खुद ही लहूलुहान है घर की हकीकतें
मत फेंकिये फरेब के पत्थर नये-नये
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने की घोषणा साधू-संत सम्मेलन में इलाहाबाद महाकुंभ में हो सकती है। 6 फरवरी को नवनियुक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह महाकुंभ में स्नान करने पहुंचेगे और 7 फरवरी को विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित संत समागम में नरेन्द्र मोदी के नाम पर भावी प्रधानमंत्री के रूप में एक तरह की मुहर लग जाएगी। दरअसल भाजपा और उसके अनुगामी संगठन हिन्दू कार्ड फिर खेलने में जुट गये है। वैसे भी भाजपा के पास अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी के बाद कोई बड़ा लोकप्रिय या भीड़ जुटाऊ नेता बचा नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में लम्बी पारी खेलकर अपनी हिन्दू समर्थक की छवि बनाई है। राजनाथ सिंह के उत्तरप्रदेश में हाल के विधानसभा चुनाव में मात्र 10 विधायक ही भाजपा के बने है। नेता प्रतिपक्ष लोकसभा सुषमा स्वराज को अपने गृह प्रदेश के स्थान पर म.प्र. से जीतकर लोकसभा पहुंची हैं। अरूण जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता है पर उनका भी आम जनता के बीच वह छवि नहीं बन पाई है, बाकि बचे वैकैया नायडू, मुरली मनोहर जोशई आदि को भाजपा का युवा नेतृत्व बुजुर्ग नेता मानता है। म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को अभी राज्य की राजनीति से दिल्ली ले जाने भाजपा अलाकमान तैयार नहीं है। ऐसे में नरेन्द्र मोदी का वजन पार्टी में जरूर बढ़ रहा है। भोपाल में पत्रकारवार्ता में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि जब मैं पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बना था तब मैने भाजपा संसदीय दल की बैठक में लालकृष्ण आडवाणी को भावी प्रधानमंत्री घोषित किया था। अब यदि नरेन्द्र मोदी को भावी प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है तो गलत क्या है। बहरहाल भाजपा के सहयोगी दल क्या करेंगे इसका पता तो भावी प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद ही चल सकेगा।
तो बृजमोहन भारी पड़ेंगे
इलाहबाद महाकुंभ में संत समागम में साधू-संत नरेन्द्र मोदी को भाजपा का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर सकते हैं। जब कांग्रेस ने इस पर अपनी टिप्पणी की तो भाजपा के प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार साधू-संत तय नहीं करेंगे तो क्या हाफिज सईद (आंतकवादी) तय करेगा। साधू-संत भी भारतीय समाज का हिस्सा है। इसका मतलब है कि भाजपा में संसद के लिये चुने जाने वालों की राय नहीं ली जाएगी। खैर भाजपा साधू-संतों का बड़ा सम्मान करती है, साधू-संतों के वचनों को नियम-कानून मानती है तो भारत के कुछ राज्यों में जहां भाजपा की सरकार है वहां भी अभी से मुख्यमंत्री पर के लिये साधू-संत की राय क्यों नहीं लेती है। छत्तीसगढ़ में हर साल राजिम में कुंभ मेले का आयोजन होता है। बड़े-बड़े तथा पहुंचे हुए साधू-संतों आते हैं. नागा साधू आते है। राजिम में त्रिवेणी संगम के तट पर रहते है यदि यहां भी संत समागम कराकर भावी मुख्यमंत्री के लिये राय ली जाए तो निश्चित ही बृजमोहन अग्रवाल का पलड़ा भारी साबित होगा। कुछ वर्षों से राजिम कुंभ का सफल आयोजन संस्कृति मंत्री के रूप में बृजमोहन अग्रवाल कर रहे हैं। हठी साधु संतो को सम्हालना बस उन्हीं के बस की बात है फिर हर साल कुंभ के अंत में आये सभी साधू-संत बृजमोहन अग्रवाल को महामंडलेश्वर भी चुनते हैं इसका मतलब है यदि राजिम कुंभ में साधू संतो की राय ली जाए तो बृजमोहन अग्रवाल को मुख्यमंत्री बनने से को नहीं रोक सकता।
इधर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में अभी भी भाजपा की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री है यदि म.प्र. के विषय में भी राय ली जाए तो सुश्री उमा भारती को साधू-संत भावी मुख्यमंत्री के लिये नामजद कर सकते हैं। पर भाजपा में केन्द्र के लिये अलग मापदंड है और राज्यों के लिये अलग...।
14 आईएएस अफसर बोझ!
