जुर्म खुद करना, इलजाम किसी पर धरना
यह नया नुस्खा है, बीमार भी कर सकता है
जागते रहिये की आवाज लगाने वाला
लूटने वालों को होशियार भी कर सकता है
छत्तीसगढ़ में अजात शत्रु माने जाने वाले मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह कुछ परेशान दिखाई दे रहे है। छग नियंत्रक और महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट ने कोयला खदानों के आबंटन में अनियमितता का आरोप लगाकर संसद के दोनों सदनों के नहीं चलने के बाद कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई सड़कों पर आ गई है और ऐसे मौैके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गड़करी के करीबी तथा भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती की एमएमएस इंफास्ट्रक्चर कंपनी को 552 रूपये मिट्रीक टन की दर के मुकाबले मात्र 129.60 पैसे की दर पर भाटागांव कोल ब्लाक आबंटन भाजपा के गले की हड्डी बन गया है। संचेती का प्रदेश में कोई उद्योग नहीं है वही पहले भी टोल प्लाजा के नाम पर वाणिज्य कर विभाग द्वारा संचेती की कंपनी बाद में उसकी वापसी भी चर्चा का कारण बनी हुई है। भिलाई-राजनांदगांव बायपास का निर्माण 150 करोड़ की लागत से कराया है।
कोल आबंटन में अनियमितता का आरोप लगाकर कांग्रेस ने तो डा. रमन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन कर चुकी है। वैसे कांग्रेस के अलावा डा. रमन सिंह की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे भाजपा के कुछ नेता भी अपनी तीखी टिप्पणी पहले ही कर चुके है। अप्रेल माह में छत्तीसगढ़ में कैग की रिपोर्ट में 1052 करोड़ के नुकसान की बात सामने आने पर देश और प्रदेश के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस ने तो यहां तक कह दिया था कि यदि गडकरी का करीबी होने के कारण संचेती को कोल ब्लाक दिया गया है तो मैं तो सांसद हूं मुझे भी कोल ब्लाक मिलना चाहिये। उन्होंने आबंटन प्रक्रिया पर सवाल उठाये थे यह बात और है कि अगले ही दिन बैस अपने आरोपों से पलट गये और प्रक्रिया को जायज ठहरा दिया। पर हाल ही में जनदर्शन कार्यक्रम में उन्होंने प्रदेश की कैग की रिपोर्ट पर संयुक्त विधायको की समिति से जांच कराने की भी वकालत कर दी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी पिछले लोस चुनाव में डा. चरणदास महंत से पराजित तथा हाल ही में राज्यसभा जाने से वंचित करूणा शुक्ला ने भी कैग की रिपोर्ट को काल्पनिक कहे जाने पर आपत्ति की थी। बहरहाल गडकरी से मामला जुड़ा होने के कारण खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के माध्यम से पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया गया। इधर 2002 में एनडीए सरकार के कोयला मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद पर भी उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा नवीन जिंदल के लिये सिफारिश पत्र देने और 2003 में नवीन जिंदल को उड़ीसा में कोल ब्लाक आबंटित होने का मामला भी चर्चा में आया है।
छत्तीसगढ़ में डा. रमन सिंह सरकार के खिलाफ एक बार आदिवासी एक्सप्रेस नेताओं ने दिल्ली जाकर मुहिम भी चलाई पर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सिंह का ही पक्ष लिया और मुहिम दबा दी गई। हाल ही में सरकार में शामिल एक आदिवासी मंत्री ने भी दिल्ली जाकर दबाव बनाया पर उन्हें भी मुह की खानी पड़ी। पर प्रदेश में कोल ब्लाक आबंटन के मुद्दे पर पहला मौका है जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को डा. रमन सिंह सरकार के बचाव के लिये उतरना पड़ा है।
लता, नंदकुमार या कोई और...
