ये जो सियासी घराने है, सब एक निकले
बुझाने वाले-जलाने वाले, सब एक निकले
खाने वाले-खिलाने वाले, सब एक निकले
बचाने वाले-गिराने वाले, सब एक निकलेमहंगाई से पहले से परेशान आम जनता पर केन्द्र सरकार ने डीजल के दामों में 5 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि कर भारी भरकम बोझ डाल दिया है यही नहीं अब रसोई गैस के मात्र 6 सिलेण्डरों ही एक वर्ष में सब्सिडी पर मिलेगें वहीं सातवां सिलेण्डर अब बाजार दर यानि 750 से 800 रूपये में खरीदना होगा।
4 सदस्यीय परिवार को माह में एक गैस सिलेण्डर लगता है इस हिसाब से साल में 12 गैस सिलेण्डर लगते हैं। अभी राजधानी रायपुर में 405 रूपये प्रति सिलेण्डर सब्सिडी के साथ मिलते है। सरकार को चाहिये था कि 100 रूपये प्रति सिलेण्डर की दर में वृद्धि करके 12 सिलेण्डर साल में सब्सिडी के तहत देती और 12 से अधिक गैस सिलेण्डर को बाजार भाव यानि 750 से 800 रूपये खरीदने की बाध्यता रखती तो बेहतर होता। सरकार मानती है कि देश की करीब 44 प्रतिशत आबादी 6 सिलेण्डर ही उपयोग करती है पता नहीं यह आंकड़ा कहां से एकत्रित किया गया है। इधर इसी केन्द्र सरकार के योजना आयोग ने कहा था कि जिनकी एक दिन की कमाई 28 रूपये है वह गरीब नहीं है। वह आंकड़ा भी कहां से एकत्रित किया गया था यह भी पता नहीं चला है।
सरकार ने डीजल की कीमत प्रति लीटर 5 रूपये की वृद्धि की है। इसमें से 3.50 पैसे तेल कंपनियों तथा शेष 1.50 पैसे सरकार के खजाने में बतौर शुल्क और कर जमा होगा। जाहिर है कि डीजल के 5 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि से परिवहन महंगा होगा तो उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होगी और अनुमान लगाया जा रहा हैकि इससे एक फीसदी महंगाई में वृद्धि होगी। डीजल के महंगा होते ही परिवहन भाड़े में 15 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की गई है वही सब्जियों के दाम भी 05 प्रतिशत बढ़ा दिये गये है इसका असर आम आदमी पर जरूर पड़ेगा यह तो तय है।
रमन से अपेक्षा
छत्तीसगढ़ में गरीब और गरीबी सीमा रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को एक-दो रूपये प्रति किलो चावल बांटकर डा. रमन सिंह ने पूरे देश में एक मिसाल कायम किया है। उनका मानना है कि प्रदेश में कोई भी भूखा पेट नहीं सोएगा। उन्होंने चना, नमक आदि वितरण के साथ ही मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, स्कूली छात्राओं को सायकल आदि देने की योजनाएं शुरू की है। पर डीजल और रसोई गैस सिलेण्डर के दामों में वृद्धि के बाद वे कोई राहत देने के मूड में नहीं है। वे वैट प्रदेश में कम करने से इंकार कर रहे हैं क्यों?
