Monday, December 17, 2012

बदलते वक्त में ये कैसा दौर आया है
हमी से दूर हो रहा हमारा साया है
आज हम उनकी जुबां पर लगा रहे हैं बंदिश
जिन बुजुर्गों ने हमे बोलना सिखाया है।
छत्तीसगढ़ में कभी आदिवासी तथा सतनामी समाज कांग्रेस का विश्वसनीय वोट बैंक होता था। विधायक बनते थे और उनकी संख्या के आधार पर ही अविभाजित मप्र में कांग्रेस की सरकार बनती थी, पर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सतनामी समाज का एक वर्ग भाजपा के करीब चला गया तो आदिवासी समाज तो भाजपा के साथ ही चला गया। हालात यह रहे कि आदिवासी अंचल बस्तर में भाजपा का परचम लहराता रहा। वर्तमान में बस्तर की 11 विधानसभा सीटों में मात्र एक पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा की प्रदेश में लगातार दो बार सरकार बनने के पीछे इन्हें समाजों की महत्वपूर्ण रही है पर आजकल सतनामी और आदिवासी समाज सत्तारूढ़ दल भाजपा से नाराज रहा है।
छत्तीसगढ़ में सतनामी और आदिवासियों का एक बड़ा वोट बैंक है और आजकल दोनों समाज भाजपा की प्रदेश सरकार से कुछ नाराज चल रहा है। सत्ताधारी दल के मंत्री भी अपने-अपने समाज के लोगों को सरकार के साथ जोड़ने और नाराजगी दूर करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। इससे भाजपा में बेचैनी है तो कांग्रेस खुश नजर आ रही है।
सतनामी तथा आदिवासी समाज राज्य सरकार की आरक्षण नीति से नाखुश है। प्रदेश सरकार ने न जाने किस नौकरशाह की सलाह पर सतनामी समाज के आरक्षण में कटौती करके आदिवासी समाज में वृद्धि करने की घोषणा की। इससे दोनों समाज नाराज है। सतनामी समाज की आरक्षण पर कटौती करने की घोषणा से से नाराजगी वाजिब है। सतनामी समाज का मानना है कि जनसंख्या के आंकड़े आने के पहले ही सरकार ने अधिसूचना जारी करने में न केवल जल्दीबाजी की है। पिछले बार भी गुरू घासीदास जयंती पर सतनामी समाज ने सत्तापक्ष के मुखिया डा. रमन सिंह सहित अन्य भाजपाई नेताओं को आमंत्रित नहीं किया था और इस बार भी हालात कुछ ऐसे ही नजर आ रहे है। गिरौधपुरी गुरू दर्शन मेले सहित कुतुबमीनार से भी ऊचा जैत खाम का फरवरी माह में लोकार्पण की योजना है डा. रमन सरकार इसके लिये बाबू जगजगीवन सिंह की पुत्री और लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार को आमंत्रित करना चाहती है पर कुछ वरिष्ठ समाज के लोगों ने दिल्ली जाकर मीराकुमार से छत्तीसगढ़ नहीं आने का अनुरोध किया है और उन्हें संभवत: नहीं आने पर राजी भी कर लिया है। गिरौधपुरी मेले को लेकर अभी से भाजपा सरकार की बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि भाजपा की सरकार में पुन्नुलाल मोहिले जैसे सतनामी नेता है पर वे भी सतनामी समाज की नाराजगी दूर करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। इधर सतनामी की सरकार से नाराजगी का फायदा उठाने में कांग्रेस कोताही नहीं बरत रही है। जिस तरह सतनामी समाज के कार्यक्रमों में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी शिरकत कर रहे है उससे भाजपा में बेचैनी है। इधर हाल ही में सतनामी समाज के प्रमुख नेता, पूर्व सांसद पूर्व विधायक पी.आर. खूंटे की कांग्रेस में वापसी हुई है वह भी कांग्रेस के लिये सुखद है।
