Friday, April 19, 2013



बैठे-ठाले कुछ तो कर,  

और नहीं तो पैदल चल 

हर दल अब यात्रा पर निकले,  

भले ही प्रदेश में हो रहा दलदल


छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी परिवर्तन यात्रा निकाल चुकी है, कांग्रेस के बड़े नेता देश में नहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में परिवर्तन कराकर कांग्रेस की सत्ता स्थापित करना चाहते हैं। कभी छत्तीसगढ़ से विजयी कांग्रेसी विधायकों की संख्या के आधार पर अविभाजित म.प्र. में कांग्रेस की सरकार बनती थी पर बड़े भाई यानि म.प्र. से अलग होने के बाद आखिर क्या हो गया कि बड़े भाई म.प्र. और छोटे भाई छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार पिछले 2 बार के विधानसभा चुनावों में नहीं बन सकी है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार बनती आ रही है और अब तीसरी बार तिकड़ी बनाने भाजपा प्रयासरत है। विजय यात्रा पर अब भाजपा निकालने वाली है। 
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास लम्बे समय तक राजनीतिक अनुभव रखने वाले विद्याचरण शुक्ल है तो पूर्व राज्यसभा, लोकसभा सदस्य, छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री तथा आईपीएस , आईएएस रह चुके अजीत जोगी है तो म.प्र. में मुख्यमंत्री , केन्द्रीय मंत्री तथा उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रह चुके वयोवृद्ध नेता मोतीलाल वोरा है। डा. चरणदास जैसे अनुभवी नेता है। महेन्द्र कर्मा जैसे वरिष्ठ आदिवासी नेता है तो परसराम भारद्वाज जैसे वरिष्ठ सतनामी नेता भी है फिर भी कांग्रेस को लगातार दो बार पराजय का सामना करना पड़ा.
इधर भाजपा के पास तो मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह है जो इन नेताओं के मुकाबले राजनीतिक तौर पर कम अनुभवी है। उनके पास तो जाति, समाज के स्तर पर भी बड़े नेताों की कमी भी है। पिछड़े वर्ग के नेता रमेश बैस तो डा. रमन सिंह से अलग-थलग से हैं। सतनामी समाज में पुन्नुलाल मोहिले , विजय कुमार गुरू, डा. कृष्णमूर्ति बांधी आदि है पर इनकी समाज में स्थिति किसी से छिपी नहीं है। आदिवासी क्षेत्र में दखल रखने वाले बलीराम कश्यप अब नहीं रहे वहीं दिलीप सिंह जूदेव भी कम से कम खुले दिल से तो डा. रमन सिंह के साथ नहीं है। मंत्रिमंडल में शामिल ननकीराम कंवर के तो बयानबाजी को लेकर चर्चा उठ रही है कि वे डा. रमन सिंह के साथ है या नहीं, केदार कश्यप, लता उसेण्डी, विक्रम उसेण्डी , रामविचार नेताम की तो अपने क्षेत्र में ही प्रभावी भूमिका नहीं रही है. ऐसे हालत में डा. रमन सिंह रणनीति के बल पर दो बार मुख्यमंत्री बनाया गया है और यदि सरकार अपनी तिकड़ी बनाने में सफल रही तो डा. रमन सिंह की तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी की पूरी संभावना है। 
बहरहाल कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा शुरू हो गई है। अम्बिकापुर से शुरू यात्रा की शुरूआत अच्छी कही जा सकती है। अपनी वृद्धावस्था के चलते झुकी कमर के साथ मोतीलाल वोरा, अपनी धीमे थके हुए कदमों के साथ विद्याचरण शुक्ल, व्हील चेयर्स में अजीत जोगी पहुंचे तो परसराम भारद्वाज सहित नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे तथा अगली बार सरकार कांग्रेस की बनाने की पूरी उम्मीद के साथ नंदकुमार पटेल भी पहुंचे। वैसे म.प्र. के मुकाबले छत्तीसगढ़ की परिवर्तन यात्रा की शुरूआत अच्छी रही। अब वरिष्ठ नेताओं की एकता के पीछे राहुल के तेवर थे, अधिक दिन सत्ता से दूरी थी या सरकार बनने की संभावना थी यह तो नहीं कहा जा सकता पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर देखकर आम कांग्रेसी जरूर खुश हुए होंगे।
