चाकू काटे बांस को बंशी खोले भेद
उतने ही सुर जानिये, जितने उसमें छेद
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को देखकर सत्ताधारी दल भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की चुनावी तैयारी शुरू हो गई है वही बहुजन समाज पार्टी, सहित ताराचंद साहू, अरविंद नेताम तथा दाऊराम रत्नाकर भी छग स्वाभिमान मंच के बैनर तल चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे है। वैसे जिस तरह देश और प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की किरकिरी चल रही है उससे किसी एक पार्टी को प्रदेश में स्पष्ट बहुमत मिलेगा ऐसा लगता नही है। वैसे भी हाल फिलहाल यानि कुछ महीनों के भीतर जिस जिस प्रदेशों में चुनाव हुए है वहां गैर कांग्रेसी, गैर भाजपाई सरकार बनने से राजनीतिक समीकरण बनता-बिगड़ता जा रहा है। जयललिता की सरकार बनी, नीतिश कुमार की सरकार बनी , ममता बेनर्जी की सरकार बनी और छग से लगे ओडिसा में तो बीजू जनता दल की सरकार काबिज ही है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में जिस तरह समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, इसके पहले बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी थी ये देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस-भाजपा के लिये खतरे की घंटी है। पर कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने, एक दूसरे को नीचा दिखाने लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में अविभाजित मप्र के समय बहुजन समाज पार्टी, कम्प्युनिस्ट पार्टी, गोडवाना गणतंत्र पार्टी का खाता खुल चुका है। यह बात और है कि राज्य बनने के बाद इनके नेता अपनी पकड़ आमजनता में बनाये नहीं रख सके पर अब कांग्रेस -भाजपा से दुखी आम जनता क्षेत्रीय दलों की ओर रूख कर सकती है। कांग्रेस की अजीत जोगी सरकार के खिलाफ भय भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा करके सत्ता में आई भाजपा के शासन काल में भ्रष्टाचार तो सामने आ ही रहा है जहां तय भय मुक्त करने की बात है तो अधिकारी इतने भय मुक्त हो गये है कि उन्हें सरकार की कोई चिंता नहीं है। करोड़ों रूपये की अघोषित सम्पत्तियां छापों में मिलना इस बात का गवाह है। महंगाई भ्रष्टाचार के लिये प्रदेश के भाजपा नेता केन्द्र सरकार पर आरोप मढ़ रहे है तो कांग्रेस के नेता प्रदेश की भाजपा सरकार पर दोष मढ़ रहे हैं। केन्द्र कांग्रेस नीत सरकार पर डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस महंगा करने से महंगाई बढऩे की बात भाजपा नेता करते है पर कांग्रेस शासित राज्यों की तरह 3 गैस सिलेण्डरों पर राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी देने की बात प्रदेश की भाजपा सरकार क्यों नहीं मान रही है। डीजल पर वैट टैक्स कम करने क्यों तैयार नहीं है। बिजली की दर कम करने की पहल क्यों नहीं हो रहे है, हाल ही में ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने डीजल की कीमत वृद्धि पर परिवहन किराया बढ़ाने या दूसरे राज्यों की तरह परिवहन कर कम करने की मांग की थी पर जनता की हितैषी होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार ने परिवहन कर कम करने की जगह 10 से 35 प्रतिशत यात्री किराया बढ़ाकर जनता पर आर्थिक बोझ डालना उचित समझा क्यों अगले माह कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढऩे के कारण प्रदेश के बिजलीदर में वृद्धि की तैयारी है?
मुफ्त चांवल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने अपने पहले कार्यकाल में गरीबों तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालो को प्रतिमाह एक परिवार को 35 किलो चांवल देने की नीति अपनाई थी, उसके बाद चावल एक दो रूपये किलो में देने का प्रावधान किया और इस योजना का लाभ भी भाजपा को हुआ बस उसी तर्ज पर अब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने अम्बिकापुर की सभा में घोषणा कर दी कि यदि अगली प्रदेश सरकार कांग्रेस की बनी तो आयकरदाताओं को छोड़कर सभी वर्गों को मुफ्त चांवल दिया जाएगा। सवाल फिर यही उठ रहा है कि क्या राज्य सरकारों का बस एक ही काम है पेट भरना। छत्तीसगढ़ में कभी बासी भात का चलन था। राज्य सरकार के गठन के करीब 12 साल बाद बासी से यात्रा शुरू की थी और चावल वितरण, नमक मुफ्त देने से हम फिर बासी तक पहुंच गये हैं। क्या छत्तीसगढ़ की भावी पीढ़ी का विकास हमारा कत्वर्य नहीं है। राज्य बनने के बाद कितने उद्योग धंधे स्थापित हुए, कितनी कृषि भूमि उद्योगों की भेंट चढ़ गई पर कितने नौजवानों को सरकारी रोजगार मिला या निजी उद्योगों में कितने प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिला इसकी चिंता आखिर कौन करेगा सत्ता पक्ष, विपक्ष या कोई नहीं।
अफसरों को जमीन बांटी!
राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा तत्पर से जुड़े वीरेन्द्र पांडे ने आईएएस, आईपीएस और न्यायाधीशों को करोड़ों की 87 एकड़ जमीन नियम विपरीत बांटने का आरोप छग गृह निर्माण मंडल पर लगाया है। उनका आरोप है कि नगर निगम सीमा पर स्थित धरमपुरा में आवासहीनो को आवास उपलब्ध कराने गृह निर्माण मंडल ने जमीन ली थी पर षडय़ंत्रपूर्वक कर करीब 87 एकड़ जमीन को गुपचुप आला अफसरों के लिये चिन्हित कर आबंटित कर दी गई है और एक तरह से आवासहीनो के साथ धोखा किया गया है। उनका सीधा आरोप है कि छग गृह निर्माण मंडल ने 500 आला अफसरों को उपकृत कर भूखंड आबंटित किया गया है यही नहीं बाजार मूल्य से काफी कम दर पर भूखंड आबंटन में करोड़ों की राजस्व क्षति भी हुई है। उनका आरोप यह भी है कि 2 साल तक भूखंड में निर्माण नही करने वालो का आबंटन निरस्त करने का प्रावधान है पर अफसरों के साथ इस नियम का भी उपयोग नहीं किया गया।
सगी बहनो का मामला
पाठ्यपुस्तक निगम में 2 सगी बहनो की उम्र के बीच तीन माह का अंतर होने का मामला लोग आयोग के पास विचाराधीन है। पापुनि में 2 सगी पांडे बहनों को नौकरी दी गई और दोनों की उम्र के बीच का फसला मात्र 3 माह है। यह संभव भी नहीं है। जुड़वा बहनों में भी यह अंतर नहीं रहता है। बहरहाल पापुनि के प्रबंध संचालक रहे सुभाष मिश्रा के कार्यकाल का यह किस्सा है। उन्हें तो हटाकर अपर संचालक (प्रचार) पंचायत विभाग बनाया गया है पहले पंचायत मंत्रालय का कार्य एक एपीआरओ या सूचना सहायक के पास होता था। खैर पांडे बहनों का मामला लोक आयोग में लंबित है। इन दोनों बहनों की सत्य प्रतिलिपि का भी सुभाष मिश्रा ने सत्यापन किया था। बहरहाल चर्चा है कि वहां से हटने के पहले ही इस मामले में लीपापोती भी की गई है। बताया गया है कि दोनों बहनों में एक पिता और दादा के पास रहती थी कम पढ़े लिखे होने के कारण जन्म तिथि लिखाने में गलती हो गई यह जवाब दिया गया है? सवाल उठ रहा है कि यदि पिता-दादा कम पढ़े लिखे थे,गलती से गलत जन्मतिथि लिखा दिया था तो बहनें तो पढ़ी लिखी थी उन्होंने क्यों सुधार नहीं कराया? एक बहन रायगढ़ में पढ़ी तो दूसरी जबलपुर में पढ़ी थी यह भी जांच का विषय हो सकता है इन दोनो शहरों में किनके पास रहकर यह बहन पढ़ाई करती थी? खैर लोक आयोग जल्दी ही फैसला देने वाला है।
10 अक्टूबर का इंतजार
कोयला खानों का समय पर विकास नहीं करने को लेकर अंतर मंत्रालय समूह (आईएमजी) ने निजी कंपनियों के बाद अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को भी कसना प्रारंभ कर दिया है। छत्तीसगढ़ मिनरल डव्हलपमेण्ट कारपोपरेशन (सीएमडीसी) को भी नोटिस मिल चुका है और 10 अक्टूबर को पक्ष प्रस्तुत करने कहा गया है। सूत्र कहते है कि सीएमडीसी के पास गारेपेलम के अलावा, शंकरपुर, भटगांव और सोंधिया कोल ब्लाक है। छत्तीसगढ़ के सरकारी उपक्रमों को कोल ब्लाक्स आबंटित किये गये है केन्द्रीय और छग खनिज विकास निगम, राज्य बिजली बोर्ड के साथ ही महाराष्ट्र खनिज विकास निगम, तमिलनाडु बिजली बोर्ड, गुजरात खनिज विकास निगम, मप्र खनिज विकास निगम, राजस्थान विद्युत उत्पादन, कंपनी को भी यहां कोल ब्लाक दिये गये हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि भाजपा के राज्य सभा सदस्य अजय संचेती और उनके भाइयों की भागीदारी वाली एसएमएस इंफास्ट्रक्चर कंपनी को कोयला उत्खनन का अनुभव नहीं होने के बाद भी 2 कोल ब्लाक आबंटित किया गया है इसमें एक कोल ब्लाक काफी कम दर पर दिये जाने को लेकर कांग्रेस भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भी उंगली उठ रही है। यही नहीं कोल ब्लाक के विस्तार और उत्खनन कार्यों के लिये अपात्र तथा अनुभवहीन कंपनी को खनिज विकास निगम ने अपना पार्टनर भी बना लिया है। लगता है कि 10 अक्टूबर को इस संबंध में राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद आईएमजी कोई निर्णय ले सकती है और इसी निर्णय पर राज्य का माहौल गर्माने की भी संभावना है।
और अब बस
