Friday, June 3, 2011

तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है

खैरात जो देता है वही लूटता भी है


भारतीय जनता पार्टी के लखनऊ अधिवेशन के बाद छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह काफी समय से गृहमंत्रालय का प्रभार किसी और को देने प्रयासरत हैं पर प्रदेश के पुलिस मुखिया के रहते कोई नेता गृहमंत्री बनने तैयार नहीं हो रहा है। वैसे गृहमंत्रालय की कमान बृजमोहन अग्रवाल, चंद्रशेखर साहू, राजेश मूणत आदि को देने की चर्चा उड़ती रही पर हाल फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष धमरलाल कौशिक और अमर अग्रवाल के नाम चर्चा में हैं। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक विस अध्यक्ष कौशिक ने तो गृहमंत्री बनने से मना कर दिया है जहां तक अमर अग्रवाल का मामला है तो वे गृहमंत्री बनने तभी तैयार होंगे जब उन्हें पूरा अधिकार मिलेगा, अभी की स्थिति में तो पुलिस की पूरी कमान डीजीपी विश्वरंजन के पास ही है और उनके रहते कोई अधिकार संपन्न

मुख्यालय में चर्चा के तीन केन्द्र!

हाल ही पुलिस मुख्यालय से लेकर जिला पुलिस अधीक्षकों की नियुक्ति में पुलिस मुखिया से राय नहीं लेने की भी जमकर चर्चा है। वैसे एक एडीजी रैंक के अफसर की पुलिस मुख्यालय में नियुक्ति तथा एक आदिवासी अंचल के पुलिस अधीक्षक नियुक्ति पर भी उनकी राय की उपेक्षा कर दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि पुलिस मुख्यालय में एक प्रभावी आईजी पर नियंत्रण रखने एक पसंदीदा एडीजी की नियुक्ति के विपरीत शासन ने एडीजी गिरधारी नायक को प्रशासन और योजना प्रबंध का जिम्मा देकर पावरफुल बनाया गया है। कहा जाता है कि गृहमंत्री सहित कुछ अन्य मंत्रियों की सिफारिश को पुलिस मुख्यालय तवज्जो नहीं देता था और आईजी प्रशासन पवन देव जूनियर होने के कारण चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते थे अब एडीजी गिरधारी नायक इस पदस्थापना के बाद डीजीपी विश्वरंजन के बाद दूसरे नंबर पर आ गये हैं वहीं सरकार की नजदीकियों के चलते एडीजी रामनिवास वैसे भी मुख्यालय में प्रभावशाली अधिकारी है इस तरह पुलिस मुख्यालय में तीन प्रमुख केन्द्र हो गये हैं। वैसे कहा जाता है कि हाल ही में की गई नियुक्तियों में डीजीपी की राय नहीं ली गई है। धमतरी में महासमुंद, धमतरी और गरियाबंद पुलिस जिले को डीआईजी जोन बनाकर भी सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है। वहीं 1998 बैच के आईपीएस वी पी पौषार्य को सूरजपुर जिले का एसपी (पहली बार एसपी बनाया गया) बनाकर पदोन्नति आईपीएस अफसरों को भी यह संदेश देने का प्रयास किया है कि देर है पर अंधेर नहीं है। वहीं संजीव शुक्ला को महल (जशपुर) का प्रभार दिया गया है। इतना ही नहीं इन पुलिस कप्तानों के फेरबदल में एक दो पुलिस कप्तान जरूर अप्रभावित रहे जिन्हें मुख्यालय निपटाना चाहता था जिन पर साहित्यक संस्था के कार्यक्रमों में भागीदारी करने नहीं करने के कारण नाराजगी थी।