हाल ही में रसोई गैसे की 6 सिलेण्डर की शर्त पर गोवा सरकार ने राज्य की ओर से सब्सिडी देने की घोषणा की है। तीन लाख वार्षिक आय वाले परिवारों को गोवा सरकार ने रियायती दर पर ही गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराएगी और खर्च राज्य खुद वहन करेगी। वही गोवा सरकार ने पहले भी गैस और पेट्रोल में वैट कर कम करके प्रदेश वासियों को राहत दी है। केन्द्र द्वारा डीजल की कीमत में प्रति लीटर 5 रूपये की वृद्धि के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने वैट 20 प्रतिशत की जगह 8 प्रतिशत करके 95 पैसे प्रति लीटर कम करने का प्रयास किया है तो केरल राज्य सरकार ने वैट कम करके एक रूपये 15 पैसे प्रति लीटर की राहत राज्य के निवासियों को दी है।
छत्तीसगढ़ सरकार भी कुछ ऐसा ही कदम उठा सकती है। छत्तीसगढ़ में वैट 25 प्रतिशत है जो अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत है। वैसे बहुत कम लोगों को पता है कि राज्य सरकार को डीजल-पैट्रोल से जितनी आय वैट के रूप में मिलती है उतनी आय तो शराब से भी नहीं होती है। शायद इसी लिये डा. रमन सिंह वैट कम करने के पक्ष में नहीं है। वैसे दिल्ली राज्य में पैट्रोल पर 19 प्रतिशत तथा डीजल पर 13.29 प्रतिशत वैट है।
अमन पर कांग्रेस का हमला
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के साथ उनके सबसे करीबी संविदा सचिव अमन सिंह भी अब कांग्रेस के निशाने मे ंहैं। हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत नागवंशी ने 2733 पृष्ठों की जानकारी एकत्रित करके 7200 करोड़ के गोलमाल का आरोप लगाकर उसे उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका लगाकर संविदा सचिव उर्जा अमन सिंह को नोटिस दिलवा दिया है। वहीं छग कैग की रिपोर्ट में भी उर्जा विभाग पर 1700 करोड़ का अनियमितता उजागर की थी। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार विद्युत उत्पादकों से बिजली खरीदने से वितरण कंपनी को एक साल में 420 करोड़ का और पारेषण कंपनी को ट्रांस मिशन हानि होने पर 1122 करोड़ का नुकसान हुआ।
दरअसल अमन सिंह भारतीय राजस्व सेवा के 1995 बैच के अधिकारी है और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद सन् 2004 से मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ है। प्रमुख सचिव उर्जा तथा अपनी इमानदारी के लिये चर्चित डीएस मिश्रा को हटाकर उनके स्थान पर अमन सिंह को उर्जा सचिव बनाया गया यह पहला अवसर देश में था जब किसी आई आरएस अफसर को उर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौपी गई है। जबकि छग को पावर हब बनाने कई निवेशकों से एमओयू का दौर जारी था। हद तो तब हो गई जब राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को अमन सिंह की प्रति नियुक्ति की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया और केन्द्र सरकार ने इंकार कर दिया। उसके बाद 27 जनवरी 10 को भारतीय राजस्व अधिकारी आईआरएस से अमन सिंह ने इस्तीफा दे दिया और राज्य सरकार ने समान पद पर संविदा नियुक्ति कर लिया है। मुख्यमंत्री किसी को भी संविदा नियुक्ति में अपने पास यानि मुख्यमंत्री सचिवालय में रख सकते है पर जो शासकीय सेवा में ही नहीं है उसे उर्जा मंत्रालय में सचिव पद पर नियुक्ति कैसे की जा सकती है। सवाल तो मंत्रालय में अभी तक उठ रहा है कि जिस अफसर अमन सिंह की 20 साल से अधिक सेवा बची थी उसने अखिल भारतीय स्तर की आईआरएस सेवा से इस्तीफा क्यों दे दिया जबकि छत्तीसगढ़ में उनके रिश्ते नातेदार भी नहीं है। सबसे अधिक आश्चर्य तो उस समय मीडिया साथियों के यशगान का भी रहा। उनका त्यागपत्र राज्यहित में बताया गया। बहरहाल कांग्रेस ने अब अमन सिंह को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इनके एक रिश्तेदार तथा छग शासन के पूर्व अधिकारी से हाल ही में कोयला मामले में सीबीआई प्रारंभिक पूछताछ भी कर चुकी है। डा. रमन मंत्रिमंडल के एक सदस्य कहते है कि अमन सिंह तो सुपर सीएम है। उनकी संविदा नियुक्ति पर मंत्रिमंडल में एक बार मुहर लगी है अब संविदा नियुक्ति बढ़ाने का फैसला तो नई सरकार के गठन के बाद ही लिया जाएगा। तब तक देखे कि क्या होता है। अभी तो नियुक्ति करने वाले और कराने वाले ही असमंजस में है।
विद्याचरण को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी....
