जागते रहिए की आवाज लगाने वाला
लूटनेवालों को होशियार भी कर सकता है
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी भाजपा और प्रमुख विपक्षीदल कांग्रेस की अपनी अपनी रणनीति बन रही है। भाजपा के अपने सर्वे सहित आईबी के सर्वे में भाजपा की हालत पतली बताई जा रही है, इससे भाजपा के कर्णधार कुछ मायूस है तो कांग्रेसी काफी खुश है।
भाजपा के अपने सर्वे, वरिष्ठ नेताओं को मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान 50 फीसदी विधायकों में 27 की अगले चुनाव में वापसी फिलहाल नहीं दिखाई दे रही है यानि 50 से प्रतिशत अधिक विधायकों की वापसी खतरे में है। ऐसे में 27 वर्तमान विधायकों की टिकट कटने के संकेत मिल रहे है। वैसे 2008 के विस चुनाव में भी भाजपा में 18 विधायकों के टिकट काटे थे और उसका लाभ भी हुआ था दूसरी बार लगातार भाजपा सत्तासीन हुई थी सूत्र कहते हैं कि बस्तर प्रदेश के करीब 7 मंत्रियों की वापसी पर भी सर्वे रिपोर्ट से सवाल लग गये हैं। बस्तर सहित सरकार बनाने का प्रमुख द्वार है इस बार वहां बलीराम कश्यप के बिना ही चुनाव होना है। वैसे तो उनके पुत्र केदार कश्यप तथा एकमात्र महिला मंत्री सुश्री लता उसेडी, वनमंत्री विक्रम उसेण्डी मंत्रिमंडल के सदस्य है पर चर्चा है कि ये लोग अपनी अपनी सीट बचा लें यही काफी है। सरगुजा, रायपुर संभाग के भी 3-4 मंत्रियों की हालत ठीक नहीं है। इधर रायपुर ग्रामीण, बालौद, डौंडीलोहारा, गुंडरदेही, कांकेर, चित्रकूट, कोण्डागांव, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, तखतपुर, बेमेतरा, मस्तूरी, बेलतरा, भटगांव, प्रेम नगर आदि में वर्तमान विधायकों की हालत ठीक नहीं है यह सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है।
इधर कांग्रेस की हालत भी ठीक नहीं है पर भाजपा के प्रति आदिवासियों , सतनामियों, पिछड़ों, शिक्षाकर्मियों, सरकारी कर्मचारियों आदि के असंतोष का लाभ मिलने की संभावना से कांग्रेस उत्साहित है। वैसे आगामी चुनाव में टिकट वितरण में सागौन बंगला की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। वैसे नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे, नंदकुमार पटेल, डा. चरणदास महंत आदि भी अपने कुछ खास समर्थकों को टिकट दिला सकते है पर अजीत जोगी लगता है कि सभी पर भारी पडेंगे। राहुल गांधी ने 40 फीसदी चुनावों को टिकट देने की बात की है ऐसे में अजीत जोगी के पास तो युवक कांग्रेस, भाराछंस की भारी भरकम टीम है वहीं 15-20 विधायक तो जोगी खेमे में आज भी है यह माना जाता है। वैसे बस्तर, सरगुजा सहित दुर्ग जिले से कांग्रेस को काफी सीटें जीतने का भरोसा है।
विधायकों का वेतन 25 से 75 हजार!