छत्तीसगढ़ में भी कोयला ब्लाक आबंटन को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को इस्तीफा देने रैली, धरना प्रदर्शन किया है तो कांग्रेस डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग को लेकर धरना रैली सभा करके मुख्यमंत्री निवास को घेरने का असफल प्रयास कर चुकी है। सीबीआई द्वारा ही में छत्तीसगढ़ में कोल ब्लाक लेने वाले कांग्रेस के सांसद विजय दर्डा और उनके भाई राजेन्द्र दर्डा के मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड नागपुर में छापा मार चुकी है वही सूत्र कहते है कि कांग्रेस सांसद के बाद नागपुर के ही भाजपा के राज्यसभा सदस्य तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी विजय संचेती का नंबर है उनकी एमएमएम इंफास्ट्रक्चर को काफी कम दर पर भटगांव कोल ब्लाक आबंटन किया गया है। सूत्र कहते है कि यदि संचेती के खिलाफ कार्यवाही होती है तो डा. रमन सिंह की मुश्किल बढ़ेंगी यह लगभग तय है। वैसे भी पुष्प स्टील्स, बमलेश्वरी माइंस एवं इस्पात आदि पहले ही कांग्रेस के निशाने पर है। केन्द्रीय कोयला मंत्री कपिल सिब्बल भाजपा शासित राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों वसुंधरा राजे सिंधिया (राजस्थान) शिवराज सिंह चौहान (मप्र) नवीन पटनायक (उड़ीसा) डा. रमन सिंह (छत्तीसगढ़) आदि के खिलाफ कोल आबंटन करने सिफारिश करने का आरोप लगा चुके है हालांकि छग से तत्कालीन मुख्य सचिव एके विजय वर्गीय ने पत्र लिखा था।
बहरहाल मान लो कि डा. रमन सिंह को हटाने की नौबत आती है तो विकल्प के तौर पर नये नेताओं का नाम भी चर्चा में है। सूत्र कहते है कि पहला नाम डा. रमन सिंह मंत्रिमंडल की सदस्य लता उसेण्डी का है। आदिवासी होने के साथ वे महिलाओं का भी नेतृत्व करती है, उनके सहारे नाराज आदिवासियों सहित महिला मतदाताओं को भी प्रभावित किया जा सकता है। दूसरा नाम राज्यसभा सदस्य नंदकुमार साय का भी उभरा है पहले नेता प्रतिपक्ष की भाजपा सरकार बनने के बाद उपेक्षा की गई थी पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके प्रति भी सहानुभूति रखते है फिर हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में संगमा द्वारा पराजय के बाद नई पार्टी बनाने की कोशिश पर भी नंदकुमार साय भाजपा के लिये अच्छा माहौल बना सकते हैं। हालांकि चर्चा तो सांसद रमेश बैस, रामविचार नेताम आदि की भी है पर ऐन चुनाव के पहले इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी ऐसा लगता नहीं है। खैर डा. रमन सिंह जिस तरह मजबूत बनकर उभरे हैं इसलिये उन्हें हटाना तो फिलहाल संभव नहीं है पर लगातार 9 साल मुख्यमंत्री रहना, भाजपा के वरिष्ठ नेता सौदान सिंह के सामने जिला स्तरों पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी उभरना भी हाई कमान के लिये चिंता का विषय बना हुआ है। खैर राजनीति में कब क्या ह जाए यह नहीं कहा जा सकता है।
त्रिफला च्वयनप्रास और आयुर्वेदिक डा. रमन
केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. चरणदास महंत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और नेता प्रतिक्ष रविन्द्र चौबे के त्रिफला के खिलाफ कांग्रेस के बाजार में अजीत जोगी ने च्वयनप्रास को विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि त्रिफला तो हाजमे के लिए लिया जाता है पर कमजोरी दूर करने तथा ताकत बढ़ाने च्वयनप्रास का उपयोग होता है और वह हमारे पास है। कांग्रेस के बीच चल रहे इन आयुर्वेदिक दवाओं का विकल्प तो आयुर्वेदिक चिकित्सक डा.रमन सिंह को ढूंढना है हालांकि पिछले 2 विधानसभा तथा लोक सभा चुनाव मेें उन्होंने काट तैयार कर उसका उपयोग किया था अब आगामी चुनाव में उन्हें त्रिफला और च्वयनप्रास का विकल्प तैयार करना होगा।