12 जिलों में आसार अच्छे नहीं
गांवों में कृषि, वनभूमि और सामुदायिक उपयोग की जमीन को उद्योगों के लिये अधिग्रहित करने की राज्य सरकार, सरकारी मशीनरी और निवेशकों की नीति के चलते प्रदेश के लगभग 12 जिलों में ग्रामीणों नाखुश है कई जगह तो तनाव की स्थिति भी बन रही है। राईट्स एण्ड रिर्सोसेज इनशिएटिव्ह की रिपोर्ट कहती है प्रदेश सरकार के इशारे पर निजी उद्योगपतियों, निवेशकों के लिये गांवों में सामुदायिक उपयोग की जमीन को उद्योगों के लिये अधिग्रहित किया जा रहा है। प्रदेश के 12 जिलों में करीब 10 लाख हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की कार्यवाही या तो हो चुकी है या चल रही है। आदिवासी तथा नक्सली प्रभावित दंतेवाड़ा में मासी और दुर्ली गांव में 1500 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली गई है। वहां एनएमडीसी, टाटा और एस्सार ने जमीन अधिग्रहण तो किया है पर अभी तक एमओयू के मुताबिक उद्योग स्थापित नहीं किया है, समय सीमा जरूर बढ़ाई जा रही है।
भदौरा की चर्चा भी
भदौरा में भूमि घोटाला का मामला सुर्खियों में है। किसानों की जमीनों की फर्जी ऋण पुस्तिका तैयार कर दलालों द्वारा किसानों की जानकारी के बिना ही तीन कंपनियों को जमीन बेचने का मामला उजागर हुआ है। भदौरा ग्राम में शासकीय और निजी भूमि मिलाकर करीब 60 एकड़ जमीन पिछले 3 साल के भीतर फर्जी तौर पर बिक चुकी है। तीन कंपनियों में एक कंपनी के संचालक एक वरिष्ठ भाजपा नेता के पुत्र है यह तो तय है। वहीं कुछ कांग्रेसी और भाजपा नेताओं को भी दलालों ने फर्जीवाड़ा कर उपकृत किया है। कांग्रेस भदौरा जमीन घोटाले पर राज्य सरकार के एक मंत्री को निशाना बना रहे है तो उक्त मंत्री ने कांग्रेसियों पर आरोप मढकर किसी भी स्तर पर जांच कराने की बात कही है। प्रदेश में सरकार जब उनकी है तो स्वयं भी मुख्यमंत्री से किसी एजेंसी से जांच कराने की मांग तो कर ही सकते हैं।
जे.पी. सीमेण्ट और...
दुर्ग जिले के मलपुरी खुर्द में अपनी भूमि देने के मामले में वहां स्थापित हो रहे जेपी लक्ष्मी सीमेंण्ट प्रबंधन से नौकरी की मांग को लेकर हाल ही में ग्रामीण आक्रोशित हो गये। ग्रामीणों पर आरोप है कि कुछ ही घण्टों में ग्रामीणों ने 600 करोड़ की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा दिया। बाद में वहां के पुलिस कप्तान और डाक्टर छाबड़ा ने मुख्य आरोपी कुर्रे को भी गिरफ्तार किया, उसके घर से एक रजिस्ट्रर भी जप्त किया जिसमें सीमेण्ट संयंत्र में आग लगाने की योजना थी। खैर पुलिस ने तो 2 देशी बम भी वहीं बरामद कर लिया, कुर्रे नक्सलियों के संपर्क में था यह भी जल्दी ही पता लगा लिया। सवाल यह है कि अप्रशिक्षित ग्रामीण 600 करोड़ की सम्पत्ति को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं। चर्चा है कि बैंक ऋण लेकर सीमेंण्ट प्रबंधन ने काम शुरू किया था। अप्रैल में