Wednesday, October 10, 2012

बिजली की होती मारामारी
तब शुरू होती मेरी पारी
राज्य और केन्द्र को लड़ाता हूं
माफियाओं का प्यारा हूं
जी हां! मैं कोयला हूं
कोयला घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार भी घिरनेवाली है। 9 अक्टूबर को दिल्ली में अंतर मंत्रिमंडल समिति की बैठक में छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम को कोल आबंटन मामले की सुनवाई होगी। सूत्र कहते हैं कि इस बैठक में भटगांव के दोनों कोल ब्लाक तथा ओडि़शा के दो ब्लाकों पर फैसला हो सकता है। 9 की बैठक को लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है।
छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम को वाणिज्यिक उपयोग के लिये कोल ब्लाक दिये गये थे पर निगम ने संयुक्त उपक्रम बनाकर उपरोक्त कोल ब्लाकों को निजी हाथों को सौंपकर उसमें स्वयं भागीदार बन गया है। यही नही भटगांव के चर्चित दोनों कोल ब्लाको को उद्योगों की जरूरत पूरा करने के लिये दिये थे पर राज्य सरकार ने अजय संचेती और उनके भाइयों की एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर को सौप दिया। इस कंपनी को तो कोल ब्लाक के विस्तार और उत्खनन का कोई अनुभव ही नहीं है। संचेती बंधुओं को सिविल कांट्रेक्टर और लेण्ड डेव्लपर हैं।
भटगांव कोल ब्लाक एक्सटेंशन और एक्सटेशन क्रमांक 2 को राज्य में उर्जा, इस्पात संयंत्रों के हित में राज्य की जरूरतों का हवाला देकर केन्द्र सरकार से छग खनिज विकास निगम के नाम से लिया था।
महालेखाकार की रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा ने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी थी वही राज्य सरकार पर महालेखाकार ने सरगुजा जिले के आसपास भटगांव के दो कोल ब्लाको को क्रमश: 552 और 129.60 पैसे प्रति मीट्रिक टन पर आबंटन पर सवाल उठाते हुए 1052 करोड़ के घाटे का अनुमान लगाया है। विधानसभा के अंतिम दिन कैग की रिपोर्ट आई और रिपोर्ट पर चर्चा नहीं कर सत्र का समापन हो गया।
इधर इन कोल ब्लाक के आबंटन के पूर्व भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती चर्चा में है। उनके रिश्ते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी से भी है तभी तो लोगों के विरोध के चलते उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने पर भी गड़करी कुछ बड़े नेताओं के निशाने पर आये थे।
पहले संचेती बंधुओं ने दुर्ग बाईपास रोड पर काम किया और उन पर 16 करोड़ की देनदारी निकाल कर उनके खाते सील किये गये फिर किसी की मेहरबानी से रकम वसूल नहीं की गई और खाते भी फ्री कर दिये गये।
अभी भटगांव कोल ब्लाक के आबंटन में अनियमितता का आरोप कांग्रेस लगा रही है वहीं कैग ने भी घाटे का अनुमान लगाया है। इसमें महत्वपूर्ण तथ्य यही है कि कोल ब्लाक आबंटन के लिये सलाहकार नागपुर के बनाये गये तो संचेती भी नागपुर के हैं। इस कोल आबंटन में छग खनिज विकास निगम 51 प्रतिशत का पार्टनर है और एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर 49 प्रतिशत का पार्टनर है उसमें भी नागपुर की सोलर एक्सप्लोसिव लिमिटेड बड़ी पार्टनर है। इसके बाद भी संयुक्त उपक्रम का 24.99 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली अजय संचेती को एमडी बनाया गया है। सूत्र यहां यह भी जुड़ रहे है कि अजय संचेती के पार्टनर सत्यनारायण नुवाल का नाम नवभारत कोल फील्डस को लेकर भी सामने आया है। भाजपा की नेत्री डा. नीनासिंह के पति व्ही.के. सिंह को राज्य सरकार की सिफारिश पर 2009 में 36 करोड़ टन कोयला भंडारवाला ब्लाक आबंटित किया गया था और बाद में इस कंपनी ने 74 प्रतिशत हिस्सेदारी 300 करोड़ में सोलर एक्सप्लोसिव्ह नामक कंपनी को बेच दिया यह कंपनी सत्यनारायण नुवाल की है जो भाटगांव कोल ब्लाक में अजय संचेती की कंपनी के पार्टनर हैं। हालांकि नवभारत कोल फील्डस के मामले की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी है।