बहारहाल प्रदेश के एकमात्र कांगे्रसी सांसद तथा मनमोहन मंत्रिमंडल में शामिल डा.चरणदास महंत ने मंत्रीमंडल की शपथ लेकर पहलीबार रायपुर आकर कहा था कि डा.रमन सिंह से सत्ता से हटानेे त्रिफला तैयार किया गया है जिसमें नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे शामिल है यह त्रिफला ही भाजपा सरकार से लड़ाई करेगा और कांग्रेस को सत्ता दिलाएगा वैसे त्रिफला में डा.चरणदास महंद बाद मेें कम ही नजर आए। कुछ दिन दिल्ली में रहकर लौटे अजीत जोगी ने इसी त्रिफला के खिलाफ च्वयनप्रास का विकल्प सुझाया है यह भी कहा है कि कमजोरी दूर करने तथा ताकत बढ़ाने च्वयनप्रास हमारे पास से ले जाएं। ज्ञात रहे कि हाल ही मेें एक अफवाह उड़ी थी कि अजीत जोगी कांग्रेस छोड़ रहे हैं उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस में है और रहेंगे। दिल्ली में लंबी चर्चा भी हुई उससे कांग्रेस छोडऩे की अफवाह किसी ने उड़ा दी है। 10 जनपद से उनकी राजनीति शुरू हुई है और वहीं से खत्म भी होगी।
और अब बस
0 भाजपा सरकार के गृहमंत्री तथा वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने कोरबा के कलेक्टर और पुलिस कप्तान पर कांग्रेसियों को अभयदान देकर भाजपाईयों को प्रताडि़त करने का आरोप लगाकर सभी को चौंका दिया है।
0 उच्च न्यायालय ने चार पावर प्लांट का भूमि अधिग्रहण रद्द कर दिया है जिसमें जांजगीर की एसकेएस महानदी भी शामिल हैं। वल्र्ड बैंक के सहयोग से बने बांध को इसी पावर प्लांट को राज्य सरकार द्वारा बेचे जाने की चर्चा लंबे समय तक चली भी है।
0 नए कलेक्टर कोमल सिद्धार्थ परदेशी ने कार्यभार सम्हालते ही अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। जनहित में उनकी रूचि देखकर पूर्व एडीएम कोमल सिंह की याद ताजा हो रही हैं।
यह नया नुस्खा है, बीमार भी कर सकता है
जागते रहिये की आवाज लगाने वाला
लूटने वालों को होशियार भी कर सकता है
छत्तीसगढ़ में अजात शत्रु माने जाने वाले मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह कुछ परेशान दिखाई दे रहे है। छग नियंत्रक और महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट ने कोयला खदानों के आबंटन में अनियमितता का आरोप लगाकर संसद के दोनों सदनों के नहीं चलने के बाद कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई सड़कों पर आ गई है और ऐसे मौैके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गड़करी के करीबी तथा भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती की एमएमएस इंफास्ट्रक्चर कंपनी को 552 रूपये मिट्रीक टन की दर के मुकाबले मात्र 129.60 पैसे की दर पर भाटागांव कोल ब्लाक आबंटन भाजपा के गले की हड्डी बन गया है। संचेती का प्रदेश में कोई उद्योग नहीं है वही पहले भी टोल प्लाजा के नाम पर वाणिज्य कर विभाग द्वारा संचेती की कंपनी बाद में उसकी वापसी भी चर्चा का कारण बनी हुई है। भिलाई-राजनांदगांव बायपास का निर्माण 150 करोड़ की लागत से कराया है।
कोल आबंटन में अनियमितता का आरोप लगाकर कांग्रेस ने तो डा. रमन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन कर चुकी है। वैसे कांग्रेस के अलावा डा. रमन सिंह की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे भाजपा के कुछ नेता भी अपनी तीखी टिप्पणी पहले ही कर चुके है। अप्रेल माह में छत्तीसगढ़ में कैग की रिपोर्ट में 1052 करोड़ के नुकसान की बात सामने आने पर देश और प्रदेश के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस ने तो यहां तक कह दिया था कि यदि गडकरी का करीबी होने के कारण संचेती को कोल ब्लाक दिया