Tuesday, February 19, 2013

दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ
मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा

225 करोड़ रूपये के खर्च से बनाये नये मंत्रालय पर मंत्री-अफसर नहीं चूहे राज कर रहे हैं। यहां चूहों ने उनकी कुर्सियों हथिया ली है। सीट, फाइल सब चूहें कुतर रहे हैं, उसके बाद ये अफसरों के हाथ लग रही हैं। इन चूहों ने अफसरों की नाक में दम कर दिया है। यह नया मंत्रालय रायपुर से 26 कि.मी. दूर है। आसपास खेत होने से वहां चूहे ज्यादा आ रहे हैं.
पेस्ट कंट्रोल के जरिये एक बार चूहों पर रोक लगाने के प्रयास भी किया गया लेकिन उससे भी बात नहीं बनी। इतना ही नहीं चूहों की यह कारस्तानी दिल्ली तक जा पहुंची और चूहों के लिये भी दिल्ली से तीन विशेषज्ञ भी आये। इस टीम ने तीन दिन तक चूहा प्रभावित इलाकों में दवा डाली। इतने में बात नहीं बनी तो चूहों के बिलों पर विशेष प्रकार के पैड बिछाए गये हैं। इन पैड पर जैसे ही चूहे आते हैं तो चिपक जाते हैं। कुछ दिन पहले ही टीम लौटी है। लेकिन परिणाम कुछ खास नहीं रहा है। चूहों की मार जारी है। पुराने बिल बंद किए तो चूहों ने नए बना लिए। इन चूहों का आक्रमण सबसे अधिक मंत्रालय में फाइबर केबल पर हो रहा है। केबल कुतरने की वजह से मंत्रालय का सिस्टम बार-बार ठप हो रहा है। ऐसे में चूहों और अफसरों की जंग जारी है।
नायक का डीजीपी बनना तय
छत्तीसगढ़ से एक और वरिष्ठ आईपीएस अफसर एडीजी एम.डब्लु. अंसारी पलायन कर केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। इसके पहले राजीव माथुर भी डीजीपी बनने के बड़े दावे के बाद भी पलायन कर दिल्ली चले गये थे। वैसे वर्तमान डीजीपी रामनिवास यादव के बाद गिरधारी नायक सहित एम.डब्लु.अंसारी ही डीजीपी पद के प्रबल दावेदार थे पर अंसारी जानते थे कि पुलिस और राजनीति में उनकी विरोधी लाबी पूरे फार्म में चल रही है इसलिये उनके लाख दावे के बाद भी उन्हें डीजीपी नहीं बनाया जा सकेगा बहरहाल अंसारी के प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद गिरधारी नायक अगले डीजीपी होंगे यह लगभग तय है। सरकार कांग्रेस की बने या भाजपा तीसरी बार सरकार बनाये, दोनों ही दलों को सरकार बनाने के बाद नायक को डीजीपी बनाना ही होगा।
बहरहाल छत्तीसगढ़ में पुलिस मुखिया बनाने में सत्तापक्ष से करीबी का काफी ख्याल रखा जाता है। पूरी योग्यता और वरिष्ठता के बाद भी वासुदेव दुबे डीजीपी नहीं बन सके, अविभाविजत म.प्र. में वे छत्तीसगढ़िया होने के कारण छले गए और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़िया होने के कारण डीजीपी पद से वंचित रहे। इसी तरह वरिष्ठता क्रम में राजीव माथुर भी राजनीति का शिकार हो गये उन्हें डीजीपी नहीं बनाया गया और वे प्रतिनियुक्ति में केन्द्र सरकार में चले गये और उन्हें पुलिस अकादमी हैदराबाद का प्रभारी बनाया गया वैसे किसी भी आईपीएस अफसर के लिये सीआरपीएफ का डीजी और पुलिस अकादमी का संचालक बनना सपना होता है क्योंकि दोनों पर आईपीएस के लिये प्रतिष्ठा के पद माने जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में योग्य अधिकारी होने के बावजूद स्व. ओपी राठौर और विश्वरंजन को लाकर डीजीपी बनाया गया और उसी समय से वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को योजनाबद्ध तरीके से पुलिस मुख्यालय से बाहर करने का क्रम शुर हो गया, वैसे अनिल नवानी पहले डीजीपी रहे जिन्होंने अपना कार्यकाल भाजपा सरकार में पूरा किया। उनके सेवानिवृत्त होने के पहले से ही वरिष्ठता क्रम में दूसरे नंबर के अफसर संतकुमार पासवान के डीजीपी बनने की चर्चा थी पर उनके स्थान पर रामनिवास को डीजीपी बनाया गया। संतकुमार पासवान अप्रैल 13 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। डीजी के कैडर और नान कैडर 2 स्वीकृत पद के लिये गिरधारी नायक नान कैडर पर पर डीजी पदोन्नत हो जाएंगे वैसे उनसे बाद एम.डब्लु. अंसारी का नंबर है यदि छग में रहते तो उनका डीजी बनना तय था अंसारी केन्द्रीय अल्पसंख्यक विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर प्रतिनियुक्ति में जा रहे हैं। वैसे अंसारी जब कांग्रेस के कार्यकाल में छग में आए थे तो जशपुर में लिली कुजुरू मामले में जांच कर तत्कालीन कलेक्टर एम.आर. सारथी को दोषी ठहराने पर आईएएस लाबी उनसे नाराज चल रही थी, बाद में वे दंतेवाड़ा भेजे गए थे। 2005 में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन्हें बस्तर रेंज का आईजी बनाया गया पर तत्कालीन एसपी जीपी सिंह (अब रायपुर रेंज के आईजी) से विवाद, आईजी निवास में गार्ड से लूट की रकम मिलने पर अंसारी को हटा दिया गया उसके बाद पुलिस मुख्यालय, जेल मुख्यालय, होकर वे पिछले ढाई साल से संचालक लोक अभियोजन के पद पर कार्यरत रहे  पासवान के अप्रैल 13 में सेवानिवृत्त होने पर गिरधारी नायक का डीजी बनना तय है. उनके बाद वरिष्ठता क्रम में अंसारी है, रामनिवास की सेवानिवृत्ति के पश्चात अंसारी डीजी बनते। रामनिवास की सेवानिवृत्त के बाद नायक का डीजीपी बनना लगभग तय है। ज्ञात रहे है कि नायक 82 बैच के तो अंसारी 84 बैच के आईपीएस है।
400 रूपये किलो टमाटर
राजीव गांधी मिशन में प्रशिक्षण ले रहे गरीब बच्चों को 400 रूपए किलो के हिसाब से खरीदकर टमाटर खिलाये गये हैं। विभागीय अधिकारी की मानें तो मुम्बई से मंगाकर टमाटर खिलाए गये थे। इसलिये इतने महंगे टमाटर पडे थे। आर.बी.सी. प्रशिक्षण केन्द्र सरायपाली में मात्र 22 बच्चों की उपस्थिति दर्ज बताई गई है पर वहां एक दिन में एक क्विंटल हरी सब्जी खरीदी की जानकारी आरआईटी के तहत सामने आई है। सरायपाली में किसी पंकज सब्जी भंडार से बिल क्रमांक 230, जनवरी 15 को 5 किलो टमाटर 400 रूपए प्रति किलो की दर से 2000 रूपए का क्रय किया गया है वहीं किसी पांडे महाराज सब्जी भंडार से बिल क्रमांक 251 के अनुसार 400 रूपए प्रति किलो की दर से 10 किलो टमाटर 4000 में खरीदा गया था। सबसे आश्चर्य तो यह है कि खंड स्त्रोत अधिकारी ने हरी सब्जी और टमाटर मुम्बई से खरीदने के कारण अधिक दाम की बात स्वीकर कर रहे हैं जबकि सरायपाली के पास सरगुजा में टमाटर के खरीददार नहीं मिलने से टमाटर सड़ने की भी खबर मिली है।
पापुनि और जांच
