यह तय जानो,
फिर कूदों उसूलों की लड़ाई में
रातें कुछ न बोल पायेंगी,
चिरागों की सफाई में
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी का स्थानांतरण जल्दबाजी में कर दिया गया है। सुरक्षा और सुविधाओं के अभाव में राजधानी वह स्वरूप नहीं ले सकी है जिसकी कल्पना की जा रही थी।
छत्तीसगढ़ राज्य का मंत्रालय आनन-फानन में नई राजधानी रायपुर से 25-30 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया । राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों इसका उद्घाटन कराकर लोकार्पण कराया गया पर हालात यह है कि मंत्रालय भवन में केवल सरकारी अधिकारी /कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी ही दिखाई देते हैं, सरकार के मंत्री, विधायक, स्वायत्तशासी संस्थाओं के प्रतिनिधि वहां कभी कभार ही दिखाई देते हैं। आम जनता की तो वहां पहुंच ही नहीं है। मुख्य सड़क से करीब 10 किलोमीटर भीतर भूल-भुलैया सड़कों के बीच स्थापित मंत्रालय भवन में जाना आम आदमी के लिए तो बेहद कठिन एवं कष्टप्रद है। राज्य सरकार के इस निर्णय पर कोई कुछ भी बोलने की हालत में नहीं है।
गुजरात राज्य की नई राजधानी अहमदाबाद के निकट गांधी नगर में कुछ वर्षों पूर्व ही स्थापित की गई है पर वहां की हालत अभी भी यही है कि सुबह 9 बजे गांधीनगर में अहमदाबाद में जाकर कुछ लोग ताला खोलते हैं और शाम 7-8 बजे वहां ताला बंद कर लोग लौट जाते हैं। रात में वहां केवल सुरक्षाकर्मी ही रह जाते हैं।
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी और मंत्रालय की हालत भी कमोवेश ऐसी ही है। वहां बसाहट दूर-दूर तक नहीं है। केवल सरकारी भवन ही दिखाई देते हैं। हालत यह है कि मुख्य सड़क से मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय की दूरी 10 किलोमीटर के आसपास है। सड़कों की हालत भी भूलभूलैया जैसी है। सुबह एक पुलिस के वाहन से मुख्य सड़क से मंत्रालय तक यातायात कर्मियों को उनके प्वाइंट में छोड़ दिया जाता है और शाम को वहीं से वापस लाया जाता है। सुरक्षाकर्मी मंत्रालय में पदस्थ सरकारी कर्मचारी भी बस से मंत्रालय पहुंचते हैं और शाम को वहीं से वापस लौटते हैं। आमजनों के लिये मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय पहुंचने के लिये केवल सिटी बस की व्यवस्था है और वह भी कब आती है कब जाती है इसका इंतजार करना पड़ता है।
मंत्री तो जाते ही नहीं
छत्तीसगढ़ के इस नयी राजधानी, मंत्रालय भवन की हालत यह है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कक्ष खुलते हैं और बंद भी होते हैं क्योंकि डीकेएस मंत्रालय भवन की तरह यहां डॉ. रमन मंत्रिमंडल के सदस्यों के आने का वक्त तय नहीं है। डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के सवा दो करोड़ लोगों के सपनों को साकार करने वाले इसे अत्याधुनिक नया मंत्रालय कहा था पर वे भी नया मंत्रालय बनने के बाद ऊंगलियों में गिने जाने बाद ही मंत्रालय भवन गये हैं। रही हालत और मंत्रियों की तो कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू को छोड़कर अन्य मंत्री तो वहां पहुंचते ही नहीं हैं। चंद्रशेखर साहू को भी मंत्रालय भवन से प्रेम नहीं है बल् िक उनकी अभनपुर विधानसभा पास पड़ती है इसलिये उनकी विधानसभा के लोग भी वहां पहुंचते हैं इसलिये चम्पू भैया नये मंत्रालय में अक्सर दिखाई देते हैं। राजधानी के दो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत भी कम ही दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल , केदार कश्यप तो विशेष प्रवास पर गये थे इसलिए वहां काफी दिनों से नहीं गये। अन्य मंत्रियों की हालत भी यही है वे पुरानी राजधानी स्थित अपने मंत्री निवास से ही काम चला रहे हैं। वहीं अपनी विधानसभा के लोगों को बुलाकर समस्या का समाधान फोन पर संबंधित विभाग के सचिव को निर्देश देकर ही करते हैं। कुछ प्रभावशाली मंत्री तो अपने सचिवों को बंगले में बुलाकर भी काम करा रहे हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के सभी सदस्य केवल एक बार ही नये मंत्रालय भवन में जुट सके हैं। नई राजधानी बनने के बाद एक बार मंत्रिमंडल की बैठक नये मंत्रालय भवन में हुई थी। उसमें लगभग सभी मंत्री पहली बार नये मंत्रालय भवन में एकत्रित हुए थे। मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक तो विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान हुई थी पर वह मंत्रिमंडल की बैठक विधानसभा में ही हो गई थी और अब मंत्रिमंडल की तीसरी बैठक 22 जनवरी को सुबह राज्य मंत्रालय (महानदी) में होने जा रही है। यह नये मंत्रालय में दूसरी बैठक होगी तो नये साल की पहली बैठक होगी। देखना है कि कितने मंत्री इस बैठक में जुटते हैं।
मुख्यसचिव जरूर जाते हैं...!
