Tuesday, February 21, 2012

आइना ए छत्तीसगढ़
हम सा सीधा, हम सा मासूम कोई और नहीं है
हम चीज क्या हैं, ये तुम्हें मालूम नहीं है

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल के बाद 5 मंत्रियों के विभागों में तब्दीली कर यह संकेत तो दे ही दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिये वे अब 'कामकाजÓ को ही महत्व देंगे। यह बात और है कि 'गृहमंत्रालयÓ का प्रभार यथावत रखा गया है वहीं किसी भी मंत्री को ड्राप नहीं किया गया है। सूत्र की मानें तो संभवत: भाजपा आलाकमान ने इसकी अनुमति नहीं दी है।
खैर छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव के पद पर तेजतर्रार, ईमानदार छवि तथा काम से काम रखने वाले सुनील कुमार की नियुक्ति के बाद 6 प्रमुख सचिवों सहित 10 सचिवों का कार्यभार बदलना चर्चा में ही था कि डॉ. रमन सिंह ने 5 मंत्रियों के विभागों में फेरबदल कर दिया। सीधे सादे मुख्यमंत्री के रूप में चर्चित डॉ. रमन सिंह का यह कदम कुछ लोगों के लिये जरूर अप्रत्याशित ही रहा है।
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल का विस्तार होने की चर्चा थी बड़ा फेरबदल होने के संकेत भी मिल रहे थे। एक-दो मंत्री के हटाये जाने की भी चर्चा थी पर मंत्रिमंडल में विभागीय फेरबदल ही किया गया और जिम्मेदारी बदल दी गई बाकी सभी कुछ जस का तस रहा।
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा पिछले एक-डेढ़ साल से चल रही है पर पिछले फेरबदल में केवल दयालदास बघेल को ही शामिल किया गया था। इस बार भी उसको हटाने की चर्चा थी क्योंकि कुछ शिकायतें पहुंची थी पर सतनामी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले दयालदास बघेल से उद्योग विभाग लेकर उन्हें राजस्व विभाग की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है और वरिष्ठ आईएएस अफसर बाबूलाल अग्रवाल के साथ तालमेल बिठाकर उन्हें कार्य करना है।
गृहमंत्री ननकीराम कंवर से गृह तथा सहकारी विभाग वापस लेने की चर्चा चल रही थी पर उन्हें यथावत रखा गया है। दरअसल गृहमंत्री ननकीराम कंवर से गृह विभाग के अधिकारियों से तालमेल ठीक नहीं है। कंवर की कार्यप्रणाली और उनके आदेशों को गृह तथा पुलिस विभाग के अधिकारी पालन नहीं करते हैं ये बातें सार्वजनिक भी हो चुकी है पर उन्हें नहीं हटाया गया है। चर्चा है कि गृहमंत्रालय सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से संचालित होता है। गृहमंत्री तो बस नाम के हैं। दूसरी चर्चा यह है कि डॉ. रमन सिंह मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं है। क्योंकि यह कांटों का ताज है। वैसे बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, चंद्रशेखर साहू से लेकर केदार कश्यप तक से रायशुमारी की गई है पर कोई तैयार ही नहीं हो रहा है यही हाल गृहसचिव पद का भी है। 2008 से एन के असवाल गृह परिवहन और जेल मंत्रालय का कार्य सम्हाल रहे हैं इसके साथ ही जलसंसाधन का भी अतिरिक्त दायित्व सम्हाल रहे हंै।
हाल ही में प्रशासनिक फेरबदल में उनके विभाग में भी तब्दीली नहीं की गई है। मंत्रालय में यह जमकर चर्चा है कि गृह तथा जल संसाधन विभाग का दायित्व सम्हालने भी कोई तैयार नहीं है।
राजेश मूणत इस बार के मंत्रिमंडल फेरबदल में जरूर प्रभावित रहे हैं। उनसे नगरीय प्रशासन विभाग वापस लेकर उद्योग, वाणिज्य विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पहले यह विभाग दयालदास बघेल जैसे नये मंत्री के पास था। असल में नगरीय प्रशासन विभाग में राजेश मूणत की कार्यप्रणाली से उनके मंत्रिमंडल साथियों सहित नगरीय निकायों के चुने पदाधिकारियों ने भी शिकायत की थी वहीं वे कमलविहार, अवैध कब्जा हटाने आदि के मामलों को लेकर चर्चा में थे। बहरहाल उनके पास आवास एवं पर्यावरण, परिवहन विभाग की जिम्मेदारी यथावत रखी गई है।
स्वास्थ्य विभगा में अपनी कार्यप्रणाली तथा अपने बयानों को लेकर चर्चित अमर अग्रवाल के पास इस फेरबदल में स्वास्थ्य विभाग तो यथावत रहा वहीं उन्हें नगरीय प्रशासन का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। सरकारी अस्पताल में मोतियाबिंद आपरेशन में लापरवाही का मामला आमने आने लगा इस मामले में बयानबाजी के कारण वे चर्चा में है फिर भी उनसे स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी यथावत रखी गई है वहीं अब नगरीय प्रशासन की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। कमल विहार योजना का विरोध करने वाले अमर अग्रवाल के पास नगरीय विकास का महत्वपूर्ण विभाग है और उनकी कार्यप्रणाली से ही अगला चुनाव प्रभावित होगा। उन्हें अजय सिंह के साथ तालमेल बनाकर चलना होगा। अजय सिंह की छवि भी तेज तर्रार अधिकारियों में होती है।
जल संसाधन, तकनीकी शिक्षा विभाग ईमानदार छवि रखने वाले हेमचंद यादव के पास से लेकर रामविचार नेताम को दे दिया गया है तो रामविचार नेताम से पंचायत एवं ग्रामीण विकास, विधि विधायी कार्य विभाग वापस लेकर हेमचंद यादव को दिया गया है। वैसे हेमचंद यादव को मंत्रिमंडल से हटाने की जमकर चर्चा थी पता चला है कि उन्हें हटाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की नेत्री प्रयासरत थी पर वह मंत्रिमंडल में जमे रहने में सफल हो गयेे वहीं राम विचार नेताम अपनी कार्यप्रणाली के लिये चर्चित हैं। मनरेगा को लेकर जिस तरह विपक्ष सड़क पर है लगता है कि विपक्ष के दबाव के चलते उनसे मंत्रालय तो वापस ले लिया गया पर उन्हें जल संसाधन, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा का प्रभार दिया गया है। उन्हें सचिव के रूप में वरिष्ठ आईएएस अफसर एन के असवाल, निधि छिब्बर आदि से तालमेल बनाकर कार्य करना होगा। बहरहाल 6 प्रमुख सचिवों और 10 सचिवों के बड़े प्रशासनिक फेरबदल के बाद 5 मंत्रियों के विभागों में तब्दीली के बाद क्या कसावट आती है। इसका पता तो बाद में ही चलेगा।

