Saturday, September 29, 2012

वो तालों का लटकना
वो रैली की बहार
वो बस में तोड़फोड़
वो मारपीट का समाचार
वो रेल को रोकना
वो आम लोगों पर अत्याचार
मुबारक हो आपको
बंद का त्यौहार!

छत्तीसगढ़ में आजकल बंद-बंद का खेल शुरू हो गया है। महंगाई के लिये प्रदेश में कांग्रेस पार्टी, सत्ताधारी दल भाजपा को जिम्मेदार ठहराती है तो प्रदेश की भाजपा सरकार केन्द्र की कांग्रेसनीत सरकार को जिम्मेदार ठहराकर अपना दामन पाक-साफ बताने का प्रयास करती है। कभी भाजपा केन्द्र सरकार के खिलाफ च्बंदज् का आयोजन करती है तो कभी प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस, भाजपा की प्रदेश सरकार के खिलाफ बंद का आयोजन करती है और मासूम जनता दोनों पार्टी के बंद पर चुपचाप तमाशा देखने मजबूर है उसे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर कौन सच बोल रहा है कौन झूठा!
हाल ही में केन्द्र ने गैस सिलेण्डर की सीमा प्रतिवर्ष 6 कर दी है और अतिरिक्त सिलेण्डर लेने पर सब्सिडी नहीं देने का फैसला लिया है वही डीजल प्रति लीटर 5 रूपये महंगा कर दिया है। इसी बात को लेकर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने केन्द्र सरकार से अपना समर्थन वापस लेकर केन्द्र में शामिल अपने मंत्रियों को इस्तीफा दिलवा दिया है।
इधर केन्द्र सरकार ने कांग्रेस शासित राज्यों में 6 सिलेण्डर के अतिरिक्त 3 सिलेण्डर पर राज्य सरकार को सब्सिडी की राशि वहन करने का निर्देश दिया है वही गैर सब्सिडी युक्त सिलेण्डरों से एक्साईज और कस्टम टैक्स हटाकर 105 रुपये की और भी राहत दी है। इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा चांऊर वाले बाबा के नाम से देश में चर्चित डा. रमन सिंह 6 सिलेण्डरों के बाद छत्तीसगढ़ की जनता को राहत देने के मूड में नहीं है। सलवा जुडूम अभियान में अरबों खर्च हो चुका है पर नक्सली समस्या बढ़ती ही जा रही है। एक और दो रुपये चावल बांटने की योजना में भी हर साल करोड़ों खर्च हो रहे हैं। पर आम जनता को साल में 3 सिलेण्डर में सब्सिडी देने के लिये डा. रमन सिंह इललिए तैयार नहीं है क्योंकि उनके रणनीतिकारों की सलाह है कि अभी ऐसा करना उचित नहीं होगा कोल ब्लाक आबंटन की बात हो या नदियों का जल उद्योगपतियों को बेचने का मामला हो या बांध बेचने की बात हो, कृषि भूमि को उद्योगपतियों के लिये अधिग्रहण का मामला हो तो यह सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई देती है पर आम जनता को 3 सिलेण्डरों के लिये सब्सिडी देने के मामले में सरकार राणनीति के चलते राहत देने के मूड में नहीं है क्योंकि मप्र में भी कुछ इसी तरह का बयान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दे चुके हैं। जब गोवा की भाजपा सरकार राहत दे सकती है तो छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार क्यों नहीं? वैसे काफी कम लोगों को पता है कि डीजल-पेट्रोल के वैट से राज्य सरकार को जितनी आय होती है उतनी शराब में भी नहीं होती है।
चरण की सीख, जोगी का जवाब
कभी नायब तहसीलदार रहे केन्द्र में राज्यमंत्री तथा छत्तीसगढ़ के एकमात्र कांग्रेसी सांसद डॉ. चरणदास महंत कभी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके आसपास सक्रिय कुछ अफसरों को जेल जाने की बात करते हैं। वे भटगांव एक्सटेशन 2 कोल ब्लाक, पुष्प स्टील को लौहा, कोल ब्लाक आबंटन, नवभारत फ्यूज को कोल ब्लाक तथा कवर्धा में मां बम्लेश्वरी कंपनी को कोलब्लाक आबंटन पर अनियमितता का आरोप मढ़कर इसे ही भविष्य में नेता जेल जाने का प्रमुख करण बता रहे है। खैर भाजपा की सरकार और मुखिया पर आरोप लगाना तो उनकी राजनीति का हिस्सा हो सकती है परन्तु अपनी ही पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को बुजुर्ग ठहराकर सेकेण्ड लाईन को मौका देने का बात कहकर उन्होंने अपनी ही पार्टी के मठाधीशों से पंगा ही ले लिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि पहली पंक्ति के बड़े और बुजुर्ग नेता अपने घरों में न बैठे बल्कि छोटे नेताओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करें। परंपरा यही है कि अधिकार और क्षमता एक पीढी से दूसरी पीढ़ी में विकसित करें। डा. महंत ने बुजुर्ग नेताओं की श्रेणी में विद्याचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा, अजीत जोगी आदि को रखा है। वही सेकेण्ड लाईन के नेताओं में स्वयं सहित नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे को रखा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने तो इन त्रिफला पर पहले ही टिप्पणी कर चवनप्रास स्वयं से लेने की सलाह दी थी अब महंत के ताजे बयान के बाद उन्होंने कहा है कि मैं डोकरा नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मोतीलाल वोरा और विद्याचरण शुक्ल उनसे 20 साल बड़े है। जब इन दोनों नेताओं ने राजनीति शुरू की थी मैं बच्चा था। उनका यह भी महंत को सुझाव था कि सेकेण्ड लाईन के बच्चे नेता और बुजुर्ग नेताओं के बीच मुझे एडजेस्ट किया जा सकता है। वैसे डा. चरणदास महंत कभी नायब तहसीलदार रह चुके है और राजनीति में आने के बाद मप्र के गृहमंत्री होकर सांसद तथा केन्द्रीय राज्य मंत्री बन चुके है तो अजीत जोगी कलेक्टर रह चुके है, मुख्यमंत्री रह चुके हैं, राज्यसभा और लोकसभा सदस्य रह चुके हैं एक बात जरुर है कि वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सकें है।
