Wednesday, January 11, 2012

अंगुलियां यूं सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो
जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
बारिशों में पतंग उड़ाया करो

छत्तीसगढ़ में अब 27 जिले हो गये हैं। 27 दिसंबर को 9 जिलों के गठन की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई अब यह संयोग है कि किसी ज्योतिषी से पूछकर यह तय किया गया है यह तो पता नहीं है पर अंक ज्योतिष के अनुसार सभी का योग 9 ही आता है। छत्तीसगढ़ का योग 9 होता है तो 27 दिसंबर को अंतिम अधिसूचना जारी की गई और उसका योग भी 9 ही आता है। नये 9 जिले अस्तित्व में आ गये हैं यानी उसका भी योग 9 है। बहरहाल 9 का आंकड़ा डॉ. रमन सिंह या भाजपा के लिये शुभ होगा या कांगे्रस के लिये शुभ माना जाएगा इसका पता तो बाद में ही चलेगा पर नये जिलों के गठन के बाद उनमें शामिल क्षेत्र को लेकर जरूर कुछ जगह विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी। सिमगा को बलौदाबाजार जिले में शामिल करने का विरोध आमजनों सहित कबीरपंथी गुरु ने भी किया था वहीं बलौदाबाजार की जगह भाटापारा को जिला मुख्यालय बनाने की भी मांग उठी थी। वहीं पेण्ड्रारोड का भी जिला बनाने की पुरजोर मांग की गई थी। वैसे नये जिलों में सुकमा, कोण्डागांव, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर और बलरामपुर अस्तित्व में आ चुके हैं और 10 से 20 जनवरी के बीच इनका औपचारिक उद््घाटन किया जाएगा।
वैसे नये जिलों के गठन के बाद कुछ आला नेताओं का जिला ही बदल जाएगा। नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे अब बेमेतरा जिले के नागरिक हो जाएंगे अभी तक दुर्ग जिले के निवासी थे। ताम्रध्वज साहू छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री दयालदास बघेल, भी नये जिले बेमेतरा के निवासी हो जाएंगे तो बस्तर के एक मात्र कांगे्रसी विधायक कवासी लखमा अब सुकमा जिले के निवासी हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की खेल मंत्री लता उसेंडी का भी जिला अब कोण्डागांव हो जाएगा। कांगे्रस के विधायक राजकमल सिंघानिया, चैतराम साहू, डॉ. शिवडहरिया बलौदाबाजार जिले के विधायक हो जाएंगे।
इधर विधायक नीलिमा सिंह टेकाम, वीरेंद्र कुमार साहू, कुमारी साहू, अब बालोद जिले की राजनीति में सीमित हो जाएंगे। श्रीमती रेणुका सिंह सूरजपुर जिले की नागरिक कहलाएंगी तो मंत्री रामविचार नेताम, प्रेमसाय सिंह को बलरामपुर जिले का नागरिक बनना पड़ेगा। कुल मिलाकर नये जलों के गठन के साथ ही सांसदों की हालत भी बिगड़ेगी क्योंकि उन्हें अब नये जिला बनने के बाद नये कलेक्टरों से अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने अधिक दबाव बनाना पड़ेगा। जैसे रायपुर के लोकसभा सदस्य रमेश बैस को अब रायपुर जिले के साथ ही साथ बलौदाबाजार जिले में भी मेहनत करनी पड़ेगी। सांसदों का क्षेत्र तो वही ंहै पर नये जिलों के गठन के बाद वहां के अधिकारियों से तालमेल बढ़ाना ही पड़ेगा।
अफसरों द्वारा ठुमका!
छत्तीसगढ़ के महासमुंंद जिले के एसडीएम और तहसील कार्यालय के शुभारंभ पर एक जनवरी को अफसरों द्वारा ठुमका लगाये जाने की शिकायत मुख्य सचिव तक पहुंच गई है। विधायक अग्निचंद्राकर ने पुराने डी जे कोर्ट में हुए नाच-गाने को अशोभनीय बताते हुए शासकीय भवन, शासकीय धन तथा शासकीय वाहनों के दुरुपयोग पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एक अधिकारी के पुत्र का जन्मदिन इस तरह मनाने की इजाजत क्या शासन दे सकता है। अग्निचंद्राकर ने गंभीर आरोप लगाया है कि अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने महिलाओं की वेशभूषा में नृत्य किया है जो अशोभनीय है। उन्होंने अधिकारियों पर युगल नृत्य पेश करने का भी आरोप मढ़ा है। बहरहाल विधायक के आरोप पर क्या होता है यही देखना है।
फेरबदल पुलिस में!
छत्तीसगढ़ में हाल ही में पुलिम महकमे में व्यापक फेरबदल चर्चा में है। वही अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि कुछ आईएएस के प्रभार भी जल्द बदले जाएंगे। हाल ही में 2 जिलों के पुलिस अधीक्षकों अविनाश मोहती और गर्ग को तत्काल हटाने के बाद पुलिस अफसर कुछ अनुमान लगा ही रहे थे कि तभी 27 आईपीएस और 2 रेंज पुलिस महानिरीक्षक और 8 पुलिस कप्तानों का फेरबदल कर सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी कि 'कामÓ प्राथमिकता है वहीं जनप्रतिनिधियों से अच्छा व्यवहार करने की भी नसीहत एक तरह से दे दी गई है।