छत्तीसगढ़ में महंगाई इतनी अधिक बढ़ गई है कि आम जनता, सरकारी अधिकारी, कर्मचारी तो बेहाल है वहीं विधायक भी कम परेशान नहीं है। हाल ही में बसपा के विधायक द्ध्जिराम बौद्ध ने विधायक को मिलनेवाले वेतन, भत्ते में परिवार चलाने में मुश्किल पडऩे की गुहार लगाते हुए गरीबी रेखा का राशनकार्ड मुहैय्या कराने की मांग खाद्यमंत्री से कर दी। उसका कहना था कि विधायक बनने के पहले वे कारपेंटर थे और उनका राशनकार्ड से 35 किलो चांवल आदि मिलता था पर विधायक बनने के बाद उनसे वह सुविधा वापस ले ली गई। अब बसपा विधायक दल का नेता होने के कारण उन्हें दौरा करना पड़ता है और वेतन तो डीजल में ही चला जाता है ऐसे में 6 बच्चों सहित पत्नी का गुजारा करना मुश्किल है। खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले का कहना है कि विधायक जी आयकर दाता है ऐसे में उन्हें गरीबी रेखा का राशनकार्ड नहीं दिया जा सकता है।
इधर प्रदेश के करीब 2 लाख शिक्षाकर्मी कम वेतन, वर्षों तक सेवा करने के नाम पर अपना वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर सप्रे शाला के मैदान में परिवार सहित आंदोलन पर रहे थे, भूखहड़ताल भी किया, बूढ़ा तालाब में घुसकर धरना भी दिया, कुछ युवाओं ने अर्धनग्न प्रदर्शन भी किया पर निलंबन, बर्खास्तगी का डर दिखाकर आंदोलन को जबरिया समाप्त करा दिया गया। प्रदेश के लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मी भी लम्बे समय तक आंदोलन पर रहे पर सरकार ने उनकी भी नहीं सुनी। महंगाई बढऩे पर वेतन भत्ता वृद्धि की मांग राज्य सरकार ने ठुकरा दी।
पर प्रदेश सरकार का लगता है कि अपने मंत्रियों, विधायकों की महंगाई से होने वाली दिक्कतों पर जरूर ध्यान गया। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 12 साल पूरे हो चुके हैं और 12 सालों के भीतर सरकार ने मंत्रियों, विधायकों के वेतन भत्ते आदि में 8 बार बढ़ोत्तरी की है। इस हिसाब से हर डेढ़ साल में जनप्रतिनिधियों के वेतन में वृद्धि हो रही है। जब मध्यप्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था उस समय विधायकों का वेतन 25 हजार रुपये मासिक था। भाजपा की सरकार बनने के बाद 9 सालों के भीतर विधायकों का वेतन करीब 75 हजार के आस पास हो गया है यानि छत्तीसगढ़ में 9 सालों में विधायकों के वेतन तीन गुना हो गया है। छत्तीसगढ़ राज्य बनते समय विधायकों को 50 हजार का प्रतिवर्ष यात्रा कूपन मिलता था वह यात्रा कूपन अब 3 लाख का हो गया है यानि यात्रा कूपन राशि में 6 गुना वृद्धि कर दी गई है। वैसे इतिहास बताता है कि जब भी अविभाजित म.प्र. या छत्तीसगढ़ में गैर कांग्रेसी सरकार बनती रही है तब तब विधायकों, मंत्रियों का वेतन में वृद्धि होती रही है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी के अनुसार अगले चुनाव में वापसी की उम्मीद नहीं होने के कारण ही गैर कांग्रेसी सरकार वेतन वृद्धि करती है। बहरहाल महंगाई के लिए केन्द्र सरकार पर राज्य सरकार आरोप मढ़ती है और केन्द्र सरकार महंगाई बढऩे राज्य सरकार को दोषी ठहराती है। ऐसे में विधायकों का वेतन तो राज्य सरकार बढ़ा रही है पर आमजनता को तो कोई राहत नहीं मिल रही है न तो खाना पकाने की गैस और न ही पेट्रोल, डीजल आदि पर राज्य सरकार कोई कर कम कर रही है।
रक्तचाप बढ़ रहा है आईएएस अफसरों का
छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र जल्दी समाप्त होगा या पहले ही सत्रावसान हो जाएगा इसको लेकर कांग्रेस-भाजपा के विधायक चिंतित नहीं है बल्कि प्रदेश के कई आईएएस अफसरों का रक्तचाप बढ़ गया है। काफी समय से यह संभावना प्रकट की जा रही है कि प्रदेश में जल्दी ही एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होनी है जिसमें 27 जिलों में कम से कम 15 जिलों के कलेक्टर बदले जा सकते हैं वही प्रमुख सचिव से सचिव स्तर पर भी कुछ लोग प्रभावित हो सकते हैं। आगामी विस चुनाव को देखते हुए इस सरकार की यह आखरी प्रशासनिक सर्जरी होगी। पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व सन 2008 में तत्कालीन मुख्य सचिव शिवराज सिंह ने कुछ अनुभवी आईएएस अफसरों को जिलों का कमान सौंपी थी और उसका लाभ भी सरकार को मिला था। भाजपा की सरकार दूसरी बार सत्ता में आ गई थी। इधर इस बार मुख्य सचिव के रूप में सुनील कुमार जैसे सख्त अफसर तैनात हैं। अन्य मुख्य सचिवों की तरह इनकी कोई कोटरी नहीं है। काम से काम रखने वाले सुनील कुमार के आसपास चापलूस अफसर फटकते भी नहीं हैं ऐसे में कुछ अच्छे छवि के आईएएस अफसरों को जिलों की कमान मिलने की उम्मीद है तो कुछ दागी अफसर पदस्थापना के लिए राजनेताओं की शरण में हैं। खैर नई पदस्थापना को लेकर कई आईएएस अफसरों के रक्तचाप बढ़ गये हैं। सूत्र कहते हैं कि होली के आसपास नई प्रशासनिक सर्जरी होना लगभग तय है।
एलेक्स पॉल फिर चर्चा में
सुकमा के जिलाधीश बतौर नक्सलियों द्वारा पहले अपहरण और बाद में रिहा किये गये आईएएस एलेक्स पॉल मेमन फिर चर्चा में है। हाल ही में रायपुर विकास प्राधिकरण में साज सज्जा, कीमती मोबाइल, लेपटाप आदि खरीदी को लेकर चर्चा में थे। वहीं हाल ही में धमतरी जिले में बतौर मुख्य कार्यपालन अधिकारी उन्होंने बारहवें वित्त आयोग से प्राप्त ब्याज की राशि से 4 लाख 97 हजार 667 रुपये से नई एम्बेसडर कार खरीदने और उसकी साज-सज्जा में करीब 91 हजार खर्च करने का मामला सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से सामने आया है। नियमानुसार यह राशि केवल पंचायत विकास के ही खर्च होना था। वैसे जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में भी आईएएस एलेक्स पॉल मेमन ने अनुमति लेना उचित नहीं समझा। वैसे यह मामला पूरी तरह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। हालांकि धमतरी के कलेक्टर नवल सिंह मंडावी जांच कराने की बात कह रहे हैं। पर एक आईएएस अफसर की जांच कैसे होती है यह किसी से छिपा नहीं है।
और अब बस
(1)
मनरेगा के तहत कागजों की जगह सही में तालाब खुदाई होती तो छग में तेल का भंडार मिल गया होता...दूसरी टिप्पणी...यदि वृक्षारोपण सही में होता तो हम अभी हम जंगलों के बीच बैठे होते।
(2)
महात्मा गांधी को ब्रांड एम्बेसडर बनाने वाले रेडियस वाटर मामले से जुड़े एक बड़े अफसर को अचानक हटाया गया...पहले पी. जॉय उम्मेन और विश्वरंजन को भी तो अचानक ही हटाया गया था...।
(3)
आईपीएल के लिये सुरक्षा के नाम पर पुलिस विभाग ने 5 करोड़ मांगा...पर बजट में तो केवल 50 लाख का ही प्रावधान रखा गया है।
(4)
गिरौधपुरी में कुतुबमीनार के समान जैतखाम के लोकार्पण को लेकर सतनामी समाज के गुरु विजयकुमार भाजपा सरकार से दूर हो रहे हैं तो कांग्रेस से तो बहुत ही दूर हो चुके हैं।
