Saturday, March 10, 2012

आइना ए छत्तीसगढ़
ये जो कुछ लोग हैं फरिश्तों से बने फिरते हैं
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएं तो इंसा हो जाएं

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद 12 सालों में पहली बार ऐसा संजोग आया है जब छत्तीसगढ़ को अच्छे से पहचानने वाले नेतृत्वकर्ता मिले हैं। छत्तीसगढ़ में राज्यपाल शेखर दत्त, मुख्य सचिव सुनील कुमार कम से कम 'छत्तीसगढ़Ó को पहचानते तो हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री बने थे अजीत प्रमोद कुमार जोगी। छत्तीसगढ़ के पेण्ड्रारोड क्षेत्र के मूल निवासी अजीत जोगी ने रायपुर में शासकीय इंजीनियरिंग कालेज में बतौर अध्यापक नौकरी की फिर आईएएस बनने के बाद लम्बे समय तक रायपुर में कलेक्टरी भी की। वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी मूलत: छत्तीसगढ़िया है, रायपुर में आयुर्वेदिक कालेज में उनकी पढ़ाई हुई यह संयोग ही है दोनों मुख्यमंत्री आयुर्वेदिक कालेज और इंजीनियरिंग कालेज यानी आमने-सामने पढ़ चुके हैं, पढ़ा चुके हैं। वर्तमान में राज्यपाल शेखर दत्त भी अविभाजित मध्यप्रदेश के समय रायपुर में कमिश्नर रह चुके हैं। वहीं कुछ समय तक बस्तर संभाग का भी कार्यभार देख चुके हैं। वर्तमान में मुख्य सचिव सुनील कुमार ने तो अपनी नौकरी की शुरूआत ही आदिवासी अंचल बस्तर से की है। 1 मई 80 से जुलाई 81 तक जगदलपुर में सहायक कलेक्टर, 6 सितंबर 82 से दिसम्बर 82 तक रायपुर में ही बंदोबस्त अधिकारी रहे वहीं 3 फरवरी 87 को रायपुर के कलेक्टर का पदभार सम्हाला था। नया राज्य बनने के बाद भी वे कई पदों पर कार्य कर चुके हैं। वैसे सुनील कुमार को छोड़ दे तो अभी तक छत्तीसगढ़ में बतौर मुख्य सचिव बने कुछ अफसर तो छत्तीसगढ़ के लिए नये ही थे। शिवराज सिंह ने जरूर 12 जुलाई 78 से 20 अगस्त 80 तक बतौर सक्षम अधिकारी, प्रशासक नगर निगम रायपुर का दायित्व सम्हाला था। पहले मुख्य सचिव अरुण कुमार तो 6 जुलाई 66 से 6 मई 67 तक सहायक कलेक्टर बिलासपुर रहे थे। एक अन्य मुख्य सचिव सुयोग्य कुमार मिश्रा एक जून 72 से 2 जून 73 तक बिलासपुर में एडीशनल कलेक्टर रह चुके थे। मुख्य सचिव रहे ए के विजय वर्गीय 4 नवम्बर 80 से 24 दिसंबर 82 तक बिलासपुर में अतिरिक्त आदिवासी आयुक्त के पद पर ही कार्य कर चुके थे।
एक अन्य मुख्य सचिव आर पी बगई भी अविभाजित मध्यप्रदेश के समय रायपुर में आयुक्त पद पर कार्यरत रह चुके हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में लगातार पदस्थ रहे बी के एस रे को मुख्य सचिव के समकक्ष दर्जा दिया गया उन्हें मुख्य सचिव नहीं बनाया गया।
जहां तक पी जॉय उम्मेन की बात है तो अविभाजित मध्यप्रदेश के समय वे छत्तीसगढ़ में कभी पदस्थ नहीं रहे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे पहली बार छत्तीसगढ़ आये। राज्य में पूर्व में कभी पदस्थ नहीं होने के कारण उन्हें राज्य के भूगोल, इतिहास, राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक स्थितियों की भी कोई विशेष जानकारी नहीं थी। मुख्य सचिव रहते हुए उन्होंने राज्य के उस समय मौजूद 18 जिलों के मुख्यालय भी कभी नहीं गये। प्रदेश के दूरस्थ अंचल में प्रवास की बात तो दूर है। खैर छत्तीसगढ़ की अच्छी खासी जानकारी रखने वाले वर्तमान मुख्य सचिव सुनील कुमार को अच्छा योजनाकर्ता, सख्त तथा अनुशासन प्रिय अधिकारी माना जाता है। उनके कार्यकाल में छत्तीसगढ़ का और अधिक विकास होगा यह तो सोचा जा सकता है।

पुलिस महानिदेशकों

का छत्तीसगढ़ से नाता!

