Monday, January 16, 2012

आइना छत्तीसगढ़
लो फिर तहकीकत चली!
छुप-छुप कर सौगात चली!
वोटों पर जब गाज गिरी!
आरक्षण की बात चली!

भारतीय जनता पार्टी के पितृपुरुष लालकृष्ण आडवाणी भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काला धन वापस लाने देशव्यापी रथयात्रा निकालते हैं, भाजपा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, ए राजा और कलमाड़ी जैसे भ्रष्ट नेताओं को सजा दिलाने जमीन आसमान एक कर दी है, टू जी स्पेक्ट्रम मामले में कथित रूप से शामिल होने का आरोप पी चिदंबरम पर लगाकर भाजपा ने कई दिनों तक संसद नहीं चलने दी, देश में मजबूत लोकपाल के लिये अन्ना हजारे के साथ भी भाजपा खड़ी नजर आई पर हाल ही में बसपा से भ्रष्टाचार के आरोप में हकाले गये नेता बाबूसिंह कुशवाहा को भाजपा में प्रवेश बाद में मामला तूल पकडऩे पर केवल भाजपा की सदस्यता निलंबित करने के मामले से भाजपा के दामन में छींटे जरूर पड़े हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को आदर्श मानने वाली पार्टी भाजपा दूसरे दल से भ्रष्टाचार के मामले में बहिष्कृत करने वाले नेता को गले लगा सकती है। यह बात गले नहीं उतर रही है। वैसे कुशवाहा के भाजपा प्रवेश पर यह कहना भी हास्यास्पद ही है कि हमारी गंगा रूपी पार्टी में 'गंदे नालेÓ भी पवित्र हो जाते हैं। वैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी कह रहे हैं कि कुशवाहा की भाजपा से सदस्यता स्थगित की गई है, हमें पिछड़े वर्ग के लोगों का भी ख्याल रखना होगा। वैसे भाजपा के भीतर तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विरोध और दूसरे दलों के नेताओं से भाजपा की किरकिरी बनी तो गडकरी ने कुशवाहा को 'चलताÓ करने की जगह 'सहेजकरÓ रख लिया है। वैसे कर्नाटक में मुख्यमंत्री येदूरप्पा को हटाने के मामले में भी भाजपा के सिद्धांतों पर सवाल उठे थे। अन्ना हजारे के लोकपाल बिल के लिये भाजपा उनके साथ खड़ी दिखाई दी पर राज्यों में लोकपाल की नियुक्ति के लिये राज्य सरकारों को उनकी मर्जी पर निर्णय लेने स्वतंत्र किया जाए यह प्रस्ताव तो भाजपा का ही था। भाजपा शासित राज्यों में लोकपाल की नियुक्ति करने केन्द्रीय नेतृत्व दबाव क्यों नहीं बना रहा है यह भी चर्चा में है।
डॉ.रमन का दांव
छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और दूसरी बार भी उनका सफल नेतृत्व और कांगे्रस का बिखराव सरकार बनाने का आधार रहा। छत्तीसगढ़ की पहली सरकार बनने के पीछे तो विद्याचरण शुक्ल की कांगे्रस से बगावत, राकांपा प्रत्याशी खड़ा करने कांगे्रस के परंपरागत मत तोडऩा प्रमुख कारण रहा तो दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के पीछे कांगे्रस के दिग्गजों की पराजय प्रमुख कारण माना जा सकता है। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, उपनेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल, कांगे्रस के अध्यक्ष धनेंद्र साहू, सत्यनारायण शर्मा, मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा, अरविंद नेताम की बेटी डॉ. प्रीति की पराजय प्रमुख कारण रहे हैं। ये दिग्गज यदि विजयी होते तो कांगे्रस की सरकार जरूर बनती। इधर पिछले विस चुनाव में जीत का एक कारण सस्ता चावल योजना भी रही है। वैसे विधानसभा, लोकसभा चुनाव के बाद हुए नगरीय निकाय चुनावों में प्रमुख विपक्षी दल कांगे्रस के महापौर रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और राजनांदगांव में विजयी रहे थे। वहीं भिलाई में विधानसभा उपचुनाव में कांगे्रस के भजन सिंह निरंकारी की जीत भी चौंकाने वाली रही है।
इधर सत्ताधारी दल भाजपा के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह केन्द्रीय नेतृत्व में भाजपा की किरकिरी के चलते ही अभी से अपनी जमीन बनाकर तीसरी बार सत्ता में काबिज होने की तैयारी शुरू कर चुके हैं। प्रदेश में 9 नये राजस्व जिलों का गठन कर वह फिर माहौल बनाने लगे हैं वैसे नये जिलों के बनने का लाभ तो डॉ. रमन के खाते में जाएगा पर असंतोष का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। कुछ जगह नये जिलों में शामिल करने सहित जिला मुख्यालय तय करने को लेकर असंतोष है। इधर पुलिस में तो डॉ. रमन सिंह ने अच्छी खासी सर्जरी कर दी है। वही अब डी के एस मंत्रालय स्तर पर बड़ी सर्जरी की तैयारी की जा रही है। वैसे पुलिस की सर्जरी में अधिकारियों को उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र रिश्ता काम नहीं आया और संभवत: ऐसा ही प्रशासनिक सर्जरी में भी होने वाला है।
ये क्या हो रहा है?
