तू मुसीबत में अकेला है तो हैरत कैसी
हर कोई डूबती कश्ती से उतर जाता है
जिंदगी जंग है और जंग लडऩे के लिये
जिनको जीना नहीं आता है मर जाता है
छत्तीसगढ़ में कभी कमिश्नर रहे शेखर दत्त आज राज्यपाल है, कभी रायपुर में ही बतौर कलेक्टर पदस्थ रहे अजीत जोगी को पृथक छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला, रायपुर में ही कभी कलेक्टर रहे सुनील कुमार वर्तमान में प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया या मुख्य सचिव है। कभी एडीशनल कलेक्टर तथा निगम प्रशासन रहे शिवराज सिंह मुख्य सचिव होकर सेवा निवृत्ति के पश्चात आजकल मुख्यमंत्री के सलाहकार बने हुए है। कभी यहां पुलिस कप्तान और पुलिस महानिरीक्षक रहे संतकुमार पासवान और पुलिस महानिरीक्षक रहे रामनिवास अब डीजीपी बनने की राह में है। आयुर्वेदिक कालेज छात्रावास में रहकर पढ़ाने करने वाले डा. रमन सिंह लगातार दो कार्यकाल से मुख्यमंत्री है तथा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में रिकार्ड बना रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजधानी रायपुुर में अविभाजित मप्र के समय वरिष्ठ आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाया जाता था। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी रायपुर में 14 नवम्बर 78 से 26 जून 81 तक कलेक्टर रह चुके है और इसके बाद उन्हें इंदौर का कलेक्टर बनाया गया था। बाद में वे राजनीति में उतर गये, राज्यसभा , लोकसभा होकर छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने, छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्य सचिव सुनील कुमार भी अविभाजित मप्र के समय रायपुर के कलेक्टर रहे। उन्होंने 6 फरवरी 87 से 20 मार्च 88 तक रायपुर की कलेक्टरी की थी। आज वे राज्य के सबसे बड़े नौकरशाह के पद पर पदस्थ है। मुख्य सचिव का पद भार सम्हाल रहे है।
छत्तीसगढ़ में आजकल राजनांदगांव-कवर्धा को विशेष रियायत दी जा रही है। पिछले कुछ वर्षों से या यों कहें कि जब से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी है तो कवर्धा , राजनांदगांव क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्म भूमि बनाने वाले डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री बने हैं तभी से रायपुर के कलेक्टर बनने का रास्ता व्हाया कवर्धा, राजनांदगांव होकर पूरा होता है। राजनांदगांव के कलेक्टर रहे गणेश शंकर मिश्रा 19 दिसंबर 03 से 14 जून 06 तक राजनांदगांव में कलेक्टर रहे फिर बस्तर कलेक्टर, कमिश्नर होकर आजकल वाणिज्यकर आयुक्त के महत्वपूर्ण पद पर काबिज है। कवर्धा में आई ए एस संजय गर्ग 5 जुलाई 07 से 23 मई 09 तक कलेक्टर रहे और 30 जून 09 से 9 नवम्बर तक राजधानी के कलेक्टर बनाये गये थे। इसके पहले कवर्धा कलेक्टर सोनमणी बोरा 14 जून 06 से 23 अप्रेल 08 पदस्थ रहे और उसे के बाद उन्हें सीधा रायपुर का कलेक्टर