Tuesday, May 17, 2011

आइना ए छत्तीसगढ़

मत करो उनसे शिकायत कि भुलाये वादे

वोट मांगने घर आये, यही क्या कम है


पिपली लाइव में एक गाना था 'महंगाई डायन खाये जात हैÓ वह फिल्म आई चली गई पर देश-प्रदेश के हालात वैसे ही हैं। महंगाई लगातार बढ़ती ही जा रही है और पेट्रोल 5 रुपए लीटर महंगा हो गया है। डीजल भी करीब 4 रुपए प्रति लीटर महंगा होने वाला है, रसोई गैस और केरोसिन की भी कीमत बढ़ेगी। मकान बनाने के लिए लोन महंगा हो गया है। दाल, तेल, फल, सब्जी महंगी हो गई है। आम आदमी की आय में इजाफा तो नहीं हो रहा है पर महंगाई दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। केन्द्र सरकार को प्रदेश की भाजपा सरकार महंगाई बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है तो कांगे्रसी नेता प्रदेश की भाजपा सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं। कभी प्रदेश की भाजपा सरकार के नेता महंगाई के खिलाफ धरना, प्रदर्शन करते हैं तो कभी केन्द्र में कांगे्रस गठबंधन सरकार होने के बाद भी कांगे्रसी नेता धरना देते हैं। कुल मिलाकर कांगे्रस और भाजपा 'महंगाई, महंगाईÓ खेल रहे हैं और आम जनता को यही समझ में नहीं आ रहा है कि दोषी कौन है?
आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़े हैं और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा का आरोप है कि अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का अर्थशास्त्र पूरी तरह फेल हो गया है। महंगाई पर उनका नियंत्रण नहीं है। डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद पेट्रोल की कीमत में 110 प्रतिशत वृद्घि हुई है। 33 .70 पैसे प्रति लीटर मिलने वाला पेट्रोल 68 रुपए हो गया है तो कांगे्रस का आरोप है कि 1998 से 2004 तक भाजपा नीत सरकार केन्द्र में थी और 33 बार पेट्रोलियम पदार्थों में वृद्घि की गई। केन्द्र सरकार का कहना है कि अंतर्राष्टï्रीय बाजार में तेल की कीमत बढऩे से कीमत बढ़ाना मजबूरी है पर अमेरिका में तो पेट्रोल 43 रुपए लीटर है? कैसे है इसका जवाब कोई नहीं देता है। बहरहाल यह तो स्पष्टï होता जा रहा है कि 'आमआदमीÓ के साथ न तो केन्द्र की सरकार है और न ही राज्य की! सरकार आम आदमी के प्रति असंवेदनहीन होती जा रही है। एक आम आदमी का सपना होता है कि रोटी कपड़ा और मकान... और तीनों की व्यवस्था में नाकों चने चबाना पड़ रहा है।
प्रदेश की डॉ. रमन सरकार ने गरीबों के लिए एक और दो रुपए किलो में चावल उपलब्ध कराने का प्रयास किया है अब बस्तर में चना वितरण की योजना है पर सस्ते चावल योजना से मध्यम वर्गीय परिवार काफी परेशान है क्योंकि महंगाई की मार सबसे ज्यादा उस पर पड़ रही है। सबसे अधिक बिजली पैदा करने वाले राज्य में बिजली महंगी हो गई है। भरपूर पानी होने के बाद भी पानी की दर महंगी हो गई है। छत्तीसगढ़ में सीमेंट के कई कारखानें हैं पर यहां सीमेंट महंगा है। भ्रष्टïाचार अपनी चरम सीमा पर है, सरकारी कर्मचारी-अधिकारी के ठिकानों पर लगातार छापा और आय से अधिक संपत्ति मिलने का क्रम जारी है। सरकारी महकमे में कई वर्षों तक सेवा करने के बाद एक सेवा निवृत कर्मचारी को पेंशन तथा अन्य सुविधाएं नहीं मिलने पर चाकू चलाने मजबूर होना पड़ रहा है, पीएमटी जैसी परीक्षा को रद्द करने की नौबत आ रही है। प्रवीण्य सूची में हकदार को संशोधन के बाद स्थान मिल रहा है। हर जगह फर्जीवाड़े की शिकायत मिल रही है। कुल मिलाकर आम आदमी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।

बस्तर और कांगे्रसी!

