक निर्णय लेना चाहिए। परंतु ऐसी कोई व्यवस्था शासन द्वारा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी लोकसेवक के विरुद्घ अवचार स्थापित होने का आदेश आयोग द्वारा राज्य सरकार को भेजा जाता है तो सर्वप्रथम अवचारी लोकसेवक को महत्वपूर्ण पद से हटाया जाना चाहिए। परंतु यह बात देखने में आई है कि कई मामलों में लोकसेवक के विरुद्घ अवचार स्थापित होने की अनुशंसा की गई है। वही महत्वपूर्ण अधिकारी के रूप में पदस्थ रहता है और आयोग की अनुशंसा ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
क्यों नाराज हैं राजीव रंजन
छत्तीसगढ़ में एक नौकरशाह थे राजीव रंजन, उन्हें बिहार-झारखंड के एक बड़े नेता के खास होने के कारण छत्तीसगढ़ लाया गया था यहां आकर उन्हें छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल का अध्यक्ष बनाया गया और उसके बाद उनके ही अंदाज बदल गये। प्रदेश के सबसे वरिष्ठï सांसद रमेश बैस ने जब उनसेे कुछ जानकारी मांगी तो उन्होंने सत्ताधारी दल भाजपा के वरिष्ठï सांसद को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने की सलाह दे दी और उसके बाद बहुत बवाल भी हुआ। उनकी शिकायत भाजपा आलाकमान तक पहुंची पर प्रदेश के मुखिया की सरपरस्ती और भाजपा गठबंधन मेें शामिल एक बड़े नेता के संरक्षण के चलते काफी समय बाद उनसे किनारा किया गया उन्हें ऊर्जा विभाग का ओएसडी बनाकर दिल्ली में अटैच किया गया फिर हालात समझकर उन्होंने खुद किनारा भी कर लिया। इस बार नीतीश कुमार की आंधी के चलते राजीव रंजन विधायक भी चुन लिये गये हैं वैसे उनका छत्तीसगढ़ का कार्यकाल चर्चा में रहा है। हाल ही में वे छत्तीसगढ़ प्रवास पर आये और रायपुर में बाकायदा पत्रकारों को बुलवाकर चर्चा की और छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के विषय में काफी कुछ कह गये, छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ भी बोल गये। सरकार के कभी काफी करीबी रहे रंजन जी का यह विष--वमन किसी के समझ में नहीं आया। बाद में पता चला कि उनका पुराना कुछ मसला बाकी था और वह ठीक नहीं होने पर उन्होंने अपना गुस्सा सरकार सहित विद्युत मंडल पर ही उतार दिया जबकि पहले वे सरकार और विद्युत मंडल के गुण गाने में नहीं अघाते थे।
शहर का कोई माई बाप नहीं
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 2 दिनों की बारिश के चलते ही कई इलाकों को जलमग्र सा कर दिया है। शहर की कई पॉश कालोनी सहित कुछ निचली बस्तियों में पानी भरने के कारण रतजगा की स्थिति बन गई थी। रायपुर शहर की कई प्रमुख सड़कों पर पानी भर गया, नालियां ओव्हरफ्लो हो गई, राजधानी का हृदय स्थल जयस्तंभ चौक काफी हाऊस के आस-पास सड़क पर पानी भर गया था, नये निगम मुख्यालय के सामने भी पानी का जमाव हो गया था। छत्तीसगढ़ के विधायकों के लिये नियत स्थान विधायक विश्राम गृह में भी इतना पानी भर गया था कि विधायकों का अपने कमरों से बाहर आकर विधानसभा सत्र में भाग लेने जाना भी समस्या हो गया था, कुछ विधायकों ने तो इसकी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष को भी की है। बहरहाल यह तो तय है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी का कोई माई बाप नहीं है। नगर के 2 विधायक बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री हैं। दोनों