छत्तीसगढ़ के नये मंत्रालय भवन (महानदी) में मुख्यसचिव सुनील कुमार जरूर रोज सुबह 10 बजे तक निश्चित ही पहुंच जाते हैं और रात 9 बजे तक मंत्रालय में उपस्थित रहते हैं। मुख्यसचिव जरूर काम के दिनों में मंत्रालय में मिल सकते हैं यह तय है। बाकी के अतिरिक् त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव मंत्रालय आते -जाते रहते हैं क्योंकि मुख्य सचिव की मंत्रालय में लम्बी बैठक है। वैसे किसी सचिव स्तर के अधिकारी से मुलाकात करना हो तो समय लेकर जाना ही बेहत्तर है क्योंकि यदि साहब का मोबाईल बंद है या घंटी बजने के बाद फोन रिसीव नहीं किया जा रहा है तो 'साहबÓ को ढूंढना मुश्किल है। साहब की लोकेशन बताने मंत्रालय में कोई भी मौजूद नहीं रहता है। कभी कहा जाता है कि साहब रायपुर शहर में है, कभी मंत्री के बंगले गये हैं कभी दौरे में हैं यही बताया जाता है। यदि साहब अपने चेम्बर में नहीं हैं और मंत्रालय भवन में ही कहीं मौजूद हैं तो भी उन्हें भूलभुलैया भवन में ढूंढना असंभव तो नहीं पर मुश्किल जरूर है। एक बात और भी यह है कि मंत्रालय भवन में कुछ मोबाईल कंपनियों का टॉवर ही नहीं मिलता है यानि बातचीत संभव नहीं है।
पुलिस मुख्यालय !
छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय भी मंत्रालय महानदी भवन के बगल में स्थित भवन के बगल में स्थित भवन में पुलिस मुख्यालय स्थापित किया गया है। बगल के भवन में अभी भी पुलिस मुख्यालय के कार्यालय स्थानांतरित हो रहा है पर राजधानी स्थित पुराने पुलिस मुख्यालय के अपने कक्ष को अधिकारियों ने पूरी तरह रिक्त नहीं किया है अभी भी कुछ अफसर पुरानी राजधानी के भवन में बैठने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। पुलिस महानिदेशक रामनिवास यादव के तो पुरानी राजधानी में चेम्बर है तो नई राजधानी में भी चेम्बर बन गया है पर वे पुराने पुलिस मुख्यालय में ही अधिक बैठना पसंद करते हैं।
पांच दिन का सप्ताह
नये मंत्रालय भवन में कार्यावधि में प्रस्तावित फेरबदल और सप्ताह में पांच दिन कार्य को लेकर भी अब चर्चा तेज है।
मिली जानकारी के अनुसार नये मंत्रालय (महानदी) में अब कार्यावधि सुबह 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक करना भी प्रस्तावित है। वैसे अभी ऐसा कुछ निर्णय नहीं लिया गया है फिर चर्चा की खबर मिलते ही मंत्रालय कर्मचारी संघ की अध्यक्ष हेमलता एक्का ने हाल ही में राजस्व सचिव बाबूलाल अग्रवाल से मुलाकात कर सुबह 9.30 बजे से मंत्रालय में कामकाज शुरू करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि कामकाजी महिलाओं को घर की जिम्मेदारी का भी निर्वहन करना पड़ता है सुबह 9.30 बजे मंत्रालय में काम पर पहुंचना संभव नहीं है।
इधर अब राज्य में मंत्रालय भवन में 5 दिन का सप्ताह करने पर भी विचार चल रहा है। सूत्रों का तर्क है कि प्रति माह दूसरे और तीसरे शनिवार को वैसे भी अवकाश रहता है। यदि पहले और चौथे शनिवार यानि औसत 2 शनिवार को भी मंत्रालय में अवकाश किया जाए तो मंत्रालय आने-जाने में लगने वाला डीजल , पेट्रोल खपत कम होगा, मंत्रालय में विद्युत बिल की भी बचत की जा सकेगी वहीं सप्ताह में 2 दिन अवकाश होने के कारण मंत्रालय कर्मी/अधिकारी पूरी उर्जा के साथ 5 दिन काम कर सकेंगे। ज्ञात रहे कि डीकीएस भवन का बिजली बिल 8 से 10 लाख रूपए प्रतिमाह आता था वहीं नए मंत्रालय का दो माह का बिल क्रमश: 16, 19 लाख रूपए आया है। बहरहाल यह निर्णय मुख्यमंत्री/मुख्यसचिव स्तर पर होना है।
