मांगने वाला तो गूंगा था मगर
देने वाला तू भी बहरा हो गया
छत्तीसगढ़ में लगातर दो बार भाजपा की सरकार बनाने वाले डा. रमन सिंह भाजपा सरकार की तिकड़ी बनाने के लिये प्रयत्नशील है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली सहित सभी बड़े भाजपा नेता डा. रमन सिंह की सार्वजनिक मंच सहित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकों में तारीफ कर चुके हैं पर राजनाथ सिंह की टीम में छत्तीसगढ़ को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से कुछ नाराजगी जरूर है।
भाजपा महिला मोर्चा में जरूर दुर्ग की सांसद सुश्री सरोज पांडे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। पर उनसे मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से संबंध किसी से छिपे नहीं है। डा. रमन सिंह के समर्थक किसी भी नेता को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह नहीं मिली है जबकि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर छत्तीसगढ़ को अधिक महत्व मिलने की उम्मीद थी। इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी तथा पूर्व सांसद श्रीमती करूणा शुक्ला को भी इस बार राजनाथ सिंह की टीम में जगह नहीं मिली है। वैसे वे एक मात्र भाजपा सांसद प्रत्याशी रहीं जिन्हें पिछले लोस चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। इधर चर्चा थी कि डा. रमन सिंह को भी पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया जा रहा है पर शिवराज सिंह का नाम भी आने से केवल नरेन्द्र मोदी को ही संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। बहरहाल छत्तीसगढ़ की इतनी अधिक उपेक्षा की चर्चा जमकर है।
लता की सक्रियता
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में शामिल एक मात्र महिला मंत्री लता उसेण्डी के कार्यकाल में आखिर हो क्या रहा है। उनके विधानसभा से लगे झलियामारी कन्या आश्रम में 5 से 12 साल की उम्र की बच्चियों से बलात्कार मामले की चर्चा देश में होती रही। राष्ट्रीय स्तर पर इससे छग की छवि को धक्का लगा और इस मामले में कुछ लोगों को आरोपी बनाकर प्रभावित बच्चियों को मुआवजा देकर उन्हें दूसरे आश्रम में रखकर राज्य सरकार ने अपना काम पूरा कर लिया। बालौद के एक छात्रावास आमाडुला में एक लड़की को छात्रावास अधीक्षिका द्वारा दूसरो के सामने पेश करने का मामला प्रकाश में आया, रात में आश्रम में बड़ी-बड़ी कारों में लोगों के आने का भी मामला उभरा था। छात्रावास अधीक्षिका अनिता ठाकुर ( खन्ना) को जेल भेज दिया गया। उसके बयान के भी एक कसबायी पत्रकार से पुलिस ने पूछताछ करना उचित नहीं समझा जबकि आरोप के चलते उसकी पत्रकारिता की एजेन्सी वापस ले ली गई और एक जनप्रतिनिधि ने अपने प्रतिनिधि के पद से हटा दिया गया। सबसे आश्चर्य तो यह है कि महिला अधीक्षिका के मोबाईल को आने वाले नंबरों की जांच भी नहीं की गई यही नहीं जेल के भीतर रहते उसे पदोन्नति का लाभ देने की खबर है। ये प्रकरण अभी चर्चा में ही थे तभी दुर्ग के बेथल चिल्ड्रन होम में कुछ बच्चों के साथ अप्राकृतिक कृत्य और कार्यवाही न करने के आरोप में केयरटेकर और संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ में आखिर यह हो क्या रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री लता उसेण्डी कन्यादान योजना, महिलाओं को सिलाई मशीन, सायकल वितरण कराने सहित आईपीएल मैच कराकर छत्तीसगढ़ सरकार को वाहवाही दिलाने में व्यस्त है। सवाल यह उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में जो बच्चों के यौन शोषण की खबर आ रही है उससे बदनामी भी हो रही है आाखिर इसके लिये राज्य सरकार कर क्या रही है। झलियामारी में पुरूषों की तैनाती से बच्चियों का यौन शोषण हुआ तो बालोद के आमाडुला में महिला अधीक्षिका पर ही यौन शोषण कराने का आरोप है। कुल मिलाकर सरकारी आश्रम, छात्रावास सहित अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे बाल, महिला आश्रम को अच्छा वातावरण बनाने के लिये राज्य सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे।