0 निगम के बड़े अफसर की पत्नी पुलिस अधिकारी है वहीं अब पर्यटन मंडल के प्रबंधक संचालक आईएएस की आईपीएस पत्नी ने मुख्यालय में अपनी आमद दे दी है।
0 जिला कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कार्यभार सम्हालते ही होटल मालिकों, के बाद अब गैस संचालकों की भी क्लास ले ही है। अब अगली बारी किसकी है इसी का इंतजार है।
0 राज्य प्रशासनिक सेवा के 1991 बैच के अफसर पदोन्नत होकर आईएएस बन गये है वही 87 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अफसर अभी तक पदोन्नति से वंचित है। आखिर 4 साल के अंतर की वजह क्या है।
उतने ही सुर जानिये, जितने उसमें छेद
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को देखकर सत्ताधारी दल भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की चुनावी तैयारी शुरू हो गई है वही बहुजन समाज पार्टी, सहित ताराचंद साहू, अरविंद नेताम तथा दाऊराम रत्नाकर भी छग स्वाभिमान मंच के बैनर तल चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे है। वैसे जिस तरह देश और प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की किरकिरी चल रही है उससे किसी एक पार्टी को प्रदेश में स्पष्ट बहुमत मिलेगा ऐसा लगता नही है। वैसे भी हाल फिलहाल यानि कुछ महीनों के भीतर जिस जिस प्रदेशों में चुनाव हुए है वहां गैर कांग्रेसी, गैर भाजपाई सरकार बनने से राजनीतिक समीकरण बनता-बिगड़ता जा रहा है। जयललिता की सरकार बनी, नीतिश कुमार की सरकार बनी , ममता बेनर्जी की सरकार बनी और छग से लगे ओडिसा में तो बीजू जनता दल की सरकार काबिज ही है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में जिस तरह समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, इसके पहले बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी थी ये देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस-भाजपा के लिये खतरे की घंटी है। पर कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने, एक दूसरे को नीचा दिखाने लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में अविभाजित मप्र के समय बहुजन समाज पार्टी, कम्प्युनिस्ट पार्टी, गोडवाना गणतंत्र पार्टी का खाता खुल चुका है। यह बात और है कि राज्य बनने के बाद इनके नेता अपनी पकड़ आमजनता में बनाये नहीं रख सके पर अब कांग्रेस -भाजपा से दुखी आम जनता क्षेत्रीय दलों की ओर रूख कर सकती है। कांग्रेस की अजीत जोगी सरकार के खिलाफ भय भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा करके सत्ता में आई भाजपा के शासन काल में भ्रष्टाचार तो सामने आ ही रहा है जहां तय भय मुक्त करने की बात है तो अधिकारी इतने भय मुक्त हो गये है कि उन्हें सरकार की कोई चिंता नहीं है। करोड़ों रूपये की अघोषित सम्पत्तियां छापों में मिलना इस बात का गवाह है। महंगाई भ्रष्टाचार के लिये प्रदेश के भाजपा नेता केन्द्र सरकार पर आरोप मढ़ रहे है तो कांग्रेस के नेता प्रदेश की भाजपा सरकार पर दोष मढ़ रहे हैं। केन्द्र कांग्रेस नीत सरकार पर डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस महंगा करने से महंगाई बढऩे की बात भाजपा नेता करते है पर कांग्रेस शासित राज्यों की तरह 3 गैस सिलेण्डरों पर राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी देने की बात प्रदेश की भाजपा सरकार क्यों नहीं मान रही है। डीजल पर वैट टैक्स कम करने क्यों तैयार नहीं है। बिजली की दर कम करने की पहल क्यों नहीं हो रहे है, हाल ही में ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने डीजल की कीमत वृद्धि पर परिवहन किराया बढ़ाने या दूसरे राज्यों की तरह परिवहन कर कम करने की मांग की थी पर जनता की हितैषी होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार ने परिवहन कर कम करने की जगह 10 से 35 प्रतिशत यात्री किराया बढ़ाकर जनता पर आर्थिक बोझ डालना उचित समझा क्यों अगले माह कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढऩे के कारण प्रदेश के बिजलीदर में वृद्धि की तैयारी है?