संचेती बंधुओं को बाजार दर से काफी कम में कोल ब्लाक आबंटन, बिना अनुभव के संयुक्त उपक्रम का भागीदार बनाने, निविदा प्रक्रिया में अनियमितता नागपुर की ही एक कंसल्टेंसी फर्म एक्सिनों कैपिटल सर्विस लिमिटेड की नियुक्ति निविदाओं के लिये कोई सुरक्षित निधि तय नहीं करने, सार्वजनिक उपक्रम बनाने पर मात्र 24.99 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले अजय संचेती को एमडी बनाने आदि के मुद्दों पर अंतर मंत्रि मंडल समिति 9 को दिल्ली में छग खनिज निगम से पूछताछ करेगी। फिर ओडिशा के चेदीपाड़ा के दो कोल ब्लाक भी छग खनिज विकास निगम, उत्तर प्रदेश विद्युत निगम और महाराष्ट्र बिजली बोर्ड के संयुक्त उपक्रम को आबंटित हुए हैं। वहां केलवाशरी स्थापित करने के लिये गौतम अडानी की कंपनी से अनुबंध कर लिया गया है। कांग्रेस के महासचिव तथा प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की सिफारिश पर गौतम अडानी को ठेका देने का आरोप लगाया है। इन दो कोल ब्लाक आबंटन मामला भी अंतर मंत्रिमंडल समूह की बैठक में उठेगा। वैसे 9 और 10 अक्टूबर को देश के 47 कोलब्लाक आबंटन पर समूह चर्चा करने वाला है। कांग्रेसी सूत्रों को विश्वास है कि छग खनिज विकास निगम से ये चारो कोल ब्लाक छीने जा सकते हैं, यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश में राजनीतिक हल चल और भी तेज हो जाएगी यह तय मामा जा रहा है।
गुटबाजी कांग्रेस-भाजपा की
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर चर्चा आम है, वैसे कांग्रेस से अधिक गुटबाजी भाजपा में भी है यह बात और है कि वह सार्वजनिक नहीं हो पाती है। कांग्रेस में अभी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और जुनियर जोगी अमित अभी चर्चा में है। हाल ही प्रदेश के एक मात्र कांग्रेसी सांसद और केन्द्र सरकार में मंत्री डा. चरणदास महंत ने बिना किसी पद में रहते हुए अमित जोगी के प्रदेश में जगह-जगह दौरे पर नाराजगी पार्टी मंच में जाहिर की थी उसके बाद युवक कांग्रेस और भारतीय छात्र संगठन ने अमित जोगी के पक्ष में बयानबाजी की। उसी के बाद दिल्ली में कांग्रेस की बैठक आदि की चर्चा होती रही पर सूत्र बताते है कि कांग्रेस के आला नेताओं ने छग के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को घेरने के लिये मेहनत करने का सुझाव दिया है वहीं गुटबाजी पर नियंत्रण कि जिम्मेदारी कांग्रेस आला कमान पर छोडऩे की बात की है। असल में कांग्रेस में पहले अजीत जोगी निशाना बनते थे और अब उनके साथ अमित जोगी को भी निशाना बनाया जा रहा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के पुत्र अरूण वोरा लगातार विस चुनाव हार रहे हैं। पिछले विस चुनाव में विद्याचारण शुक्ल ने रायपुर से संतोष अग्रवाल को टिकट दिलाई थी पर वे भी पराजित हो गये। डा. चरणदास महंत का गृह जिला चांपा है पर वहां भी कांग्रेस की हालत किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में अजीत जोगी ही एक मात्र जनाधार वाले नेता बचते हैं। उनपर हालांकि कुछ कांग्रेसी प्रत्याशियों को पराजित कराने के भी आरोप उछलते रहते हैं सवाल उठता है कि वे प्रत्याशी जितवा सकते हैं, पराजित करा सकते हैं तो कांग्रेस में उन्हें सर्वमान्य नेता मानने कुछ नेता तैयार क्यों नहीं है।