बनाया गया था। सोनमणी बोरा 23 अप्रैल 08 से 25 अक्टूबर 10 तक राजधानी के कलेक्टर बिलासपुर रहे, हाल फिलहाल छग गृह निर्माण समिति के आयुक्त सहित जन संपर्क संचालनालय के मुखिया है। राजनांदगांव में ही 6 जनवरी 2009 से 9 फरवरी 10 तक कलेक्टर रहे डा. रोहित यादव बाद में 13 सितंबर से 27 जुलाई 12 तक राजधानी के कलेक्टर बनाये गये थे. हाल फिलहाल कोमल सिद्धार्थ परदेशी भी व्हाया राजनांदगांव ही रायपुर आये है। कोमल परदेशी 23 अप्रैल 08 से 15 फरवरी 10 तक कवर्धा में कलेक्टर रहे उसके बाद उन्हें राजनांदगांव का कलेक्टर बनाया गया। राजनांदगांव में 16 फरवरी 10 से 27 जुलाई 12 तक कलेक्टर रहने वाले कोमल की पदस्थापना कलेक्टर रायपुर के पद पर की गई है। 28 सितंबर 12 को उन्होंने राजधानी रायपुर में कलेक्टरी सम्हाली है।
वैसे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दो-दो बार कलेक्टर बनने का भी रिकार्ड विकासशील और अमिताभ जैन के नाम है। अमिताभ जैन 18 दिसंबर 2000 से 4 अप्रैल 2003 तक रायपुर में कलेक्टर रहे तो 29 मार्च 04 से 17 मई 2005 तक दूसरी बार कलेक्टर बनने का रिकार्ड बनाया है। वही विकाशील का भी रिकार्ड बना हुआ है। विकाशील 30 अप्रैल 2007 से 23 अप्रैल 2003 तक राजधानी के कलेक्टर रहे फिर 25 अक्टूबर 08 से 22 दिसम्बर 08 तक भी उन्होंने राजधानी में कलेक्टर का कार्यभार सम्हाला है। जाहिर है कि प्रदेश के मुखिया के करीबी होने तथा उनके क्षेत्र की कलेक्टरी करने का लाभ तो मिलता ही है।
अगला डीजीपी कौन!
छत्तीसगढ़ के पुलिस मुखिया अनिल एम नवानी का कार्यकाल 30 नवम्बर को समाप्त होना है। 30 नवम्बर को वे कार्यमुक्त हो जाएंगे और उससे पहले ही अगले पुलिस महानिदेशक का नाम तय हो जाएगा। हालांकि वरिष्ठता क्रम में उनके बैच मेट संतकुमार पासवान का नंबर है और उसके बाद 82 बैच के आईपीएस रामनिवास यादव का नंबर आता है इन्हीं दोनों में किसी एक को नया पुलिस महानिदेशक बनाया जाएगा यह तय माना जा रहा है। कुछ ही माह समय सेवा निवृत्ति होने के लिये बचा होने के कारण तथा सरकार के करीबी होने के कारण रामनिवास का पलड़ा कुछ भारी दिख रहा है। सूत्र तो कहते है कि वर्तमान डीजीपी अनिल नवानी का सुझाव भी रामनिवास की तरफ अधिक है।
खैर अगला डीजीपी किसे बनाया जाएगा यह अभी तय नहीं है पर पिछले आम चुनावों में जब तत्कालीन डीजीपी विश्वरंजन को चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाया गया था तब संतुकमार पासवान कार्यवाह क डीजीपी भी रह चुके हैं। वैसे छग में पूर्व डीजीपी श्री मोहन शुक्ला और अशोक दरबारी को छग लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया जा चुका है। आरएलएस यादव को सरकार ने सलाहकार बनाया था। विश्वंरजन तो डा. रमन सिंह के अनुरोध पर केन्द्र से छग लौटे थे पर बाद बाद में सरकार के उनसे संबंध ठीक नहीं रहे और उन्हें महत्वपूर्ण डीजीपी पद से हटाकर डीजी होमगार्ड बना दिया और सेवा निवृत्ति के पश्चात वे रायपुर में ही स्थायी निवास बना चुके हैं पर सरकार ने उन्हें उपकृत नहीं किया है। डीजीपी अनिल नवानी को सरकार सेवानिवृत्ति के पश्चात कोई पद देकर उपकृत करेगी ऐसा लगता तो नहीं है।