मुफ्त चांवल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने अपने पहले कार्यकाल में गरीबों तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालो को प्रतिमाह एक परिवार को 35 किलो चांवल देने की नीति अपनाई थी, उसके बाद चावल एक दो रूपये किलो में देने का प्रावधान किया और इस योजना का लाभ भी भाजपा को हुआ बस उसी तर्ज पर अब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल ने अम्बिकापुर की सभा में घोषणा कर दी कि यदि अगली प्रदेश सरकार कांग्रेस की बनी तो आयकरदाताओं को छोड़कर सभी वर्गों को मुफ्त चांवल दिया जाएगा। सवाल फिर यही उठ रहा है कि क्या राज्य सरकारों का बस एक ही काम है पेट भरना। छत्तीसगढ़ में कभी बासी भात का चलन था। राज्य सरकार के गठन के करीब 12 साल बाद बासी से यात्रा शुरू की थी और चावल वितरण, नमक मुफ्त देने से हम फिर बासी तक पहुंच गये हैं। क्या छत्तीसगढ़ की भावी पीढ़ी का विकास हमारा कत्वर्य नहीं है। राज्य बनने के बाद कितने उद्योग धंधे स्थापित हुए, कितनी कृषि भूमि उद्योगों की भेंट चढ़ गई पर कितने नौजवानों को सरकारी रोजगार मिला या निजी उद्योगों में कितने प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिला इसकी चिंता आखिर कौन करेगा सत्ता पक्ष, विपक्ष या कोई नहीं।
अफसरों को जमीन बांटी!
राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा तत्पर से जुड़े वीरेन्द्र पांडे ने आईएएस, आईपीएस और न्यायाधीशों को करोड़ों की 87 एकड़ जमीन नियम विपरीत बांटने का आरोप छग गृह निर्माण मंडल पर लगाया है। उनका आरोप है कि नगर निगम सीमा पर स्थित धरमपुरा में आवासहीनो को आवास उपलब्ध कराने गृह निर्माण मंडल ने जमीन ली थी पर षडय़ंत्रपूर्वक कर करीब 87 एकड़ जमीन को गुपचुप आला अफसरों के लिये चिन्हित कर आबंटित कर दी गई है और एक तरह से आवासहीनो के साथ धोखा किया गया है। उनका सीधा आरोप है कि छग गृह निर्माण मंडल ने 500 आला अफसरों को उपकृत कर भूखंड आबंटित किया गया है यही नहीं बाजार मूल्य से काफी कम दर पर भूखंड आबंटन में करोड़ों की राजस्व क्षति भी हुई है। उनका आरोप यह भी है कि 2 साल तक भूखंड में निर्माण नही करने वालो का आबंटन निरस्त करने का प्रावधान है पर अफसरों के साथ इस नियम का भी उपयोग नहीं किया गया।
सगी बहनो का मामला
पाठ्यपुस्तक निगम में 2 सगी बहनो की उम्र के बीच तीन माह का अंतर होने का मामला लोग आयोग के पास विचाराधीन है। पापुनि में 2 सगी पांडे बहनों को नौकरी दी गई और दोनों की उम्र के बीच का फसला मात्र 3 माह है। यह संभव भी नहीं है। जुड़वा बहनों में भी यह अंतर नहीं रहता है। बहरहाल पापुनि के प्रबंध संचालक रहे सुभाष मिश्रा के कार्यकाल का यह किस्सा है। उन्हें तो हटाकर अपर संचालक (प्रचार) पंचायत विभाग बनाया गया है पहले पंचायत मंत्रालय का कार्य एक एपीआरओ या सूचना सहायक के पास होता था। खैर पांडे बहनों का मामला लोक आयोग में लंबित है। इन दोनों बहनों की सत्य प्रतिलिपि का भी सुभाष मिश्रा ने सत्यापन