भदौरा जमीन घोटाला
कांग्रेस ने भदौरा में जमीन की अवैध खरीदी-बिक्री को लेकर अमर अग्रवाल पर निशाना साधा है हालांकि अमर अग्रवाल ने इस मामले को स्वयं को दूर बताकर 100 करोड़ की मानहानि का नोटिस भी भिजवा दिया है।
भदौरा गांव में जमीन खरीदी बिक्री का सिलसिला पिछले 4 साल से चल रहा है। गांव में 127 बिक्री पत्रों के जरिये 205.96 एकड़ जमीन की खरीदी-बिक्री की गई। इसमें सरकारी जमीन खसरा नंबर 509 में 11.54 एकड़ भी शामिल है यह जमीन निस्तार पत्रक में चराई मद और धरसा मद में दर्ज है फिर भी किसी द्धिवजराम को विक्रेता बनाया गया है। किसी जसकरण सिंह कोरबा ने चिड़ीपाल गैस प्राईवेट लिमिटेड के लिये 16.20 एकड़ निजी और 11.54 एकड़ जमीन खरीदी वहीं अकुंश गोयल ने रंजू इन्फ्राकान के लिये 8.31 एकड़ निजी और 5.39 एकड़ शासकीय जमीन, मो. रफीक ने रूक्मिणी इन्फास्ट्राक्चर रायगढ़ के लिये 4.06 एकड़ निजी जमीन, संजय गर्ग दिल्ली ने 8.10 एकड़ निजी, मनोज तोसनवाल ने 5.93 एकड़ निजी जमीन फर्जी तरीके से खरीदने का आरोप है।
प्रदेश में सियासी मुद्दा बने भदौरा जमीन घोटाले की जांच मस्तूरी पुलिस कर रही है। जिला प्रशासन की जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 16.93 एकड़ शासकीय और 42.93 एकड़ निजी जमीन की फर्जी बिक्री की तस्दीक हो चुकी है। कमिश्नर आर.पी. जैन ने कलेक्टर को रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए हैं। सबसे बड़ा तथ्य यह सामने आ रहा है कि मृतक व्यक्ति को न केवल जीवित बताया गया है बल्कि मृत व्यक्ति भदौरा से चलकर मस्तूरी तक पहुंचता है और रजिस्ट्रार के सामने अपनी जमीन बेचकर फिर मर जाता है। बहरहाल अमर अग्रवाल ने इस घोटाले में अपना नाम लपेटे जाने पर नाखुश है उन्होंने महापौर वाणीराव और कांग्रेस के सचिव वाजपेयी को 100 करोड़ के मानहानि का नोटिस भेजा है।
कहां है पवन, तरूण!
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने के बाद नंदकुमार पटेल ने प्रदेश में विपक्ष जिंदा है इसका एहसास तो भाजपा सरकार को कराया है इसमें कोई संदेह नहीं है उनकी सक्रियता और सरकार के खिलाफ आंदोलनों के चलते कांग्रेसी भी उत्साहित हैं वही अगली सरकार बनाने के मंसूबे भी पाल रहे हैं। वैसे अगले विधानसभा चुनाव में यदि कांग्रेस के पक्ष में बेहतर परिणाम आते हैं तो उसका श्रेय भाजपा सरकार को ही जाएगा। यह भी तय है अभी से चर्चा चल रही है है कि यदि ऐसा होता तो कांग्रेस की जीत नहीं भाजपा की हार प्रमुख रूप से जिम्मेदार होगी। बहरहाल नंदकुमार पटेल के साथ एक कमी जरूर खल रही है वह यह कि उन्होंने रूठे और प्रमुख पुराने नेताओं को फिर से जोड़ने और सक्रिय करने का संभवत: प्रयत्न नहीं किया है। छत्तीसगढ़ में गांधी के नाम से चर्चित पवन दीवान अपने आश्रम तक ही सीमित है। पवन दीवान, छत्तीसगढ़ियों के बीच एक बड़ा और लोकप्रिय नाम है। उनके प्रशंसक आज भी छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में मिल जाएंगे पर वे भी पूरे मन से राजनीति से जुड़ नहीं सके हैं। रायपुर शहर में कभी शहर जिला कांग्रेस से लोक निर्माण मंत्री बनने वाले तरूण चटर्जी भी न जाने कहां है, एक समय में रायपुर की राजनीति में उनका बड़ा सक्रिय नाम था, राजेश मूणत से एक बार पराजित होने के बाद उनका भी अता-पता नहीं है। ये तो कुछ उदाहरण है ऐसे कई समर्पित कांग्रेसी अभी भी सक्रिय नहीं है। वैसे नंदकुमार पटेल पर यह आरोप लगता रहता है कि जनाधार विहीन कुछ नेताओं से वे घिरे रहते है जो कभी विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी के दरबार में जी-हुजुरी किया करते थे। एक बात यह अच्छी है कि उनके करीबी नेता कांग्रेस संगठन के बड़े पद पर तो है पर विधानसभा टिकट नहीं चाहते है क्योंकि उन्हें जनता के बीच अपनी हैसियत का अंदाजा है। बहरहाल नंदकुमार पटेल, रविन्द्र चौबे और चरणदास महंत का त्रिफला सक्रिय है। महंत ने तो आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने सहित मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होने का खुलासा पत्रकारावार्ता में कर दिया है। अजीत जोगी स्वास्थ्यगत कारणों से मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहेंगे पर भाभी डा. रेणु जोगी का नाम जरूर बढ़ाएंगे ऐसे में नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे को उम्मीद तो करना ही चाहिए।