देश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा इंदिरा राजीव गांधी के कभी काफी करीबी रहे विद्याचरण शुक्ल को कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ प्रधानमंत्री की बुरे समय में संकट मोचन रहे विद्या भैय्या का सभी दलों के नेताओं से मधुर रिश्ते भी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुलायाम सिंह, शरद पवार, शरद यादव आदि से उनके रिश्ते भी मधुर है। इनमें से कुछ तो उनके समकालीन है। सुत्र कहते है कि जब भी सरकार संकट में होती थी तो पहले आर.के. धवन, माखनलाल फोतेदार, विद्याचरण शुक्ल प्रणब मुखर्जी आदि मध्यस्थ की भूमिका अदा करके विपक्ष को मना लेते थे। हाल ही में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार कोल ब्लाक आबंटन में अनियमितता को लेकर लोकसभा-राज्यसभा ही विपक्षी दल भाजपा ने नहीं चलने दी। भाजपा का यह भी खुला आरोप था कि सरकार की तरफ से कोई ठोस पहल ही नहीं हुई। बहरहाल कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को विद्याचरण शुक्ल का नाम भी सुझाया है और उनके उपयोग की भी सलाह दी है। हालांकि विद्या भैय्या का कैसे उपयोग होगा यह तो अभी तय नहीं है पर केन्द्र सरकार के सामने मौजूदा परिस्थितियां और विपक्ष के बढ़ते हमले के बीच यदि सक्रिय रूप से विद्याचरण शुक्ल का कांग्रेस हाई कमान उपयोग करें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। वैसे दिल्ली में विद्याचरण शुक्ल को लेकर जमकर चर्चा है।
और अब बस
0 कोयला ब्लाक आबंटन में अनियमितता की सीबीआई (सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन) जांच कर रही है। एक भाजपा नेता ने अपने समर्थकों को समझाया चिंता की बात नहीं है मेरा बैक खाता सीबीआई में नहीं एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) में है।
0 कोयला ब्लाक अनियमितता में सीबीआई ने एक समधी से पूछताछ कर ली है अब दूसरे समधी से पूछताछ का इंतजार किया जा रहा है।
0 बंगलादेश में चोरों को रायपुर क्राइम स्काड ने पकड़ा है। एक भाजपाई ने इसके लिये इंदिरा गांधी को दोषी बताया है। उसका कहना है कि इंदिरा जी द्वारा न बंगलादेश बनाया जाता और न ही वहां से लोग रायपुर चोरी करने आते।
बुझाने वाले-जलाने वाले, सब एक निकले
खाने वाले-खिलाने वाले, सब एक निकले
बचाने वाले-गिराने वाले, सब एक निकलेमहंगाई से पहले से परेशान आम जनता पर केन्द्र सरकार ने डीजल के दामों में 5 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि कर भारी भरकम बोझ डाल दिया है यही नहीं अब रसोई गैस के मात्र 6 सिलेण्डरों ही एक वर्ष में सब्सिडी पर मिलेगें वहीं सातवां सिलेण्डर अब बाजार दर यानि 750 से 800 रूपये में खरीदना होगा।
4 सदस्यीय परिवार को माह में एक गैस सिलेण्डर लगता है इस हिसाब से साल में 12 गैस सिलेण्डर लगते हैं। अभी राजधानी रायपुर में 405 रूपये प्रति सिलेण्डर सब्सिडी के साथ मिलते है। सरकार को चाहिये था कि 100 रूपये प्रति सिलेण्डर की दर में वृद्धि करके 12 सिलेण्डर साल में सब्सिडी के तहत देती और 12 से अधिक गैस सिलेण्डर को बाजार भाव यानि 750 से 800 रूपये खरीदने की बाध्यता रखती तो बेहतर होता। सरकार मानती है कि देश की करीब 44 प्रतिशत आबादी 6 सिलेण्डर ही उपयोग करती है पता नहीं यह आंकड़ा कहां से एकत्रित किया गया है। इधर इसी केन्द्र सरकार के योजना आयोग ने कहा था कि जिनकी एक दिन की कमाई 28 रूपये है वह गरीब नहीं है। वह आंकड़ा भी कहां से एकत्रित किया गया था यह भी पता नहीं चला है।
सरकार ने डीजल की कीमत प्रति लीटर 5 रूपये की वृद्धि की है। इसमें से 3.50 पैसे तेल कंपनियों तथा शेष 1.50 पैसे सरकार के खजाने में बतौर शुल्क और कर जमा होगा। जाहिर है कि डीजल के 5 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि से परिवहन महंगा होगा तो उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होगी और अनुमान लगाया जा रहा हैकि इससे एक फीसदी महंगाई में वृद्धि होगी। डीजल के महंगा होते ही परिवहन भाड़े में 15 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की गई है वही सब्जियों के दाम भी 05 प्रतिशत बढ़ा दिये गये है इसका असर आम आदमी पर जरूर पड़ेगा यह तो तय है।
रमन से अपेक्षा
छत्तीसगढ़ में गरीब और गरीबी सीमा रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को एक-दो रूपये प्रति किलो चावल बांटकर डा. रमन सिंह ने पूरे देश में एक मिसाल कायम किया है। उनका मानना है कि प्रदेश में कोई भी भूखा पेट नहीं सोएगा। उन्होंने चना, नमक आदि वितरण के साथ ही मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, स्कूली छात्राओं को सायकल आदि देने की योजनाएं शुरू की है। पर डीजल और रसोई गैस सिलेण्डर के दामों में वृद्धि के बाद वे कोई राहत देने के मूड में नहीं है। वे वैट प्रदेश में कम करने से इंकार कर रहे हैं क्यों?
