Tuesday, August 23, 2011


अब उजालों को होगा बनवास में ही रहना
सूर्य के बेटे अंधेरों का समर्थन कर रहे हैं!

पूरा भारत भ्रष्टïाचार का समूल नाश करने अन्ना हजारे के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। सरकारी लोकपाल और जन लोकपाल को लेकर नेताओं और जनता के बीच खाइयां बढ़ती जा रही है। सवाल उठ रहा है कि देश की संसद बड़ी है या सिविल सोसायटी के 5 लोग? वैसे भाजपा इस आंदोलन में अन्ना हजारे के आसपास ही दिखाई दे रही है ऐसे में भाजपा शासित प्रदेश सरकार में शामिल नेता भी अन्ना के समर्थक बनने मजबूर हैं। अभी तक छत्तीसगढ़ की जनता यह नहीं समझ पा रही थी कि महंगाई बढऩे के लिए कौन जिम्मेदार हैं। केन्द्र की कांगे्रस नीत यूपीए सरकार या राज्य की भाजपा सरकार! देश-प्रदेश में भ्रष्टïाचार बढऩे के लिये कौन सी सरकार जिम्मेदार हैं अब यह नई बहस शुरू हो गई है। कांगे्रस, प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप मढ़ रही है तो भाजपा नेता इसके लिये केन्द्र सरकार को कोस रहे हैं। भाजपा ने तो बकायदा रैली भी निकाली थी और जिसकी अगुवाई भाजपा के युवा नेता तथा अध्यक्ष नीतिन गडकरी ने की थी। खैर हाल ही में भाजपा अध्यक्ष नीतिन गडकरी ने प्रदेश के वरिष्ठï मंत्रियों सर्वश्री ननकीराम कंवर, बृजमोहन अग्रवाल, हेमचंद यादव, राजेश मूणत, रामविचार नेताम, चंद्रशेखर साहू की क्लास लेकर नये विवाद को जन्म दे दिया। दूसरे क्रम में 6 अन्य मंत्रियों की भी पेशी होनी थी पर वह नहीं हो सकी। मतलब यही निकाला जा रहा है कि इन्हीं मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हो सकता है और एकाध मंत्री की छुट्टïी भी हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं है। हालांकि डॉ.रमन सिंह छुट्टïी होने का संकेत नहीं दे रहे हैं।खैर छत्तीसगढ़ के नक्सलियों से अप्रभावित तथा सिंचित जिले जांजगीर-चांपा में विश्वबैंक से ऋण लेकर बनाया गया रोगदा बांध नहीं उसकी जमीन बिना जल संसाधन विभाग की अनुमति से एस के एस पावर प्लांट को बेच दी गई और विधानसभा की समिति से जांच कराई जा रही है। प्रदेश के एक वरिष्ठï आईएएस अफसर के ठिकानों पर अफसर छापा मारा जाता है और सरकार उसे महत्वपूर्ण पद दे देती है। पिछली सरकार में चर्चित एक मंत्री को हाटने के बाद एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया जाता है। पाठ््यपुस्तक निगम पर प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी होने के बाद भी एक अफसर को नियम विरुद्घ पदस्थ रखने के पीछे क्या मजबूरी है जबकि पाठ््यपुस्तकों में उल्टा तिरंगा प्रकाशित होने की खबर चर्चा में रही है, शासकीय शालाओं में मुफ्त पाठ््य पुस्तकें बांटने में छपाई से लेकर वितरण तक में अनियमितता की शिकायत आती रहती है। सतनामी समाज के गुरु घासीदास के विषय में अशोभनीय टिप्पणी प्रकाशित हो जाती है, स्कूलों में महापुरुषों की फोटो पापुनि द्वारा भिजवाई गई है उसमें पं. जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी की फोटो शामिल नहीं कियो गए है। पापुनि करोड़ों का कागज निर्धारित मापदंड के आधार पर खरीदती है और उसका परीक्षण करने पापुनि के पास कोई विशेषज्ञ मौजूद नहीं है। 