और अब बस
1
बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ महापौर किरणमयी नायक को चुनाव लड़ाने की चर्चा है...। कांग्रेस की मजबूरी है बृजमोहन के खिलाफ कोई कांग्रेसी चुनाव लड़ने तैयार नहीं है।
2
मुख्य सचिव सुनील कुमार के दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने की अफवाह पता नहीं कौन फैला रहा है.... कुछ माह का कार्यकाल बचा होने पर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति नहीं होती है यही नियम है।
3
बस्तर की एक मात्र सामान्य विधानसभा सीट से रायपुर के एक बड़े नेता के चुनाव लड़ने की चर्चा है तो जमीन के धंधे से जुड़े एक भाजपा के नेता महासमुन्द जिले से चुनाव लड़ने की तैयार शुरू कर चुके हैं।
4
प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर संत कुमार पासवान पुलिस महानिदेशक बने बिना सेवानिवृत्त हो गए, इसके पहले तब के सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर बी.के.एस.रे. भी बिना मुख्य सचिव बने रिटायर हो गये थे।
5
भाजपा नेता अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार होली मिलन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं यह बात और है कि मिलने समारोह में कम भीड़ देखकर नेता परेशान भी लग रहे हैं।
6
नितिन गडकरी के प्रदेश भाजपा के प्रभारी बनने की चर्चा शुरू होते ही एक आईएएस अफसर काफी खुश है उन्हें जिले की कमान मिलने की पूरी संभावना है।
देने वाला तू भी बहरा हो गया
छत्तीसगढ़ में लगातर दो बार भाजपा की सरकार बनाने वाले डा. रमन सिंह भाजपा सरकार की तिकड़ी बनाने के लिये प्रयत्नशील है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली सहित सभी बड़े भाजपा नेता डा. रमन सिंह की सार्वजनिक मंच सहित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकों में तारीफ कर चुके हैं पर राजनाथ सिंह की टीम में छत्तीसगढ़ को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से कुछ नाराजगी जरूर है।
भाजपा महिला मोर्चा में जरूर दुर्ग की सांसद सुश्री सरोज पांडे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। पर उनसे मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से संबंध किसी से छिपे नहीं है। डा. रमन सिंह के समर्थक किसी भी नेता को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह नहीं मिली है जबकि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर छत्तीसगढ़ को अधिक महत्व मिलने की उम्मीद थी। इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी तथा पूर्व सांसद श्रीमती करूणा शुक्ला को भी इस बार राजनाथ सिंह की टीम में जगह नहीं मिली है। वैसे वे एक मात्र भाजपा सांसद प्रत्याशी रहीं जिन्हें पिछले लोस चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। इधर चर्चा थी कि डा. रमन सिंह को भी पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया जा रहा है पर शिवराज सिंह का नाम भी आने से केवल नरेन्द्र मोदी को ही संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। बहरहाल छत्तीसगढ़ की इतनी अधिक उपेक्षा की चर्चा जमकर है।
लता की सक्रियता