भाजपा सरकार ने सतनामियों का आरक्षण कम करके आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाया है उसके बाद भी आदिवासी समाज सरकार से नाराज है। एक तो आरक्षण नीति पर कोई ने स्थगन दे दिया है वही आदिवासियों की रायपुर रैली में लाठी चार्ज, गिरफ्तार कर जेल में डाल देने की सरकार की नीति से भी आदिवासी नाराज है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जिस तरह विकास के नाम पर चलाई जा रही योजनाओं से विस्थापन हो रहा है, औद्योगिकीकरण के नाम पर आदिवासियों की जमीन का जबरिया अधिग्रहण किया जा रहा है, जल, जंगल और जमीन से विस्थापित किया जा रहा है। गरीबी, बीमारी, बेरोजगारी और अशिक्षा के नाम पर आदिवासी समाज अपनी संस्कृति से दूर होता जा रहा है।
बस्तर आदि क्षेत्र में वैसे भी नक्सलियों से निपटने सलावा जुडूम चलाया गया उससे भी आदिवासी समाज जल , जंगल जमीन से बेदखल होकर राहत शिविरों में किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहा था पर अब तो सलवा जुडूम ही बंद कर दिया गया है राहत शिविर भी लगभग बंद जैसे है। इन शिविरों में रहने वाले अब अपने गांव वापस नहीं जा सकते इसलिये बहुत लोग प्रदेश से जुड़े दूसरे प्रदेशों में शरण ले चुके हैं। कांग्रेस के बस्तर में पिछले माह किये गये प्रदर्शन, धरना की सफलता से भी भाजपा चिंतित है। वैसे तो बस्तर में प्रदेश सरकार में विक्रम उसेण्डी, लता उसेण्डी मंत्री है पर पिछला विस चुनाव भी काफी कम मतों से दोनों नेताओं ने जीता था। हाल ही में पूर्व मंत्री मनोज मंडावी का कांग्रेस प्रवेश भी भाजपा के लिये उस उस विधानसभा क्षेत्र में परेशानी बढ़ाएगा। अरविन्द नेताम तीसरे मोर्चे के लिये प्रयासरत है। आदिवासियों के मसीहा प्रवीरचंद भंजदेव के परिवार के कुमार भंजदेव का कांग्रेस और भाजपा पर खुला हमला भी भाजपा के लिये चिंता का कारण बना हुआ है। वैसे कम्युनिस्ट पार्टी भी कोण्टा दंतेवाड़ा क्षेत्र में सक्रियता बढ़ रही है। कुल मिलाकर बस्तर में कांग्रेस, तीसरा मोर्चा बनने की कवायद और कम्युनिस्ट पार्टी की सक्रियता से भाजपा चिंतित है। वैसे भी बस्तर छत्तीसगढ़ सरकार की कुंजी है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा को क्रमश: 9 और 10 विधानसभा में जीत मिली थी।
65 लाख की चूक
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हेलीकाप्टर खरीदी में 65 लाख का झटका लगा पर आश्चर्य तो यह है कि सरकार ने किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्यवाही ही नही ंकी। छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2007 में भंडार खरीदी नियमों को शिथिल करते हुए वैश्विक निविदा की छूट दी थी। इसी के तहत अगस्टा ए-109 हेलीकाफ्टर खरीदने की निविदा जारी की गई। तब हेलीकाफ्टर की प्रस्तावित कीमत 63.15 लाख डालर थी। जिसमें 2 लाख डालर की प्रीमियम राशि शामिल थी। पता चला है कि निगोशियन के बाद मेसर्स शार्प एशियन इन्वेस्टमेण्ट ने प्रीमियम की राशि में छूट देकर 61,26 लाख में हेलीकाफ्टर देने सहमति बना ली थी। पर 29 मार्च 2007 तक अनुबंध की शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण प्रस्ताव निरस्त हो गया। इसके बाद सरकार ने पुन: वैश्विक निविदा जारी की और इसी कंपनी से 65.70 लाख डालर यानि 65 लाख अधिक रकम अदा करके हेलीकाफ्टर खरीदा। सवाल यह है कि 65 लाख अधिक देकर इसी कंपनी स हेलीकाफ्टर खरीदने के लिये तत्कालीन प्रमुख सचिव, वित्त एवं संचालन विमानन आदि से अतिरिक्त भुगतान बाबत् कोई सवाल-जवाब तक नहीं किया गया। सूत्र कहते हैं कि मामला उच्च स्तरीय होने के कारण दबा दिया गया।
सरकार के करीबी....दूर!
