छत्तीसगढ़ नया राज्य बनेगा तो 'कर मुक्तÓ होगा। हमारे प्रदेश की धरती के भीतर अरबों का खजाना है। प्रकृति ने प्रदेश को बड़ी नियामत दी है। हीरा, सेाना, लोहा सभी कुछ है, पानी की कमी नहीं है, कोयला के भंडार हैं, सरप्लस बिजली है पर छत्तीसगढ़ बनने के ग्यारह साल पूरे हो चुके हैं और हम कहां हैं? आज भी काम की तलाश में पलायन हो रहा है, सरगुजा-बस्तर की बेटियों की खरीदी-बिक्री की खबर आती रहती है, दूसरे प्रदेशों में काम की तलाश में गये मजदूर बंधक बनाये जाते हैं और प्रशासन उन्हें मुक्त कराने की कार्यवाही करता है। राज्य बनने के बाद कितने बेरोजगारों को सरकारी नौकरी मिली है? भय, भूख और अपराध से मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने का सपना कब पूरा होगा ऐसे कुछ सवाल उठ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में हीरे की खदान है। मैनपुर के बेहराडीह में किम्बर लाइट पाइप चट्टानें होने की पुष्टि हो चुकी हैं। वहीं 8 स्थानों पर हीरा मिलने के संकेत मिले हैं।
दक्षिण अफ्रीका के बाद छत्तीसगढ़ में उच्च स्तर का हीरा होने की संभावना है। मैनपुर क्षेत्र के बेहराडीह में किम्बर लाइट चट्टानों में देश के अन्य हीरा खदानों की तुलना में प्रतिटन हीरे की मात्रा एप्लाइड जियोलाजी विषय में पेट्रोलाजिकल एण्ड जियोलाजिकल इंवेस्टीगेशन आफ बेहराडीह किम्बर लाइट पर शोध करने वाले दत्ता वाइनकर ने किया है।
उनके शोध में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में उच्च गुणवत्ता का हीरा होने की पूरी संभावना है। इधर भू-वैज्ञानिकों के अनुसार छत्तीसगढ़ के बस्तर, कोण्टा, दक्षिण दुर्ग, पूर्वी रायपुर के अतिरिक्त चांपा, रायगढ़ और जशपुर ऐसे क्षेत्र हैं जहां किम्बर लाइट की संभावना है। इधर हीराखदान के रूप में चर्चित मैनपुर के बेहराडीह के आधा दर्जन किम्बर लाइट में से चार में हीरा मिलने की पुष्टि हो चुकी है। छत्तीसगढ़ के प्रकाश में आई इस किम्बर लाइट पाईप में 1 प्रतिशत हीरा होने की संभावना है। करीब 3700 साल तक भारत हीरा उत्पादक देश के रूप में चर्चित था पर पिछले 300 सालों हीरा उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 0.04 प्रतिशत रह गई है। छत्तीसगढ़ के मैनपुर और मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में खोजे गये नये क्षेत्र से भारत फिर प्रमुख हीरा उत्पादक देश बन सकता है।
वैसे मैनपुर के बेहराडीह, तोकपाल, बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा और रायगढ़ आदि 8 बैल्ट में हीरा मिलने की संभावना है और ये सभी क्षेत्र लगभग माओवादियों के गढ़ बन चुके हैं। 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र 1980 से लगातार बढ़ते-बढ़ते नक्सलियों का गढ़ बनता जा रहा है। 25000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तो माओवादी सुरंग बिछा चुके हैं ऐसा पता चला है। सवाल यह उठ रहा है कि बेहराडीह, पायलीखंड की हीरा खदानों की सुरक्षा के लिए हम आखिर कर क्या रहे हैं? वहां सुरक्षा कर्मियों के लिये आवास, पेयजल और बिजली नहीं है इसलिये वहां बल की तैनाती नहीं होती है क्या यह कह देना पर्याप्त है।
भारत के खनन विभाग की वार्षिक रिपोर्ट 2009 के अनुसार भारत के गर्भ में कुल 46 लाख कैरेट हीरा का भंडार होने का अनुमान है। वहीं केवल छत्तीसगढ़ में ही करीब 13 लाख कैरेट हीरा का भंडार है इसके मुताबिक देश के कुल हीरे के भंडार में छत्तीसगढ़ की भागीदारी 28.26 प्रतिशत अनुमानित है।
प्रदेश की पहली अजीत जोगी की सरकार बनने पर बी विजय कुमार छत्तीसगढ़ एक्सप्लोरेेशन लिमिटेड (बीव्हीसीई) को सन 2000 में पूर्वेक्षण लायसेंस दिया गया था पर सन 2001 में यह राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ बीव्हीसीई ने बिलासपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और उसके बाद पिछले 10 सालों में पेशी दर पेशी ही चल रही है। इस मामले में राज्य सरकार की भी रुचि नहीं दिखती है। अन्यथा प्रदेश की भावी पीढ़ी का भविष्य तय करने वाले हीरा खदान का मामला इतना लंबा नहीं चलता। यह ठीक है कि न्यायालयीन प्रक्रिया लम्बी चलती है पर इस मामले को सरकार ने उच्च न्यायालय में गंभीरता से नहीं लिया है। सरकार की तरफ से तैनात अफसर और सरकार के वकील बस पेशी में उपस्थिति ही दर्ज कराते हैं।
निज सचिव और कुलसचिव
का एक मात्र दावेदार
50 हजार प्राइवेट छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ की खबरों के बीच बिलासपुर में नये विश्वविद्यालय की स्थापना की अधिसूचना जारी होने के बाद कुलसचिव चयन प्रकिया ही विवादों में आ गई है। पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री हेमचंद यादव ने तो अपने ही निज सहायक दिलीप अग्रवाल के नाम की अनुशंसा कर दी है। कुलसचिव चयन प्रक्रिया में नोडल रहे व्यक्ति द्वारा स्वयं के नाम का अनुमोदन कराना भी चर्चा में है।