खैर पासवान डीजीपी बनते है तो अप्रैल 13 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उनके बाद रामनिवास विधानसभा चुनाव कराकर सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उनके बाद डीजीपी बनने की लाईन में 4 एडीजी का दावा बनता है। वैसे वरिष्ठता क्रम में 82 बैच के ही गिरधारी नायक प्रबल दावेदार है उसके बाद 84 बैच के मो. वजीर अंसारी, 85 बैच के ए एन उपाध्याय और 86 बैच के डीएम अवस्थी का नंबर वरिष्ठता क्रम में आता है। विधानसभा चुनाव के बाद सरकार किस पार्टी की बनती है और उस समय हालात क्या होते है अगला डीजीपी कौन होगा यह इसी बात पर निर्भर करेगा वैसे अगली सरकार के पास किसी बाहरी अफसर को भी डीजीपी बनाने का विकल्प खुला रहेगा। खैर अभी तो 30 नवम्बर के बाद अनिल नवानी के बाद अगला डीजीपी कौन होगा इसी बात को लेकर पुलिस मुख्यालय में कवायद तेज है। कुछ अफसर वरिष्ठता के आधार पर संतकुमार पासवान के पक्षधर है तो कुछ रामनिवास का पलड़ा भारी होने का कयास लगा रहे हैं। वैसे छत्तीसगढ़ में वरिष्ठता के स्थान पर सरकार अपनी पसंद-नापसंद पर ही यह निर्णय लेती है। जिस तरह विश्वरंजन को हटाकर अनिल नवानी को डीजीपी बनाया गया था वह भी उस समय अप्रत्याशित कदम था। जबकि उस समय विश्वरंजन हटेंगे यह कल्पना किसी ने नहीं की थी।
राज्योत्सव और डीडी नगर
राजधानी रायपुर में राज्योत्सव साइंस कालेज के बगल में स्थित रविशंकर विश्वविद्यालय स्टेडियम में होता था तो उसका फायदा किसको होता था यह तो सरकार ही जानती है पर कम से कम डीडी नगर के रहवासियों के लिये जरूर त्यौहार होता था। आयुर्वेदिक कालेज से डीडीनगर जाने वाली सड़क की हर साल मरम्मत होती थी। चिनकी सड़क बनती थी क्योंकि व्ही व्ही आई पी इसी सड़क से राज्योत्सव में आते जाते थे। यह नही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सर संघचालक स्व. सुदर्शनजी भी अपनी बहन से मिलने रोहणीपुरम जाने इसी मार्ग से आते थे इसलिये कभी कभार यह सड़क की मरम्मत हो जाया करती थी पर इस बार तो राज्योत्सव नई राजधानी में हो रहा है वही हाल ही में सुदर्शन जी का भी निधन हो गया है। ऐसे में आयुर्वेदिक कालेज से डीडी नगर, रोहणीपुरम जाने वाली यह मुख्य सड़क की मरम्मत नहीं हो रही है और इस क्षेत्र के निवासी तो जरूर यह महसूस भी कर रहे है। हालांकि साइंस कालेज हास्टल के बगल से एक चौड़ी सड़क निर्माणाधीन है जो बाद में पूरी होगी। खैर अभी भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा एक स्कूल क्षेत्र में स्थापित है और संघ के आयोजन भी होते हैं। उम्मीद अभी भी जागी हुई है कि कभी तो इस सड़क का पुनर्रूद्धार होगा ही?