छत्तीसगढ़ के आदिवासी और नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने पुन: भाजपा प्रत्याशी दिनेश बलिराम कश्यप को 88 हजार 874 मतों से विजयी बनाकर डॉ. रमन सिंह की सरकार के प्रति विश्वास प्रकट किया है। वहीं कांगे्रसियों के सामने फिर एक सवाल खड़ा कर दिया है, कभी कांगे्रस का गढ़ माने जाने वाले बस्तर में आखिर कांगे्रस से आदिवासी दूर क्यों हो गये हैं?
कांगे्रस की गुटबाजी छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद दिनों दिन बढ़ती जा रही है। कांगे्रस अजीत जोगी, विद्याचरण शुक्ल, चरणदास महंत, मोतीलाल वोरा सहित कई खेमों में बंटी है। हालांकि इस उपचुनाव में एक मंच पर कांगे्रस के दिग्गजों को देखकर 'एकाÓ का भ्रम भी हुआ था पर बस्तर के परिणाम ने साबित कर दिया कि एकता की बात छलावा ही थी। बस्तर के टायगर के नाम से चर्चित तथा बतौर नेता प्रतिपक्ष रहे महेंद्र कर्मा के दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में इस उपचुनाव में कांगे्रस 18205 मतों से पिछड़ गई जबकि उन्हें लोकसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बनाने काफी जोर लगाया गया था। उन्होंने कांगे्रस के पक्ष में काम किया? कांग्रेस के प्रत्याशी कवासी लखमा को उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र कोण्टा में मात्र 1202 मतों से बढ़त मिली वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के भाई तथा छग सरकार के मंत्री केदार कश्यप के नारायणपुर विस से 17362 और दूसरी मंत्री लता उसेण्डी के कोण्डागांव विस से 13649 मतों की लीड मिली। चित्रकूट से 8631 और जगदलपुर से सामान्य सीट से भाजपा को 6474 मतों की लीड मिली। पिछले विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा से 8 में 7 पर भाजपा का कब्जा था और कमोबेश वही स्थिति अभी भी है। हालांकि अजीत जोगी ने पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ाया, नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे, नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने भी पूरा जोर लगाया पर हालात सुधरे नहीं है यह स्पष्टï है। दरअसल बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में पिछले 2 विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाजपा का बढ़ता दखल कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। बस्तर के हालात कांग्रेस के लिए सोचनीय है और कुछ ठोस रणनीति अपनाने के लिए संकेत भी कर रहे हैं।

दीपांशु की अच्छी पहल

किसी भी शादी के दौरान होने वाले कार्यक्रमों के लिए अब पुलिस को न केवल सूचना देनी होगी बल्कि टेण्ट लगाने या सड़क पर बारात निकालने के लिए अनुमति लेनी होगी नहीं तो धारा 188 के तहत कार्यवाही की जाएगी। वरिष्ठï पुलिस कप्तान दीपांशु काबरा का यह आदेश स्वागत योग्य है। पहली बार ऐसा लगा कि क्राईम और क्रिमिनल को छोड़कर हमारी पुलिस अब अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्वहन कर रही है।
दरअसल शादी-ब्याह के अवसर पर सड़कों पर बारात निकालकर घंटो सड़कों पर नाचते लोग यह भूल जाते हैं कि सड़क उनकी ही नहीं है। कुछ लोगों के अपने काम पर जाना है, कुछ को अस्पताल जाना है। किसी को निर्धारित समय पर रेल पकडऩी है तो किसी को बस पकडऩी है। सड़क पर अपनी खुशी जाहिर करने में तल्लीन लोग यह भी नहीं देखते कि उनके कारण 'जामÓ की स्थिति आ गई है लोगो को अच्छी खासी परेशानी हो रही है। खैर दीपांशु का यह कदम निश्चित ही स्वागत योग्य है। खैर शादी के लिए पुलिस को सूचना देना अब अनिवार्य होगा, समारोह कहां हो रहा है, पार्किग की क्या व्यवस्था है। वैसे एक काम दीपांशु जी और कर दे तो लोग उन्हें और दुआ देंगे। किसी शादी समारोह स्थल सहित बारात निकालने पर जो 'कान फोड़Ó माईक लगाकर गाना बजाया जाता है उसके लिए भी आवाज की सीमा तय करने के लिए भी अनुमति लेना आवश्यक करना जरूरी है। बेण्डपार्टी जिस तरह से तेज आवाज के स्पीकरों का उपयोग करती है। डिस्को की तेज ध्वनि सार्वजनिक समारोह के साथ आसपास के निवासियों की रात खराब करती है उस पर भी दीपांशु को विचार करना चाहिए। वैसे उन्होंने एक नई पहल की है उसके लिए उन्हें साधूवाद ।

और अब बस

(1)

बढ़ती महंगाई पर एक टिप्पणी... हमारे प्रधानमंत्री तथा अर्थशास्त्री डा. मनमोहन सिंह आजकल दुखदेवन सिंह हो गये है।

(2)
नये शराब ठेके के बाद दुकानों पर चि_िïयां चलना बंद हो गई, चंदी भी बंद हो गई, जब कोचिया प्रणाली ही बंद हो गए, शराब ठेकेदार गलत कर नहीं रहे है तो बेगारी क्यों करेंगे। परेशान है मुफ्त में शराब पीने वाले ?

1 comment:

  1. bahut hi accha lekh hai .................bhiya .....................

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