Tuesday, January 22, 2013

पुराने फूल -औ-पत्ते चमन से छांटे जाएंगे
लगी है बागबां को धुन, नया गुलशन बनाने की

कांग्रेस ने युंका नेता राहुल गांधी को आखिर उपाध्यक्ष बना ही दिया। अब वे देश की सबसे पुरानी पार्टी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में दूसरे नंबर के ओहदे पर पहुंच गए है। वैसे नेहरू- गांधी परिवार के उत्तराधिकारी के रूप में वे सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस में दूसरे स्थान पर ही माने जाते थे पर अब उन्हें उपाध्यक्ष बनाकर सोनिया गांधी के बाद दूसरे नंबर की अधिकृत जिम्मेदारी सौंप दी गई है। कांग्रेस के सभी महासचिव अब अपनी रिपोर्ट राहुल गांधी को ही सौपेंगे। जाहिर है कि राहुल गांधी पर आगामी लोकसभा सहित छत्तीसगढ़ सहित कुछ राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों की अहम जिम्मेदारी होगी प्रत्याशी चयन से लेकर सरकार बनाने की जिम्मेदारी अब सोनिया गांधी के सिर से उतरकर राहुल के युवा कंधों पर डाल दी गई है।
वैसे कांग्रेस में राहुल पहले नेता नहीं है जो उपाध्यक्ष बने हैं इसके पूर्व स्व. अर्जुन सिंह और उनके बाद जितेन्द्र प्रसाद भी इस पद की शोभा बढ़ा चुके हैं यह बात और है कि बतौर उपाध्यक्ष इन दोनों का कार्यकाल उल्लेखनीय नहीं रहा पर इसका कारण यह भी हो सकता है कि उन्हें तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने पर्याप्त अधिकार नहीं दिए होंगे पर राहुल गांधी तो सोनिया गांधी के पुत्र है इसलिए जाहिर है कि राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के सभी अधिकार एक तरह से राहुल के हाथ होंगे।
राहुल गांधी ने युवक कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन में जिस तरह मनोनयन से नियुक्ति के स्थान पर आंतरिक लोकतंत्र स्थापना की दिशा में मतदान करने को प्राथमिकता दी उसका युवा वर्ग में अच्छा संदेश गया है। राहुल गांधी आगामी लोस और विस चुनावों में प्रत्याशी चयन के लिये क्या मापदंड तय करते हैं उसी का अब इंतजार है।
राहुल और छत्तीसगढ़
राहुल गांधी को कांग्रेस का एक तरह से सर्वे सर्वा बनाने से छत्तीसगढ़ की राजनीति में परिवर्तन की उम्मीद बढ़ गई है छत्तीसगढ़ में युवक कांग्रेस और राष्ट्रीय छात्र संगठन के संगठनात्मक चुनाव में संगठन खेमे को दरकिनार करते हुए अजीत-अमित जोगी ने एक तरह से कब्जा कर लिया है। जाहिर है कि छत्तीसगढ़ के युवाओं पर अजीत जोगी गुट का अच्छा प्रभाव है इसलिये यह गुट राहुल गांधी की युवा शक्ति को प्राथमिकता की तर्ज पर अधिक से अधिक संख्या में युवाओं को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने का प्रयास करेगा और जाहिर है कि बुजुर्गों की नाराजगी भी मोल लेगा।
इधर राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने से छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन खेमा काफी उत्साहित है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा तो किसी तरह की गुटबाजी से शुरू से ही दूर हो चुके हैं। वहीं विद्याचरण शुक्ल अब राहुल गांधी से कोई अच्छा तालमेल बना सकेंगे ऐसा लगता नहीं है पर डा. चरणदास महंत, नेता प्रतिपत्र रविन्द्र चौबे, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल जरूर उत्साहित है। दरअसल राहुल गांधी की अभिविभाजित म.