जॉय उम्मेन की समयपूर्व विदाई क्यों...!

छत्तीसगढ़ में सबसे वरिष्ठ आईएएस बी के एस रे से 5 साल जूनियर जॉय उम्मेन को मुख्य सचिव बनाने वाली भाजपा सरकार ने आखिर 2-3 माह पूर्व ही जाय उम्मेन को क्योंकर हटा दिया यह चर्चा आम है। सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक कसावट में वे असफल साबित हो रहे थे वहीं उनका एक जातिविशेष से प्रेम भी चर्चा में था। पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष्ज्ञ बनवारी लाल अग्रवाल ने तो उन पर सीधा आरोप लगाया था। उनका कहना है कि कोरबा में एक वर्ग विशेष के स्कूल के लिये सरकारी जमीन दिलाने में उन्होंने रुचि ली थी। उस स्कूल में आज भी तिलक लगाकर जाना, मौली पहनना, प्रतिबंधित है और इसके लिये प्रताड़ित किया जाता है। उसी स्कूल के समारोह में जॉय उम्मेन ने शिरकत की थी। इधर भाजपा सरकार के सबसे प्रबल राजनीतिक विरोधी एक नेता के पुत्र के विवाह समारोह में जमकर भागीदारी के साथ ही विवाह में बतौर साक्षी हस्ताक्षर करना भी कुछ लोगों को नागवार गुजरा था। वैसे सुनील कुमार की वापसी के बाद सरकार उनके प्रशासनिक अनुभव और अच्छे योजनाकर्ता होने का जल्दी लाभ उठाने भी बेताब थी। सुनील कुमार को मंत्रालय में मजबूत बनाकर नारायण सिंह की मंत्रालय से विदाई के बाद जाय उम्मेन एक माह के अवकाश पर चले गये और सुनील कुमार को कार्यवाहक मुख्यसचिव बनाया गया। बाद में जॉय उम्मेन से चर्चा के बाद सुनील कुमार को मुख्यसचिव बना दिया गया। वैसे अब लगता तो नहीं है कि जाय की अब छत्तीसगढ़ वापसी होगी। वैसे सूत्र कहते हैं कि विस चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ के कई कलेक्टर बदले जा सकते हैं।