बिलासपुर में स्थापित होने वाले नये विश्वविद्यालय की अधिसूचना जारी होने के पश्चात कुलपति तथा कुलसचिव की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। कुलपति के चयन हेतु उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 6 नामों का पेनल मुख्यमंत्री के अनुमोदन हेतु भेजा जा रहा है। ज्ञात हो कि नये विश्वविद्यालय की स्थापना पर प्रथम कुलपति व कुलसचिव की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार का होता है तथा बाद में यह अधिकार माननीय राज्यपाल को चला जाता है।
बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिस की नियुक्ति की प्रक्रिया विवादों में आ गई है। जानकार सूत्रों के अुनसार मंत्री के निज सहायक व नगर पालिका अधिकारी हंै तथा इस चयन प्रक्रिया के नोडल अधिकारी रहे हैं ने स्वयं का नाम कुल सचिव के लिये प्रस्तावित कर दिया है जो इस पद के अनुरुप योग्यता भी नहीं रखते हैं। कुल सचिव के पद का वेतनमान37,400-67,000, रुपए हैं। जबकि उक्त अधिकारी का वेतनमान इससे काफी कम है। बताया यह जा रहा है कि उक्त अधिकारी को कुल सचिव के पद में नियुक्त कराने हेतु पूर्व के पेनल को निरस्त करते हुए सिंगल नाम अनुमोदन हेतु भेजा जा रहा है। मंत्रालय में पदस्थ उक्त अधिकारी के सहकर्मियों का यह मानना है कि जो कुलसचिव की नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़ा हो, वह स्वयं का नाम प्रस्तावित करवाये तो राज्य सरकार की छवि पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है। गौरतलब है कि नवनियुक्त उच्च शिक्षा मंत्री रामविचार नेताम जो इस पूरी प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं वे 26 फरवरी को नई दिल्ली प्रवास से वापस लौट रहे हैं। तभी इस विवाद के हल होने की उम्मीद की जा रही है। उच्च शिक्षा से जुड़े लोगों का यह मानना है कि नये विश्वविद्यालय में अनुभवी कुल सचिव या शिक्षाविद को ही यह महत्वपूर्ण जवाबदारी दी जानी चाहिए। यहां यह भी बताना जरूरी है कि पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के कार्यकाल में बतौर निज सहायक दिलीप अग्रवाल काफी चर्चा में रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में 14 वरिष्ठ प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को एक माह के भीतर आईएएस अवार्ड मिलना तय माना जा रहा है। सुखद बात यह है कि लगभग सभी अफसर छत्तीसगढ़ के ही मूल निवासी हैं तथा छत्तीसगढ़ की ही धरा में जन्म भी लिया है। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनील कुमार के कार्यकाल में पहली डीपीसी में एक साथ 14 छत्तीसगढ़ियों को आईएएस का अवार्ड मिलना उपलब्धि ही कहा जा सकता है।
विभागीय पदोन्नति समिति ने राज्य प्रशासनिक सेवा के 14 अफसरों के नाम आईएएस अवार्ड के लिये लिफाफे में बंद कर दिये हैं। समझा जा रहा है कि मार्च माह में अवार्ड की घोषणा हो जाएगी। संघ लोकसेवा आयोग के केन्द्रीय मुख्यालय दिल्ली में शुक्रवार को आयोग के सदस्य खान और राज्य समिति के सदस्य सुनील कुमार (मुख्यसचिव) डीएम मिश्रा (प्रमुख सचिव) और केन्द्रीय कार्मिक विभाग के 2 संयुक्त सचिव शामिल हुए। छत्तीसगढ़ के राप्रसे के 37 अफसरों की विगत 5 सालों की गोपनीय चरित्रावलियों का अवलोकन कर उसमें से 14 अफसरों को आईएएस अवार्ड देने सहमति बन गई है। सूत्र कहते हैं कि वर्ष 1987 से 1990 तक के 14 अफसरों को पदोन्नति मिलना तय है। सूत्रों की मानें तो ए के टोप्पो, अनिल टुटेजा, नरेंद्र शुक्ला, निरंजन दास, इमिल लकड़ा, जी आर चुरेंद्र, भरत बंजारे, सुधाकर खलखो, उमेश अग्रवाल, धनंजय देवांगन, एच कुजूर आदि को आईएएस अवार्ड मिलने की संभावना है।
और अब बस
(1)
फिर किसी ने अपवाह उड़ा दी कि कांगे्रस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी, राज्यपाल बनाये जा सकते हैं। इस पर एक जोगी समर्थक की टिप्पणी... साहब राज्यपाल नहीं उपराष्ट्रपति बनाए जाएंगे।
(2)
कांगे्रस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल पर एक वरिष्ठ कांगे्रसी की टिप्पणी... नंदू भैया अच्छे आदमी हंै बस माइक देकर बोलना कुछ चाहते हैं और बोल कुछ देते हैं।
(3)
डी के एस मंत्रालय में एक बड़े साहब के आते ही सभी साहब, कर्मचारी पूरे समय कार्यालय में मौजूद रहते हैं। एक अफसर यह कहते पाये गये: पिछले 11 दिनों में जितनी नौकरी की है उतनी तो राज्य बनने के बाद 11 सालों में नहीं थी।
Saturday, March 3, 2012
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