बड़ा प्रशासनिक फेरबदल जल्दी

छत्तीसगढ़ में आगामी 2-3 माह के भीतर शीर्ष स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया पी जॉय उम्मेन के केन्द्र में जाने की पूर्व में चर्चा चली थी उन्होंने भी दिल्ली जाने की बात स्वीकार कर ली थी पर उनकी वापसी टल गई थी। हाल ही में जांजगीर-चांपा जिले में विश्वबैंक योजना के ऋण प्राप्त रोगदा बांध को दक्षिण भारत की एक कंपनी को बेचे जाने के मामले में मुख्य सचिव घिर गये हैं। उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी ने रोगदा बांध नहीं उसकी जमीन ही बेच दी। वैसे विपक्ष के तीखे हमले के चलते विस उपाध्यक्ष नारायण चंदेल की अध्यक्षता में विधानसभा की संयुक्त कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। 10 जून को समिति दस्तावेजों के परीक्षण के बाद प्रमुख सचिव राजस्व, उद्योग और जल संसाधन विभाग के तत्कालीन सचिवों से जवाब तलब करेगी और जरूरत पड़ी तो मुख्य सचिव को भी तलब का सकती है। वैसे इस रिपोर्ट को समिति आगामी विस सत्र में प्रस्तुत करेगी इधर 28 जून 2011 को यानि अगले माह केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर गये वरिष्ठï आईएएस सुनील कुमार अपना सात साल का समय पूरा कर छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ लौटते ही अतिरिक्त मुख्य सचिव की पदोन्नति मिलते ही वे मुख्य सचिव के दावेदार बन जाएंगे इधर आदिवासी आईएएस नारायण सिंह वैसे भी मुख्यसचिव की दौड़ में पहले ही शामिल हो चुके हैं। अब रोगदा बांध की विधानसभा में रपट पेश होने के बाद प्रदेश सरकार हंगामे से निपटने क्या रास्ता निकालती है यह तो उसी समय पता चलेगा पर सुनील कुमार के छत्तीसगढ़ लौटते ही बड़ी प्रशासनिक सर्जरी से इंकार नहीं किया जा सकता है। वैसे जाय उम्मेन और सुनील कुमार की दोस्ती भी किसी से छिपी नहीं है। गृहमंत्री होगा ऐसा लगता नहीं है। हाल ही में गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने भाटापारा एसडीओपी राठौर को निलंबित करने का आदेश दिया पर आज तक आदेश जारी नहीं हो सका है। बहरहाल एक चर्चा यह भी है कि इस बार मंत्रिमंडल फेरबदल में गृह और परिवहन विभाग किसी एक ही के जिम्मे रखा जाएगा। बहरहाल गृहमंत्री बनने छत्तीसगढ़ में कोई तैयार नहीं है यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं है। प्रोटोकाल के हिसाब से मुख्यमंत्री के बाद गृहमंत्री का ही नंबर आता है। बहरहाल बृजमोहन अग्रवाल से गृहमंत्रालय का प्रभार पूर्व से लेकर आदिवासी समाज के रामविचार नेताम और उसके बाद ननकीराम कंवर को सौंपा गया था पर इसी समाज के लोग नक्सलियों द्वारा प्रताडि़त हो रहे हैं वहीं नक्सली अपना क्षेत्र विस्तार भी करते रहे।

रथ पर होकर सवार!

रथ पर सवार चला है दूल्हा यार, कमरिया में बांधे तलवार... यह गीत आजकल पुलिस मुख्यालय से लेकर फील्ड में पदस्थ कुछ पुलिस कप्तानों, नगर पुलिस कप्तानों, थाना निरीक्षकों के बीच काफी चर्चा में हैं। यह दूल्हा बारात लेकर आता है तब तो हंगामा मचता ही है पर कभी गाहे-बगाहे दुल्हे के संगी साथी भी अपना रौब गालिब करने में पीछे नहीं है। कहा जाता है कि कम उम्र का यह दूल्हा 2-3 माह के भीतर छत्तीसगढ़ के किसी भी जिले में कुछ चुनिंदा साहित्यकारों की बारात लेकर पहुंचता है। होटल, आकर्षक उपहार, कार्यक्रम स्थल से लेकर रात का इंतजाम सभी उस जिले के पुलिस से जुड़े अधिकारी करते हैं। वह दुल्हा इस तरह पुलिस के बड़े अफसरों पर रोब गालिब करता है मानो वह उनसे बड़ा पुलिस अफसर है। यही नहीं किसी पुस्तक प्रकाशन, साहित्य गोष्ठïी से लेकर विदेश प्रवास तक के लिये कुछ अफसरों पर दबाव बनाने की भी चर्चा है। चर्चा तो यह भी है कि एक पुलिस कप्तान ने मात्र 2 हजार चंदा देने की पेशकश की और नाराजगी मोल ले ली। अपने मूल विभाग में रहकर उसने जो कृत्य किया है उसकी चर्चा विभाग में आज भी है। चर्चा तो यह भी है कि किसी तरह अपना दबाव बनाकर उस दूल्हे ने अपनी पदोन्नति करा ली है और जूनियर होने के बावजूद अपनी पदोन्नति कराने प्रयासरत है। इसीलिये इनसे वरिष्ठï अफसर की पदोन्नति सूची भी मंत्रालय में जमा करा दी गई है। वैसे यह दूल्हा कार्यालय के अलावा कटोरातालाब में भी कहीं मिलता है। वहां भी लोग इनकी सूर्य आराधना करने पहुंचते हैं।

और अब बस

(1)

छत्तीसगढ़ की संस्कृति से परिचित एक आईपीएस अफसर आजकल नक्सली साहित्य के अध्ययन में रुचि ले रहे हैं।

(2)

छत्तीसगढ़ के एक नये-नये मंत्री (पहली बार मंत्री बने) ने विवेकाधीन अधिकार का उपयोग करते हुए उपलब्ध निधि से बहुत बड़ी राशि, परिवार के सदस्यों और स्टाफ के परिवारों को दे दी... एक टिप्पणी:- बाद में अपने ही तो काम आते हैं।

(3)

लोस बस्तर उपचुनाव कांगे्रस के महेंद्र कर्मा ने हरवा दिया एक आरोप लगा। एक टिप्पणी:- अभी तक तो हराने का आरोप अजीत जोगी पर ही लगता था?

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