2 सगी बहनें पापुनि में कार्यरत हैं जिनके बीच उम्र का अंतर 3 महीने 10 दिन हैं? अब तो लोक आयोग में शिकायत पर प्रकरण दर्ज हो गया है, ईओडब्ल्यू में पहले ही प्रकरण लंबित हैं। यह वही ईओडब्ल्यू है जिसने कुछ आईएएस अफसरों के प्रकरण खारिज भी किये हैं। निजी कंपनियों को बिजली बेचने-खरीदने में अनियमितता की शिकायत मिलती रहती है। पर कार्यवाही शुरू है। जेल विभाग के डीआईजी पी डी वर्मा को दंतेवाड़ा जेल बे्रक में प्रारंभिक तौर पर दोषी मानकर मुख्यमंत्री के आदेश पर निलंबित किया जाता है पर बिना आरोप पत्र दिये ही बहाल कर दिया जाता है। इनके द्वारा पिंकसिटी गृहनिर्माण सोसायटी बनाकर कुछ आईएएस, आईपीएस अफसरों से बिना लेआउट स्वीकृत किये ही भूखंड आबंटन के नाम पर रकम ली जाती है। बाद में कुछ बड़े लोगों का अग्रिम वापस किया जाता है पर गृहमंत्रालय को यह अपराध नजर नहीं आता है क्यों? भाजपा के 2-3 बड़े नेताओं के ठिकानों पर आयकर विभाग दबिश देता है मामला भी बनता है पर वे ही लोग नेतृत्व करते नजर आते हैं क्यों?खैर बात भ्रष्टïाचार से शुरू की गई थी। अफसरों और नेताओं की जुगलबंदी से फैलते भ्रष्टïाचार ने पूरे लोकतंत्र पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। लगता है जनता इनका लक्ष्य रह ही नहीं गई है, जनता दिनोंदिन नेताओं और सरकारी महकमें से दूर होती जा रही है।
सक्रियता सरोज की
छत्तीसगढ़ की तेजतर्रार सांसद सुश्री सरोज पांडेय हाल ही में चर्चा में है। दुर्ग की महापौर, वैशाली नगर भिलाई की विधायक, दुर्ग की सांसद से भाजपा की महिला मोर्चा की राष्टï्रीय नेत्री बनकर वैसे भी सरोज पांडेय ने कम समय में काफी ख्याति प्राप्त कर ली है। वहीं राजनीति में उत्तरोत्तर प्रगति करने वाले बिरले लोगों में उनकी गिनती हो रही है। हाल ही में दिल्ली में 'वाद नहीं संवादÓ विषय पर परिचर्चा आयोजित कराकर उन्होंने नक्सली उन्मूलन की दिशा में एक सार्थक बहस की शुरूआत की है। नक्सली वारदात में कभी बस्तर आदि क्षेत्रों में नहीं जाने वाली सुश्री सरोज पांडेय की यह सक्रियता भी चर्चा में है। सूत्रों की मानें तो वे प्रदेश की राजनीति में अधिक सक्रियता से और जुडऩा चाह रही हैं, वैसे उनकी प्रदेश में सक्रियता की खबर से ही कुछ लोगों के कान खड़े हो गये हैं। हाल ही में उनके समर्थकों द्वारा कुम्हारी टोल नाका में की गई तोड़-फोड़ की भी चर्चा जमकर है। कुछ लोगों का कहना है कि वे समर्थकों के साथ गई थी वहीं कुछ लोग कहते हैं कि वे वहां से निकल रही थी तभी समर्थकों ने वहां हंगामा बरपा दिया। खैर कुम्हार टोल नाका हो या भिलाई का नेहरु नगर नाका हो यहां तैनात लोग दुव्र्यहार करने में पीछे नहीं है। हाल ही में दुर्ग की कलेक्टर रीना बाबा कंगाले भी इन लोगों के व्यवहार से नाराज हो गई थीं। सूत्रों का कहना है कि कलेक्टर महोदया को वहां किसी ने रोककर नाका कर पटाने कहा था तो एक कर्मचारी ने पहचान लिया था। उसने कहा कि 'इन्हें जाने दो ये जिले की कलेक्टर हैं और इन्हें तो फोकट में जाने का अधिकार हैÓ बस इसी बात से नाराज होकर मैडम ने कड़ा कदम उठाकर नाका में टोलटैक्स लेना ही कुछ दिनों के लिये प्रतिबंधित कर दिया था।
