Thursday, January 5, 2012

आइना ए छत्तीसगढ़ 
अंधेरे चारों तरफ सांय-सांय करने लगे
चिराग हाथ उठाकर दुआएं करने लगे
तरक्की कर गये बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज हैं जो दवाएं करने लगे

मध्यप्रदेश से अलग होकर नया छत्तीसगढ़ राज्य बन गया तो एक संवेदनशील नारा फिंजा में गूंजा था 'अमीर धरती के ऊपर रहने वाले गरीब लोगÓ छत्तीसगढ़ की धरा के भीतर तथा ऊपर प्रकृति काफी मेहरबान है। भूगर्भ में हीरा, सोना, लोहा, मैग्नीज, कोयला के भंडार हैं तो स्वच्छ और मीठा पानी लिये हुए नदी, झरने तथा बांध हैं, विभिन्न प्रजाति के जंगल भी हैं पर छत्तीसगढ़ के ऊपर रहने वाला, आम छत्तीसगढिय़ा गरीब हैं। गरीब क्यों है यह विसंगति क्यों है इसका अब धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है। जनप्रतिनिधि बनते ही जिस तरह के 'राजसी ठाठÓ नेताओं के दिखाई दे रहे हैं। अफसरशाही और नेताओं में अधिकाधिक कमाने की होड़ चल रही है 'अपने ही छत्तीसगढ़Ó यह आम आदमी देख रहा है। बासी से शुरू उसकी लड़ाई अपना राज्य बनने के बाद ही 'बासीÓ तक ही पहुंच सकी है। छत्तीसगढ़ में जिस तरह लूट-खसोट का खेल चल रहा है उस पर नियंत्रण लगाया जाना संभव नहीं दिख रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के ही अधीन राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जुलाई 2010 से सितंबर 2011 यानी करीब 14 माह के भीतर ही सरकारी महकमे के अमले के घरों, कार्यालयों में 101 छापा मारकर करीब 92 करोड़ की काली कमाई का खुलासा किया है यह चौंकाने वाला तथ्य ही है। वैसे छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2001 से 2009 तक प्रदेश के 38 छापे ही मारे गये थे। 
विपणन संघ के सहायक प्रबंधक बी पी लमहौर के पास 25 करोड़ की अघोषित संपत्तियां मिली है तो वन विभाग के एक रेंजर भी 25 करोड़ का आसामी निकला। लवकुमार मिश्रा उपनिरीक्षक आबकारी 3 करोड़ 23 लाख, लोक निर्माण विभाग का उप अभियंता राजेश कुमार सेन 2 करोड़ 2 लाख, पी एच ई के ईई घनश्याम देवांगन एक करोड़ 7 लाख, जल संसाधन के उपसचिव एम डी दीवान पौने पांच करोड़, इसी विभाग के अंबिकापुर के उप अभियंता जे एस चंदेल ढाई करोड़, पांडुका के रेंजर हरीश पांडे 4 करोड़ 20 लाख, जनपद पंचायत गुरुर के सीएमओ मंडावी 2 करोड़ 14 लाख, सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग जी एस कुम्हारे 4 करोड़, नगर निगम अधिकारी के ईई एन एच राठौर साढे 3 करोड़, लोकनिर्माण विभाग रामानुंजगंज के ईई रामस्वरूप राम साढे 3 करोड़, नगर निगम बिलासपुर के उपयंत्री राकेश चंद्रकांत मानिक 2 करोड़ 20 लाख, नगर पंचायत उतई के सीएमओ उमेश मिश्रा 65 लाख, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बैकुंठपुर साढे 4 करोड़, जल संसाधन विभाग कटघोरा के एसडीओ भूपेंद्र चंद्रवंशी साढे 6 करोड़, नगर निगम भिलाई के उपयंत्री राकेश अवधिया 2 करोड़ 3 लाख, रायपुर के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर एस बाबू साढे 3 करोड़ गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन यंत्री आर यू खान डेढ करोड़, कोरबा के एसडीओ वन देवीदयाल संत 3 करोड ़20 लाख, महासमुंद के सहायक आबकारी अधिकारी किलेमान किन्द्रों 3 करोड़ 17 लाख, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता विजय कुमार भान पहरी 4 करोड़ 50 लाख, जल संसाधन विभाग के अधीक्षक यंत्री जे पी अग्रवाल 5 करोड़ 50 लाख, प्रधानमंत्री सड़क योजना के कार्यपालन यंत्री राजकिशोर हरबंस 3 करोड़ 75 लाख बेनामी संपत्तियों के मालिक मिले हैं। 
इधर सरकारी काम के नाम पर रिश्वत लेने वालों की भी संख्या बढ़ रही है। टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त निदेशक एम के गुप्ता 20 हजार, अंबिकापुर के एक थानेदार 30 हजार रिश्वत लेते पकड़े गये हैं। वैसे सरकारी सेवा में रत महिला अफसर और कर्मचारी भी रिश्वत लेने के पीछे नहीं हैं। 5 महिलाओं को सरकारी कामकाज कराने के नाम पर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है। अभनपुर की परियोजना अधिकारी सुशीला वाखला 5000, संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्था की लेखापाल वीणा मिश्रा 1500, पाटन की पटवारी प्रीति शर्मा 4500, पामगढ़ की साधना धीवर 12000 की रिश्वत लेते पकड़ी गई है। वैसे छत्तीसगढ़ सरकार लोक सेवा गारंटी विधेयक लाकर भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने की तैयारी कर रही है। 
गृहमंत्री विरुद्ध पुलिस!