खेतान की विदाई तय

छत्तीसगढ़ में नगरीय प्रशासन, जनसंपर्क, जलसंसाधन तथा ग्रामीण उद्योग आदि में अपनी कार्यप्रणाली के लिये चर्चित आईएएस सी के खेतान को आखिर छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र में प्रतिनियुक्ति के लिये मुफ्त करने का फैसला ले ही लिया। छत्तीसगढ़ की प्रथम जोगी सरकार में उनके एक रिश्तेदार के माध्यम से रिश्ता बनाकर वे महत्वपूर्ण पद पर रहे फिर प्रदेश में कांगे्रस की सरकार के बदलते ही भाजपा की सरकार के काबिज होने पर वे अपने मूलप्रदेश बिहार के रिश्ते के बल पर फिर महत्वपूर्ण पदों पर रहे। आज भी उनके कार्यकाल में खरीदे गये 'स्वीफ्ट मशीनेंÓ रायपुर, बिलासपुर की सड़कों की सफाई तो नहीं कर रही है पर करोड़ों की मशीनें धूल खाने मजबूर है। जनसंपर्क में पदस्थापना के दौरान संवाद भवन के लिये 2 लाख से अधिक रकम में किराये का भवन लेना, विधानसभा में जनसंपर्क विभाग के विरुद्ध 25 से अधिक सवाल आज भी उनके कार्यकाल की उपलब्धियां ही है। जलसंसाधन विभाग में कार्यरत रहने के दौरान 'रोगदाबांधÓ का मामला तो अभी भी जांच के दायरे में है। एक कांगे्रसी विधायक से मधुर संबंध के चलते वे सरकार के निशाने में आ चुके थे।
बहरहाल सी के खेतान प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जा रहे हैं ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी किसी अन्य अफसर को सौंपना तय माना जा रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल केडर के पी रमेश कुमार, के श्रीनिवासुलू (मणिपुर-त्रिपुरा) भी मूल प्रदेश में लौटने की तैयारी में है ऐसे में इनके पदों पर भी नई नियुक्ति होना तय है। इधर नक्सली क्षेत्र बस्तर में 11 सालों से अधिक समय तक कमांडेण्ट, पुलिस कप्तान, डीआईजी और आईजी बनकर लगातार पदस्थ टी जे लांगकुमेर का भी मूल कैडर में जाना तय माना जा रहा है ऐसे में उनके स्थान पर किसी की पदस्थापना हो सकती है। वैसे सूत्र कहते हैं कि बस्तर की विशेष परिस्थिति को देखकर राज्य सरकार उन्हें आगे भी पदस्थ रखने के लिए आवश्यक कदम उठा सकती है।

और अब बस
(1)
राजिम महाकुंभ और बृजमोहन अग्रवाल अब एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। एक कांगे्रसी नेता का कहना है कि प्रदेश में यदि कांगे्रस की सरकार बनती है तो बृजमोहन अग्रवाल को राजिम महाकुंभ आयोजन समिति का अध्यक्ष तो बनाना ही पड़ेगा। (2)
गृहमंत्री ने कोरबा में एक बांध के 3 बार फूटने के पत्रकारों के सवाल पर कहा कि क्या इंद्रदेवता पर कार्यवाही करुं? एक टिप्पणी... आपके आदेश पर हवलदार पर तो कार्यवाही होती नहीं है देवता तो फिर इंद्रदेवता पर कार्यवाही कौन करेगा?

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