Tuesday, October 30, 2012

रातों को जागते है इसी वास्ते कि ख्वाब
देखेगा आँख बंद तो फिर लौट जाएगा।

लगभग 11.5 विलियन रु (261 मिलियन डालर) की लागत से नई राजधानी के लिये लगभग 11000 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। इस खर्च में निर्माण लागत को शामिल नहीं किया गया है। करीब 6 लाख की आबादी के लिये फिलहाल शहर बसाया जा रहा है। भूमि उपयोग के आंकड़ों से पहली नगर में यह मध्य दिल्ली का एक अन्य संस्करण जाना पड़ता है। नये शहर की सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग के लिये होगा जबकि सार्वजनिक तथा अर्ध सार्वजनिक उपयोग के लिये 26 फीसदी हिस्सा आरक्षित है। 26 फीसदी वाले इस हिस्से में ही स्कूल, अस्पताल और सरकारी दफ्तरों के अलावा अन्य संस्थान होंगे।
छत्तीसगढ़ की नवनिर्मित राजधानी नया रायपुर में सरकारी कार्यालयों के स्थानांतरण का काम अंतिम चरण में है। मंत्रालय एवं सरकारी कार्यालयों के स्थानांतरण के बाद 7 नवम्बर से औपचारिक रूप से काम काज शुरू हो जाएगा। वैसे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 6 नवम्बर को विधिवत उद्घाटन करने वाले है। मौजूदा राजधानी रायपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नई राजधानी में सभी सचिवालय, सरकारी कार्यालय और विभाग एक जगह बनाये गये हैं। इसे करीब 8000 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है। हालांकि बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाएं अभी भी चल रही है जिसे पूरा होने में अभी समय लगेगा।
छत्तीसगढ़ राज्य का स्थापना दिवस एक नवम्बर को है और उसी दिन राज्योत्सव का उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी के हाथों होना है। समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी उपस्थित रहेंगे। बीच के कार्यक्रमों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
कांग्रेसी असमंजस में
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी में एक से 6 नवम्बर को आयोजित राज्योत्सव को लेकर आम कांग्रेसी असमंजस में है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा का कहना है कि राज्योत्सव राज्य का उत्सव है और इसमें सभी को शामिल होना चाहिये पर वे यह भी कहते हैं कि ये मेरा व्यक्तिगत विचार है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल का कहना है कि जिस दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी आ रहे है उस दिन कांग्रेसियों को शामिल होना चाहिये। इधर कांग्रेस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल भी विद्याचरण शुक्ल की बात से सहमत है कि राज्योत्सव में जिस दिन राष्ट्रपति आ रहे है उस दिन कांग्रेसियों को शामिल होना ही चाहिये पर वे मोतीलाल वोरा की बातों पर भी एक तरह से सहमति दे रहे हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रपति जब राज्योत्सव के समापन पर आ रहे है तब तो कांग्रेसियों को जाना ही चाहिये पर अन्य दिनों में राज्योत्सव में शामिल होने पर किसी कांग्रेसी के लिये बंदिश नहीं है। दरअसल पिछले 2011 के राज्योत्सव में कांग्रेसियों ने बहिष्कार का एलान किया था। उसके बाद भी कवि सम्मेलन में राजिम के विधायक तथा पूर्व मंत्री अमितेष सुक्ला ने वहां शिरकत की थी पर उनके खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं हो सकी थी। लगता है कि पिछले राज्योत्सव के बहिष्कार के ऐलान के बाद नंदकुमार पटेल ने बीच का रास्ता इस बार निकालने का फैसला लिया है। वैसे अभी तक अजीत जोगी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया राज्योत्सव को लेकर नहीं आई है। वैसे जब डा. रमन सिंह के 60 वें जन्मदिन पर कांग्रेसियों ने बधाई नहीं देने का निर्णय लिया था तो अजीत जोगी ने डा. रमन सिंह के निवास पर जाकर बधाई दी थी। वैसे कांग्रेस का आम कार्यकर्ता बड़े नेताओं के बयान के बाद असमंजस में है।
और एएसआई निलंबित हो गया...
छत्तीसगढ़ पुलिस कार्य प्रणाली को लेकर अक्सर चर्चा होती है। पुलिस की अंदरूनी राजनीति और कार्य प्रणाली कैसी हो गई है इसकी भी पुलिस मुख्यालय में जमकर चर्चा है। यह खबर सच तो नहीं है पर पुलिस कार्यप्रणाली को आईना दिखने पर्याप्त है। एक किस्सा पुलिस मुख्यालय में जमकर चल रहा है। किस्सा कुछ यूं है। एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) ने एक बड़े बदमाश को गोली मारकर मुठभेड़ में मार गिराया। उसने इसकी सूचना थाना निरीक्षक को फोन पर दी। थाना निरीक्षक ने आदेश दिया कि रोजनामचे में उनके नाम का भी जिक्र किया जाए। निरीक्षक ने डीएसपी को बदमाश को खुद मारने की जानकारी दी तो डीएसपी ने रोजनामचे में उसके नाम को भी शामिल करने का आदेश दिया डीएसपी ने एएसपी (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) और पुलिस अधीक्षक को बदमाश के मुठभेड़ में मारने की खबर दी और सभी के क्रमश: आदेश के बाद रोजनामचा में एएसआई से लेकर पुलिस कप्तान तक का नाम मुठभेड़ की उल्लेखनीय सफलता के रूप में शामिल हो गया। इसी के बाद जब मारे गये बदमाश का पोस्ट मार्टम कराया गया तो रिपोर्ट आई कि बदमाश पहले ही दिल के दौरे से मर गया था। मरने के बाद उसके मृत शरीर पर गोली दागी गई। बस फिर क्या था एसपी, एएसपी,डीएसपी तथा टीआई (थाना निरीक्षक) ने क्रमश: दबाव बनाकर अपना नाम रोजनामचा से हटाने का सिलसिल शुरू किया और आखिर में मुठभेड़ के नाम पर मृत बदमाश के शरीर में गोली मारने का आरोप एएसआई पर लगा और उसे निलंबित कर दिया गया। इसका मतलब यही है कि अच्छे में सभी अफसर साथ है, श्रेय लेने में सभी साथ है पर मुसबित में उसे खुद झेलनी पड़ती है।
और अब बस
0 विद्याचरण शुक्ल, नवीन जिंदल कांग्रेसी नहीं है शोषक है। मोतीलाल वोरा, नवीन जिंदल एवं उनके परिवार को अच्छे से जानता हूं, उनके माता-पिता भी कांग्रेसी थे।
0 सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी तो सभी जानते है पर बस्तर की पहाड़ी मैना सोने का अंडा देने वाली पक्षी बन गई है। मोनोगेमस होने की बात जानकर भी उस की कैप्टिव ब्रीडिंग पर लाखों खर्च किया जा चुका है।

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