प्र. के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से निकटता किसी से छिपी नहीं है। लोग तो यह भी कहते हैं कि दिग्विजय सिंह ही राहुल के राजनीतिक गुरू है इधर छत्तीसगढ़ से केन्द्र सरकार में शामिल एक मात्र मंत्री डा. चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल अभी पूरे फार्म में है और तीनों नेता अविभाजित म.प्र. के समय दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके है। जाहिर है कि इन तीनों के दिग्गीराजा से अच्छे संबंध हैं। ये लोग भी दिग्विजय सिंह के माध्यम से अपने समर्थकों को अधिकाधिक टिकट दिलवाने का प्रयास करेंगे। इधर राहुल गांधी को नए पद पर नियुक्ति के बाद प्रदेश की राज्यसभा सदस्य मोहसिना किदवई भी प्रभावशाली बनकर उभरेंगी क्योंकि राहुल गांधी कई मसलों में मोहसिना से मशविरा भी करते हैं। बहरहाल अगामी एक-दो माह के भीतर छत्तीसगढ़ की राजनीति में कुछ परिवर्तन हो सकता है और कौन सा गुट प्रभावशाली बनेगा और कौन सा गुट प्रभावहीन होगा इसका भी खुलासा हो सकेगा।
गंगाराम की सलाह
रायपुर के उप महापौर तथा रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रह चुके गंगाराम शर्मा अपनी बेबाकी के लिये जाने जाते हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता होने के साथ ही वे शहर के अनियमित विकास के लिये चिंतित रहते हैं और अपनी ही पार्टी की महापौर को भी नगर विकास की अनदेखी पर कोसने में कोई परहेज नहीं करते हैं। हाल ही में कांग्रेस की रायपुर में चिंतन बैठक के पूर्व उन्होंने बतौर प्रदेश कांग्रेस प्रतिनिधि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र भेजकर सुझाव दिया है कि छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव 2013 में सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में केवल 5 प्रतिशत क्षेत्रों को छोड़कर 95 प्रतिशत चुनाव समर में नये प्रत्याशी उतारना चाहिए। उन्होंने एक महत्वपूर्ण सुझाव यह भी दिया है कि लगातर 2 या 3 बार विधायक बनने या चुनाव हारने वालों को टिकट नहीं दी जाए क्योंकि लगातार विधायक बनने वालों को आम जनता से संपर्क से लेकर संतुष्टि उनकी अपेक्षा के अनुरूप संतुष्टि संभव नहीं होती है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि 2013 विधानसभा चुनाव की बागडोर अनिवार्य रूप से मोतीलाल वोरा के हाथों होना चाहिए। क्योंकि कांग्रेस में बड़े कहने वाले नेता भले ही हाईकमान के दबाव या डर में एक होने की बात करें पर एक दूसरे का विरोध करने में नहीं चूकेंगे। वैसे गंगाराम शर्मा के सुझाव पर कांग्रेस अलाकमान रूचि लेता है या नहीं यह तो और बात है पर कांग्रेस को प्रदेश के कुछ बड़े नेताओं की गुटबाजी पर अंकुश लगाने कुछ कठोर निर्णय तो लेना ही होगा। कभी छत्तीसगढ़ से विजयी कांग्रेस विधायकों की संख्या के आधार पर अविभाजित म.प्र. में कांग्रेस की सरकार बनती थी कभी सतनामी और आदिवासी कांग्रेस के परंपरागत वोट होते थे पर बस्तर सहित प्रदेश के अन्य आदिवासी मतदाता कांग्रेस से दूर क्यों हो गए है और भाजपा का दामन थामने क्यों मजबूर हो गए है इसका तो कांग्रेस अलाकमान को जल्दी ही सर्वे कराना ही चाहिए...।
वेटिंग सी एम..