(5)
एक समारोह में विभागीय संचालक तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री के बगल में मंच में बैठे रहे तो विभागीय प्रमुख सचिव दर्शकदीर्घा में। यही नहीं दर्शकदीर्घा से बुलवाकर प्रमुख सचिव से अतिथियों का स्वागत करवाया गया और फिर उन्हें जाकर दर्शकदीर्घा में ही बैठना पड़ा। वहां भी दो कुर्सियों में तीन अधिकारियों को एडजेस्ट करना पड़ा।
वेतन एक नजर में
मुख्यमंत्री 93 हजार मासिक (करीब)
विस अध्यक्ष 91 हजार
उपाध्यक्ष 89 हजार
कबीना मंत्री 90 हजार
राज्यमंत्री 88 हजार
संसदीय सचिव 83 हजार
विधायक 75 हजार
लूटनेवालों को होशियार भी कर सकता है
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी भाजपा और प्रमुख विपक्षीदल कांग्रेस की अपनी अपनी रणनीति बन रही है। भाजपा के अपने सर्वे सहित आईबी के सर्वे में भाजपा की हालत पतली बताई जा रही है, इससे भाजपा के कर्णधार कुछ मायूस है तो कांग्रेसी काफी खुश है।
भाजपा के अपने सर्वे, वरिष्ठ नेताओं को मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान 50 फीसदी विधायकों में 27 की अगले चुनाव में वापसी फिलहाल नहीं दिखाई दे रही है यानि 50 से प्रतिशत अधिक विधायकों की वापसी खतरे में है। ऐसे में 27 वर्तमान विधायकों की टिकट कटने के संकेत मिल रहे है। वैसे 2008 के विस चुनाव में भी भाजपा में 18 विधायकों के टिकट काटे थे और उसका लाभ भी हुआ था दूसरी बार लगातार भाजपा सत्तासीन हुई थी सूत्र कहते हैं कि बस्तर प्रदेश के करीब 7 मंत्रियों की वापसी पर भी सर्वे रिपोर्ट से सवाल लग गये हैं। बस्तर सहित सरकार बनाने का प्रमुख द्वार है इस बार वहां बलीराम कश्यप के बिना ही चुनाव होना है। वैसे तो उनके पुत्र केदार कश्यप तथा एकमात्र महिला मंत्री सुश्री लता उसेडी, वनमंत्री विक्रम उसेण्डी मंत्रिमंडल के सदस्य है पर चर्चा है कि ये लोग अपनी अपनी सीट बचा लें यही काफी है। सरगुजा, रायपुर संभाग के भी 3-4 मंत्रियों की हालत ठीक नहीं है। इधर रायपुर ग्रामीण, बालौद, डौंडीलोहारा, गुंडरदेही, कांकेर, चित्रकूट, कोण्डागांव, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, तखतपुर, बेमेतरा, मस्तूरी, बेलतरा, भटगांव, प्रेम नगर आदि में वर्तमान विधायकों की हालत ठीक नहीं है यह सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है।
इधर कांग्रेस की हालत भी ठीक नहीं है पर भाजपा के प्रति आदिवासियों , सतनामियों, पिछड़ों, शिक्षाकर्मियों, सरकारी कर्मचारियों आदि के असंतोष का लाभ मिलने की संभावना से कांग्रेस उत्साहित है। वैसे आगामी चुनाव में टिकट वितरण में सागौन बंगला की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। वैसे नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे, नंदकुमार पटेल, डा. चरणदास महंत आदि भी अपने कुछ खास समर्थकों को टिकट दिला सकते है पर अजीत जोगी लगता है कि सभी पर भारी पडेंगे। राहुल गांधी ने 40 फीसदी चुनावों को टिकट देने की बात की है ऐसे में अजीत जोगी के पास तो युवक कांग्रेस, भाराछंस की भारी भरकम टीम है वहीं 15-20 विधायक तो जोगी खेमे में आज भी है यह माना जाता है। वैसे बस्तर, सरगुजा सहित दुर्ग जिले से कांग्रेस को काफी सीटें जीतने का भरोसा है।
विधायकों का वेतन 25 से 75 हजार!
