Tuesday, April 9, 2013

मैं दहशतगर्द था मरने पर बेटा बोल सकता है
हुकुमत के इशारे पर तो मुरदा बोल सकता है
हुकुमत की तवज्जों चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है

नंदिनी अहिवार में निर्माणाधीन जे.के. लक्ष्मी सीमेण्ट प्लांट में स्थायी नौकरी और जमीन का उचित मुआवजा की मांग को लेकर ग्रामीण उत्तेजित हो गये और प्रदर्शन हिंसक हो गया। आगजनी, तोडफ़ोड़, मारपीट के कारण प्लांट प्रबंधन ने 600 करोड़ के नुकसान का दावा किया है पर यह बाते गले नहीं उतर रही है कि क्या गांव वाले इतने हिंसक होकर कुछ भी समय में करोड़ों की सम्पत्ति को फूंक सकते हैं। वैसे पुलिस और प्रशासन अपना काम कर रह हैं पर इस आगजनी तथा आगजनी के कारणों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
दुर्ग जिले के अंतर्गत मलपुरी गांव के आसपास बड़े-बड़े फार्म हाऊस है यहां खेती के साथ फल, साग-सब्जी आदि का भी उत्पादन होता है। चर्चा हो रही है कि विधिवत अनुमति के बिना मलपुरी में जे.के. लक्ष्मी प्लांट की आधार शिला रखी गई है। यहां प्लांट के लिये जमीन खरीदी में अनियमितता, स्थायी नौकरी देने के वादे, गांव की सड़क बंद करने, प्लांट के सुरक्षा कर्मियों की दादागिरी, मारपीट को लेकर अक्सर प्लांट प्रबंधन और ग्रामीणों में टकराव होता रहा है। इसकी रिपोर्ट भी थाने सहित कलेक्टर, एसपी के पास पहुंचती रहती है कई बार मध्यस्थता भी हो चुकी है पर हालात जस के तस है।
करीब 2 साल से छुटपुट विरोध कर रहे ग्रामीणों ने करीब पौने 2 माह पूर्व 14 फरवरी को स्थायी नौकरी की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। 4 अप्रैल को भी सुरक्षा सुरक्षाकर्मियों और आंदोलनकर्मियों के बीच झड़प हुई और यहा स्थिति सामने आई, पुलिस ने हालांकि जेके. सीमेण्ट संयंत्र के पास दो हेण्डग्रेनेड जप्त करने का दावा किया है पर सवाल यह उठ रहा है कि ग्रामीणों या आंदोलनकारियों ने कुछ ही समय में 600 करोड़ की सम्पत्तियों को नुकसान कैसे पहुंचाया. ग्रामीण कोई प्रशिक्षित नक्सली तो थे नहीं कि उन्होंने योजना बनाकर इस घटना को अंजाम दिया, कहीं इस पूरी घटना के पीछे प्रबंधन की भूमिका तो नहीं थी। बहरहाल  सरकार  ने प्रशासनिक और एडीजी संजय पिल्ले जांच कराने की घोषणा की वैसे इतनी बड़ी घटना के लिये जिसमें कुछ समय के भीतर 600 करोड़ की सम्पत्ति का नुकसान हुआ है बड़े स्तर की जांच जरूरी है।
सुनील का दिप्वास्वप्न
रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा एक बार फिर नगरवासियों को दिप्वास्वप्न दिखाया जा रहा है। नगर निगम में महापौर, सभापति आदि पद की जिम्मेदारी सम्हाल चुके सुनील सोनी काफी अनुभवी नेता है। जनता की कमजोरी को जानते हैं, विवादित कमल विहार योजना से ध्यान हटाने कुछ नई योजनाओं की शुरूआत की घोषणा कर दी है। शहर की जनता वैसे इन योजनाओं को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ रही है।
पहले ईएसई कालोनी (जिलीधीश कार्यालय से लगी) के जीर्णोद्वार में राविप्रा लाखों रूपए खर्च कर चुका है अब उसी कालोनी में स्वाभिमान प्लाजा बनाने की घोषणा हाल ही में राविप्रा के बजट में की गई है। राविप्रा दक्षिण कोरिया स्थित सियोल के ग्वांगवामन स्केवेयर की तर्ज पर ईएसई कालोनी में प्रस्तावित छत्तीसगढ़ स्वाभिमान प्लाजा पर 480 करोड़ खर्च करने की योजना बना चुका है। इसके लिये 2013-2014 के बजट में प्रावधान किया गया है। इस मनोरंजन स्थल में प्रवेश पर आम लोगों से तगड़ा शुल्क लिया जाएगा। इस प्लाजा की कमाई से टाटीबंध से तेलीबांधा तथा शास्त्री चौक से स्टेशन चौक के बीच फ्लाईओवर बनाने की घोषणा है।
इस संबंध में राविप्रा की इस कागजी योजना पर एक किस्सा याद आ रहा है। एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसी को बताया कि वह एलसीडी लेना वाला है उसके पड़ोसी ने पूछा कि -कब एलसीडी लोगे तो उसने कहा कि जब हम अपना नया मकान बनाएंगे। पड़ोसी ने फिर पूछा कि नया मकान कब बनेगा। इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि जब तक पुराना मकान अपने आप नहीं गिर जाएगा। कुछ इसी तरह राविप्रा भी स्वाभिमान माल और फ्लाई ओवर की बात कर रहा है।
सड़क चौड़ीकरण?