भाजपा और कांग्रेस 2013 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की सरकार बनाने एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। लगातार 2 बार राज्य सरकार बनाकर मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सम्हालने वाले डा. रमन सिंह अपनी पार्टी को तीसरी बार सत्ता में लाने नए जिलों सहित आदिवासी अंचल बस्तर में अपना ध्यान लगाकर आदिवासियों को रिझाने का प्रयत्नशील हैं। जाहिर है कि छत्तीसगढ़ सरकार का रास्ता बस्तर से ही निकलता है यदि तीसरी बार भी भाजपा की सरकार बनती है तो जाहिर है डा. रमन सिंह ही मुख्यमंत्री बनेंगे अभी तक तो यही लगता है। इधर कांग्रेस मानकर चल रही है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की लहर चल रही है। प्रदेश सरकार का भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है। आदिवासी, सतनामी समाज सत्ताधारी -दल से नाराज है तो सरकारी कर्मचारी, शिक्षाकर्मी भी सरकार से नाराज है। जहां तक मुस्लिम समाज का सवाल है तो विधानसभा में किसी भी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया गया वहीं प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति में भी एक भी मुस्लिम को स्थान नहीं दिया गया इसलिये उनके मत भी कांग्रेस को मिलेंगे। बहरहाल यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा... सीएम इन वेटिंग में श्रीमती रेणु जोगी, डा. चरणदास महंत, रविन्द्र चौबे, नंदकुमार पटेल के नाम फिलहाल चर्चा में है। जयपुर चिंतन शिविर में लिये गये निर्णय के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रत्याशी नहीं हो सकते ऐसे में नंदकुमार पटेल तो दौड़ में शामिल ही नहीं हो सकेंगे वैसे बहुमत आने पर किसी विजय उम्मीदवार से इस्तीफा दिलाकर विधानसभा पहुंचने का विकल्प तो खुला ही है। खैर कांग्रेस में पिछले बार भी 2 बार पराजित होने वालों को टिकट नहीं देने की बात चली थी पर कई ऐसे लोगों को बाद में टिकट दे दी गई थी।
और अब बस
1
भिलाई में कभी उद्योपतियों के हितैषी रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडे आजकल मजदूर हितैषी की भूमिका में नजर आ रहे हैं। एक टिप्पणी... नया अवतार, नया किरदार कहीं आगामी विस चुनाव के कारण तो नहीं हैं।
2
प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह नए जिलों में जाकर विकास की गंगा बहाने में व्यस्त है और प्रचार का जिम्मा सम्हालने वाले विभाग के प्रमुख पिछले सप्ताह अपने कार्यालय जाना भी उचित नहीं समझा...।
 यह तय जानो,
फिर कूदों उसूलों की लड़ाई में
रातें कुछ न बोल पायेंगी,
चिरागों की सफाई में

छत्तीसगढ़ की नई राजधानी का स्थानांतरण जल्दबाजी में कर दिया गया है। सुरक्षा और सुविधाओं के अभाव में राजधानी वह स्वरूप नहीं ले सकी है जिसकी कल्पना की जा रही थी।
छत्तीसगढ़ राज्य का मंत्रालय आनन-फानन में नई राजधानी रायपुर से 25-30 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया । राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों इसका उद्घाटन कराकर लोकार्पण कराया गया पर हालात यह है कि मंत्रालय भवन में केवल सरकारी अधिकारी /कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी ही दिखाई देते हैं, सरकार के मंत्री, विधायक, स्वायत्तशासी संस्थाओं के प्रतिनिधि वहां कभी कभार ही दिखाई देते हैं। आम जनता की तो वहां पहुंच ही नहीं है। मुख्य सड़क से करीब 10 किलोमीटर भीतर भूल-भुलैया सड़कों के बीच स्थापित मंत्रालय भवन में जाना आम आदमी के लिए तो बेहद कठिन एवं कष्टप्रद है। राज्य सरकार के इस निर्णय पर कोई कुछ भी बोलने की हालत में नहीं है।