कभी डा. रमन सिंह सरकार के काफी करीबी और नीतिकार समझे जाने वाले अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दुर्गेश माधव अवस्थी की पुलिस मुख्यालय वापसी की जगह पुलिस हाऊसिंग बोर्ड में तैनाती की जमकर चर्चा है। वैसे डीजीपी रामनिवास से उनके रिश्ते किसी से छिपे नहीं है।
कभी छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्य सचिव पी. जाय उम्मेन की चलती थी, बी.के.एस रे जैसे वरिष्ठ आईएएस की उपेक्षा कर उन्हें मुख्य सचिव बनाया गया था, फिर उन्हें निर्धारित कार्यकाल पूरा करने के पहले ही हटाकर सुनील कुमार को मुख्य सचिव बना दिया गया। उन्हें सेवानिवृत्ति के पश्चात भी कहीं समायोजित नहीं किया गया। वहीं आईबी दिल्ली से उनकी शर्तों पर लिये गये विश्वरंजन को डीजीपी बनाया गया। उनको लेकर कई बार गृहमंत्री ननकीराम कंवर तक की उपेक्षा की गई पर एक ही झटके में उन्हें हटाकर अनिल एम नवानी को डीजीपी बनाया गया। बस्तर में पुलिस महानिरीक्षक के रूप में चुनाव कराने तथा प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद राजधानी में पुलिस महानिरीक्षक बनाकर संतकुमार पासवान को सरकार के करीबी माना जाता था पर धीरे धीरे उन्हें हाशिये में डालने की कार्यवाही शुरू हुई और उनकी वरिष्ठता को दर किनार करते हुए उनसे काफी जूनियर रामनिवास को डीजीपी बनाया गया।
कभी आईजी के रूप में डीएम अवस्थी की भाजपा सरकार में तूती बोलती थी। रायपुर आईजी और इंटेलीजेन्स आईजी का साथ-साथ प्रभार उन्हें मिला था, सरकार के हर निर्णय में अवस्थी की भूमिका होती थी। उन्हें पुलिस मुख्यालय से पहले बाहर किया या, आर्थिक अपराध शाखा की जिम्मेदारी दी गई और हाल ही में पुलिस हाऊसिंग जैसे लूप लाईन के पद पर पदस्थ किया गया, खैर सरकार के करीब होने का लाभ होता है तो हानि भी होती है।
और अब बस
0 संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रोहणीपुरम में वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय से सरकार के कामकाज पर फीड बैक लिया एक खबर...। कभी नितिन गडकरी भी अपने समर्थक एक मंत्री से फीड बैंक लेते थे पर बाद में क्या हुआ किसी से छिपा नहीं हैं।
0 छत्तीसगढ़ सरकार के काफी निकट होने वाले एक सरकारी अधिकारी ने दिल्ली में किसी दुबई की कंपनी में नौकरी के लिये इंटरव्यूह दिया है ऐसी जमकर चर्चा है।
0 छत्तीसगढ़ के 2 पूर्व पुलिस अधिकारी तथा हाल ही में सेवानिवृत्त होने वाले पुलिस अधिकारी के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा हैं।



No comments:

Post a Comment