पुलिस मुख्यालय से
छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय हमेशा चर्चा में रहा है। पहले डीजीपी विश्वरंजन बहुत बड़बोले थे और अभी के डीजीपी अनिल नवानी बहुत कम बोलते हैं ये अंतर्मुखी है बस पुलिस मुख्यालय के एक-दो बड़े अफसरों के सामने ही खुलते हैं। खैर नवम्बर माह में अनिल नवानी सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उनके स्थान पर संतकुमार पासवान और रामनिवास यादव में से एक डीजीपी बनेंगे यह तय माना जा रहा है। पहला तर्क पुलिस मुख्यालय में यह दिया जा रहा है कि केन्द्र मे ंडीजी के रूप में वरिष्ठता हासिल करने वाले संतकुमार पासवान को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। वैसे पासवान भी अप्रेल 2012 यादि अनिल नवानी की सेवा निवृत्ति के बाद 5 महीने बाद सेवा निवृत्त हो जाएंगे यदि उन्हें डीजीपी बनाया जाता है तो नक्सली क्षेत्र में बहुत कुछ हो सकता है क्योंकि नक्सल क्षेत्र सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में एसपी से लेकर आईजी तक की जिम्मेदारी वे सम्हाल चुके हैं। उनकी गिनती अनुभवी तथा गंभीर अफसरों में होती है। केवल 5 महीने के लिये डीजीपी बनाने का जहां तक सवाल है तो पहले भी स्व. दास कुछ महीनों के लिये डीजीपी बने थे। इधर रामनिवास यादव के विषय में कहा जा रहा है कि वर्तमान डीजीपी तथा सरकार के करीबी होने का उन्हें लाभ मिल सकता है पर उनकी पासवान के मुकाबले कनिष्ठता उनके लिये बड़ी कमी बताई जा रहे हैं। सूत्र कहते है कि स्पेशल डीजी बनाकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास है। इधर यह भी तर्क दिया जा रहा है कि चूंकि केन्द्रीय गृहमंत्रालय को दो नामों का पेनल भेजना है और पासवान को छोड़कर कोई डीजी रैंक का अफसर नहीं था इसलिये रामनिवास को स्पेशल डीजी बनाया गया था। सूत्र यह भी तर्क देते है कि 5 महीने संतुकमार पासवान को डीजीपी बनाकर अनुसूचित जाति वर्ग में ेक संदेश देने का प्रयास हो सकता है। इनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात करीब 9 महीने का समय राम निवास के पास होगा और वे विधानसभा चुनाव कारकर सेवानिवृत्त हो सकते है ऐसे में राज्य सरकार दोनों को संतुष्ट कर सकती है।
एक भी एडीजी नहीं!
छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में अब एक भी एडीजी नहीं रह गया है। एक मात्र एडीजी रामनिवास को स्पेशल डीजी बनाया गया है। हालांकि राज्य में एडीजी रैंक के 5 अफसर है पर सभी पुलिस मुख्यालय से बाहर हैं। पुलिस मुख्यालय में एडीजी नक्सल आपरेशन और सीएफ, प्रशिक्षण और गुप्चर शाखा का पद स्वीकृत है। वर्तमान में एडीजी के स्वीकृत पद के विरुद्ध आईजी और आईजी पद के निरूद्ध एडीजी कार्यरत हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में एडीजी पद पर गिरधारी नायक जेल में पदस्थ है तो एम डब्लु अंसारी लोक अभियोजन के संचालक ए.एन. उपाध्याय गृह मंत्रालय में ओएसडी, डीएम अवस्थी एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा में आरसी श्रीवास्तव पुलिस गृह निर्माण में प्रबंध संचालक है। जल्दी ही संजय पिल्ले, आर.के विज और मुकेश गुप्ता की पदोन्नति एडीजी के पद पर हो जाएगी। इधर बस्तर, रायपुर और दुर्ग में भी नये आईजी की तलाश जारी है। वही कुछ और पुलिस कप्तान भी बदले जाने हैं। वैसे सूत्र कहते है कि नवम्बर के पहले या नवम्बर के बाद दिसम्बर महीने में पुलिस मुख्यालय से लेकर जिलों तक एक बड़ा फेरबदल हो सकता है।
और अब बस
0 कोल ब्लाक आबंटन में सीबीआई द्वारा प्रकरण बनाये जाने के बाद ही एक दामाद की उनके मूल कैडर में वापसी हो गई है। यह संयोग भी हो सकता है।
0 गृहमंत्री ननकीराम कंवर कहते है कि उन्होंने डा. चरणदास महंत को तहसीलदारी सिखाई है एक टिप्पणी... पुराने समय की बात है आजकल तो गृहमंत्री होने के बाद भी वे किसी को थानेदारी भी नहीं सिखा पा रहे हैं।
0 बृजमोहन अग्रवाल और रामविचार नेताम अब छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता होंगे। चलो अब आफ दी रिकार्ड बात तो हो सकेगी।

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