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में शामिल एक मात्र महिला मंत्री लता उसेण्डी के कार्यकाल में आखिर हो क्या रहा है। उनके विधानसभा से लगे झलियामारी कन्या आश्रम में 5 से 12 साल की उम्र की बच्चियों से बलात्कार मामले की चर्चा देश में होती रही। राष्ट्रीय स्तर पर इससे छग की छवि को धक्का लगा और इस मामले में कुछ लोगों को आरोपी बनाकर प्रभावित बच्चियों को मुआवजा देकर उन्हें दूसरे आश्रम में रखकर राज्य सरकार ने अपना काम पूरा कर लिया। बालौद के एक छात्रावास आमाडुला में एक लड़की को छात्रावास अधीक्षिका द्वारा दूसरो के सामने पेश करने का मामला प्रकाश में आया, रात में आश्रम में बड़ी-बड़ी कारों में लोगों के आने का भी मामला उभरा था। छात्रावास अधीक्षिका अनिता ठाकुर ( खन्ना) को जेल भेज दिया गया। उसके बयान के भी एक कसबायी पत्रकार से पुलिस ने पूछताछ करना उचित नहीं समझा जबकि आरोप के चलते उसकी पत्रकारिता की एजेन्सी वापस ले ली गई और एक जनप्रतिनिधि ने अपने प्रतिनिधि के पद से हटा दिया गया। सबसे आश्चर्य तो यह है कि महिला अधीक्षिका के मोबाईल को आने वाले नंबरों की जांच भी नहीं की गई यही नहीं जेल के भीतर रहते उसे पदोन्नति का लाभ देने की खबर है। ये प्रकरण अभी चर्चा में ही थे तभी दुर्ग के बेथल चिल्ड्रन होम में कुछ बच्चों के साथ अप्राकृतिक कृत्य और कार्यवाही न करने के आरोप में केयरटेकर और संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ में आखिर यह हो क्या रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री लता उसेण्डी कन्यादान योजना, महिलाओं को सिलाई मशीन, सायकल वितरण कराने सहित आईपीएल मैच कराकर छत्तीसगढ़ सरकार को वाहवाही दिलाने में व्यस्त है। सवाल यह उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में जो बच्चों के यौन शोषण की खबर आ रही है उससे बदनामी भी हो रही है आाखिर इसके लिये राज्य सरकार कर क्या रही है। झलियामारी में पुरूषों की तैनाती से बच्चियों का यौन शोषण हुआ तो बालोद के आमाडुला में महिला अधीक्षिका पर ही यौन शोषण कराने का आरोप है। कुल मिलाकर सरकारी आश्रम, छात्रावास सहित अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे बाल, महिला आश्रम को अच्छा वातावरण बनाने के लिये राज्य सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे।
भदौरा जमीन घोटाला
कांग्रेस ने भदौरा में जमीन की अवैध खरीदी-बिक्री को लेकर अमर अग्रवाल पर निशाना साधा है हालांकि अमर अग्रवाल ने इस मामले को स्वयं को दूर बताकर 100 करोड़ की मानहानि का नोटिस भी भिजवा दिया है।
भदौरा गांव में जमीन खरीदी बिक्री का सिलसिला पिछले 4 साल से चल रहा है। गांव में 127 बिक्री पत्रों के जरिये 205.96 एकड़ जमीन की खरीदी-बिक्री की गई। इसमें सरकारी जमीन खसरा नंबर 509 में 11.54 एकड़ भी शामिल है यह जमीन निस्तार पत्रक में चराई मद और धरसा मद में दर्ज है फिर भी किसी द्धिवजराम को विक्रेता बनाया गया है। किसी जसकरण सिंह कोरबा ने चिड़ीपाल गैस प्राईवेट लिमिटेड के लिये 16.20 एकड़ निजी और 11.54 एकड़ जमीन खरीदी वहीं अकुंश गोयल ने रंजू इन्फ्राकान के लिये 8.31 एकड़ निजी और 5.39 एकड़ शासकीय जमीन, मो. रफीक ने रूक्मिणी इन्फास्ट्राक्चर रायगढ़ के लिये 4.06 एकड़ निजी जमीन, संजय गर्ग दिल्ली ने 8.10 एकड़ निजी, मनोज तोसनवाल ने 5.93 एकड़ निजी जमीन फर्जी तरीके से खरीदने का आरोप है।
प्रदेश में सियासी मुद्दा बने भदौरा जमीन घोटाले की जांच मस्तूरी पुलिस कर रही है। जिला प्रशासन की जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 16.93 एकड़ शासकीय और 42.93 एकड़ निजी जमीन की फर्जी बिक्री की तस्दीक हो चुकी है। कमिश्नर आर.पी. जैन ने कलेक्टर को रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए हैं। सबसे बड़ा तथ्य यह सामने आ रहा है कि मृतक व्यक्ति को न केवल जीवित बताया गया है बल्कि मृत व्यक्ति भदौरा से चलकर मस्तूरी तक पहुंचता है और रजिस्ट्रार के सामने अपनी जमीन बेचकर फिर मर जाता है। बहरहाल अमर अग्रवाल ने इस घोटाले में अपना नाम लपेटे जाने पर नाखुश है उन्होंने महापौर वाणीराव और कांग्रेस के सचिव वाजपेयी को 100 करोड़ के मानहानि का नोटिस भेजा है।
कहां है पवन, तरूण!
