Saturday, December 10, 2011

chhattisgarh ka Aaina

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के 12 दिसंबर को पूरे 8 साल होने जा रहे हैं। इन आठ सालों में लगातार मुख्यमंत्री रहकर डॉ. रमन सिंह ने भाजपाई मुख्यमंत्रियों का एक रिकार्ड बनाया है। नरेंद्र मोदी के बाद वे दूसरे मुख्यमंत्री हैं जो एक पारी पूरी करने दूसरी पारी के भी 3 साल पूरे कर रहे हैं। यही नहीं पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में पिछले 8 सालों में उमा भारती, बाबूलाल गौर के बाद शिवराज सिंह यानि 3 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। भाजपा शासित झारखंड की भी कुछ ऐसी ही हालत है जहां तक गुजरात की बात है तो यहां के हालात कुछ अलग हैं वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तो प्रधानमंत्री बनने की राह पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने पर लगातार एक भी कार्यकाल उन्होंने पूरा नहीं किया। इधर कांगे्रस के दिग्विजय सिंह ने जरूर मध्यप्रदेश में 10 साल तक लगातार मुख्यमंत्री रहकर एक रिकार्ड बनाया है और उन्हीं का रिकार्ड डॉ. रमन सिंह तोडऩे की राह में है। कांगे्रस में तो शीला दीक्षित ने भी रिकार्ड बनाया है। बहरहाल अपने 8 साल के सफर में डॉ. रमन सिंह ने बिना किसी चुनौती के अपना सफर पूरा किया है। हालांकि इस दौरान उन्हें 'आदिवासी एक्सपे्रेसÓ के नाम पर कुछ आदिवासी नेताओं की चुनौती मिली थी पर भाजपा हाईकमान के वरदहस्त होने के कारण उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। पर हाल ही में जो भाजपा में रंग-बिरंगे पर्चे जारी करने का दौर है उससे जरूर उनके सामने कुछ चुनौती सामने दिख रही है। हाल ही में पीले पर्चे के बाद केसरिया पर्चा भी जारी किया गया है। हालांकि पर्चा जारी किसने किया यह तो नहीं कहा जा सकता है पर उसकी भाषा देखकर यह कहा जा रहा है कि यह किसी जानकार के दिमाग की ही उपज है। इस पर्चे में डॉ. रमन सिंह को चापलूस नेताओं और ऐसे अफसरों से बचने की हिदायत दी गई है साथ ही 'समय रहते सुधर जाओÓ नहीं तो उत्तराखंड, झारखंड और कर्नाटक जैसा हाल होने की भी बात की गई है। ज्ञात रहे कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री बदले गये है। पत्र में सीधा आरोप लगाया गया है कि चापलूस और पराजित नेताओं को पद बांटकर वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की गई है। पत्र में उल्लेख है कि अशोक शर्मा, अशोक बजाज, अजय चंद्राकर, लीलाराम भोजवानी आदि को पद दिया गया है। 7 पन्नों का यह पर्चा काफी चर्चा में है। इधर डॉ. रमन सिंह की परेशानी भाजपा के वरिष्ठ नेता भी बढ़ा रहे हैं। वरिष्ठ सांसद रमेश बैस ने प्रदेश में लोकपाल की जोरदार पैरवी करते हुए मुख्यमंत्री को भी दायरे में लाने की मांग की। वहीं सीमेंट के भाव बढऩे पर भी सरकार को आड़े हाथ लिया है तो सांसद दीलिप सिंह जूदेव ने प्रदेश में 'प्रशासनिक आतंकवादÓ संबंधी पत्र तो लिखा साथ ही 'अगला मुख्यमंत्री जशपुर से हो सकता हैÓ कहकर अपनी बात से डॉ. रमन सिंह को भी कुछ संकेत देने का प्रयास किया है। इधर नौकरशाही सरकार के नियंत्रण में नहीं है। जिस तरह प्रदेश के खनिज, जंगल यहां तक की बांध, पानी बेचा जा रहा है वह भी प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं है कि मुख्यसचिव की अध्यक्षता में बनी एक कमेटी ने रोगदाबांध का सौदा बिना मुख्यमंत्री तथा विभागीय मंत्री की जानकारी के कर लिया गया। बहरहाल डॉ. रमन सिंह को पार्टी असंतोष तो दूर करना होगा वहीं नौकरशाही को नियंत्रण में करना है इसके लिये वे क्या करते हैं इसका पता तो कुछ दिनों बाद ही चल सकेगा।
कांगे्रस की खेमेबाजी!
छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल भाजपा में तो असंतुष्ट खेमा पर्चेबाजी कर रहा है पर कांगे्रस में तो अब बहुत छोटे नेता भी खुलकर एक-दूसरे के विरोध में सामने आ रहे हैं। कांगे्रस की निर्वाचित महापौर किरणमयी नायक चुनाव जीतने के बाद चर्चा में है कभी आर.एस.एस के जुलूस का स्वागत करके चर्चा में आती है तो कभी प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के फरमान के बावजूद राज्योत्सव के कार्यक्रम में शिरकत करने के कारण चर्चा में रहती हंै। कभी मानसरोवर यात्रा में जाने पर ठगे जाने के नाम पर अखबार में सुर्खियां बंटोरती है पर हाल ही में तो कांगे्रस के महासचिव (हालांकि कांगे्रस भवन के सूचना फलक में प्रभारी महासचिव दर्ज हैं) सुभाष शर्मा के सुंदरनगर स्थित स्कूल में तालाबंदी के लिये चर्चा में है। स्कूलों में नगर निगम एक्ट के तहत 'करÓ नहीं लगता है पर भी स्कूल का उपयोग विवाह या अन्य सार्वजनिक समारोह किराये में देकर किया जाता है तो कर वसूली हो सकती है। इसी तारतम्य में 14 लाख की वसूली बकाया होने पर निगम के वार्डपार्षद भाई मृत्युजंय दुबे की पहल पर तालाबंदी कर दी गई। कांगे्रस के महासचिव सुभाष शर्मा को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने अपनी ही पार्टी की महापौर के खिलाफ धरना, प्रदर्शन शुरू करवा दिया है। बात कांगे्रस आलाकमान तक पहुंच गई है। महापौर डॉ. किरणमयी नायक को एक बात समझ में नहीं आ रही है कि नियमानुसार वसूली क्या गलत है? वैसे फिर नोटिस भी जारी हो गया है। कभी पार्षद पद के प्रत्याशियों के टिकट वितरण, कभी तिरंगा वाला केक काटने, कभी किसी मयखाने में हंगामा करने वाले तथा अपने ही वार्ड में कांगे्रस का पार्षद बनाने में सफल नहीं होने वाले नेता क्या निर्वाचित महापौर के खिलाफ खड़े हो सकते हैं? खैर देखे आगे क्या होता है?
अमर की बयानबाजी!
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के बयान आजकल चर्चा में है। स्वास्थ्य मंत्री को संवेदनशील होना चाहिए पर उनके बयान से हाल ही में उनकी असंवेदनशील छवि सामने आ रही है। बालोद में सरकारी अस्पताल में करीब 45-50 लोगों की मोतियाबिंद आपरेशन के तहत नेत्र ज्योति चली गई। प्रभावित मरीजों की जांच हो गई है। चेन्नई के शंकरा नेत्र चिकित्सालय में भी इलाज हेतु कुछ मरीजों को भेजने की खबर है। इस मामले में अमर का बयान चर्चा में रहा। पहले तो उन्होंने कहा कि कुछ लोग 'मुआवजाÓ के कारण गलत जानकारी दे रहे हैं। फिर उन्होंने स्वीकार किया कि आपरेशन थियेटर के कारण कुछ मरीजों को समस्याएं हुई है फिर बालोद नेत्र शिविर कांड में प्रभावित कुछ मरीजों से वे मिलने सेक्टर, अस्पताल में पहुंचे वहां भी उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मैं बालोद चला जाता तो क्या मरीज ठीक हो जाते? बहरहाल अमर अग्रवाल ने हाल ही में बिलासपुर के निजी अस्पताल के उद््घाटन में उस अस्पताल की प्रशंसा से भी वे चर्चा में आ गये हैं। छत्तीसगढ़ के सरकार अस्पतालों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डाक्टरों