और अब बस
नये मंत्रालय भवन में रोजाना प्रवेश पत्र बनाने वालों की संख्या में कमी आने से सुरक्षा कार्यालय जरूर खुश है।
८
मंत्रालय यदि अपने वाहन से जाना है तो टायरों में हवा पहले चेक करा लें साथ ही स्टेपनी जरूर रखें, स्टेपनी बदलना आना विशेष योग्यता मानी जाएगी।
८
मंत्रालय में किसी मंत्री/अधिकारी से मुलाकात का समय तय है तो एक घंटे पहले मंत्रालय भवन पहुंचे क्योंकि संबंधित जनों का कार्यालय ढूंढने में कम से कम 45 मिनट तो जरूर लगेगा ही।
फिर कूदों उसूलों की लड़ाई में
रातें कुछ न बोल पायेंगी,
चिरागों की सफाई में
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी का स्थानांतरण जल्दबाजी में कर दिया गया है। सुरक्षा और सुविधाओं के अभाव में राजधानी वह स्वरूप नहीं ले सकी है जिसकी कल्पना की जा रही थी।
छत्तीसगढ़ राज्य का मंत्रालय आनन-फानन में नई राजधानी रायपुर से 25-30 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया । राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों इसका उद्घाटन कराकर लोकार्पण कराया गया पर हालात यह है कि मंत्रालय भवन में केवल सरकारी अधिकारी /कर्मचारी और सुरक्षा कर्मी ही दिखाई देते हैं, सरकार के मंत्री, विधायक, स्वायत्तशासी संस्थाओं के प्रतिनिधि वहां कभी कभार ही दिखाई देते हैं। आम जनता की तो वहां पहुंच ही नहीं है। मुख्य सड़क से करीब 10 किलोमीटर भीतर भूल-भुलैया सड़कों के बीच स्थापित मंत्रालय भवन में जाना आम आदमी के लिए तो बेहद कठिन एवं कष्टप्रद है। राज्य सरकार के इस निर्णय पर कोई कुछ भी बोलने की हालत में नहीं है।
गुजरात राज्य की नई राजधानी अहमदाबाद के निकट गांधी नगर में कुछ वर्षों पूर्व ही स्थापित की गई है पर वहां की हालत अभी भी यही है कि सुबह 9 बजे गांधीनगर में अहमदाबाद में जाकर कुछ लोग ताला खोलते हैं और शाम 7-8 बजे वहां ताला बंद कर लोग लौट जाते हैं। रात में वहां केवल सुरक्षाकर्मी ही रह जाते हैं।
छत्तीसगढ़ की नई राजधानी और मंत्रालय की हालत भी कमोवेश ऐसी ही है। वहां बसाहट दूर-दूर तक नहीं है। केवल सरकारी भवन ही दिखाई देते हैं। हालत यह है कि मुख्य सड़क से मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय की दूरी 10 किलोमीटर के आसपास है। सड़कों की हालत भी भूलभूलैया जैसी है। सुबह एक पुलिस के वाहन से मुख्य सड़क से मंत्रालय तक यातायात कर्मियों को उनके प्वाइंट में छोड़ दिया जाता है और शाम को वहीं से वापस लाया जाता है। सुरक्षाकर्मी मंत्रालय में पदस्थ सरकारी कर्मचारी भी बस से मंत्रालय पहुंचते हैं और शाम को वहीं से वापस लौटते हैं। आमजनों के लिये मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय पहुंचने के लिये केवल सिटी बस की व्यवस्था है और वह भी कब आती है कब जाती है इसका इंतजार करना पड़ता है।
मंत्री तो जाते ही नहीं