किया था। बहरहाल चर्चा है कि वहां से हटने के पहले ही इस मामले में लीपापोती भी की गई है। बताया गया है कि दोनों बहनों में एक पिता और दादा के पास रहती थी कम पढ़े लिखे होने के कारण जन्म तिथि लिखाने में गलती हो गई यह जवाब दिया गया है? सवाल उठ रहा है कि यदि पिता-दादा कम पढ़े लिखे थे,गलती से गलत जन्मतिथि लिखा दिया था तो बहनें तो पढ़ी लिखी थी उन्होंने क्यों सुधार नहीं कराया? एक बहन रायगढ़ में पढ़ी तो दूसरी जबलपुर में पढ़ी थी यह भी जांच का विषय हो सकता है इन दोनो शहरों में किनके पास रहकर यह बहन पढ़ाई करती थी? खैर लोक आयोग जल्दी ही फैसला देने वाला है।
10 अक्टूबर का इंतजार
कोयला खानों का समय पर विकास नहीं करने को लेकर अंतर मंत्रालय समूह (आईएमजी) ने निजी कंपनियों के बाद अब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को भी कसना प्रारंभ कर दिया है। छत्तीसगढ़ मिनरल डव्हलपमेण्ट कारपोपरेशन (सीएमडीसी) को भी नोटिस मिल चुका है और 10 अक्टूबर को पक्ष प्रस्तुत करने कहा गया है। सूत्र कहते है कि सीएमडीसी के पास गारेपेलम के अलावा, शंकरपुर, भटगांव और सोंधिया कोल ब्लाक है। छत्तीसगढ़ के सरकारी उपक्रमों को कोल ब्लाक्स आबंटित किये गये है केन्द्रीय और छग खनिज विकास निगम, राज्य बिजली बोर्ड के साथ ही महाराष्ट्र खनिज विकास निगम, तमिलनाडु बिजली बोर्ड, गुजरात खनिज विकास निगम, मप्र खनिज विकास निगम, राजस्थान विद्युत उत्पादन, कंपनी को भी यहां कोल ब्लाक दिये गये हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि भाजपा के राज्य सभा सदस्य अजय संचेती और उनके भाइयों की भागीदारी वाली एसएमएस इंफास्ट्रक्चर कंपनी को कोयला उत्खनन का अनुभव नहीं होने के बाद भी 2 कोल ब्लाक आबंटित किया गया है इसमें एक कोल ब्लाक काफी कम दर पर दिये जाने को लेकर कांग्रेस भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भी उंगली उठ रही है। यही नहीं कोल ब्लाक के विस्तार और उत्खनन कार्यों के लिये अपात्र तथा अनुभवहीन कंपनी को खनिज विकास निगम ने अपना पार्टनर भी बना लिया है। लगता है कि 10 अक्टूबर को इस संबंध में राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद आईएमजी कोई निर्णय ले सकती है और इसी निर्णय पर राज्य का माहौल गर्माने की भी संभावना है।
और अब बस
0 निगम के बड़े अफसर की पत्नी पुलिस अधिकारी है वहीं अब पर्यटन मंडल के प्रबंधक संचालक आईएएस की आईपीएस पत्नी ने मुख्यालय में अपनी आमद दे दी है।
0 जिला कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कार्यभार सम्हालते ही होटल मालिकों, के बाद अब गैस संचालकों की भी क्लास ले ही है। अब अगली बारी किसकी है इसी का इंतजार है।
0 राज्य प्रशासनिक सेवा के 1991 बैच के अफसर पदोन्नत होकर आईएएस बन गये है वही 87 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अफसर अभी तक पदोन्नति से वंचित है। आखिर 4 साल के अंतर की वजह क्या है।
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