Wednesday, November 7, 2012

ये मैं ही था बचाके ले आया किनारे तक
समंदर ने बहुत मौका दिया था डूब जाने का

अमीर धरती गरीब लोग यह जुमला छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पहले से चल रहा है। छत्तीसगढ़ की इस बहुमूल्य धरा है जहां 44 फीसदी क्षेत्र वनों से परिपूर्ण है। वन क्षेत्र फल के हिसाब से हमारे राज्य की गिनती देश के तीसरे राज्य के रूप में होती है। खनिज की दृष्टि से छत्तीसगढ़ देश में दूसरा राज्य है। प्रकृति ने इसे बड़ी फुरसत से गढ़ा है। देश का 16.86 प्रतिशत कोयला, 18.67 प्रतिशत लौह अयस्क, 5.15 प्रतिशत चूना पत्थर, 11. 24 प्रतिशत डोलोमाईट, 4.50 प्रतिशत बाक्साईड, 37.69 प्रतिशत टिन अयस्क, 28.26 प्रतिशत हीरा, 1.06 प्रतिशत कोरंडम, 13 प्रतिशत  ग्रेनाईट लाख  मार्बल मिलियन, 4.63 प्रतिशत है तो प्रायमरी तौर पर 0.23 स्वर्ण अयस्क और 0.55 स्वर्ण धातू हमारी धरती के भीतर होने का अनुमान है।
हीरा और!
छत्तीसगढ़ में हीरा की किम्बर लाईट पाईप होने की पुष्टि हो चुकी है। रायपुर जिले के मैनपुर क्षेत्र में हीरा खनिज की मातृशिला किम्बर लाईट के 6 पाईप बेहराडीह, पायलीखंड, जांगड़ा, कोरोमाली, कोसमबुड़ा एवं बेहराडीह टेम्पल क्षेत्रों में होने की संभावना है तो बेहराडीह और पायलीखंड में किम्बर लाईट पाईप में हीरे होने की पुष्टि भी हो चुकी है। इसके अतिरिक्त रायगढ़ और महासमुंद जिले में किम्बर लाईट पाईप उपस्थित होने की पुष्टि भी कर दी गई है सर्वेक्षण निजी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। वैसे राज्य बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने हीरे के पूर्वेक्षण खनन लायसेंस को निरस्त कर दिया था और उसके बाद इस काम में लगी एक निजी कंपनी उच्च न्यायालय बिलासपुर चली गई थी और उच्च न्यायालय को पेशी दर पेशी ही सालों से चल रही है राज्य सरकार के आला अफसर इस मामले को न्यायालय से निपटाने में क्यों रूचि नहीं ले रहे है? जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के पास ही खनिज मंत्रालय है। जब राज्य बना था तो करमुक्त राज्य की बात जोर शोर से चली थी पर 12 साल बाद आम आदमी पर करों का बोझ है। राज्य सरकार को सभी बंदिशों हटाकर हीरा उत्खनन करना ही होगा तभी प्रदेश के आर्थिक हालात सुधरेंगे।
सपना और सौदागर
छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया रहे पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी ने तो कहा था कि वे सपनों के सौदागर हैं। सपना देखेंगे तभी तो पूरा होने की दिशा में कदम उठाया जाएगा। वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी प्रदेशवासियों के सपनों को पूरा करने देश की अत्याधुनिक राजधानी नया रायपुर को महत्व दे रहे है। पुराने रायपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर नई राजधानी आकार ले रही है। नई राजधानी इस क्षेत्र में बने यह निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में केवल 15 मिनट में ही अजीत जोगी ने लिया था और थोड़ा बहुत फेरबदल करके नई राजधानी को अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा डा. रमन सिंह ने लिया है। छग में कोयला लोहा की लूट, प्राकृतिक नदियों, नालों के पानी की बिक्री की खबरें चर्चा में रही है इसी बीच डा. रमन सिंह ने राज्य बनने के 12 सालों बाद पहली बार ग्लोबल इंवेस्टर मीट कराकर निश्चित ही औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित किया है। पहली बार सरकार ने बेरोजगारों को भी अपने लक्ष्य में रखकर रोजगार मूलक उद्योगों की स्थापना पर बल दिया है और इसको अच्छा प्रतिसाद मिला है। निश्चित ही उद्योगों की स्थापना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा पर इसके लिये सख्त कानून भी बनाने होंगे। छत्तीसगढ़ में कृषि भूमि सिकुडती जा रही है और धान कटोरा के नाम से चर्चित छत्तीसगढ़ अब उद्योग का खौलता कड़ाह बनने की दिशा में अग्रसर हो गया है खेती किसानी कम होने से बेरोजगारी बढ़ी है और गांव से शहरों तथा महानगरों की ओर पलायन शुरू हो गया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की युवा पीढ़ी के लिये डा. रमन सिंह की सोच अच्छी है पर सरकार को कानून बनाना होगा कि छत्तीसगढ़ में स्थापित किसी भी उद्योग में इतने प्रतिशत छत्तीसगढिय़ों को रोजगार देना अनिवार्य होगा और सतत् मानिटरिंग की भी जरूरत है। ग्लोबल इनवेस्टर मीट मे ंकरीब एक लाख 22 हजार 449 करोड़ के औद्योगिक निवेश का एमओयू हुआ है इसका स्वागत किया जाना चाहिये पर उद्योगों की स्थपाना के साथ ही छत्तीसगढ़ में प्रदूषण नियंत्रण पर भी गंभीरता से विचार करना होगा।
रावघाट परियोजना और कवर्धा
छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र के लिये जीवन दायिनी रावघाट परियोजना पर नक्सली खौफ का ग्रहण लग रहा है। सेल के चेयरमेन ने ग्लोबल इंवेस्टर मीट में कवर्धा की लौह अयस्क खान के लिये राज्य सरकार से एमओयू का लिया है। दल्लीराजहरा से 3-4 सालों तक के लिये ही लौह अयस्क बचा है और रावघाट परियोजना इतने समय में अंजाम ले पाएगी ऐसा लग नहीं रहा है
केन्द्रीय इस्पात मंत्रालय एवं सेल (स्टील एथारिटी आफ इंडिया) को रावघाट परियोजना पूरी होकर लौह उत्खनन की उम्मीद थी पर नक्सली खौफ के चलते रेल लाईन सर्वे आदि का काम भी प्रभावित हो रहा है। केन्द्रीय गृहमंत्रालय, राज्य शासन और रेल मंत्रालय द्वारा हाल ही में पहल कर राजहरा से रावघाट खदान तक रेल्वे ट्रेक बनने का कार्य प्रारंभ किया गया है। इस ट्रेक की लम्बाई 90 किलोमीटर होगी, पहले चरण में दल्ली राजहरा से केयोटी तक 42 किलोमीटर ट्रेक बिछाने का कार्य अक्टूबर में शुरू किया गया पर नक्सली खौफ और धमकी के चलते यह कार्य प्रभावित हो रहा है। यह रेल्वे लाईन चूंकि बालौद, कांकेर, नारायणपुर, कोण्डागांव, जगदलपुर जिलों से गुजरना है और बड़ा क्षेत्र नक्सली प्रभावित है इसलिये रावघाट परियोजना के शीघ्र प्रारंभ होने में संदेह है। इसीलिये सेल के चेयरमेन ने छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम से कवर्धा की एक आयरन ओर खदान के लिये एमओयू करके वैकल्पिक रास्ता खोजने का प्रयास किया है। इससे भिलाई इस्पात संयंत्र की धड़कन तो चलती ही रहेगी।
तब गुस्सा क्यों नहीं आता
छत्तीसगढ़ की प्रथम महापौर डा. किरणमयी नायक को गुस्सा बहुत आता है। अभी तक तो गुस्से में कुछ भी कह देती थी पर अब तो गुस्सा दिखाना भी शुरू कर चुकी है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पथ संचलन में पुष्प वर्षा करके चर्चा में रही महापौर ने हाल ही में सिटी बस लोकापर्ण कार्यक्रम में अतिथियों के लिये लाये गये पुष्प गुच्छ, हारों को जमीन में फेंककर एक नया रूप दिखाया है। वैसे कांग्रेसी नेताओं की उपेक्षा, आमंत्रण पत्र में बड़े कांग्रेसी नेताओं के नाम नहीं होने को लेकर महापौर को गुस्सा आया था। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के दिन एक नवम्बर को तीन मंत्रियों बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल और राजेश मूणत को भारी विरोध के चलते बिना मंच पर चढ़े औपचारिक लोकापर्ण करना पड़ा। बाद में महापौर किरणमयी नायक ने अतिथियों के लिये लाये गये हार पुष्प गुच्छ को जमीन में फेंककर अपना विरोध दर्ज कराया। लोग अब कहने लगे है कि जब राज्य सरकार ने निगम क्षेत्र में पेयजल की दर बढ़ाई थी तब महापौर को गुस्सा क्यों नहीं आया, रायपुर की कई सड़कें इस बार की बारिश से गड्ढों में तब्दील हो गई है तब महापौर