छत्तीसगढ़ के पहले राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय आईपीएस थे, दूसरे राज्यपाल के एम सेठ सैन्य अधिकारी थे तो तीसरे राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन भी आईपीएस अफसर रह चुके थे वहीं वर्तमान राज्यपाल शेखर दत्त पूर्व सैन्य अधिकारी होने के साथ ही पूर्व आईएएस अफसर रह चुके हैं। केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की नक्सली समस्या को देखकर ही संभवत: इन राज्यपालों की नियुक्ति की जाती रही है। सेना और पुलिस के अनुभवी अधिकारियों की बतौर राज्यपाल नियुक्ति के पीछे केन्द्र सरकार की नक्सलविरोधी अभियान को गति प्रदान करने की भावना ही हो सकती है पर राज्य गठन के पश्चात पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति के पीछे की राजनीति चर्चा में है। पहले डीजीपी प्रकाश शुक्ला बने उसके बाद पी के दास, आर एस एल यादव, अशोक दरबारी, ओ पी राठौर, विश्वरंजन और अब अनिल नवानी को डीजीपी बनाया गया है। इसमें आर एल एस यादव जरूर छत्तीसगढ़ के लिये जाना पहचाना नाम था वे राजनांदगांव में पुलिस कप्तान सहित डीआईजी, आईजी के रूप में पहले सेवाएं दे चुके थे। उनके लिये विश्वरंजन भी रायगढ़, बस्तर सहित राजधानी में कुछ समय तक पदस्थ रह चुके हैं तो बाकी पुलिस महानिदेशक मोहन शुक्ला, ओ पी राठौर, अनिल नवानी का तो छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद ही छत्तीसगढ़ से परिचय हुआ है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अनिल नवानी केवल बिलासपुर में कुछ समय के लिये पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थ रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ के लिये वैसे जेल महानिदेशक संतकुमार पासवान का नाम जरूर जाना पहचाना है। बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर में अविभाजित मध्यप्रदेश के समय वे बतौर पुलिस कप्तान कार्य कर चुुके हैं तो भिलाई में ही सीआईएसएफ में डीआईजी, बस्तर में डीआईजी, आईजी तथा रायपुर में भी आईजी का दायित्व सम्हाल चुके हैं। वैसे बस्तर तथा राजनांदगांव के नक्सली क्षेत्र में वे लम्बे समय तक पदस्थ रहे हैं। नक्सली मामले के अच्छे जानकार तो हैं साथ ही बस्तर में विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण कराने उन्हें तत्कालीन चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त लिंगदोह ने प्रशंसा पत्र भी लिखा था। आजकल बतौर जेल महानिदेशक वे 'नक्सली समस्याÓ पर एक शोध ग्रंथ लिखने व्यस्त हैं। पुलिस महानिदेशक अनिल नवानी और संतकुमार पासवान (दोनों 78 बैच) को 1 मार्च 2012 को केन्द्र में पुलिस महानिदेशक के रूप में इमपेनलमेण्ट किया गया है। वरिष्ठता क्रम में इनके बाद 4 साल जूनियर 82 बैच के रामनिवास हैं जो छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ आये थे और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में आईजी रायपुर रह चुके हैं। केन्द्र में ये अभी आईजी के रूप में 'इनपेनलमेण्टÓ है। इनके बाद 83 बैच के गिरधारी नायक का नंबर आता है ये भी छत्तीसगढ़ के लिये जाना पहचाना नाम है। वे अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर के एडीशनल एस पी के पद पर लम्बे समय तक कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में डीजीपी के रूप में पदस्थ अनिल नवानी नवम्बर 12 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे तो डीजी होमगार्ड विश्वरंजन अपै्रल माह में रिटायर हो जाएंगे। अनिल नवानी के बाद वरिष्ठता क्रम में संतकुमार पासवान का नंबर आता है। वैसे पासवान कुछ समय तक छत्तीसगढ़ में कार्यवाहक डीजीपी का काम भी सम्हाल चुके हैं। वैसे अगला डीजीपी कौन बनेगा, कब बनेगा, इसको लेकर अभी से चर्चा का दौर शुरू हो गया है। पुलिस मुख्यालय स्तर पर अभी से शह और मात का खेल शुरू हो गया है।

और अब बस

(1)
वनमंत्री तथा कुछ अफसर विदेश प्रवास से लौट चुके हैं इनको विदेश प्रवास से रोकने एक 'अरण्ड अफसरÓ ने काफी प्रयास किया पर वह असफल रहा। अब उसके निपटने की बारी है।
(2)
अपने आक्रामक तेवर के कारण ही वकील से महापौर बनी किरणमयी नायक ने विद्युत नियामक आयोग को खुली चुनौती दे दी है कि यदि बिजली दर बढ़ी तो नगर निगम उसका भुगतान नहीं करेगा, हिम्मत हो तो शहर की बिजली काट कर दिखाये... एक टिप्पणी... आपने भी तो पेयजल की दर बढ़ा दी है उस समय गरीब जनता की याद नहीं आई क्या?
(3)
आईपीएस पारुल माथुर का विवाह रावतपुरा सरकार के भिंड-मुरैना आश्रम में संपन्न हुआ। सादगी से विवाह की जमकर चर्चा है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के कुछ प्रमुख आईपीएस अफसर वहां पहुंचे पर छत्तीसगढ़ से लोग ही वहां पहुंच सके थे।

No comments:

Post a Comment