गया है तो मैं तो सांसद हूं मुझे भी कोल ब्लाक मिलना चाहिये। उन्होंने आबंटन प्रक्रिया पर सवाल उठाये थे यह बात और है कि अगले ही दिन बैस अपने आरोपों से पलट गये और प्रक्रिया को जायज ठहरा दिया। पर हाल ही में जनदर्शन कार्यक्रम में उन्होंने प्रदेश की कैग की रिपोर्ट पर संयुक्त विधायको की समिति से जांच कराने की भी वकालत कर दी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी पिछले लोस चुनाव में डा. चरणदास महंत से पराजित तथा हाल ही में राज्यसभा जाने से वंचित करूणा शुक्ला ने भी कैग की रिपोर्ट को काल्पनिक कहे जाने पर आपत्ति की थी। बहरहाल गडकरी से मामला जुड़ा होने के कारण खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के माध्यम से पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया गया। इधर 2002 में एनडीए सरकार के कोयला मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद पर भी उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा नवीन जिंदल के लिये सिफारिश पत्र देने और 2003 में नवीन जिंदल को उड़ीसा में कोल ब्लाक आबंटित होने का मामला भी चर्चा में आया है।
छत्तीसगढ़ में डा. रमन सिंह सरकार के खिलाफ एक बार आदिवासी एक्सप्रेस नेताओं ने दिल्ली जाकर मुहिम भी चलाई पर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सिंह का ही पक्ष लिया और मुहिम दबा दी गई। हाल ही में सरकार में शामिल एक आदिवासी मंत्री ने भी दिल्ली जाकर दबाव बनाया पर उन्हें भी मुह की खानी पड़ी। पर प्रदेश में कोल ब्लाक आबंटन के मुद्दे पर पहला मौका है जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को डा. रमन सिंह सरकार के बचाव के लिये उतरना पड़ा है।
लता, नंदकुमार या कोई और...
छत्तीसगढ़ में भी कोयला ब्लाक आबंटन को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को इस्तीफा देने रैली, धरना प्रदर्शन किया है तो कांग्रेस डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग को लेकर धरना रैली सभा करके मुख्यमंत्री निवास को घेरने का असफल प्रयास कर चुकी है। सीबीआई द्वारा ही में छत्तीसगढ़ में कोल ब्लाक लेने वाले कांग्रेस के सांसद विजय दर्डा और उनके भाई राजेन्द्र दर्डा के मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड नागपुर में छापा मार चुकी है वही सूत्र कहते है कि कांग्रेस सांसद के बाद नागपुर के ही भाजपा के राज्यसभा सदस्य तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी विजय संचेती का नंबर है उनकी एमएमएम इंफास्ट्रक्चर को काफी कम दर पर भटगांव कोल ब्लाक आबंटन किया गया है। सूत्र कहते है कि यदि संचेती के खिलाफ कार्यवाही होती है तो डा. रमन सिंह की मुश्किल बढ़ेंगी यह लगभग तय है। वैसे भी पुष्प स्टील्स, बमलेश्वरी माइंस एवं इस्पात आदि पहले ही कांग्रेस के निशाने पर है। केन्द्रीय कोयला मंत्री कपिल सिब्बल भाजपा शासित राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों वसुंधरा राजे सिंधिया (राजस्थान) शिवराज सिंह चौहान (मप्र) नवीन पटनायक (उड़ीसा) डा. रमन सिंह (छत्तीसगढ़) आदि के खिलाफ कोल आबंटन करने सिफारिश करने का आरोप लगा चुके है हालांकि छग से तत्कालीन मुख्य सचिव एके विजय वर्गीय ने पत्र लिखा था।