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार, काम के प्रति लापरवाही और राज्य सरकार पर एक तरह से बोझ बने 14 आईएएस अफसरों पर तलवार लटक रही है। सूत्र कहते हैं कि मुख्य सचिव के बाद एक अफसर, एक प्रमुख सचिव, एक सचिव सहित 14 आईएएस अफसर को काम न काज के, नौ मन अनाज के साबित कर दिया गया है। केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय के आदेश पर गत दिनों छग सरकार के मुख्य सचिव सुनील कुमार, प्रशासन अकादमी के महानिदेशक नारायण सिंह की मौजदूगी में कई आईएएस अफसरों के अभी तक की नौकरी और कार्यों की समीक्षा की गई। सूत्र बताते है कि कुछ अफसर तो काम के प्रति अरूचि दिखा रहे हैं, कुछ लोग कभी कभी काम पर आते है। कुछ अफसरों का पुराना रिकार्ड अच्छा नहीं है, कुछ पर भष्ट आचरण का आरोप है तो कुछ अफसर दी जाने वाली जिम्मेदारी को पूरा करने में रूचि नहीं ले रहे हैं। ज्ञात रहे कि ऐसे 14 आईएएस अफसरों को सूचीबद्ध किया गया है। कार्मिक मंत्रालय का कोई अफसर समीक्षा बैठक में नहीं आने के कारण अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। हालांकि इस कमेटी के एक सदस्य के पुराने रिकार्ड पर भी कुछ आईएएस अफसर अब उंगली उठा रहे हैं, जिसकी पदोन्नति केन्द्र सरकार और न्यायालय के आदेश पर निर्धारित समय के लिये रोकी गई थी वे आईएएस के रिकार्ड की समीक्षा कैसे कर सकते हैं।
... और अब बस
0 एक बड़े राजनेता की पत्नी को आंटी कहने पर डांट खानेवाले एक आईएएस अफसर राजधानी में ही जमे रहने प्रयत्नशील है हालांकि उनका राजधानी बदर लगभग तय हैं।
0 सेवानिवृत्त महिला आईपीएस किरणबेदी ने एक बार अवैध पार्किग में खड़ी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार को उठवा लिया था। इंदिरा जी ने उनकी तारीफ भी की थी पर राजधानी के एक पार्षद मनोज कंदोई ने मोतीलाल वोरा के घर के सामने का पाटा सार्जजनिक नाली निर्माण के लिये तोड़वा दिया और उन पर कांग्रेस से निष्कासन की तलवार लटक रही है।
0 छत्तीसगढ़ में आदिम जाति कल्याण विभाग के 8801 स्कूलों में शौचालय नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अक्टूबर 12 को गाईड लाईन जारी कर 6 माह से सभी स्कूलों में शौचालय बनाकर सूचित करने कहा है देखें क्या होता है।
मत फेंकिये फरेब के पत्थर नये-नये
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने की घोषणा साधू-संत सम्मेलन में इलाहाबाद महाकुंभ में हो सकती है। 6 फरवरी को नवनियुक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह महाकुंभ में स्नान करने पहुंचेगे और 7 फरवरी को विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित संत समागम में नरेन्द्र मोदी के नाम पर भावी प्रधानमंत्री के रूप में एक तरह की मुहर लग जाएगी। दरअसल भाजपा और उसके अनुगामी संगठन हिन्दू कार्ड फिर खेलने में जुट गये है। वैसे भी भाजपा के पास अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी के बाद कोई बड़ा लोकप्रिय या भीड़ जुटाऊ नेता बचा नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में लम्बी पारी खेलकर अपनी हिन्दू समर्थक की छवि बनाई है। राजनाथ सिंह के उत्तरप्रदेश में हाल के विधानसभा चुनाव में मात्र 10 विधायक ही भाजपा के बने है। नेता प्रतिपक्ष लोकसभा सुषमा स्वराज को अपने गृह प्रदेश के स्थान पर म.प्र. से जीतकर लोकसभा पहुंची हैं। अरूण जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता है पर उनका भी आम जनता के बीच वह छवि नहीं बन पाई है, बाकि बचे वैकैया नायडू, मुरली मनोहर जोशई आदि को भाजपा का युवा नेतृत्व बुजुर्ग नेता मानता है। म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को अभी राज्य की राजनीति से दिल्ली ले जाने भाजपा अलाकमान तैयार नहीं है। ऐसे में नरेन्द्र मोदी का वजन पार्टी में जरूर बढ़ रहा है। भोपाल में पत्रकारवार्ता में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि जब मैं पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बना था तब मैने भाजपा संसदीय दल की बैठक में लालकृष्ण आडवाणी को भावी प्रधानमंत्री घोषित किया था। अब यदि नरेन्द्र मोदी को भावी प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है तो गलत क्या है। बहरहाल भाजपा के सहयोगी दल क्या करेंगे इसका पता तो भावी प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद ही चल सकेगा।