नामकरण पर सलाह
छत्तीसगढ़ मंत्रालय के नये रायपुर में बने भवन में डीके एस मंत्रालय से शासकीय विभागों की शिफ्टिंग का काम तेजी से चल रहा है। 25 अक्टूबर तक शिफ्टिंग पूरी होने की समय सीमा तय की गई है एक नवम्बर से 6 नवम्बर तक नई राजधानी में ही इस साल का राज्योत्सव होगा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 6 नवम्बर को इसका उद्घाटन भी करने जा रहे है पर अभी तक नई राजधानी और मंत्रालय भवन का नामकरण नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जब डी.के. अस्पताल में मंत्रालय का कामकाज शुरू हुआ था तो उसे डीकेएस मंत्रालय भवन का नाम दे दिया गया था। छत्तीसगढ़ में वर्तमान विधानसभा भवन का नामकरण भी 11 सालों में नहीं हो सका अलबत्ता सभागृह का जरूर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम जाना जाता है। माना विमानतल टर्मिनल के नामकरण को लेकर भी विवाद था पर विधानसभा में संकल्प पारित कराकर उसका नाम स्वामी विवेकानंद विमानतल रखा गया है। प्रदेश के सबसे बड़े 700 बिस्तर अस्पताल को 700 बिस्तर अस्पताल मेकाहारा, डा. अम्बेडकर अस्पताल या बड़े अस्पताल के नाम से जाना जाता है।
नई राजधानी और नये मंत्रालय भवन के नामकरण को लेकर कई सुझाव आ रहे है, श्रीराम की माता कौशल्या दाऊ कल्याण सिंह, वीर नारायण सिंह, पं. श्यामा प्रसाद, मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी के नाम सामने आये है। बहरहाल अंतिम निर्णय तो डा. रमन सिंह को ही लेना है वैसे संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि नई राजधानी में सड़कों, चौक चौराहों के नाम देश-प्रदेश की विभूतियों के नाम से रखे जाएंगे जहां तक नया रायपुर और मंत्रालय भवन के नामकरण की बात है तो इस पर मिल बैठकर निर्णय लिया जा सकता है।
और अब बस
0 नई राजधानी में 203 हेक्टेयर में एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी का शिलान्यास हो गया..एक टिप्पणी पहले नई राजधानी में मानव बसाहट पर तो ध्यान देना चाहिये।
0 आरक्षण कम होने से सतनामी समाज नाराज है तो बढऩे के बाद भी आदिवासी समाज नाराज है। आखिर प्रदेश सराकर को आरक्षण बढ़ाने घटाने की किस नौकरशाह ने इसकी सलाह दी थी?
0 भटगांव कोल खदान आबंटन केन्द्र सरकार निरस्त कर सकती है एक टिप्पणी...इससे संचेती को फर्क पड़ेगा डा. रमन सिंह बेअसर रहेंगे।
हर कोई डूबती कश्ती से उतर जाता है
जिंदगी जंग है और जंग लडऩे के लिये
जिनको जीना नहीं आता है मर जाता है
छत्तीसगढ़ में कभी कमिश्नर रहे शेखर दत्त आज राज्यपाल है, कभी रायपुर में ही बतौर कलेक्टर पदस्थ रहे अजीत जोगी को पृथक छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला, रायपुर में ही कभी कलेक्टर रहे सुनील कुमार वर्तमान में प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया या मुख्य सचिव है। कभी एडीशनल कलेक्टर तथा निगम प्रशासन रहे शिवराज सिंह मुख्य सचिव होकर सेवा निवृत्ति के पश्चात आजकल मुख्यमंत्री के सलाहकार बने हुए है। कभी यहां पुलिस कप्तान और पुलिस महानिरीक्षक रहे संतकुमार पासवान और पुलिस महानिरीक्षक रहे रामनिवास अब डीजीपी बनने की राह में है। आयुर्वेदिक कालेज छात्रावास में रहकर पढ़ाने करने वाले डा. रमन सिंह लगातार दो कार्यकाल से मुख्यमंत्री है तथा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में रिकार्ड बना रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजधानी रायपुुर में अविभाजित मप्र के समय वरिष्ठ आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाया जाता था। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी रायपुर में 14 नवम्बर 78 से 26 जून 81 तक कलेक्टर रह चुके है और इसके बाद उन्हें इंदौर का कलेक्टर बनाया गया था। बाद में वे राजनीति में उतर गये, राज्यसभा , लोकसभा होकर छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने, छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्य सचिव सुनील कुमार भी अविभाजित मप्र के समय रायपुर के कलेक्टर रहे। उन्होंने 6 फरवरी 87 से 20 मार्च 88 तक रायपुर की कलेक्टरी की थी। आज वे राज्य के सबसे बड़े नौकरशाह के पद पर पदस्थ है। मुख्य सचिव का पद भार सम्हाल रहे है।
छत्तीसगढ़ में आजकल राजनांदगांव-कवर्धा को विशेष रियायत दी जा रही है। पिछले कुछ वर्षों से या यों कहें कि जब से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी है तो कवर्धा , राजनांदगांव क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्म भूमि बनाने वाले डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री बने हैं तभी से रायपुर के कलेक्टर बनने का रास्ता व्हाया कवर्धा, राजनांदगांव होकर पूरा होता है। राजनांदगांव के कलेक्टर रहे गणेश शंकर मिश्रा 19 दिसंबर 03 से 14 जून 06 तक राजनांदगांव में कलेक्टर रहे फिर बस्तर कलेक्टर, कमिश्नर होकर आजकल वाणिज्यकर आयुक्त के महत्वपूर्ण पद पर काबिज है। कवर्धा में आई ए एस संजय गर्ग 5 जुलाई 07 से 23 मई 09 तक कलेक्टर रहे और 30 जून 09 से 9 नवम्बर तक राजधानी के कलेक्टर बनाये गये थे। इसके पहले कवर्धा कलेक्टर सोनमणी बोरा 14 जून 06 से 23 अप्रेल 08 पदस्थ रहे और उसे के बाद उन्हें सीधा रायपुर का कलेक्टर बनाया गया था। सोनमणी बोरा 23 अप्रैल 08 से 25 अक्टूबर 10 तक राजधानी के कलेक्टर बिलासपुर रहे, हाल फिलहाल छग गृह निर्माण समिति के आयुक्त सहित जन संपर्क संचालनालय के मुखिया है। राजनांदगांव में ही 6 जनवरी 2009 से 9 फरवरी 10 तक कलेक्टर रहे डा. रोहित यादव बाद में 13 सितंबर से 27 जुलाई 12 तक राजधानी के कलेक्टर बनाये गये थे. हाल फिलहाल कोमल सिद्धार्थ परदेशी भी व्हाया राजनांदगांव ही रायपुर आये है। कोमल परदेशी 23 अप्रैल 08 से 15 फरवरी 10 तक कवर्धा में कलेक्टर रहे उसके बाद उन्हें राजनांदगांव का कलेक्टर बनाया गया। राजनांदगांव में 16 फरवरी 10 से 27 जुलाई 12 तक कलेक्टर रहने वाले कोमल की पदस्थापना कलेक्टर रायपुर के पद पर की गई है। 28 सितंबर 12 को उन्होंने राजधानी रायपुर में कलेक्टरी सम्हाली है।
वैसे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दो-दो बार कलेक्टर बनने का भी रिकार्ड विकासशील और अमिताभ जैन के नाम है। अमिताभ जैन 18 दिसंबर 2000 से 4 अप्रैल 2003 तक रायपुर में कलेक्टर रहे तो 29 मार्च 04 से 17 मई 2005 तक दूसरी बार कलेक्टर बनने का रिकार्ड बनाया है। वही विकाशील का भी रिकार्ड बना हुआ है। विकाशील 30 अप्रैल 2007 से 23 अप्रैल 2003 तक राजधानी के कलेक्टर रहे फिर 25 अक्टूबर 08 से 22 दिसम्बर 08 तक भी उन्होंने राजधानी में कलेक्टर का कार्यभार सम्हाला है। जाहिर है कि प्रदेश के मुखिया के करीबी होने तथा उनके क्षेत्र की कलेक्टरी करने का लाभ तो मिलता ही है।
अगला डीजीपी कौन!