नगर निगम ने आमापारा से जयस्तंभ चौक तक सड़क चौड़ीकरण की योजना बनाई थी उसमें तात्यापारा तक तो चौड़ीकरण हो चुका है बस फूल चौक से जयस्तंभ चौक के बीच सड़क चौड़ीकरण होना है, उसके लिये बजट भी स्वीकृत है फिर क्यों सड़क चौड़ीकरण नहीं किया गया यह किसी को पता नहीं है। भाई सुनील सोनी सत्ताधारी दल के एक प्रमुख सदस्य है, राविप्रा के अध्यक्ष है तथा नगर निगम में महापौर, सभापति की जिम्मेदारी सम्हाल चुके है। वे शहर के ह्रदयस्थल जयस्तंभ तक इस सड़क के कुछ मीटर ही चौड़ीकरण कराने पहल करें तो रोज जाम में फंसे लोगों की दुआएं हासिल कर सकते हैं।
राजनांदगांव दौरा करें
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को सपनों का सौदागार कहा जाता है. उन्होंने भी अपने कार्यकाल में रेलवे स्टेशन से शास्त्री चौक होकर कालीबाड़ी तक ओव्हर प्लाई बनाने की घोषणा की थी खैर आमानाका और फाफाडीह स्थित ओव्हर ब्रिज उनकी ही कल्पना के कारण अस्तित्व में आ चुका है।
राविप्रा ने टाटीबंध से तेलीबांधा तथा शास्त्री चौक से स्टेशन चौक तक फ्लाई ओव्हर बनाने की योजना बनाई है। भाई सुनील सोनी कभी राजनांदगांव नहीं गये हैं ऐसा लगता है। राष्ट्रीय राजमार्ग में राजनांदगांव शहर में फ्लाईओव्हर बनाने के बाद उस शहर की यातायात व्यवस्था की दुर्दशा हुई है वह किसी से छिपी नहीं है। मुख्यमंत्री के करीबी वरिष्ठ भाजपाई नेता लीलाराम भोजवानी से तो सुनील सोनी सलाह ले ही सकते है। खैर कुछ कांग्रेसी नेता कहते है कि आगामी विधानसभा चुनाव में शहर से सुनील सोनी भाजपा की टिकट चाहते हैं और यह दिवास्वप्न का उसी से गहरा संबंध है।
17 आईएएएस 10 प्रमोटी
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश की भाजपा सरकार ने अंतिम फेरबदल किया है। कुछ प्रमुख सचिवों सहित 7 जिलो कलेक्टरों को बदल दिया है वहीं 15 आईएएस अफसरों के प्रभार में भी फेरबदल कर दिया है। नए फेरबदल के बाद प्रदेश के 27 जिलों में 17 जिलों की कमान सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों को सौंपी गई है। इस तरह 10 जिलों में आईएएस पदोन्नत अफसरों के जिम्मे जिलों का प्रभार है। आईएएस और पदोन्नत आईएएस की नियुक्ति के लिये सरकार के मुखिया डा. रमन सिंह की क्या नीति है इसका खुलासा तो नहीं हो सका है पर कुछ आईएएस और पदोन्नत आईएएस अफसर जरूर जिलों का प्रभार नहीं मिलने से नाखुश है. कुछ तो जिला पंचायतों में सीईओ बनाने से नाराज है. वैसे सरकार की मंशा क्या है यह तो वही जाने पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सीधी भर्ती के आईएस सिद्धार्थ कोमल परदेशी की तैनाती है तो न्यायाधानी बिलासपुर में सीधी भर्ती के ठाकुर रामसिंह बतौर कलेक्टर पदस्थ है और दुर्ग-भिलाई में भी पदोन्नत ब्रजेश मिश्रा बतौर कलेक्टर कार्यरत है। तो अशोक अग्रवाल मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव में आरपीएस त्यागी जांजगीर जिले कार्यरत है. वैसे राजधानी में हाल ही में तबादले से प्रभावित एक सीधी भर्ती का आईएएस अफसर दुर्ग कलेक्टर बनने प्रयत्नशील है। इधर अन्य प्रमुख जिलों में पदोन्नत आईएएस कलेक्टर के रूप में कार्य कर रहे हैं। खैर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यदि सरकार ने बतौर कलेक्टर नई नियुक्ति की है या कलेक्टर पद पर यथावत रखा है तो कोई बात तो जरूर होगी।