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने के बाद नंदकुमार पटेल ने प्रदेश में विपक्ष जिंदा है इसका एहसास तो भाजपा सरकार को कराया है इसमें कोई संदेह नहीं है उनकी सक्रियता और सरकार के खिलाफ आंदोलनों के चलते कांग्रेसी भी उत्साहित हैं वही अगली सरकार बनाने के मंसूबे भी पाल रहे हैं। वैसे अगले विधानसभा चुनाव में यदि कांग्रेस के पक्ष में बेहतर परिणाम आते हैं तो उसका श्रेय भाजपा सरकार को ही जाएगा। यह भी तय है अभी से चर्चा चल रही है है कि यदि ऐसा होता तो कांग्रेस की जीत नहीं भाजपा की हार प्रमुख रूप से जिम्मेदार होगी। बहरहाल नंदकुमार पटेल के साथ एक कमी जरूर खल रही है वह यह कि उन्होंने रूठे और प्रमुख पुराने नेताओं को फिर से जोड़ने और सक्रिय करने का संभवत: प्रयत्न नहीं किया है। छत्तीसगढ़ में गांधी के नाम से चर्चित पवन दीवान अपने आश्रम तक ही सीमित है। पवन दीवान, छत्तीसगढ़ियों के बीच एक बड़ा और लोकप्रिय नाम है। उनके प्रशंसक आज भी छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में मिल जाएंगे पर वे भी पूरे मन से राजनीति से जुड़ नहीं सके हैं। रायपुर शहर में कभी शहर जिला कांग्रेस से लोक निर्माण मंत्री बनने वाले तरूण चटर्जी भी न जाने कहां है, एक समय में रायपुर की राजनीति में उनका बड़ा सक्रिय नाम था, राजेश मूणत से एक बार पराजित होने के बाद उनका भी अता-पता नहीं है। ये तो कुछ उदाहरण है ऐसे कई समर्पित कांग्रेसी अभी भी सक्रिय नहीं है। वैसे नंदकुमार पटेल पर यह आरोप लगता रहता है कि जनाधार विहीन कुछ नेताओं से वे घिरे रहते है जो कभी विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी के दरबार में जी-हुजुरी किया करते थे। एक बात यह अच्छी है कि उनके करीबी नेता कांग्रेस संगठन के बड़े पद पर तो है पर विधानसभा टिकट नहीं चाहते है क्योंकि उन्हें जनता के बीच अपनी हैसियत का अंदाजा है। बहरहाल नंदकुमार पटेल, रविन्द्र चौबे और चरणदास महंत का त्रिफला सक्रिय है। महंत ने तो आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने सहित मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होने का खुलासा पत्रकारावार्ता में कर दिया है। अजीत जोगी स्वास्थ्यगत कारणों से मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहेंगे पर भाभी डा. रेणु जोगी का नाम जरूर बढ़ाएंगे ऐसे में नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे को उम्मीद तो करना ही चाहिए।
और अब बस
1
बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ महापौर किरणमयी नायक को चुनाव लड़ाने की चर्चा है...। कांग्रेस की मजबूरी है बृजमोहन के खिलाफ कोई कांग्रेसी चुनाव लड़ने तैयार नहीं है।
2
मुख्य सचिव सुनील कुमार के दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने की अफवाह पता नहीं कौन फैला रहा है.... कुछ माह का कार्यकाल बचा होने पर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति नहीं होती है यही नियम है।
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बस्तर की एक मात्र सामान्य विधानसभा सीट से रायपुर के एक बड़े नेता के चुनाव लड़ने की चर्चा है तो जमीन के धंधे से जुड़े एक भाजपा के नेता महासमुन्द जिले से चुनाव लड़ने की तैयार शुरू कर चुके हैं।
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प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर संत कुमार पासवान पुलिस महानिदेशक बने बिना सेवानिवृत्त हो गए, इसके पहले तब के सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर बी.के.एस.रे. भी बिना मुख्य सचिव बने रिटायर हो गये थे।
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भाजपा नेता अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार होली मिलन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं यह बात और है कि मिलने समारोह में कम भीड़ देखकर नेता परेशान भी लग रहे हैं।
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नितिन गडकरी के प्रदेश भाजपा के प्रभारी बनने की चर्चा शुरू होते ही एक आईएएस अफसर काफी खुश है उन्हें जिले की कमान मिलने की पूरी संभावना है।
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