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद लगता है कि कुलपतियों को निशाना बनाया जा रहा है। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी के खिलाफ लोक आयोग में पूर्व में ही प्रकरण दर्ज हो चुका है। वे फिलहाल प्राइवेट छात्रों की परीक्षा नहीं लेने के नाम पर चर्चा है तो तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति मल्ल, कुलसचिव दुबे पूर्व कुलसचिव भगवंत सिंह के खिलाफ भी प्रकरण पंजीबद्ध हो गया है यह प्रकरण पुलिस ने दर्ज किया है। इधर पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शिवकुमार पांडे के खिलाफ भी विशेष थाने तक शिकायत पहुंची है।
अजा/जजा नाराज!
छत्तीसगढ़ आदिवासी और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। अनुसूचित जनजाति 32 फीसदी आरक्षण तत्काल लागू करने के लिये दबाव बना रही है तो अनुसूचित जाति वर्ग 4 प्रतिशत आरक्षण कम करने को लेकर मोर्चा खोल दिया है। आदिवासी समाज के लोगों ने वीरनारायण सिंह की शहादत दिवस पर प्रदेश के कुछ स्थानों पर रैली निकालकर विरोध प्रकट किया है और जल्दी ही भाजपा सरकार के अनुसूचित जनजाति वर्ग के मंत्रियों, सांसदों के घेराव की भी योजना है तो अनुसूचित जाति वर्ग के करीब 5 हजार लोग मुख्यमंत्री निवास घेरने की कोशिश कर अपनी गिरफ्तारी दे चुके हैं। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति वर्ग का राज्य सरकार आरक्षण कम कर रही है तो समाज के सत्ताधारी दल के मंत्री सांसद विधायक क्यों चुप बैठे हैं।
अगला मुख्य सचिव कौन!
सुनील कुमार-नारायण सिंह
छत्तीसगढ़ में अगला मुख्य सचिव कौन होगा इसको लेकर फिर चर्चा शुरू हो गई है। वैसे जाय उम्मेन मई माह में सेवानिवृत्त हो जाएंगे वैसे रोगदा बांध को एस के एस पावर लिमिटेड को बेचने के मामले में विधानसभा की कमेटी उनकी भूमिका की जांच कर रही है। अगले विस सत्र में उसकी रिपोर्ट भी पेश हो जाएगी। सूत्र कहते हैं कि फिर भी वे अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। उन्हें सरकार सेवानिवृत्ति के बाद भी उपकृत करती है अथवा नहीं इसका अभी फैसला नहीें हो सका है वैसे अगले मुख्य सचिव की दौड़ में एसीएस नारायण सिंह और सुनील कुमार का नाम चर्चा में है। केन्द्र से प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद सुनील कुमार को एसीएस बनाकर शालेय शिक्षा का दायित्व सौंपा गया है और वे छत्तीसगढ़ के सबसे दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के साथ ही अटैच हैं। अपनी अच्छी तथा तेजतर्रार छवि के चलते कुछ लोग प्रशासनिक कसावट के लिये अगला मुख्य सचिव उन्हें बनाने की संभावना देखते हैं तो एक वर्ग नारायण सिंह की पैरवी करता है। मिलनसार होन के साथ ही उन्हें प्रदेश में काम करने का दीर्घ अनुभव है फिर प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं बन सका तो आदिवासी मुख्य सचिव बनाकर उसका तत्कालिक लाभ भी प्रदेश सरकार ले सकती है। ऐसी भी दलील कुछ लोग दे रहे हैं। बहरहाल अगला मुख्य सचिव कौन बनेगा यह निर्णय लेने का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास है और उनका निर्णय ही अंतिम होगा ऐसा कहा जा रहा है। वैसे आईएएस लाबी भी दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। ज्ञात रहे कि सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर होने के बाद भी बी के एस रे की जगह उनसे जूनियर जाय उम्मेन को पिछली बार मुख्य सचिव बनाया गया था। वहीं 'रेÓ को सेवानिवृत्ति के पश्चात कही समायोजित भी नहीं किया गया था।
और अब बस
(1)
प्रदेश में अब 27 जिले हो गये हैं- इसलिये कुछ एडीशनल कलेक्टर तथा एडीशनल एस पी स्तर के अधिकारी भी कार्यवाहक कलेक्टर/एसपी बनने के सपने देखना शुरू कर चुके हैं।
(2)
भाजपा के सांसद दिलीप सिंह जूदेव की नाराजगी से एस पी और आई जी को फील्ड से हटा दिया गया वहीं सांसद रमेश बैस की नाराजगी के चलते खेल संचालक को फील्ड में आई जी बना दिया गया। लाभ में कौन रहा यह स्पष्ट है।
(3)
केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नंदकुमार पटेल को भावी मुख्यमंत्री क्या कह दिया कई नेताओं को पटेल का दुश्मन बना दिया। वैसे पटेल भी मन ही मन तो स्वयं को भावी मुख्यमंत्री मानकर चल ही रहे हैं?
(4)
आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत ने भिलाई में छात्रों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में आरएसएस स्वयं सेवकों ने जमकर हिस्सा लिया था।

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