बहरहाल मान लो कि डा. रमन सिंह को हटाने की नौबत आती है तो विकल्प के तौर पर नये नेताओं का नाम भी चर्चा में है। सूत्र कहते है कि पहला नाम डा. रमन सिंह मंत्रिमंडल की सदस्य लता उसेण्डी का है। आदिवासी होने के साथ वे महिलाओं का भी नेतृत्व करती है, उनके सहारे नाराज आदिवासियों सहित महिला मतदाताओं को भी प्रभावित किया जा सकता है। दूसरा नाम राज्यसभा सदस्य नंदकुमार साय का भी उभरा है पहले नेता प्रतिपक्ष की भाजपा सरकार बनने के बाद उपेक्षा की गई थी पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके प्रति भी सहानुभूति रखते है फिर हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में संगमा द्वारा पराजय के बाद नई पार्टी बनाने की कोशिश पर भी नंदकुमार साय भाजपा के लिये अच्छा माहौल बना सकते हैं। हालांकि चर्चा तो सांसद रमेश बैस, रामविचार नेताम आदि की भी है पर ऐन चुनाव के पहले इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी ऐसा लगता नहीं है। खैर डा. रमन सिंह जिस तरह मजबूत बनकर उभरे हैं इसलिये उन्हें हटाना तो फिलहाल संभव नहीं है पर लगातार 9 साल मुख्यमंत्री रहना, भाजपा के वरिष्ठ नेता सौदान सिंह के सामने जिला स्तरों पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी उभरना भी हाई कमान के लिये चिंता का विषय बना हुआ है। खैर राजनीति में कब क्या ह जाए यह नहीं कहा जा सकता है।
त्रिफला च्वयनप्रास और आयुर्वेदिक डा. रमन
केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. चरणदास महंत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और नेता प्रतिक्ष रविन्द्र चौबे के त्रिफला के खिलाफ कांग्रेस के बाजार में अजीत जोगी ने च्वयनप्रास को विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि त्रिफला तो हाजमे के लिए लिया जाता है पर कमजोरी दूर करने तथा ताकत बढ़ाने च्वयनप्रास का उपयोग होता है और वह हमारे पास है। कांग्रेस के बीच चल रहे इन आयुर्वेदिक दवाओं का विकल्प तो आयुर्वेदिक चिकित्सक डा.रमन सिंह को ढूंढना है हालांकि पिछले 2 विधानसभा तथा लोक सभा चुनाव मेें उन्होंने काट तैयार कर उसका उपयोग किया था अब आगामी चुनाव में उन्हें त्रिफला और च्वयनप्रास का विकल्प तैयार करना होगा।
बहारहाल प्रदेश के एकमात्र कांगे्रसी सांसद तथा मनमोहन मंत्रिमंडल में शामिल डा.चरणदास महंत ने मंत्रीमंडल की शपथ लेकर पहलीबार रायपुर आकर कहा था कि डा.रमन सिंह से सत्ता से हटानेे त्रिफला तैयार किया गया है जिसमें नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे शामिल है यह त्रिफला ही भाजपा सरकार से लड़ाई करेगा और कांग्रेस को सत्ता दिलाएगा वैसे त्रिफला में डा.चरणदास महंद बाद मेें कम ही नजर आए। कुछ दिन दिल्ली में रहकर लौटे अजीत जोगी ने इसी त्रिफला के खिलाफ च्वयनप्रास का विकल्प सुझाया है यह भी कहा है कि कमजोरी दूर करने तथा ताकत बढ़ाने च्वयनप्रास हमारे पास से ले जाएं। ज्ञात रहे कि हाल ही मेें एक अफवाह उड़ी थी कि अजीत जोगी कांग्रेस छोड़ रहे हैं उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस में है और रहेंगे। दिल्ली में लंबी चर्चा भी हुई उससे कांग्रेस छोडऩे की अफवाह किसी ने उड़ा दी है। 10 जनपद से उनकी राजनीति शुरू हुई है और वहीं से खत्म भी होगी।
और अब बस
0 भाजपा सरकार के गृहमंत्री तथा वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने कोरबा के कलेक्टर और पुलिस कप्तान पर कांग्रेसियों को अभयदान देकर भाजपाईयों को प्रताडि़त करने का आरोप लगाकर सभी को चौंका दिया है।
0 उच्च न्यायालय ने चार पावर प्लांट का भूमि अधिग्रहण रद्द कर दिया है जिसमें जांजगीर की एसकेएस महानदी भी शामिल हैं। वल्र्ड बैंक के सहयोग से बने बांध को इसी पावर प्लांट को राज्य सरकार द्वारा बेचे जाने की चर्चा लंबे समय तक चली भी है।
0 नए कलेक्टर कोमल सिद्धार्थ परदेशी ने कार्यभार सम्हालते ही अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। जनहित में उनकी रूचि देखकर पूर्व एडीएम कोमल सिंह की याद ताजा हो रही हैं।
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