छत्तीसगढ़ के पुलिस मुखिया अनिल एम नवानी का कार्यकाल 30 नवम्बर को समाप्त होना है। 30 नवम्बर को वे कार्यमुक्त हो जाएंगे और उससे पहले ही अगले पुलिस महानिदेशक का नाम तय हो जाएगा। हालांकि वरिष्ठता क्रम में उनके बैच मेट संतकुमार पासवान का नंबर है और उसके बाद 82 बैच के आईपीएस रामनिवास यादव का नंबर आता है इन्हीं दोनों में किसी एक को नया पुलिस महानिदेशक बनाया जाएगा यह तय माना जा रहा है। कुछ ही माह समय सेवा निवृत्ति होने के लिये बचा होने के कारण तथा सरकार के करीबी होने के कारण रामनिवास का पलड़ा कुछ भारी दिख रहा है। सूत्र तो कहते है कि वर्तमान डीजीपी अनिल नवानी का सुझाव भी रामनिवास की तरफ अधिक है।
खैर अगला डीजीपी किसे बनाया जाएगा यह अभी तय नहीं है पर पिछले आम चुनावों में जब तत्कालीन डीजीपी विश्वरंजन को चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाया गया था तब संतुकमार पासवान कार्यवाह क डीजीपी भी रह चुके हैं। वैसे छग में पूर्व डीजीपी श्री मोहन शुक्ला और अशोक दरबारी को छग लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया जा चुका है। आरएलएस यादव को सरकार ने सलाहकार बनाया था। विश्वंरजन तो डा. रमन सिंह के अनुरोध पर केन्द्र से छग लौटे थे पर बाद बाद में सरकार के उनसे संबंध ठीक नहीं रहे और उन्हें महत्वपूर्ण डीजीपी पद से हटाकर डीजी होमगार्ड बना दिया और सेवा निवृत्ति के पश्चात वे रायपुर में ही स्थायी निवास बना चुके हैं पर सरकार ने उन्हें उपकृत नहीं किया है। डीजीपी अनिल नवानी को सरकार सेवानिवृत्ति के पश्चात कोई पद देकर उपकृत करेगी ऐसा लगता तो नहीं है।
खैर पासवान डीजीपी बनते है तो अप्रैल 13 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उनके बाद रामनिवास विधानसभा चुनाव कराकर सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उनके बाद डीजीपी बनने की लाईन में 4 एडीजी का दावा बनता है। वैसे वरिष्ठता क्रम में 82 बैच के ही गिरधारी नायक प्रबल दावेदार है उसके बाद 84 बैच के मो. वजीर अंसारी, 85 बैच के ए एन उपाध्याय और 86 बैच के डीएम अवस्थी का नंबर वरिष्ठता क्रम में आता है। विधानसभा चुनाव के बाद सरकार किस पार्टी की बनती है और उस समय हालात क्या होते है अगला डीजीपी कौन होगा यह इसी बात पर निर्भर करेगा वैसे अगली सरकार के पास किसी बाहरी अफसर को भी डीजीपी बनाने का विकल्प खुला रहेगा। खैर अभी तो 30 नवम्बर के बाद अनिल नवानी के बाद अगला डीजीपी कौन होगा इसी बात को लेकर पुलिस मुख्यालय में कवायद तेज है। कुछ अफसर वरिष्ठता के आधार पर संतकुमार पासवान के पक्षधर है तो कुछ रामनिवास का पलड़ा भारी होने का कयास लगा रहे हैं। वैसे छत्तीसगढ़ में वरिष्ठता के स्थान पर सरकार अपनी पसंद-नापसंद पर ही यह निर्णय लेती है। जिस तरह विश्वरंजन को हटाकर अनिल नवानी को डीजीपी बनाया गया था वह भी उस समय अप्रत्याशित कदम था। जबकि उस समय विश्वरंजन हटेंगे यह कल्पना किसी ने नहीं की थी।
राज्योत्सव और डीडी नगर
राजधानी रायपुर में राज्योत्सव साइंस कालेज के बगल में स्थित रविशंकर विश्वविद्यालय स्टेडियम में होता था तो उसका फायदा किसको होता था यह तो सरकार ही जानती है पर कम से कम डीडी नगर के रहवासियों के लिये जरूर त्यौहार होता था। आयुर्वेदिक कालेज से डीडीनगर जाने वाली सड़क की हर साल मरम्मत होती थी। चिनकी सड़क बनती थी क्योंकि व्ही व्ही आई पी इसी सड़क से राज्योत्सव में आते जाते थे। यह नही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सर संघचालक स्व. सुदर्शनजी भी अपनी बहन से मिलने रोहणीपुरम जाने इसी मार्ग से आते थे इसलिये कभी कभार यह सड़क की मरम्मत हो जाया करती थी पर इस बार तो राज्योत्सव नई राजधानी में हो रहा है वही हाल ही में सुदर्शन जी का भी निधन हो गया है। ऐसे में आयुर्वेदिक कालेज से डीडी नगर, रोहणीपुरम जाने वाली यह मुख्य सड़क की मरम्मत नहीं हो रही है और इस क्षेत्र के निवासी तो जरूर यह महसूस भी कर रहे है। हालांकि साइंस कालेज हास्टल के बगल से एक चौड़ी सड़क निर्माणाधीन है जो बाद में पूरी होगी। खैर अभी भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा एक स्कूल क्षेत्र में स्थापित है और संघ के आयोजन भी होते हैं। उम्मीद अभी भी जागी हुई है कि कभी तो इस सड़क का पुनर्रूद्धार होगा ही?