की कमी किसी से छिपी नहीं है कई बार विधानसभा में भी उन्होंने डाक्टरों की कमी की बात स्वीकार की है, रायगढ़ में काफी पहले से मेडिकल कालेज की स्थापना का प्रयास जारी है, जगदलपुर में शुरू किये गये मेडिकल कालेज को एमसीआई की मान्यता को लेकर तलवार लटकी रहती है, प्रदेश के एक मात्र सबसे बड़े अस्पताल 'मेकाहाराÓ में डाक्टर नहीं है, विशेषज्ञ नहीं, दवाई नहीं, चिकित्सा उपकरण खराब आदि के समाचार आते रहते हैं ऐसे में हाल ही में दुर्ग प्रवास पर दुर्ग के मेडिकल कालेज की स्थापना संबंधी अमर अग्रवाल का बयान भी कम चर्चा में नहीं है।
न आरोपी, न आरोप मुक्त
छत्तीसगढ़ में पारदर्शी परीक्षा प्रणाली लागू कर करीब 62 परीक्षाएं आयोजित कर करीब ढाई लाख बेरोजगारों के लिये रोजगार मुहैया कराने में विशेष भूमिका निभाने वाले व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) के पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ. भानु त्रिपाठी फिर साइंस कालेज पहुंचे गये हंै। मानसिक यातना के अलावा वे पुलिसिया पूछताछ से भी गुजर चुके हैं। इतना समय गुजरने के बाद जांच अधिकारी इसी राय में पहुंचे हैं कि पीएमटी का पर्चा प्रकाशन कंपनी से ही पार होकर बाजार में पहुंचा था। वैसे डॉ. त्रिपाठी के समय शिक्षा कर्मी, महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षक, लोक अभियोजक वेयर हाऊसिंग बोर्ड, सहकारिता अंकेक्षक, खाद्य निरीक्षक परिवहन आरक्षक आदि की परीक्षाएं हुई थीं। करीब 8-9 लाख शिक्षा कर्मियों की परीक्षा लेकर एक माह के भीतर परिणाम भी घोषित करने का एक नया रिकार्ड अभी भी प्रदेश में स्थापित है।
डॉ. त्रिपाठी ने उत्तरपुस्तिका की कार्बन कापी परीक्षार्थियों को उपलब्ध कराने की नई परंपरा स्थापित की माडल आंसर भी इंटरनेट में अपलोड कराया, इंटरनेट के माध्यम से दावा-आपत्तियां भी मंगवाई और उनका भी निराकरण कराया, व्यापम के खिलाफ कुछ लोग उच्च न्यायालय भी गये पर किसी भी मामले में व्यापम के खिलाफ फैसला नहीं आया, हालात तो यह है कि व्यापम की परीक्षा प्रणाली को अब प्रदेश के लोकसेवा आयोग भी अपनाने जा रहा है। बहरहाल डॉ. त्रिपाठी की हालत तो यह है कि न तो आरोपी हंै और न ही आरोप मुक्त। बदनामी जो मढी गई वह अलग।
और अब बस
(1)
छत्तीसगढ़ का अगला मुख्य सचिव कौन? सुनील कुमार, नारायण सिंह या कोई और? एक टिप्पणी... पहले रोगदा बांध की जांच रिपोर्ट तो विस में पेश हो फिर देखा जाएगा।
(2)
एक मंत्री के निजी सचिव को लम्बी छुट्टी में भेजा गया है... मीडिया को 'सेटÓ करने का दावा खरा नहीं उतरा ऐसा कहा जा रहा है।
(3) मुख्यमंत्री ने पुलिस के आला अफसरों को नक्सली क्षेत्र में रात्रि विश्राम का आदेश दिया था। एक टिप्पणी... अभी तो रात्रि विश्राम का मुहूर्त नहीं निकला है।
(4)
विधायक तथा शराब निगम के अध्यक्ष देवजी पटेल ने अपनी ही सरकार को पत्रकारवार्ता लेकर सीमेंट की बढ़ती कीमतों पर चुनौती दे दी है... शराब की कीमत भी तो दिनों दिन बढ़ रही है...?

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