गुजरात राज्य की नई राजधानी अहमदाबाद के निकट गांधी नगर में कुछ वर्षों पूर्व ही स्थापित की गई है पर वहां की हालत अभी भी यही है कि सुबह 9 बजे गांधीनगर में अहमदाबाद में जाकर कुछ लोग ताला खोलते हैं और शाम 7-8 बजे वहां ताला बंद कर लोग लौट जाते हैं। रात में वहां केवल सुरक्षाकर्मी ही रह जाते हैं।
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी और मंत्रालय की हालत भी कमोवेश ऐसी ही है। वहां बसाहट दूर-दूर तक नहीं है। केवल सरकारी भवन ही दिखाई देते हैं। हालत यह है कि मुख्य सड़क से मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय की दूरी 10 किलोमीटर के आसपास है। सड़कों की हालत भी भूलभूलैया जैसी है। सुबह एक पुलिस के वाहन से मुख्य सड़क से मंत्रालय तक यातायात कर्मियों को उनके प्वाइंट में छोड़ दिया जाता है और शाम को वहीं से वापस लाया जाता है। सुरक्षाकर्मी मंत्रालय में पदस्थ सरकारी कर्मचारी भी बस से मंत्रालय पहुंचते हैं और शाम को वहीं से वापस लौटते हैं। आमजनों के लिये मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय पहुंचने के लिये केवल सिटी बस की व्यवस्था है और वह भी कब आती है कब जाती है इसका इंतजार करना पड़ता है।
मंत्री तो जाते ही नहीं
छत्तीसगढ़ के इस नयी राजधानी, मंत्रालय भवन की हालत यह है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कक्ष खुलते हैं और बंद भी होते हैं क्योंकि डीकेएस मंत्रालय भवन की तरह यहां डॉ. रमन मंत्रिमंडल के सदस्यों के आने का वक्त तय नहीं है। डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के सवा दो करोड़ लोगों के सपनों को साकार करने वाले इसे अत्याधुनिक नया मंत्रालय कहा था पर वे भी नया मंत्रालय बनने के बाद ऊंगलियों में गिने जाने बाद ही मंत्रालय भवन गये हैं। रही हालत और मंत्रियों की तो कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू को छोड़कर अन्य मंत्री तो वहां पहुंचते ही नहीं हैं। चंद्रशेखर साहू को भी मंत्रालय भवन से प्रेम नहीं है बल् िक उनकी अभनपुर विधानसभा पास पड़ती है इसलिये उनकी विधानसभा के लोग भी वहां पहुंचते हैं इसलिये चम्पू भैया नये मंत्रालय में अक्सर दिखाई देते हैं। राजधानी के दो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत भी कम ही दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल , केदार कश्यप तो विशेष प्रवास पर गये थे इसलिए वहां काफी दिनों से नहीं गये। अन्य मंत्रियों की हालत भी यही है वे पुरानी राजधानी स्थित अपने मंत्री निवास से ही काम चला रहे हैं। वहीं अपनी विधानसभा के लोगों को बुलाकर समस्या का समाधान फोन पर संबंधित विभाग के सचिव को निर्देश देकर ही करते हैं। कुछ प्रभावशाली मंत्री तो अपने सचिवों को बंगले में बुलाकर भी काम करा रहे हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के सभी सदस्य केवल एक बार ही नये मंत्रालय भवन में जुट सके हैं। नई राजधानी बनने के बाद एक बार मंत्रिमंडल की बैठक नये मंत्रालय भवन में हुई थी। उसमें लगभग सभी मंत्री पहली बार नये मंत्रालय भवन में एकत्रित हुए थे। मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक तो विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान हुई थी पर वह मंत्रिमंडल की बैठक विधानसभा में ही हो गई थी और अब मंत्रिमंडल की तीसरी बैठक 22 जनवरी को सुबह राज्य मंत्रालय (महानदी) में होने जा रही है। यह नये मंत्रालय में दूसरी बैठक होगी तो नये साल की पहली बैठक होगी। देखना है कि कितने मंत्री इस बैठक में जुटते हैं।
मुख्यसचिव जरूर जाते हैं...!