छत्तीसगढ़ के इस नयी राजधानी, मंत्रालय भवन की हालत यह है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कक्ष खुलते हैं और बंद भी होते हैं क्योंकि डीकेएस मंत्रालय भवन की तरह यहां डॉ. रमन मंत्रिमंडल के सदस्यों के आने का वक्त तय नहीं है। डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के सवा दो करोड़ लोगों के सपनों को साकार करने वाले इसे अत्याधुनिक नया मंत्रालय कहा था पर वे भी नया मंत्रालय बनने के बाद ऊंगलियों में गिने जाने बाद ही मंत्रालय भवन गये हैं। रही हालत और मंत्रियों की तो कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू को छोड़कर अन्य मंत्री तो वहां पहुंचते ही नहीं हैं। चंद्रशेखर साहू को भी मंत्रालय भवन से प्रेम नहीं है बल् िक उनकी अभनपुर विधानसभा पास पड़ती है इसलिये उनकी विधानसभा के लोग भी वहां पहुंचते हैं इसलिये चम्पू भैया नये मंत्रालय में अक्सर दिखाई देते हैं। राजधानी के दो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत भी कम ही दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल , केदार कश्यप तो विशेष प्रवास पर गये थे इसलिए वहां काफी दिनों से नहीं गये। अन्य मंत्रियों की हालत भी यही है वे पुरानी राजधानी स्थित अपने मंत्री निवास से ही काम चला रहे हैं। वहीं अपनी विधानसभा के लोगों को बुलाकर समस्या का समाधान फोन पर संबंधित विभाग के सचिव को निर्देश देकर ही करते हैं। कुछ प्रभावशाली मंत्री तो अपने सचिवों को बंगले में बुलाकर भी काम करा रहे हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के सभी सदस्य केवल एक बार ही नये मंत्रालय भवन में जुट सके हैं। नई राजधानी बनने के बाद एक बार मंत्रिमंडल की बैठक नये मंत्रालय भवन में हुई थी। उसमें लगभग सभी मंत्री पहली बार नये मंत्रालय भवन में एकत्रित हुए थे। मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक तो विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान हुई थी पर वह मंत्रिमंडल की बैठक विधानसभा में ही हो गई थी और अब मंत्रिमंडल की तीसरी बैठक 22 जनवरी को सुबह राज्य मंत्रालय (महानदी) में होने जा रही है। यह नये मंत्रालय में दूसरी बैठक होगी तो नये साल की पहली बैठक होगी। देखना है कि कितने मंत्री इस बैठक में जुटते हैं।
मुख्यसचिव जरूर जाते हैं...!
छत्तीसगढ़ के नये मंत्रालय भवन (महानदी) में मुख्यसचिव सुनील कुमार जरूर रोज सुबह 10 बजे तक निश्चित ही पहुंच जाते हैं और रात 9 बजे तक मंत्रालय में उपस्थित रहते हैं। मुख्यसचिव जरूर काम के दिनों में मंत्रालय में मिल सकते हैं यह तय है। बाकी के अतिरिक् त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव मंत्रालय आते -जाते रहते हैं क्योंकि मुख्य सचिव की मंत्रालय में लम्बी बैठक है। वैसे किसी सचिव स्तर के अधिकारी से मुलाकात करना हो तो समय लेकर जाना ही बेहत्तर है क्योंकि यदि साहब का मोबाईल बंद है या घंटी बजने के बाद फोन रिसीव नहीं किया जा रहा है तो 'साहबÓ को ढूंढना मुश्किल है। साहब की लोकेशन बताने मंत्रालय में कोई भी मौजूद नहीं रहता है। कभी कहा जाता है कि साहब रायपुर शहर में है, कभी मंत्री के बंगले गये हैं कभी दौरे में हैं यही बताया जाता है। यदि साहब अपने चेम्बर में नहीं हैं और मंत्रालय भवन में ही कहीं मौजूद हैं तो भी उन्हें भूलभुलैया भवन में ढूंढना असंभव तो नहीं पर मुश्किल जरूर है। एक बात और भी यह है कि मंत्रालय भवन में कुछ मोबाईल कंपनियों का टॉवर ही नहीं मिलता है यानि बातचीत संभव नहीं है।
पुलिस मुख्यालय !
छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय भी मंत्रालय महानदी भवन के बगल में स्थित भवन के बगल में स्थित भवन में पुलिस मुख्यालय स्थापित किया गया है। बगल के भवन में अभी भी पुलिस मुख्यालय के कार्यालय स्थानांतरित हो रहा है पर राजधानी स्थित पुराने पुलिस मुख्यालय के अपने कक्ष को अधिकारियों ने पूरी तरह रिक्त नहीं किया है अभी भी कुछ अफसर पुरानी राजधानी के भवन में बैठने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। पुलिस महानिदेशक रामनिवास यादव के तो पुरानी राजधानी में चेम्बर है तो नई राजधानी में भी चेम्बर बन गया है पर वे पुराने पुलिस मुख्यालय में ही अधिक बैठना पसंद करते हैं।
पांच दिन का सप्ताह
नये मंत्रालय भवन में कार्यावधि में प्रस्तावित फेरबदल और सप्ताह में पांच दिन कार्य को लेकर भी अब चर्चा तेज है।
मिली जानकारी के अनुसार नये मंत्रालय (महानदी) में अब कार्यावधि सुबह 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक करना भी प्रस्तावित है। वैसे अभी ऐसा कुछ निर्णय नहीं लिया गया है फिर चर्चा की खबर मिलते ही मंत्रालय कर्मचारी संघ की अध्यक्ष हेमलता एक्का ने हाल ही में राजस्व सचिव बाबूलाल अग्रवाल से मुलाकात कर सुबह 9.30 बजे से मंत्रालय में कामकाज शुरू करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि कामकाजी महिलाओं को घर की जिम्मेदारी का भी निर्वहन करना पड़ता है सुबह 9.30 बजे मंत्रालय में काम पर पहुंचना संभव नहीं है।
इधर अब राज्य में मंत्रालय भवन में 5 दिन का सप्ताह करने पर भी विचार चल रहा है। सूत्रों का तर्क है कि प्रति माह दूसरे और तीसरे शनिवार को वैसे भी अवकाश रहता है। यदि पहले और चौथे शनिवार यानि औसत 2 शनिवार को भी मंत्रालय में अवकाश किया जाए तो मंत्रालय आने-जाने में लगने वाला डीजल , पेट्रोल खपत कम होगा, मंत्रालय में विद्युत बिल की भी बचत की जा सकेगी वहीं सप्ताह में 2 दिन अवकाश होने के कारण मंत्रालय कर्मी/अधिकारी पूरी उर्जा के साथ 5 दिन काम कर सकेंगे। ज्ञात रहे कि डीकीएस भवन का बिजली बिल 8 से 10 लाख रूपए प्रतिमाह आता था वहीं नए मंत्रालय का दो माह का बिल क्रमश: 16, 19 लाख रूपए आया है। बहरहाल यह निर्णय मुख्यमंत्री/मुख्यसचिव स्तर पर होना है।
और अब बस
नये मंत्रालय भवन में रोजाना प्रवेश पत्र बनाने वालों की संख्या में कमी आने से सुरक्षा कार्यालय जरूर खुश है।
८
मंत्रालय यदि अपने वाहन से जाना है तो टायरों में हवा पहले चेक करा लें साथ ही स्टेपनी जरूर रखें, स्टेपनी बदलना आना विशेष योग्यता मानी जाएगी।
८
मंत्रालय में किसी मंत्री/अधिकारी से मुलाकात का समय तय है तो एक घंटे पहले मंत्रालय भवन पहुंचे क्योंकि संबंधित जनों का कार्यालय ढूंढने में कम से कम 45 मिनट तो जरूर लगेगा ही।
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