Monday, September 3, 2012

बदल रहे है यहां सब रिवाज क्या होगा
मुझे ये फिक्र है, कल का समाज क्या होगा
लहू तो कम है मगर, रक्तचाप भारी है
अब ऐसे रोग का आखिर इलाज क्या होगा

केन्द्र की कांग्रेस नीत सरकार और प्रदेश की भाजपा सरकार के बीच कोयला आबंटन को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। वैसे देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से इस्तीफा की मांग करते हुए लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही बाधित कर रखी है। शनिवार को ही देश के 40 स्थानों पर आसमभा लेकर जनजागरण का प्रयास किया है तो अब कांग्रेस भी जनता के बीच जा रही है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने डा. रमन सिंह पर राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी विजय संचेती को भटगांव कोयला ब्लाक आबंटन का आरोप लगाकर इस्तीफे की मांग की है और उनके घेराव की चेतावनी रही है। कोयले को लेकर देश की राजधानी दिल्ली सहित प्रदेश की राजधानी रायपुर में भी राजनीतिक माहौल गर्म है। कांग्रेस और भाजपा के बीच शह और मात का खेल शुरू हो गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन प्रमुख सचिव ए.के. विजय वर्गीय ने केन्द्रीय कोयला सचिव को 27 मार्च 2005 को पत्र लिखा था कि कोयला ब्लाकों की खुली नीलामी करने से कोयला की कीमतों में इजाफा होगा और इसका स्टील और अन्य उद्योगो में सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से केन्द्र की कोयला ब्लाकों की खुली नीलामी की प्रस्तावित नीति का समर्थन नहीं करते हुए पुरानी नीति ही बहाल करने की सिफारिश की थी। ज्ञात रहे कि उस समय भी डा. रमन सिंह ही मुख्यमंत्री थे।
सहाय से पहले राज्य सिफारिश कर चुका था!
छत्तीसगढ़ में कोल ब्लाक आबंटन को लेकर पूर्व मंत्री तथा विधायक मो. अकबर ने एक बड़ा खुलासा कर भाजपा की प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मो. अकबर के अनुसार 18 जून 2007 को राज्य शासन ने केन्द्रीय कोयला मंत्रालय को एक पत्र लिखकर एक मुश्त 34 कंपनियों के लिये कोल ब्लाक आबंटन की सिफारिश की थी। तत्कालीन विशेष निवेश उर्जा सचिव के हस्ताक्षर से जारी 34 पत्र में ताप विद्युत संयंत्रों के लिये कोल ब्लाक आबटंन की सिफारिश की गई थी। इसमें 26 कंपनियां ऐसी थी जो राज्य में स्वतंत्र इकाईयों की स्थापना करना चाहती थी वही 8 ऐसी कंपनियों को कोल ब्लाक देने की सिफारिश की गई थी छत्तीसगढ़ शासन के साथ जिनका कैप्टिव पावर प्लांट लगाने एमओयू हो चुका था।
18 जून 2007 को जिन कोल ब्लाक देने की सिफारिश की गई थी। उनमें एस.के.एस. इस्पात एवं पावर, प्रकाश इंडस्ट्रीज सहित एस्सार, भूषण, आर्यन कोल, वेनी फिकेशन, जीएमआर एनर्जी बैगलुरू, टाटा स्टील, जिंदल, मोनेट इस्पात आदि शामिल है। सवाल यह उठ रहा है कि एक तरफ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर एस के एस इस्पातल को कोयला ब्लाक आबंटन के लिये केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय के 6 फरवरी 2008 के पीएमओ को लिखे गये सिफारिश पत्र का उल्लेख कर रही है वहीं स्वयं छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन विशेष सचिव उर्जा ने 18 जून 2007 यानि सहाय के पत्र के 8 माह पूर्व ही एसकेएस को सिफारिश कर दी थी ऐसे में भाजपा की प्रदेश सरकार के दामन पर भी छीटे जरूर पड़ते ही हैं।
जेटली का नाम चर्चा में
कोयला ब्लाक आबंटन के मामले में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय बुरी तरह घिर गए हैं। उनकी सिफारिश पर एसकेएस इस्पात एंड पावर कंपनी को कोयला ब्लाक दिए जाने की असल कहानी सामने आ गई है। सुबोध के भाई सुधीर सहाय एसकेएस कंपनी के डायरेक्टर हैं। कोयला ब्लाक आबंटन के लिए 7 फरवरी 2008 को कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में भी सुधीर बतौर कंपनी डायरेक्टर पेश हुए थे। केंद्रीय मंत्री सहाय ने 5 फरवरी 2008 को पीएमओ एक चिट्ठी भेजी, जिसमें पीएम को लिखा गया, एसकेएस इस्पात को अपनी स्टील कंपनी के लिए झारखंड और छत्तीसगढ़ में दो कोल ब्लाक की जरूरत है। कंपनी सभी शर्तें पूरी करती है। मैं आपका आभारी रहूंगा अगर आप व्यक्तिगत पहल कर ये आबंटन करवाएं।