पहली किश्त भी देना था पर सीमेंण्ट संयंत्र तो शुरू ही नहीं हो सका है। जहां तक प्रभावितों को नौकरी की बात है तो मलपुरीखुर्द में अधिकांश किसानों से जेपी सीमेंट प्रबंधन की जगह कुछ हरियाणा के लोगों ने जमीन खरीदी और उसे प्रबंधन को बेच दी। सीमेण्ट प्रबंधन का कहना है कि जब हमने किसानों से सीधे जमीन ही नहीं खरीदी तो उन्हें जमीन के एवज में नौकरी देने का सवाल ही नहीं उठता है। किसानों का कहना है कि हमें धोखे में रखकर प्रबंधन ने अपने एजेण्टों के माध्यम से जमीन खरीदी है, किसान कहते हैं कि जमीन हमारी कमाई तुम्हारी, अब नहीं चलेगी। वैसे एडीजी संजय पिल्ले ने जेपी सीमेण्ट में आगजनी की जांच शुरू कर दी है। 
एनएमडीसी और पार्टनर...
बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से 20 किलो मीटर दूर ओडि़सा सीमा पर स्थित नगरनार में 16 हजार करोड़ की लागत से बन रहे राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के स्टील प्लांट का निर्माण विवादों में रहा है अब नया विवाद सामने आ रहा है। नया छत्तीसगढ़ बनने के बाद सन 2001 में पूर्व सांसद बलीराम कश्यप के प्रयास से बस्तर में औद्योगिक विकास की शुरूआत हुई. 
सन् 2003 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने रोमेल्ट तकनीक पर आधारित इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिये भूमिपूजन किया था। भूमिपूजन के बाद ही एनएमडीसी ने कम जमीन होने का बहाना बनाकर अपना वादा तोड़कर नगरनार में मिनी स्पंज प्लांट की स्थापना का मन बनाया। बस्तर में ग्रामीणों के आक्रोश के चलते ही 17 सितम्बर 2008 को तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान नगरनार के 3 मिलियन टन क्षमता के इंट्रीग्रेटेड इस्पात संयंत्र की स्थापना की पुन: आधारशिला रखी थी।
अब ग्लोबल टेण्डर कर एनएमडीसी पुन: चर्चा में है। एनएमडीसी ने ग्लोबल टेण्डर बुलाकर 49 फीसदी शेयर स्टील निर्माण में विशेषज्ञता प्राप्त कंपनी को दिए जाने का प्रस्ताव है। इससे निर्माणाधीन स्टील प्लांट पर एनएमडीसी का एकाधिकार नहीं रहेगा इसी बात को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन अब एनएमडीसी के खिलाफ एकजुट  हो रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जब एमओयू में ज्वाइंट वेंचर की बात नहीं थी तब पब्लिक सेक्टर की कंपनी एमएमडीसी अपने साथ किसी निजी कंपनी को पार्टनर कैसे बना सकती है...। 12 साल से चल रहे इस गडबड़झाले को लेकर ग्रामीण भी आक्रोशित हैं।
और अब बस
भदौरा गांव में जमीन के फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद महिला सरपंच सहित कुछ लोग पता नहीं कहां चले गये हैं।
2 भाजपा के प्रदेश कार्यालय के लोकार्पण समारोह में संगठन मंत्री सौदान सिंह मंच पर नहीं बैठे उनकी नाराजगी का कारण पता लगाने का प्रयास चल रहा है।
3 छत्तीसगढ़ विस चुनावों में नेता प्रतिपक्ष पुन: चुनाव नहीं जीतता है.. वैसे पंचायत मंत्री की वापसी के विषय में भी यही कहा जाता है।
4 छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद दूसरी बार छत्तीसगढिय़ां जनसंपर्क संचालक बनाया गया है। रायगढ़ जिले के मूल निवासी अभी ओमप्रकाश चौधरी बने पहले तिवारी जी संचालक बनाए गये थे. 

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