छत्तीसगढ़ के नये मंत्रालय भवन (महानदी) में मुख्यसचिव सुनील कुमार जरूर रोज सुबह 10 बजे तक निश्चित ही पहुंच जाते हैं और रात 9 बजे तक मंत्रालय में उपस्थित रहते हैं। मुख्यसचिव जरूर काम के दिनों में मंत्रालय में मिल सकते हैं यह तय है। बाकी के अतिरिक् त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव मंत्रालय आते -जाते रहते हैं क्योंकि मुख्य सचिव की मंत्रालय में लम्बी बैठक है। वैसे किसी सचिव स्तर के अधिकारी से मुलाकात करना हो तो समय लेकर जाना ही बेहत्तर है क्योंकि यदि साहब का मोबाईल बंद है या घंटी बजने के बाद फोन रिसीव नहीं किया जा रहा है तो 'साहबÓ को ढूंढना मुश्किल है। साहब की लोकेशन बताने मंत्रालय में कोई भी मौजूद नहीं रहता है। कभी कहा जाता है कि साहब रायपुर शहर में है, कभी मंत्री के बंगले गये हैं कभी दौरे में हैं यही बताया जाता है। यदि साहब अपने चेम्बर में नहीं हैं और मंत्रालय भवन में ही कहीं मौजूद हैं तो भी उन्हें भूलभुलैया भवन में ढूंढना असंभव तो नहीं पर मुश्किल जरूर है। एक बात और भी यह है कि मंत्रालय भवन में कुछ मोबाईल कंपनियों का टॉवर ही नहीं मिलता है यानि बातचीत संभव नहीं है।
पुलिस मुख्यालय !
छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय भी मंत्रालय महानदी भवन के बगल में स्थित भवन के बगल में स्थित भवन में पुलिस मुख्यालय स्थापित किया गया है। बगल के भवन में अभी भी पुलिस मुख्यालय के कार्यालय स्थानांतरित हो रहा है पर राजधानी स्थित पुराने पुलिस मुख्यालय के अपने कक्ष को अधिकारियों ने पूरी तरह रिक्त नहीं किया है अभी भी कुछ अफसर पुरानी राजधानी के भवन में बैठने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। पुलिस महानिदेशक रामनिवास यादव के तो पुरानी राजधानी में चेम्बर है तो नई राजधानी में भी चेम्बर बन गया है पर वे पुराने पुलिस मुख्यालय में ही अधिक बैठना पसंद करते हैं।
पांच दिन का सप्ताह
नये मंत्रालय भवन में कार्यावधि में प्रस्तावित फेरबदल और सप्ताह में पांच दिन कार्य को लेकर भी अब चर्चा तेज है।
मिली जानकारी के अनुसार नये मंत्रालय (महानदी) में अब कार्यावधि सुबह 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक करना भी प्रस्तावित है। वैसे अभी ऐसा कुछ निर्णय नहीं लिया गया है फिर चर्चा की खबर मिलते ही मंत्रालय कर्मचारी संघ की अध्यक्ष हेमलता एक्का ने हाल ही में राजस्व सचिव बाबूलाल अग्रवाल से मुलाकात कर सुबह 9.30 बजे से मंत्रालय में कामकाज शुरू करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि कामकाजी महिलाओं को घर की जिम्मेदारी का भी निर्वहन करना पड़ता है सुबह 9.30 बजे मंत्रालय में काम पर पहुंचना संभव नहीं है।