पाठ्य पुस्तक निगम में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ एक पूर्व अधिकारी के कार्यकाल की जांच अभी भी चल रही है पर रफ्तार (सरकारी) है। पापुनि के उक्त अधिकारी के कार्यकाल के दौरान, कागज खरीदी, आश्यकता से अधिक पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन, घटिया कागज में प्रकाशन, महापुरूषों की फोटो की छपाई और वितरण, टेंडर की शर्तों से विपरीत घटिया स्तर के कागजों की खरीदी, नियुक्तियों में अनियमितता, आदि का आरोप लगा और कुछ लोगों ने लोक आयोग और आर्थिक अपराध ब्यूरों में शिकायत, की वहां जांच जारी है। सूत्र कहतो हैं कि जांच के लिये आवश्यक कागजात और फाईल पापुनि या संबंधित विभाग द्वारा मुहैय्या नहीं कराया जा रहा है। सूत्र कहते हैं कि कार्यालय से जांच से संबंधित फाईल ही गायब है। लोक आयोग और एबीसी की जांच जरूरी कागजातों के अभाव में लंबित है। उक्त अधिकारी को हटाकर उच्च स्तर पर गोपनीयता जांच भी कराई गई है और करोड़ों की अनियमितता भी सामने आई है पर अभी तक सरकारी जांच ही चल रही है। सवाल यही उठ रहा है कि बिना नाखून के शेर पालने से आखिर लाभ क्या है। उक्त अधिकारी और उनके परिजनों की सम्पत्तियों की जांच भी कर ली जाए तो भी कई बेनामी सम्पत्तियों मिल सकती है। वैसे ईमानदार एक आला अफसर का प्रयास जारी है।
विदाई पार्टी नहीं
छत्तीसगढ़ में डा. रमन सिंह सरकार में (सिहों) की चर्चा गर्म रही पहले शिवराज सिंह, फिर अमन सिंह की सक्रियता और उनके बढ़ते कद के चलते कई आईपीएस और आईएएस अफसर हलाकान रहे फिर इन्हीं के साथ ही प्रदेश को तब वरिष्ठ उपेक्षा कर उनसे कुछ साल जूनियर आईएएस पी जाय उम्मेन को मुख्य सचिव बनाया गया और उनसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर विश्वरंजन को दिल्ली से उनकी शर्तों पर लाकर डीजीपी बनाया गया औ नक्सली उन्मूलन की जिम्मेदारी इन पर सौंपी गई। ये दोनों अफसर काफी प्रभावशाली रहे। देश में संभवत: यह पहला प्रदेश था जहां तत्कालीन मुख्य सचिव अपने ही प्रदेश के डीजीपी को (सर) कहकर संबोधित करते थे। खैर समय बदला और जाय उम्मेन को हटाकर सुनील कुमार को मुख्य सचिव और अनिल नवानी को डीजीपी बनाया गया। जाय उम्मेन ने तो वीआरएस ले लिये पर विश्वरंजन डीजी होमगार्ड के पद पर कार्य करते रहे।
खैर सेवानिवृत्त होने के बाद ग्यारह महीनों तक जाय उम्मेन को विदाई पार्टी नहीं दी गई। बाद में उन्हें आनन-फानन कुछ अफसरों ने विदाई दी और राज्योत्सव में राष्ट्रपति से सम्मानित भी करा दिया। इधर विश्वरंजन डीजी होमगार्ड के पद से सेवानिवृत्त हो गये वे इसके पहले डीजीपी भी सबसे लम्बे समय तक रहे पर उन्हें अभी तक पुलिस मुख्यालय या आईपीएस संघ ने विदाई देना भी मुनासिब नहीं समझा। खैर कभी जाय उम्मेलन और विश्वरंजन को आईएएस और आईपीएस अफसर घेरे रहते थे और निकटता बनाने की होड़ लगी रहती थी खैर वक्त वक्त की बात है चढ़ते सूरज को सभी सलाम करते हैं।
और अब बस
0 राजिम महाकुंभ 25 फरवरी से शुरू हो रहा है, चुनावी वर्ष होने के कारण लगभग सभी मंत्री वहां जाएंगे यह तय है।
0 कांकेर और बालौद के पुलिस कप्तानों को बदल दिया गया है कारण कही आश्रम में बलात्कार तो नहीं है?
0 भाजपा सरकार मुस्लिम महिला विरोधी नहीं है जांजगीर में आखिर एक मुस्लिम को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पदस्थ किया है वहीं 2 जिलों बेमेतरा और महासमुन्द में महिला कप्तान की भी नियुक्ति की है।

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