हाल ही में रसोई गैसे की 6 सिलेण्डर की शर्त पर गोवा सरकार ने राज्य की ओर से सब्सिडी देने की घोषणा की है। तीन लाख वार्षिक आय वाले परिवारों को गोवा सरकार ने रियायती दर पर ही गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराएगी और खर्च राज्य खुद वहन करेगी। वही गोवा सरकार ने पहले भी गैस और पेट्रोल में वैट कर कम करके प्रदेश वासियों को राहत दी है। केन्द्र द्वारा डीजल की कीमत में प्रति लीटर 5 रूपये की वृद्धि के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने वैट 20 प्रतिशत की जगह 8 प्रतिशत करके 95 पैसे प्रति लीटर कम करने का प्रयास किया है तो केरल राज्य सरकार ने वैट कम करके एक रूपये 15 पैसे प्रति लीटर की राहत राज्य के निवासियों को दी है।
छत्तीसगढ़ सरकार भी कुछ ऐसा ही कदम उठा सकती है। छत्तीसगढ़ में वैट 25 प्रतिशत है जो अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत है। वैसे बहुत कम लोगों को पता है कि राज्य सरकार को डीजल-पैट्रोल से जितनी आय वैट के रूप में मिलती है उतनी आय तो शराब से भी नहीं होती है। शायद इसी लिये डा. रमन सिंह वैट कम करने के पक्ष में नहीं है। वैसे दिल्ली राज्य में पैट्रोल पर 19 प्रतिशत तथा डीजल पर 13.29 प्रतिशत वैट है।
अमन पर कांग्रेस का हमला
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के साथ उनके सबसे करीबी संविदा सचिव अमन सिंह भी अब कांग्रेस के निशाने मे ंहैं। हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत नागवंशी ने 2733 पृष्ठों की जानकारी एकत्रित करके 7200 करोड़ के गोलमाल का आरोप लगाकर उसे उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका लगाकर संविदा सचिव उर्जा अमन सिंह को नोटिस दिलवा दिया है। वहीं छग कैग की रिपोर्ट में भी उर्जा विभाग पर 1700 करोड़ का अनियमितता उजागर की थी। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार विद्युत उत्पादकों से बिजली खरीदने से वितरण कंपनी को एक साल में 420 करोड़ का और पारेषण कंपनी को ट्रांस मिशन हानि होने पर 1122 करोड़ का नुकसान हुआ।
दरअसल अमन सिंह भारतीय राजस्व सेवा के 1995 बैच के अधिकारी है और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद सन् 2004 से मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ है। प्रमुख सचिव उर्जा तथा अपनी इमानदारी के लिये चर्चित डीएस मिश्रा को हटाकर उनके स्थान पर अमन सिंह को उर्जा सचिव बनाया गया यह पहला अवसर देश में था जब किसी आई आरएस अफसर को उर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौपी गई है। जबकि छग को पावर हब बनाने कई निवेशकों से एमओयू का दौर जारी था। हद तो तब हो गई जब राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को अमन सिंह की प्रति नियुक्ति की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया और केन्द्र सरकार ने इंकार कर दिया। उसके बाद 27 जनवरी 10 को भारतीय राजस्व अधिकारी आईआरएस से अमन सिंह ने इस्तीफा दे दिया और राज्य सरकार ने समान पद पर संविदा नियुक्ति कर लिया है। मुख्यमंत्री किसी को भी संविदा नियुक्ति में अपने पास यानि मुख्यमंत्री सचिवालय में रख सकते है पर जो शासकीय सेवा में ही नहीं है उसे उर्जा मंत्रालय में सचिव पद पर नियुक्ति कैसे की जा सकती है। सवाल तो