इधर अब राज्य में मंत्रालय भवन में 5 दिन का सप्ताह करने पर भी विचार चल रहा है। सूत्रों का तर्क है कि प्रति माह दूसरे और तीसरे शनिवार को वैसे भी अवकाश रहता है। यदि पहले और चौथे शनिवार यानि औसत 2 शनिवार को भी मंत्रालय में अवकाश किया जाए तो मंत्रालय आने-जाने में लगने वाला डीजल , पेट्रोल खपत कम होगा, मंत्रालय में विद्युत बिल की भी बचत की जा सकेगी वहीं सप्ताह में 2 दिन अवकाश होने के कारण मंत्रालय कर्मी/अधिकारी पूरी उर्जा के साथ 5 दिन काम कर सकेंगे। ज्ञात रहे कि डीकीएस भवन का बिजली बिल 8 से 10 लाख रूपए प्रतिमाह आता था वहीं नए मंत्रालय का दो माह का बिल क्रमश: 16, 19 लाख रूपए आया है। बहरहाल यह निर्णय मुख्यमंत्री/मुख्यसचिव स्तर पर होना है।
और अब बस
नये मंत्रालय भवन में रोजाना प्रवेश पत्र बनाने वालों की संख्या में कमी आने से सुरक्षा कार्यालय जरूर खुश है।

मंत्रालय यदि अपने वाहन से जाना है तो टायरों में हवा पहले चेक करा लें साथ ही स्टेपनी जरूर रखें, स्टेपनी बदलना आना विशेष योग्यता मानी जाएगी।

मंत्रालय में किसी मंत्री/अधिकारी से मुलाकात का समय तय है तो एक घंटे पहले मंत्रालय भवन पहुंचे क्योंकि संबंधित जनों का कार्यालय ढूंढने में कम से कम 45 मिनट तो जरूर लगेगा ही।
बदलते वक्त में ये कैसा दौर आया है
हमीं से दूर हो रहा हमारा साया है
आज हम उनकी जुबां पर लगा रहे हैं बंदिश
जिन बुजुर्गों ने हमें बोलना सिखाया है।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने बाकी है। राज्य में लगातार दो बार सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी सक्रिय है तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी सक्रिय होने की तैयारी में है। छत्तीसगढ़ का संबंध रामायण तथा महाभारत युग से रहा है। भगवान श्रीराम माता सीता तथा लक्ष्मण ने अपने 12 साल के वनवास का कुछ हिस्सा छत्तीसगढ़ में भी गुजारा है, अभी भी सरगुजा में सीता बोगरा आदि स्थान है तो शिवरीनारायण तीर्थ भी है जहां भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर प्रेम पूर्वक खाये थे। माता कौशलया का तो यहां जन्म स्थान रहा है तो लव-कुश ने यहां अपना बचपन बिताया, वाल्मिकी आश्रम में शिक्षा पाई तो यहां राज भी किया। तुरतुरिया में आज भी लवकुश की प्रतिमा स्थापित है। इधर महाभारत काल का भी संबंध छत्तीसगढ़ से जोड़ा जाता है। महाभारतकाल के पांडू पुत्र सहदेव ने कुछ भागों को जीता था तो कर्ण ने यहां विजया पताका लहराई थी, छत्तीसगढ़ में रामलीला आज भी जारी है तो पंडवानी के रूप में महाभारत के पांडवों की गौरवगाथा आज भी अनवरत जारी है। श्रीराम ने माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया। भगवान श्रीराम जैसे मर्यादा पुरूषोत्तम अवतार ले सकें। इसके लिये आयोजित यज्ञ का पुरोहिती महान ऋषि श्रंगी ने किया था। श्रंगी ऋषि का आश्रम सिहावा पर्वत पर महानदी का उदगम स्थल पर आज भी स्थापित हैं।
महाभारत और वर्तमान!