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने एक मौखिक आदेश के तहत विशेष अनुसंधार सेल को अवैधानिक करार देते हुए भंग करने की बात की है। उनका कहना है कि 'सेलÓ के गठन के लिये कोई वैधानिक अनुमति शासन से नहीं ली गई थी। गृहमंत्री का मानना है कि उनके संज्ञान में सेल के 4-5 मामले लाये गये थे उसमें साफ तौर पर धन वसूली के लिये प्रकरण बनाये जाने की बात दिखलाई पड़ रही है। असल में छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री विरुद्ध पुलिस का मामला काफी समय से चल रहा है। पहले गृहमंत्री की तरह से एक सेल बनाया गया था जिसे एच एम स्क्वांड कहा जाता था। इस स्क्वांड की गतिविधियों की पुलिस के कुछ आला अफसरों ने उंगली उठाई थी, भाजपा-कांगे्रस के कुछ विधायकों ने भी सवाल खड़े किये थे और बाद में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्क्वांड भंग हो गया था। सवाल यह उठ रहा है कि गृहमंत्री कोयला चोरी के मामले में ट्रक पकड़ कर थाने में पहुंचाते हैं और उनके थाने में निकलने के बाद ही ट्रक थाने से ही छूट जाता है? एक बार गृहमंत्री ने कुछ पुलिस कप्तानों की बैठक बुलवाई थी पर तत्कालीन डी जी विश्वरंजन के हस्तक्षेप के बाद वह बैठक ही रद्द हो गई थी। कभी गृहमंत्री किसी सिपाही हवलदार की रिश्वत मांगने की सीडी जारी करते हैं पर कड़ी कार्यवाही नहीं की जाती है। आखिर यह हो क्या रहा है। वैसे प्रदेश में पुलिस विभाग के तबादला होता है और गृहमंत्री को समाचार पत्रों से जानकारी मिलती है। चर्चा, होती है कि गृहमंत्री की अनुशंसा पर पुलिस वालों का तबादला नहीं होता है बल्कि उन्हें प्रताडि़त किया जाता है। खैर मुख्यमंत्री प्रदेश की पुलिस को तो बदल नहीं सकते हैं गृहमंत्री बदलना जरूर उनके हाथ में है। वैसे गृहमंत्री ननकीराम कंवर को हटाने की चर्चा एक साल से चल रहा है पर मजबूरी यह है कि गृहमंत्री बनने कोई तैयार नहीं हो रहा है?
तारण से 'प्रकाशÓ की उम्मीद
नगर निगम के युवा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा की कार्यप्रणाली से 'रायपुर शहर का कुछ नहीं हो सकताÓ यह भावना बदलने लगी है। शहर को अवैध कब्जा मुफ्त करने की बात हो या प्रभावितों के व्यवस्थापन की बात हो, शहर की बदत्तर सफाई व्यवस्था को ठीक करने का मामला हो या शहर में स्वच्छंद घूम फिर रहे मवेशियों को पकड़कर कांजी हाऊस में बंद करने का मामला हो, शहर के बाग बगीचों के रख-रखाव तथा शहर को हरियाली युक्त बनाने के उनके कार्यों की प्रशंसा हो रही है। 
हाल ही में उन्होंने व्हीआईपी रोड में होटलों के संचालकों से समय पर बारात निकालने दिये गये निर्देश भी सराहनीय ही है। किसी की बारात निकलती है, किसी को पत्नी मिलती है, किसी को बहु मिलती है और उस सड़क से गुजरने वाला व्यक्ति फालतू ही पेरशान होता है कि शहर के भीतर भी कभी भी बारात, जुलूस, शोभायात्रा निकालकर चक्काजाम की स्थिति से राहत दिलाने भी वे कोई कठोर कदम उठाएंगे। वैसे युवा आयुक्त से शहरवासियों को कुछ अधिक ही उम्मीद है पर शहर में नगर निगम की कांगे्रस-भाजपा राजनीति से वे किस तरह ऊपर उठकर शहरवासियों की उम्मीद पर खरा उतरते हैं यही देखना है। वैसे वे अब उन निजी स्कूलों पर भी लगाम कसने जा रहे हैं जो शिक्षण संस्था होने के नाम पर निगम को कर तो नहीं देते है पर विवाह या अन्य समारोह आयोजित कर आयोजकों से बड़ी रकम वसूसते हैं। ज्ञात रहे कि पं. सुंदरलाल शर्मा शाला सुंदरनगर के मामले में महापौर किरणमयी नायक और कांगे्रस के महामंत्री सुभाष शर्मा आमने-सामने आ चुके हैं और आगे क्या कार्यवाही होती है इसी पर कईयों ने अपनी निगाह लगा रखी है। 
 और अब बस
(1)
अमित के विवाह का स्वागत समारोह राजकुमार कालेज रायपुर, कांस्टीट््यूशन क्लब दिल्ली में हो चुका है। अब मरवाही-कोटा विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिये 28 को 'गांवÓ में स्वागत समारोह आयोजित है। 
(2)
पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कुछ अफसर पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस कप्तान बनकर फील्ड में उतरने की लाबिंग कर रहे हैं उधर फील्ड में पदस्थ लोग परेशान है कि आखिर डीजीपी नवानी किसकी सुनते हैं?
(3)
डॉ. रमन सिंह के संकट मोचक बृजमोहन अग्रवाल का पैर फे्रक्चर हो गया। एक कांगे्रसी ने कहा कि यदि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बृजमोहन गिर जाते तो रमन सरकार का क्या होता? एक टिप्पणी... पहले कांगे्रसी विधायकों को तो एक जुट करो? 

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