नामकरण पर सलाह
छत्तीसगढ़ मंत्रालय के नये रायपुर में बने भवन में डीके एस मंत्रालय से शासकीय विभागों की शिफ्टिंग का काम तेजी से चल रहा है। 25 अक्टूबर तक शिफ्टिंग पूरी होने की समय सीमा तय की गई है एक नवम्बर से 6 नवम्बर तक नई राजधानी में ही इस साल का राज्योत्सव होगा। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 6 नवम्बर को इसका उद्घाटन भी करने जा रहे है पर अभी तक नई राजधानी और मंत्रालय भवन का नामकरण नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जब डी.के. अस्पताल में मंत्रालय का कामकाज शुरू हुआ था तो उसे डीकेएस मंत्रालय भवन का नाम दे दिया गया था। छत्तीसगढ़ में वर्तमान विधानसभा भवन का नामकरण भी 11 सालों में नहीं हो सका अलबत्ता सभागृह का जरूर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम जाना जाता है। माना विमानतल टर्मिनल के नामकरण को लेकर भी विवाद था पर विधानसभा में संकल्प पारित कराकर उसका नाम स्वामी विवेकानंद विमानतल रखा गया है। प्रदेश के सबसे बड़े 700 बिस्तर अस्पताल को 700 बिस्तर अस्पताल मेकाहारा, डा. अम्बेडकर अस्पताल या बड़े अस्पताल के नाम से जाना जाता है।
नई राजधानी और नये मंत्रालय भवन के नामकरण को लेकर कई सुझाव आ रहे है, श्रीराम की माता कौशल्या दाऊ कल्याण सिंह, वीर नारायण सिंह, पं. श्यामा प्रसाद, मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी के नाम सामने आये है। बहरहाल अंतिम निर्णय तो डा. रमन सिंह को ही लेना है वैसे संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि नई राजधानी में सड़कों, चौक चौराहों के नाम देश-प्रदेश की विभूतियों के नाम से रखे जाएंगे जहां तक नया रायपुर और मंत्रालय भवन के नामकरण की बात है तो इस पर मिल बैठकर निर्णय लिया जा सकता है।
और अब बस
0 नई राजधानी में 203 हेक्टेयर में एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी का शिलान्यास हो गया..एक टिप्पणी पहले नई राजधानी में मानव बसाहट पर तो ध्यान देना चाहिये।
0 आरक्षण कम होने से सतनामी समाज नाराज है तो बढऩे के बाद भी आदिवासी समाज नाराज है। आखिर प्रदेश सराकर को आरक्षण बढ़ाने घटाने की किस नौकरशाह ने इसकी सलाह दी थी?
0 भटगांव कोल खदान आबंटन केन्द्र सरकार निरस्त कर सकती है एक टिप्पणी...इससे संचेती को फर्क पड़ेगा डा. रमन सिंह बेअसर रहेंगे।
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