महाभारत का छत्तीसगढ़ से पुराना संबंध रहा है और हाल ही में वर्तमान संबंधों में महाभारत के पात्रों का उल्लेख करके अजीत जोगी ने एक नया अध्याय जोड़ दिया है। हाल ही में विधानसभा और लोकसभा स्तर पर युवक कांग्रेस के अध्यक्षों का चुनाव हुआ और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में अमित-अजीत जोगी समर्थक उत्तम वासुदेव मतगणना के बाद पुन: अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वैसे भी अधिकांश लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में जोगी समर्थक युवक कांग्रेसी निर्वाचित घोषित हुए हैं चर्चा तो यह है कि संगठन के एक बहुत बड़े नेता की विधानसभा में उनका समर्थक पराजित हो गया है।
जोगी पुत्र युवा नेता अमित जोगी के दौरे के को लेकर पहले कांग्रेस के बुजुर्ग नेता विद्याचरण शुक्ल, केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे आपत्ति और शिकायत कर चुके हैं। बहरहाल युकां के चुनाव में जोगी समर्थक को सफलता मिलने के बाद उत्साहित अजीत जोगी को महाभारत काल का स्मरण आ गया। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे अमित जोगी को लोगों ने अभिमन्यु समझा था पर वह अर्जुन निकला और चक्रव्यूह को भेदने में सफल रहा। भीष्म पितामह, दुर्याधन सहित कौरवों का सफाया हो गया। यह ठीक है कि चुनाव में सब जायज होता है। युकां में जो गुट पराजित हो गया वह कौरव था। खैर भीष्म पितामह किस कांग्रेसी नेता के लिये जोगी ने संकेत दिया है यह तो सभी समझ सकते हैं पर दुर्योधन किस नेता को लेकर कहा होगा यह समझना आसान नहीं है। क्योंकि अजीत जोगी का यह संकेत 3-4 नेताओं के लिये हो सकता है। सवाल यह उठ सकता है कि अगला विधानसभा चुनाव किसके बीच होना है कांग्रेस-कांग्रेस के बीच या कांग्रेस-भाजपा के बीच। वैसे अजीत जोगी ने अपने पुत्र अमित जोगी को अर्जुन कहा है। महाभारत में युद्घ के मैदान में अर्जुन को शिक्षा श्रीकृष्ण ने दी थी। जाहिर है कि राजनीतिक महाभारत की शिक्षा अमित को अजीत जोगी ने ही दी है और दे भी रहे।
डा. रमन का ब्रम्हास्त्र!
भारतीय जनता पार्टी ने तो एक तरह से श्रीराम का कापीराईट कर लिया है। किसी भी राजनीतिक आंदोलन हो मेल मिलाप हो या त्यौहार हो भाजपा के लोग एक दूसरे से मिलने पर जय श्रीराम का भी प्रयोग करते हैं। राजनीतिक आंदोलनों में तो देशभक्ती गीत बजते है या श्रीराम के भजन ही बजाये जाते हैं भाजपा नेताओं सहित कार्यकर्ताओं को मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम मय होने की शिक्षा दी जाती है। बहरहाल अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने के नाम पर केन्द्र में सरकार बनाने वाली भाजपा को हर विधानसभा या लोकसभा चुनाव में श्रीराम के मंदिर की याद आती है। छत्तीसगढ़ तो माता कौशल्या का निवास रहा है।
श्रीराम ने वनवास का बड़ा समय यहां गुजारा है और भाजपा के कुछ नेता श्रीराम गमन मार्ग की तलाश भी कर चुके हैं। लव-कुश की जन्म स्थली, श्रीराम द्वारा राजसू यज्ञ में भेजा गया घोड़ा यहीं लव-कुश ने रोक लिया था ऐसे प्रसंगों को आज भी ताजा करने का प्रयास किया जाता है। लगातार 9 साल की सरकार चलाने वाले डा. रमन सिंह का तो नाम ही राम से संबंधित है वे भी अब महाभारत-रामायण काल की याद ताजा करने लगे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा कि समय आने दीजिये मैं अपना ब्रम्हास्त्र चलाऊंगा? उनसे जब पूछा गया कि कब चलाएंगे ब्रम्हस्त्र। तो उन्होंने कहा कि समय तो आने दीजिये। वैसे कांग्रेसी परेशान है। इसके पहले 1-2 रूपये किलो चावल गरीबों को देने संबंधी उन्होंने ब्रम्हास्त्र चलाया था और कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गई थी। हाल ही में उन्होंने खाद्य सुरक्षा बिल विधानसभा में पारित कराकर एक ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया है अगला ब्रम्हास्त्र क्या होगा इसका इंतजार हैं।
बलात्कार और छग!