शराब से पानी तक
हाल ही में राज्यशासन की तबादला सूची में गांधी जी के अनन्य भक्त , गांधीजी के बताए आदर्श पर चलने और चलाने पर यकीन करने वाले भाई गणेश शंकर मिश्रा को आबकारी और विक्रयकर प्रमुख से हटाकर सीधे पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) के प्रमुख के पद पर पदस्थापित कर केदार कश्यप के साथ संलग्न करने की कम से कम मंत्रालय सहित अफसरों में जमकर चर्चा है सत्ता के काफी करीबी रहनेवाले भाई गणेश शंकर मिश्रा इस सरकार में अफसरों की मनचाही पदस्थापना कराने में सक्षम माने जाते थे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से उनके मधुर संबंध भी किसी से छिपे नहीं थी पर (सम्मान) की भूख ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। महात्मा गांधी को आदर्श मानने वाले भाई गणेश शंकर ने सरकार सहित वेबरेज निगम के अध्यक्ष भाई देवजी पटेल को विश्वास में लिए बिना ही महात्मा गांधी को ब्रांड एम्बेसडर बनाकर विपक्ष के निशाने पर आ गए, वहीं सरकार की किरकिरी कराने भी कोई कोताही नहीं बरती। बताया जाता है कि उनके खिलाफ पार्टी के ही कुछ नेता सहित अफसर लगातार शिकायत भी करते रहे थे। खैर शराब विभाग के प्रमुख को नल बोरिंग विभाग का प्रमुख बना दिया गया है। वैसे भाई गणेश शंकर  को यह तो पता ही होगा कि सरकार के करीबी  रहे पूर्व मुख्य सचिव पी जाय उम्मेन और पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन को किस तरह सरकार ने एक झटके में ही समय पूर्व हटा दिया था आपकी तो अभी नौकरी में कुछ समय बचा भी है।
तारण और जनसंपर्क!
रायगढ़ जिले के मूल निवासी ओमप्रकाश चौधरी संचालक जनसंपर्क बन गये है इसके पहले से नगर निगम रायपुर में कमिश्नर रह चुके हैं। राजनांदगांव के कलेक्टर अशोक अग्रवाल इसके पहले संचालक जनसंपर्क रह चुके हैं। वे रायपुर नगर निगम में आयुक्त रह चुके है। मनोज श्रीवास्तव (अब म.प्र.) भी रायपुर निगम के कमिश्नर रहे है और बाद में म.प्र. सरकार में जनसंपर्क आयुक्त बने। इस हिसाब से तो वर्तमान आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा के सितारे भी बुलंद दिख रहे है। भविष्य में वे भी संचालक जनसंपर्क बन सकते है। वैसे भी जिस तरह पार्षद से लेकर आम जनता महापौर की जगह उनके  जनसंपर्क करने या समस्या बताने अधिक प्रयासरत है उससे उनके जनसंपर्क अधिकारी के रूप में अच्छी ट्रेनिंग हो रही है।
... और अब बस
द्य सेल (स्टील एथारिटी आफ इंडिया) के नाम से नकली सरिया बनाकर उसे बड़े प्रोजेक्ट को आपूर्ति करने वाले उद्योगपति अग्रवाल पिता पुत्र के पीछ आखिर किस राजनेता का पैसा लगा है। दोनों पिता-पुत्र अचानक कैसे अमीर हो गये?
द्य नई राजधानी के एक भव्य समारोह में भाजपा की महिला नेत्री को किस आईएएस अफसर ने सुश्री की जगह श्रीमती कहकर संबोधित किया?
द्य किस वरिष्ठ आईएएस अफसर को उसके ओहदे से नीचे के पद पर नई पदस्थापना की गई है।

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