पदस्थापना में विसंगति
छत्तीसगढ़ में 103 आईपीएस वाले कैडर में मंजूर पदों के पद नियम विरुद्घ पदस्थापना हो रही है। अफसरों की पदस्थापना को राज्य शासन का अधिकार बताया जा रहा है और इसी कारण विसंगति तो पैदा हो रही है। साथ ही आनेवाले दिनों में केन्द्र से विवाद की नौबत भी आ सकती है। एडीजी के रूप में पदोन्नत एम डब्लू अंसारी को अभियोजन में संचालक बनाया गया है तो ए एन उपाध्याय को गृहमंत्रालय में ओएसडी तथा डी एम अवस्थी को ईओडब्लू का एडीजी बनाया गया है। इन पदों को कैडर के मुताबित राज्य प्रतिनियुक्ति माना जाता है। इधर एडीजी (इंटेलीजेन्स) का पद अभी भी रिक्त है। एडीजी (प्रशासन) और एडीजी (एफ एण्ड पी) के पद पर भी कोई पदस्थ नहीं है और यह कार्य आईजी से कराया जा रहा है। एडीजी (नक्सल आपरेशन एवं सीएएफ) के पद पर रामनिवास ही पदस्थ हैं।दूसरी तरफ दुर्ग रेंज में आईजी का पद मंजूर नहीं है दरअसल आईजी रायपुर के नाम पर पद स्थापना होनी चाहिए थी पर आईजी (रायपुर) के पद पर पदस्थ मुकेश गुप्ता को केवल रायपुर जिले का ही प्रभार दिया गया है वहीं उनके पास आईजी (इंटेलीजेंस) का प्रभार भी है। वहीं दुर्ग आईजी के पद पर आर के विज पदस्थ हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ कैडर में राजनांदगांव, धमतरी तथा कांकेर में डीआईजी पद मंजूर नहीं है पर यहां पदस्थापना कर दी गई है। इसी तरह छत्तीसगढ़ पुलिस के आईजी रेंक के अफसर रवि सिन्हा, अशोक जुनेजा प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र चले गये हैं तो आर सी पटेल होमगार्ड, बी एस मरावी परिवहन, भरत सिंह जेल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ के प्रमोटी आईपीएस अफसरों को फील्ड में पदस्थ करने की जगह उनसे पुलिस मुख्यालय में एक तरह से बाबू का नाम लिया जा रहा है जबकि ये लोग 'फील्डÓ में अच्छी तरह वाकिफ है पर उनकी जगह दूसरे प्रदेश से आए सीधे आईपीएस की पदस्थापना की गई है। वैसे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नये जिलों की घोषणा की है वैसे इनमें प्रमोटी आईपीएस की स्थापना तो की ही जा सकती है। वैसे भी प्रदेश में फील्ड में लंबी सेवा करने पर उनका हक तो नये जिलों में कप्तानी करने का बनता ही है।
और अब बस
(1)राजधानी में महिला महापौर, एडीशनल एसपी यातायात हैं तो एक महिला सीएसपी, एक महिला डीएसपी हेडक्वाटर, 2 महिला टीआई भी हैं और अब महिला एडीएम भी बन रही हैं, पुरुषों में इसी बात को लेकर चिंता बढ़ गई है।
(2)देश के बड़े शहरों में कुछ बड़े होटलों या बार में महिलाएं शराब परोसती हैं पर छत्तीसगढ़ में तो महिला वाहिनी शराब पीने से रोकेंगी। एक टिप्पणी: छत्तीसगढ़ में कुछ भी हो सकता है।
(3)छत्तीसगढ़ में छोटे-छोटे नये जिले बनने से प्रभारी आईपीएस उम्मीद से हैं कि उन्हें भी जिले की कमान सम्हालने का मौका मिलेगा। इसके पहले तो उन्हें बड़े साहब योग्य ही नहीं मानते थे।

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