बिलासपुर के पुलिस महानिरीक्षक अरुण देव गौतम और पुलिस कप्तान अजय यादव को सांसद दिलीप सिंह जूदेव और अमर अग्रवाल की नाराजगी के चलते हटाया गया है तो खेल संचालक जी पी सिंह को सांसद रमेश बैस की नाराजगी के चलते रायपुर से हटाकर बिलासपुर में जेल महानिरीक्षक बनाया गया है। वैसे वे खेल संचालक के पद से हटना नहीं चाहते थे और आईजी के रूप में पदोन्नत होकर वही रहना चाहते थे। इधर सरगुजा के प्रभावी मंत्री रामविचार नेताम, राजेश मिश्रा को तो हटाने के पक्षधर थे पर वे कल्लुरी को पदोन्नति होने पर रेंज आईजी के रूप में पदस्थ कराना चाहते थे पर बीच का रास्ता निकालते हुए जेल महानिरीक्षक भारत सिंह को वहां पदस्थ किया गया है। इधर रायगढ़ के पुलिस कप्तान राहुल शर्मा को राजधानी में पुलिस कप्तान बनाने की चर्चा हो रही थी पर उन्हें बिलासपुर में पुलिस कप्तान बनाकर पति-पत्नी को एक साथ रखने की सरकार की योजना पूरी की गई। श्रीमती शर्मा बिलासपुर रेलवे में कार्यरत हैं, वहीं जांजगीर में पदस्थ डॉ. आनंद छाबड़ा को गृहमंत्री ननकीराम कंवर की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। जांजगीर में एक पावर प्लांट के लिये जमीन खरीदने को लेकर गृहमंत्री के पुत्र संदीप कंवर का नाम चर्चा में आया था और तब डॉ. छाबड़ा की कार्यवाही से गृहमंत्री नाराज थे। पर उन्हें रायगढ़ का पुलिस कप्तान बनाकर एक तरह से सरकार ने बड़े जिले का प्रभार देकर पदोन्नत ही किया है। इधर राजधानी के पुलिस कप्तान दीपांशु काबरा और पुलिस महानिरीक्षक मुकेश गुप्ता को यथावत रखकर उनकी कार्यप्रणाली पर मुहर ही लगाई गई है वैसे मुकेश गुप्ता केवल गुप्तवार्ता का ही काम देखने की इच्छा प्रकट कर चुके थे। इधर पुलिस मुख्यालय में आईजी प्रशासन पवन देव को काफी मजबूत किया गया है। क्योंकि अब प्रशासन में उनके ऊपर केवल पुलिस महानिदेशक ही होंगे वैसे पवन देव को भी रेंज आईजी बनाने की जमकर चर्चा थी। खेल संचालक तथा युवा कल्याण के पद पर छत्तीसगढिय़ा राजकुमार देवांगन की पदस्थापना की गई है। इधर छत्तीसगढ़ में 7-8 जिला कप्तान के पदों पर छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना से कम से कम प्रमोटी अफसर तो खुश हैं। क्योंकि अभी तक किसी जिले का पुलिस कप्तान बनने की कई लोगों ने उम्मीदें ही छोड़ दी थी। वैसे डीजीपी नवानी का यह नया प्रयोग सफल होगा ऐसा लगता तो है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में कई पदों पर कार्यरत इन प्रमोटी अफसरों का अनुभव कुछ रंग तो लाएगा ही।
नहर खा गये लोग!
राजधानी रायपुर में अभी तक सरकारी भूखंड नाली, सड़क, गली तथा तालाब को अवैध कब्जाधारियों द्वारा दबाने की खबर तो मिलती रहती थी, कुछ सार्वजनिक कुएं पर भी कब्जा करने की शिकायत मिलती थी पर अब तो राजधानी में कुछ रसूखदार लोगों द्वारा नहर खा लेने की चांैकाने वाली खबर मिली है। जलसंसाधन विभाग ने राजधानी में देवपुरी से उरला तक की महानदी केनाल को अनुपयोगी मानकर फोरलेन सड़क बनाने राजस्व विभाग को सौंप दी थी और अब लोकनिर्माण विभाग धनी आबादी के बीच की इस नहर का इस्तेमाल फोरलेन सड़क बनाकर करने वाला है। लोकनिर्माण विभाग को मौके का मुआइना करने पर पता चला कि नहर का अधिकांश हिस्सा अवैध कब्जे की भेंट चढ़ गया है। मुख्य नहर से शाखा नहर की लम्बाई 58 किलोमीटर है और यह 250 एकड़ में फैली है। पंडरी बस स्टैण्ड से तेलीबांधा और वहां से माना बस्ती तक कई लोग नहर पर कब्जा कर चुके हैं। पंडरी से रविनगर तक कई लोगों ने कब्जा ही नहीं किया है रजिस्ट्री भी करवा ली है। एमएमआई से लालपुर होकर राजेंद्र नगर होकर तेलीबांधा पहुुंची यह नहर अवैध कब्जा धारियों के कब्जे में है। पंडरी में जेल के पीछे के तो यह नहर दिखाई देती है पर सरकारी अफसरों की कालोनी देवेंद्र नगर में यह नहर फिर गायब हो गई है। इधर नहर से अवैध कब्जा हटाने शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा वैसे पहले चरण में लोकनिर्माण विभाग 2 किलोमीटर हिस्से को पाटकर सड़क बनाने में जुट गया है।
और अब बस
(1)
गीदम में नवनिर्मित थाना भावन को नक्सलियों द्वारा उड़ाने से नाराज सरकार ने दंतेवाड़ा के पुलिस कप्तान को हटा दिया। एक टिप्पणी... दंतेवाड़ा जेल बे्रक के समय मौजूद पुलिस कप्तान को फिर लगातार बड़े जिलों का प्रभार क्यों दिया जा रहा है?
(2)
मीना खलको बलात्कार और फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बाद आईजी भी निपट गये एक टिप्पणी... आदिवासियों को साधना जरूरी भी तो है?

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