सूत्र कहते है कि पहले अजीत जोगी और डा. चरणदास महंत में नजदीकियां बढ़ी थी पर आजकल जोगी-विद्याचरण शुक्ल के बीच संबंध अच्छे हो रहे हैं बस यही बात कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं को बर्दाश्त नहीं हो रही है। कभी जोगी पर नई पार्टी बनाने के समाचार भी उछलते हैं। हालांकि कांग्रेस के ही सूत्र बताते है कि मीडिया में छाये रहने की कला जोगी जी को आती है और उन्हीं के गुट के लोग अफवाह फैलाते रहते हैं।
इधर कांग्रेस के अधिक गुटबाजी भाजपा में है। डा. रमन सिंह से सांसद रमेश बैस, नंदकुमार साय, दिलिप सिंह जूदेव मतभेद कई बार जाहिर हो चुके हैं। डा. रमन सिंह और सबसे वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बीच भी संबंध मधुर है ऐसा कहा नहीं जा सकता है। बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल के रिश्ते भी ठीक-ठाक नहीं है। मुख्यमंत्री से दुखी रहने वालों में गृहमंत्री ननकीराम कंवर का नाम भी प्रमुख है। वही हाल ही में आदिवासी मुख्यमंत्री की मुहिम चलाने वाले मंत्रिमंडल के सदस्य रामचिवार नेताम भी कुछ दुखी चल रहे हैं। दिसम्बर में प्रदेश में नया अध्यक्ष बनना है। वर्तमान अध्यक्ष को ही पुन: जिम्मेदारी दी जाएगी या किसी अनुसूचित जाति। जनजाति के वर्ग से नया अध्यक्ष बनाया जाएगा यह भी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। मंत्रिमंडल के किसी सदस्य को अध्यक्ष बनाया जा सकता है ऐसे में मंत्रिमंडल के पुर्नगठन होना भी तय है। वैसे भी मंत्रिमंडल का पुर्नगठन राज्योत्सव के बाद होगा ऐसे संकेत मिले हैं। इधर हाल ही जूदेव ने आदिवासी मुख्यमंत्री सरगुजा जिले  से बनाने की बात करने आदिवासी एक्सप्रेस को गति दे दी है।
नया डीजी कौन
छत्तीसगढ़ प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अनिल एम नवानी नवम्बर माह में राज्योत्सव के बाद सेवा निवृत्त हो रहे है उनका उत्तराधिकारी संत कुमार पासवान होगे या रामनिवास यादव होंगे इसी बात को लेकर अटकलें जारी है। हालांकि रामनिवास को स्पेशल डीजी बनाने के बाद उनका दावा भी मजबूत बन रहा है। दरअसल नवानी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनके बैचमेट संतकुमार पासवान का नंबर आता है पर वे अप्रेल 13 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 4-5 महीने के लिये उन्हें डीजीपी बनाया जाता है या नहीं इसका फैसला मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को लेना है। पासवान के बाद राम निवास यादव का क्रम है उनकी सेवा निवृत्ति जनवरी-फरवरी 14 में होनी है। यदि पासवान को डीजीपी बनाया जाता है तो उनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात 9-10 माह के लिये रामनिवास भी डीजीपी बन सकते है और आगामी विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में होना है। बहरहाल वरिष्ठता क्रम की उपेक्षा की बात छग में नई नहीं है। छत्तीसगढिय़ा वासुदेव दुबे सबसे वरिष्ठ होने केबाद भी डीजीपी नहीं बन सके तो बीके एस रे सबसे वरिष्ठ आईएएस होने के बाद, भी मुख्य सचिव नहीं बनाये गये थे।
और अब बस
0 राज्योत्सव के बाद कुछ कलेक्टर, पुलिस कप्तान सहित सचिवों, पुलिस महानिरीक्षकों का तबादला होना तय माना जा रहा है।
0 मोतियाबिंद आपरेशन में अनियमितता से कुछ की आंखों की रोशनी गई, पैसो की लालच में कुछ महिलाओं की बच्चेदानी निकाली गई और अब स्मार्ट कार्ड से बिना इलाज के पैसे निकाले गये एक टिप्पणी...स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का समय अभी ठीक नहीं चल रहा है।
0 गणेशजी विराजित हुए और उन्हें विसर्जित भी कर दिया गया पर एक गणेशजी एक विभाग में काफी समय से तैनात है, कांग्रेसी और भाजपाई दोनों उनकी पदस्थापना से खुश है क्योंकि ये गणेशजी चंदा लेते नहीं चंदा देते हैं।

No comments:

Post a Comment