छत्तीसगढ़ में महंगाई इतनी अधिक बढ़ गई है कि आम जनता, सरकारी अधिकारी, कर्मचारी तो बेहाल है वहीं विधायक भी कम परेशान नहीं है। हाल ही में बसपा के विधायक द्ध्जिराम बौद्ध ने विधायक को मिलनेवाले वेतन, भत्ते में परिवार चलाने में मुश्किल पडऩे की गुहार लगाते हुए गरीबी रेखा का राशनकार्ड मुहैय्या कराने की मांग खाद्यमंत्री से कर दी। उसका कहना था कि विधायक बनने के पहले वे कारपेंटर थे और उनका राशनकार्ड से 35 किलो चांवल आदि मिलता था पर विधायक बनने के बाद उनसे वह सुविधा वापस ले ली गई। अब बसपा विधायक दल का नेता होने के कारण उन्हें दौरा करना पड़ता है और वेतन तो डीजल में ही चला जाता है ऐसे में 6 बच्चों सहित पत्नी का गुजारा करना मुश्किल है। खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले का कहना है कि विधायक जी आयकर दाता है ऐसे में उन्हें गरीबी रेखा का राशनकार्ड नहीं दिया जा सकता है।
इधर प्रदेश के करीब 2 लाख शिक्षाकर्मी कम वेतन, वर्षों तक सेवा करने के नाम पर अपना वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर सप्रे शाला के मैदान में परिवार सहित आंदोलन पर रहे थे, भूखहड़ताल भी किया, बूढ़ा तालाब में घुसकर धरना भी दिया, कुछ युवाओं ने अर्धनग्न प्रदर्शन भी किया पर निलंबन, बर्खास्तगी का डर दिखाकर आंदोलन को जबरिया समाप्त करा दिया गया। प्रदेश के लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मी भी लम्बे समय तक आंदोलन पर रहे पर सरकार ने उनकी भी नहीं सुनी। महंगाई बढऩे पर वेतन भत्ता वृद्धि की मांग राज्य सरकार ने ठुकरा दी।
पर प्रदेश सरकार का लगता है कि अपने मंत्रियों, विधायकों की महंगाई से होने वाली दिक्कतों पर जरूर ध्यान गया। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 12 साल पूरे हो चुके हैं और 12 सालों के भीतर सरकार ने मंत्रियों, विधायकों के वेतन भत्ते आदि में 8 बार बढ़ोत्तरी की है। इस हिसाब से हर डेढ़ साल में जनप्रतिनिधियों के वेतन में वृद्धि हो रही है। जब मध्यप्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था उस समय विधायकों का वेतन 25 हजार रुपये मासिक था। भाजपा की सरकार बनने के बाद 9 सालों के भीतर विधायकों का वेतन करीब 75 हजार के आस पास हो गया है यानि छत्तीसगढ़ में 9 सालों में विधायकों के वेतन तीन गुना हो गया है। छत्तीसगढ़ राज्य बनते समय विधायकों को 50 हजार का प्रतिवर्ष यात्रा कूपन मिलता था वह यात्रा कूपन अब 3 लाख का हो गया है यानि यात्रा कूपन राशि में 6 गुना वृद्धि कर दी गई है। वैसे इतिहास बताता है कि जब भी अविभाजित म.प्र. या छत्तीसगढ़ में गैर कांग्रेसी सरकार बनती रही है तब तब विधायकों, मंत्रियों का वेतन में वृद्धि होती रही है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी के अनुसार अगले चुनाव में वापसी की उम्मीद नहीं होने के कारण ही गैर कांग्रेसी सरकार वेतन वृद्धि करती है। बहरहाल महंगाई के लिए केन्द्र सरकार पर राज्य सरकार आरोप मढ़ती है और केन्द्र सरकार महंगाई बढऩे राज्य सरकार को दोषी ठहराती है। ऐसे में विधायकों का वेतन तो राज्य सरकार बढ़ा रही है पर आमजनता को तो कोई राहत नहीं मिल रही है न तो खाना पकाने की गैस और न ही पेट्रोल, डीजल आदि पर राज्य सरकार कोई कर कम कर रही है।
रक्तचाप बढ़ रहा है आईएएस अफसरों का
छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र जल्दी समाप्त होगा या पहले ही सत्रावसान हो जाएगा इसको लेकर कांग्रेस-भाजपा के विधायक चिंतित नहीं है बल्कि प्रदेश के कई आईएएस अफसरों का रक्तचाप बढ़ गया है। काफी समय से यह संभावना प्रकट की जा रही है कि प्रदेश में जल्दी ही एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होनी है जिसमें 27 जिलों में कम से कम 15 जिलों के कलेक्टर बदले जा सकते हैं वही प्रमुख सचिव से सचिव स्तर पर भी कुछ लोग प्रभावित हो सकते हैं। आगामी विस चुनाव को देखते हुए इस सरकार की यह आखरी प्रशासनिक सर्जरी होगी। पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व सन 2008 में तत्कालीन मुख्य सचिव शिवराज सिंह ने कुछ अनुभवी आईएएस अफसरों को जिलों का कमान सौंपी थी और उसका लाभ भी सरकार को मिला था। भाजपा की सरकार दूसरी बार सत्ता में आ गई थी। इधर इस बार मुख्य सचिव के रूप में सुनील कुमार जैसे सख्त अफसर तैनात हैं। अन्य मुख्य सचिवों की तरह इनकी कोई कोटरी नहीं है। काम से काम रखने वाले सुनील कुमार के आसपास चापलूस अफसर फटकते भी नहीं हैं ऐसे में कुछ अच्छे छवि के आईएएस अफसरों को जिलों की कमान मिलने की उम्मीद है तो कुछ दागी अफसर पदस्थापना के लिए राजनेताओं की शरण में हैं। खैर नई पदस्थापना को लेकर कई आईएएस अफसरों के रक्तचाप बढ़ गये हैं। सूत्र कहते हैं कि होली के आसपास नई प्रशासनिक सर्जरी होना लगभग तय है।
एलेक्स पॉल फिर चर्चा में
सुकमा के जिलाधीश बतौर नक्सलियों द्वारा पहले अपहरण और बाद में रिहा किये गये आईएएस एलेक्स पॉल मेमन फिर चर्चा में है। हाल ही में रायपुर विकास प्राधिकरण में साज सज्जा, कीमती मोबाइल, लेपटाप आदि खरीदी को लेकर चर्चा में थे। वहीं हाल ही में धमतरी जिले में बतौर मुख्य कार्यपालन अधिकारी उन्होंने बारहवें वित्त आयोग से प्राप्त ब्याज की राशि से 4 लाख 97 हजार 667 रुपये से नई एम्बेसडर कार खरीदने और उसकी साज-सज्जा में करीब 91 हजार खर्च करने का मामला सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से सामने आया है। नियमानुसार यह राशि केवल पंचायत विकास के ही खर्च होना था। वैसे जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में भी आईएएस एलेक्स पॉल मेमन ने अनुमति लेना उचित नहीं समझा। वैसे यह मामला पूरी तरह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। हालांकि धमतरी के कलेक्टर नवल सिंह मंडावी जांच कराने की बात कह रहे हैं। पर एक आईएएस अफसर की जांच कैसे होती है यह किसी से छिपा नहीं है।
और अब बस
(1)
मनरेगा के तहत कागजों की जगह सही में तालाब खुदाई होती तो छग में तेल का भंडार मिल गया होता...दूसरी टिप्पणी...यदि वृक्षारोपण सही में होता तो हम अभी हम जंगलों के बीच बैठे होते।
(2)
महात्मा गांधी को ब्रांड एम्बेसडर बनाने वाले रेडियस वाटर मामले से जुड़े एक बड़े अफसर को अचानक हटाया गया...पहले पी. जॉय उम्मेन और विश्वरंजन को भी तो अचानक ही हटाया गया था...।
(3)
आईपीएल के लिये सुरक्षा के नाम पर पुलिस विभाग ने 5 करोड़ मांगा...पर बजट में तो केवल 50 लाख का ही प्रावधान रखा गया है।
(4)
गिरौधपुरी में कुतुबमीनार के समान जैतखाम के लोकार्पण को लेकर सतनामी समाज के गुरु विजयकुमार भाजपा सरकार से दूर हो रहे हैं तो कांग्रेस से तो बहुत ही दूर हो चुके हैं।
(5)
एक समारोह में विभागीय संचालक तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री के बगल में मंच में बैठे रहे तो विभागीय प्रमुख सचिव दर्शकदीर्घा में। यही नहीं दर्शकदीर्घा से बुलवाकर प्रमुख सचिव से अतिथियों का स्वागत करवाया गया और फिर उन्हें जाकर दर्शकदीर्घा में ही बैठना पड़ा। वहां भी दो कुर्सियों में तीन अधिकारियों को एडजेस्ट करना पड़ा।
वेतन एक नजर में
मुख्यमंत्री 93 हजार मासिक (करीब)
विस अध्यक्ष 91 हजार
उपाध्यक्ष 89 हजार
कबीना मंत्री 90 हजार
राज्यमंत्री 88 हजार
संसदीय सचिव 83 हजार
विधायक 75 हजार
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