तो बृजमोहन भारी पड़ेंगे
इलाहबाद महाकुंभ में संत समागम में साधू-संत नरेन्द्र मोदी को भाजपा का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर सकते हैं। जब कांग्रेस ने इस पर अपनी टिप्पणी की तो भाजपा के प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार साधू-संत तय नहीं करेंगे तो क्या हाफिज सईद (आंतकवादी) तय करेगा। साधू-संत भी भारतीय समाज का हिस्सा है। इसका मतलब है कि भाजपा में संसद के लिये चुने जाने वालों की राय नहीं ली जाएगी। खैर भाजपा साधू-संतों का बड़ा सम्मान करती है, साधू-संतों के वचनों को नियम-कानून मानती है तो भारत के कुछ राज्यों में जहां भाजपा की सरकार है वहां भी अभी से मुख्यमंत्री पर के लिये साधू-संत की राय क्यों नहीं लेती है। छत्तीसगढ़ में हर साल राजिम में कुंभ मेले का आयोजन होता है। बड़े-बड़े तथा पहुंचे हुए साधू-संतों आते हैं. नागा साधू आते है। राजिम में त्रिवेणी संगम के तट पर रहते है यदि यहां भी संत समागम कराकर भावी मुख्यमंत्री के लिये राय ली जाए तो निश्चित ही बृजमोहन अग्रवाल का पलड़ा भारी साबित होगा। कुछ वर्षों से राजिम कुंभ का सफल आयोजन संस्कृति मंत्री के रूप में बृजमोहन अग्रवाल कर रहे हैं। हठी साधु संतो को सम्हालना बस उन्हीं के बस की बात है फिर हर साल कुंभ के अंत में आये सभी साधू-संत बृजमोहन अग्रवाल को महामंडलेश्वर भी चुनते हैं इसका मतलब है यदि राजिम कुंभ में साधू संतो की राय ली जाए तो बृजमोहन अग्रवाल को मुख्यमंत्री बनने से को नहीं रोक सकता।
इधर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में अभी भी भाजपा की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री है यदि म.प्र. के विषय में भी राय ली जाए तो सुश्री उमा भारती को साधू-संत भावी मुख्यमंत्री के लिये नामजद कर सकते हैं। पर भाजपा में केन्द्र के लिये अलग मापदंड है और राज्यों के लिये अलग...।
14 आईएएस अफसर बोझ!
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार, काम के प्रति लापरवाही और राज्य सरकार पर एक तरह से बोझ बने 14 आईएएस अफसरों पर तलवार लटक रही है। सूत्र कहते हैं कि मुख्य सचिव के बाद एक अफसर, एक प्रमुख सचिव, एक सचिव सहित 14 आईएएस अफसर को काम न काज के, नौ मन अनाज के साबित कर दिया गया है। केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय के आदेश पर गत दिनों छग सरकार के मुख्य सचिव सुनील कुमार, प्रशासन अकादमी के महानिदेशक नारायण सिंह की मौजदूगी में कई आईएएस अफसरों के अभी तक की नौकरी और कार्यों की समीक्षा की गई। सूत्र बताते है कि कुछ अफसर तो काम के प्रति अरूचि दिखा रहे हैं, कुछ लोग कभी कभी काम पर आते है। कुछ अफसरों का पुराना रिकार्ड अच्छा नहीं है, कुछ पर भष्ट आचरण का आरोप है तो कुछ अफसर दी जाने वाली जिम्मेदारी को पूरा करने में रूचि नहीं ले रहे हैं। ज्ञात रहे कि ऐसे 14 आईएएस अफसरों को सूचीबद्ध किया गया है। कार्मिक मंत्रालय का कोई अफसर समीक्षा बैठक में नहीं आने के कारण अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। हालांकि इस कमेटी के एक सदस्य के पुराने रिकार्ड पर भी कुछ आईएएस अफसर अब उंगली उठा रहे हैं, जिसकी पदोन्नति केन्द्र सरकार और न्यायालय के आदेश पर निर्धारित समय के लिये रोकी गई थी वे आईएएस के रिकार्ड की समीक्षा कैसे कर सकते हैं।
... और अब बस
0 एक बड़े राजनेता की पत्नी को आंटी कहने पर डांट खानेवाले एक आईएएस अफसर राजधानी में ही जमे रहने प्रयत्नशील है हालांकि उनका राजधानी बदर लगभग तय हैं।
0 सेवानिवृत्त महिला आईपीएस किरणबेदी ने एक बार अवैध पार्किग में खड़ी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार को उठवा लिया था। इंदिरा जी ने उनकी तारीफ भी की थी पर राजधानी के एक पार्षद मनोज कंदोई ने मोतीलाल वोरा के घर के सामने का पाटा सार्जजनिक नाली निर्माण के लिये तोड़वा दिया और उन पर कांग्रेस से निष्कासन की तलवार लटक रही है।
0 छत्तीसगढ़ में आदिम जाति कल्याण विभाग के 8801 स्कूलों में शौचालय नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अक्टूबर 12 को गाईड लाईन जारी कर 6 माह से सभी स्कूलों में शौचालय बनाकर सूचित करने कहा है देखें क्या होता है।
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