मंत्रियों में 36 का आंकड़ा है। यह किसी से छिपा नहीं है। राजेश मूणत तो नगरीय प्रशासन मंत्री भी हैं। नगर के तीसरे विधायक कुलदीप जुनेजा कांगे्रस से हैं और नगर निगम में कभी नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं तो महापौर किरणमयी नायक भी कांगे्रस की हैं। कांगे्रसी पार्षदों की पर्याप्त संख्या के बाद भी सभापति संजय श्रीवास्तव (भाजपा) चुने गये हैं। निगम कमिश्नर जिस तेजी से आते-जाते रहते हैं वह भी चर्चा में है। कुल मिलाकर आपसी प्रतिद्घंद्घिता और अहम की लड़ाई के चलते राजधानी की नागरिक सुविधाएं प्रभावित हो रही है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी की महापौर डॉ. किरणमयी नायक को धार्मिक यात्राएं और सेमीनारों में भाग लेने से फुर्सत नहीं है। हाल ही में नगर के कई क्षेत्रों में 2 दिनों की अनवरत बारिश से पानी घुस गया था और महापौर को शहर में निकलने की फुर्सत नहीं थी। एक चैनल की खबर के अनुसार उन्होंने मेंहदी लगा रखी थी। इधर सत्ताधारी दल के खिलाफ राजधानी से चुने गये एक मात्र विधायक कुलदीप जुनेजा को शहर की समस्या की जगह अपने लोगों के निजी काम कराने में अधिक रुचि लेते देखाजा रहा है। सवाल फिर यही उठ रहा है कि शहर की जनता ने कांगे्रस का महापौर चुनकर क्या कोई गलती की है? शहर के अधिकांश वार्डों में सफाई व्यवस्था बदतर है। सफाई का ठेका कुछ पार्षदों ने अपने लोगों को दे रखा है, ब्राह्मïण-ठाकुर यदि सफाई ठेकेदार होंगे तो सफाई कैसे हो पाएगी, सफाई ठेका देने में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई है जिससे आक्रोश व्याप्त है। शहर में पानी का शुल्क बढ़ा दिया गया है, नलों में मीटर लगाने की तैयारी हो रही है महापौर को शहर के भीतर बड़े काम्पलेक्सों से वसूली कर निगम की आय बढ़ाने की चिंता है पर वर्षों से लंबित भूमिगत नाली योजना पूरी कराने में रुचि नहीं है। करोड़ों की लागत से नगर निगम के भवन बनाकर वहां कार्यालय स्थानांतरित करने की चिंता है पर निगम के पुराने भवन का क्या किया जाए इस पर रुचि नहीं है। निगम प्रशासन को अपनी आय बढ़ाने की चिंता है। हाल ही में सफाई कर में वृद्घि, ठेले, छोटे-रोजगार करने वालों से कर लेने की तैयारी हो रही है पर नगर के व्यवस्थित विकास की चिंता नहीं है। कांगे्रस- भाजपा की अंदरूनी राजनीति में निगम फंस गया है और शहर की जनता इसमें सफर कर रही है। महापौर किरणमयी नायक भाजपा सरकार पर आरोप मढ देती है और भाजपा शहर की हालत के लिये महापौर को जिम्मेदार ठहरा देती है और जनता बस बयानबाजी में ही उलझकर रह गई है।
और अब बस
कांगे्रस के एक पूर्व विधायक को शहर अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने की चर्चा चली पर एक बात यह उठी कि 8-9 बजे रात के बाद तो उनसे बात करना मुश्किल है ऐसे में यह प्रस्ताव स्वयमेव ही खारिज हो गया।
(2)
भाजपा विधायकों ने अपने क्षेत्र के लिये अपनी पसंद का थानेदार नियुक्त करने का अनुरोध किया है, मंत्री अपने क्षेत्र में पसंदीदा एसपी और सीएसपी, डीएसपी चाहते हैं। इसीलिये तो ननकीराम कंवर गृहमंत्री रहना नहीं चाहते हैं एक टिप्पणी...!
(3)
पूर्व डीजीपी विश्वरंजन ने अपनी छुट्टïी बढ़ा ली है, उन्होंने नया कार्यभार भी नहीं सम्हाला हैं। एक टिप्पणी... वे अनिश्चय की स्थिति में है प्रदेश में रहे या नहीं!