इस चिट्ठी के मिलने के 24 घंटे के भीतर ही पीएमओ की अनुशंसा पर 6 फरवरी 2008 को इस कंपनी को दो कोयला ब्लाक आबंटित किए गए। सुबोध कांत सहाय पहले तो एककेएस इस्पात से संबंध होने से इनकार करते रहे लेकिन जब स्क्रीनिंग कमिटी की मीटिंग में उनके भाई के पेश होने के साक्ष्य सामने आए तो उनसे जवाब देते नहीं बना। इतना ही नहीं, झारखंड सरकार और एसकेएस के साथ हुए समझौते (एमओयू) में भी सुधीर सहाय के हस्ताक्षर दर्ज हैं।
पूरे मामले में सफाई देने के लिए सुबोध कांत सहाय दिल्ली मे ंप्रेस कांफ्रेंस बुलाई लेकिन उसमें भी बुरी तरह से फंस गए। जब संवादताताओं ने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने भाई से जुड़ी कंपनी के लिए सिफारिशी पत्र क्यों लिखा, तो उन्होंने जवाब दिया कि चूंकि वह झारखंड से सांसद है लिहाजा वहां के विकास के लिए उन्होंने इस कंपनी को ब्लाक दिए जाने की सिफारिश की है। हालांकि, इस सवाल का उनके पास कोई जवाब नहीं था कि राज्य की दूसरी कंपनियों पर उन्होंने ऐसे मेहरबानी क्यों नहीं दिखाई।
इससे पहले सुबोध कांत सहाय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है और राज्य सरकार की सिफारिश के बिना कोई भी खदान आबंटित नहीं हो सकती। सहाय ने प्रकाश इंडस्ट्री का बीजेपी से संबंध होने का आरोप लगाया क्योंकि जब केस कोर्ट में था तो अरूण जटेली ने ही कंपनी की पैरवी की थी। गौरतलब है कि कोयला ब्लाक आबंटन पर कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होन ेऔर इसमें 1.86 लाख करोड़ के घाटे की बात सामने आने के बाद से राजनीतिक बवंडर मचा है।
पुष्प स्टील नवभारत और प्रकाश इंडस्ट्रीज
संसद में भाजपा कोयला घोटाला पर हंगामा कर रही है पर प्रदेश की रमन सरकार और उनके कुछ अधिकारी भी लपेटे में है।
सन् 2006 से 2009 के बीच 13 कंपनियों को कोल ब्लाक छत्तीसगढ़ में दिये गये है, इनमें से ज्यादातर वे छग के कोई उद्योग नहीं है। वैसे छग में कोयला ब्लाक लेने नकली कंपनियां बनाई गई नियम और शर्तों को तोड़कर कमाई करने के भी आरोप लगे है।
पुष्प स्टील एक माइनिंग कंपनी दिल्ली के अजमेरी गेट इलाके में एक लाख की पूंजी से खुली एक कंपनी को दिल्ली से एक हजार किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ में लोहे और कोयला की खदान के लिये आवेदन किया पूर्व के अनुभव नहीं होने पर भी उसे लोहे की माइनिंग लीज मिल गई इस मामले में मोतीलाल वोरा की सिफारिश की चर्चा रही है।
नवभारत कोल्स लिमिटेड को 2006 में स्पंज आयरन बनाने कोयला खदान दी गई। कंपनी को 5 लाख टन कोयले की जरूरत थी लेकिन उसे 3 करोड़ 60 लाख टन कोयले वाली खदान मिली और बाद में इसने 74 प्रतिशत हिस्सेदारी दूसरी कंपनी को बेच दी यह भाजपा की एक नेत्री नीला सिंह की कंपनी है।
प्रकाश इंडस्ट्रीज का मामला भी चौकाने वाला है। जांजगीर चांपा में स्पंज आयरन बनाने वाली इस कंपनी में अपनी क्षमता बढ़ाने 2 कोल ब्लाक आबंटित कराये क्षमता नहीं बढ़ाई बल्कि कोयला बाजार में बेचना शुरू किया, मामला खुलने पर सीबीआई ने छापा मारा और एफआईआर भी कराई।
और अब बस
0 छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल का सड्डू प्रोजेक्ट फेल होने की चर्चा के बीच ही 2010 में बने मौलाश्री प्रोजेक्ट के तहत व्हीआईपी रोड में बने 17 मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों के बने बंगलों में बृजमोहन अग्रवाल, प्रेम प्रकाश पांडे के बंगलों में के, सीपेज आने की चर्चा है वही कुछ विधायकों के डुप्लेम्स मकान की भी दीवारें क्रेक हो गई है। अब ऐसे में गृह निर्माण मंडल के मकान कौन खरीदेगा।
0 नये कलेक्टर परदेशी के साथ एडीएम संजय अग्रवाल काम कर चुके हैं, उन्हें छोड़कर बाकी अफसर, कर्मचारी साहब की कार्यप्रणाली देखकर बेचैन हैं।
0 राजधानी में नये पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक को लेकर चर्चा चल रही है दोनों पदों के लिये 2 ब्राम्हण अधिकारियों के नाम उपर चल रहे है पर उनकी नियुक्ति होगी ऐसा लगता नहीं है।

No comments:

Post a Comment