मंत्रालय में अभी तक उठ रहा है कि जिस अफसर अमन सिंह की 20 साल से अधिक सेवा बची थी उसने अखिल भारतीय स्तर की आईआरएस सेवा से इस्तीफा क्यों दे दिया जबकि छत्तीसगढ़ में उनके रिश्ते नातेदार भी नहीं है। सबसे अधिक आश्चर्य तो उस समय मीडिया साथियों के यशगान का भी रहा। उनका त्यागपत्र राज्यहित में बताया गया। बहरहाल कांग्रेस ने अब अमन सिंह को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इनके एक रिश्तेदार तथा छग शासन के पूर्व अधिकारी से हाल ही में कोयला मामले में सीबीआई प्रारंभिक पूछताछ भी कर चुकी है। डा. रमन मंत्रिमंडल के एक सदस्य कहते है कि अमन सिंह तो सुपर सीएम है। उनकी संविदा नियुक्ति पर मंत्रिमंडल में एक बार मुहर लगी है अब संविदा नियुक्ति बढ़ाने का फैसला तो नई सरकार के गठन के बाद ही लिया जाएगा। तब तक देखे कि क्या होता है। अभी तो नियुक्ति करने वाले और कराने वाले ही असमंजस में है।
विद्याचरण को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी....
देश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा इंदिरा राजीव गांधी के कभी काफी करीबी रहे विद्याचरण शुक्ल को कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ प्रधानमंत्री की बुरे समय में संकट मोचन रहे विद्या भैय्या का सभी दलों के नेताओं से मधुर रिश्ते भी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुलायाम सिंह, शरद पवार, शरद यादव आदि से उनके रिश्ते भी मधुर है। इनमें से कुछ तो उनके समकालीन है। सुत्र कहते है कि जब भी सरकार संकट में होती थी तो पहले आर.के. धवन, माखनलाल फोतेदार, विद्याचरण शुक्ल प्रणब मुखर्जी आदि मध्यस्थ की भूमिका अदा करके विपक्ष को मना लेते थे। हाल ही में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार कोल ब्लाक आबंटन में अनियमितता को लेकर लोकसभा-राज्यसभा ही विपक्षी दल भाजपा ने नहीं चलने दी। भाजपा का यह भी खुला आरोप था कि सरकार की तरफ से कोई ठोस पहल ही नहीं हुई। बहरहाल कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को विद्याचरण शुक्ल का नाम भी सुझाया है और उनके उपयोग की भी सलाह दी है। हालांकि विद्या भैय्या का कैसे उपयोग होगा यह तो अभी तय नहीं है पर केन्द्र सरकार के सामने मौजूदा परिस्थितियां और विपक्ष के बढ़ते हमले के बीच यदि सक्रिय रूप से विद्याचरण शुक्ल का कांग्रेस हाई कमान उपयोग करें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। वैसे दिल्ली में विद्याचरण शुक्ल को लेकर जमकर चर्चा है।
और अब बस
0 कोयला ब्लाक आबंटन में अनियमितता की सीबीआई (सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन) जांच कर रही है। एक भाजपा नेता ने अपने समर्थकों को समझाया चिंता की बात नहीं है मेरा बैक खाता सीबीआई में नहीं एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) में है।
0 कोयला ब्लाक अनियमितता में सीबीआई ने एक समधी से पूछताछ कर ली है अब दूसरे समधी से पूछताछ का इंतजार किया जा रहा है।
0 बंगलादेश में चोरों को रायपुर क्राइम स्काड ने पकड़ा है। एक भाजपाई ने इसके लिये इंदिरा गांधी को दोषी बताया है। उसका कहना है कि इंदिरा जी द्वारा न बंगलादेश बनाया जाता और न ही वहां से लोग रायपुर चोरी करने आते।
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