को गुस्सा क्यों नहीं आया, सम्पत्ति कर बढ़ाया जा रहा है तब महापौर नाराज क्यों नहीं हुई। कई लोगों को बिना व्यवस्थापन के हटा दिया गया, सुभाष धुप्पड़ के पुराने पेट्रोलपंप (अब व्यवसायिक परिसर निर्माणाधीन) से डंगनिया तक वर्षों पुराने कब्जं को हटाया गया तब महापौर कहां थी? और कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के पुस्तैनी मकान का पाटा तोड़ा गया और निगम ने अपने खर्चे पर पुन: पाटा बना दिया गया तब महापौर को शहर के विकास और चौड़ीकरण के लिये हटाये गये कब्जाधारियों की याद नहीं आई। आमापारा से तात्यापारा चौक तक तो चौड़ीकरण के नाम पर कब्जा हटाया गया पर तात्यापारा से जयस्तंभ तक कब्जा नहीं हटाने पर महापौर को गुस्सा क्यों नहीं आया। शहर की सफाई व्यवस्था, सड़कों की हालत चिंता जनक है पर महापौर को गुस्सा नहीं आता है।
जोगी की चर्चा
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी हमेशा सुर्खियों में रहते है। कभी प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के रायपुर प्रवास पर नारेबाजी कराकर चर्चा में रहते है तो कभी बुजुर्ग नेता मोतीलाल वोरा को माना विमानतल में समझाने का प्रयास करते अखबार की सुर्खिया बनते है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी तथा कांग्रेस के महासचिव बीके हरिप्रसाद को बिल्हा के मंच पर समझाने और दुर्ग के मंच पर सोनिया गांधी जिंदाबाद के नारे लगवाकर सोनिया गांधी को बताने की बात मंच से सार्वजनिक रूप से हरिप्रसाद से कहने पर चर्चा में है। सूत्र कहते है कि अजीत जोगी चतुर सुजान नेता है उन्हें कहां क्या करना है यह आता है। दुर्ग के कांग्रेसी मंच पर अजीत जोगी द्वारा पव्वा के बदले बम्फर लेने, 500 से बदले एक हजार का नोट भाजपाईयों से लेकर पर कांग्रेस को वोट देने की अपील की। वैसे यह अपील कई सार्वजनिक मंच से जोगी कर चुके है पर पता नहीं क्यों विद्या भैय्या को यह बुरा लग और उन्होंने इस बयान की ही निंदा कर दी बस फिर क्या था उद्योगपति और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नवीन जिंदल को शोषक तथा सच्चा कांग्रेसी नहीं मानने तथा रायगढ़ जाकर विरोध करने वाले विद्या भैय्या जोगी के निशाने में आ गये। सूत्र कहते है कि नवीन जिंदल के पास खबर गई और नवीन जिंदल ग्लोबल इंवेस्टर मीटर में पहुंचे और अजीत जोगी के निवास पर जाकर उनके एक घंटे गुफ्तगु की। जाहिर है कि विद्या भैय्या के विषय में भी बातचीत तो हुई ही होगी। वैसे कांग्रेस के दिल्ली में बैठे कई आला नेता मानते हैं कि जोगी की मदद के बिना छग में कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकती वही कुछ लोग कहते है कि जोगी के छग में रहते कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकती? बहरहाल अजीत जोगी को दिल्ली में कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता पुन: बनाने की चर्चा चल रही है। जोगी भी अपनी कुछ शर्तों पर छग से बाहर जाने तैयार हो सकते है इससे भाजपा सरकार सहित नंदकुमार पटेल, रविन्द्र चौबे, विद्याचरण शुक्ल, डा. चरणदास महंत कुछ फ्री तो हो ही जाएंगे?
और अब बस
0 छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में हमेशा मुख्यमंत्री के अगल-बगल दिखने वाले एक अधिकारी की इस बार सक्रियता नजर नहीं आई...एक टिप्पणी कुछेक और अधिकारियों को अगल-बगल से हटा देंगे तो अगली सरकार बनने की संभावना बढ़ सकती है।
0 नये मंत्रालय भवन में सबसे बड़े कक्ष में प्रमुख सचिव बृजेन्द्र कुमार बैठेंगे मुख्यमंत्री के लिये बने कक्ष पर अब ये बैठेंगे वही इनके नाम पर बने कक्ष में मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह


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