छत्तीसगढ़ कई मामलों में अग्रणी है। बलात्कार के मामले में भिलाई-दुर्ग का औसत तो भारत के कई महानगरों में काफी अधिक है। नेशनल क्राईम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बलात्कार के मामले में 1317 का आंकड़ा लेकर उत्तर प्रदेश सबसे आगे है तो दिल्ली 1087, महाराष्ट्र 556, बिहार 410, सिक्किम 375 के बाद छत्तीसगढ़ 230 लेकर पांचवे स्थान पर है। सूत्र कहते है कि हत्या के मामले में भी छत्तीसगढ़ 5 वे स्थान पर है। बलात्कार हो रहे हैं पुलिस कुछ नहीं कर रही है यह सवाल उठाया जा रहा है। एक बार अविभाजित मप्र के समय तत्कालीन डीजीपी से एक मीडिया कर्मी ने कुछ ऐसा ही सवाल किया था और चतुर सुजान पुलिस अफसर ने उसी मीडिया कर्मी से पूछ लिया था कि यदि कोई हत्या, करने जाता है तो उसके पास पिस्तौल, बंदुक, चाकू आदि जप्त कर अपराध को रोका जा सकता है कोई चोरी डकैती करने जाता है तो पहले तलाशी में हथौड़ी, हथियार, चाबी आदि जप्त कर उसे रोका जा सकता है पर कोई बलात्कार करने जा रहा है इसका पता पहले कैसे चल सकता है। खैर कभी रायपुर के एक पुलिस अफसर ने अपने मातहतों को निर्देश दिया था कि ठंड और बरसात के समय शराब खानों और धंधा करने वालों को परेशान नहीं किया जाए क्योंकि वहां कड़ाई बरती जाएगी तो आवारा किस्म के लोग फिर सभ्य समाज की ओर रूख करेंगे और बलात्कार छेड़छाड़ की घटनाओं में इजाफा होगा। बहरहाल राजधानी रायपुर में भी छेड़छाड़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है कुछ निजी कालेज के छात्र तो कालेज की बसों में ही नशे की हालत में सफर करते है, उसी हालत में कालेज भी पहुंचते है पर प्रबंधन भी कोई कार्यवाही नहीं करता है। केवल समयबद्ध अभियान चलाकर पुलिस कुछ ठोस नहीं कर सकती है इसके लिये छात्र-छात्राओं, पालकों को सर्तक होना होगा। यही नहीं समाज को भी छेड़छाड़ का खुलकर विरोध करना होगा। समाज की गंदगी और गंदी मानसिकता की सफाई का काम केवल पुलिस का ही नहीं हम सभी का है।
और अब बस
0 मंत्रिमंडल में अब विस्तार या फेरबदल नहीं होगा यदि हुआ भी तो गृहमंत्री ननकी भईया ही रहेंगे।
0 पुलिस महानिदेशक रामनिवास ने रेंज पुलिस महानिरक्षकों की पदस्थापना के बाद अब पुलिस अधीक्षकों को बदलने की तैयारी में है। करीब आधा दर्जन पुलिस कप्तानों का बदलना तय माना जा रहा है।
0 सतनामी समाज ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है...एक टिप्पणी भाजपा के पक्ष में ये लोग मतदान तो पहले भी नहीं करते थे।