मेरे खुशनुमा इरादों, मेरी देखभाल करना
किसी और से नहीं है, मेरा खुद से सामना है
समूचे भारत सहित छत्तीसगढ़ में अगस्त महीने का बड़ा महत्व है। सावन की समाप्ति के साथ ही रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार इसी माह आता है। साथ ही क्रांति दिवस के साथ ही आजादी का पर्व 15 अगस्त का राष्ट्रीय त्यौहार भी मनाया जाता है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ में कुछ प्रमुख नेताओं का जन्मदिन भी इसी माह आता है। पंडित रविशंकर शुक्ल कसडोल उपचुनाव में विजयी होने के बाद मप्र के मुख्यमंत्री बने द्वारिका प्रसाद मिश्रा, मप्र बनने के पूर्व मुख्यमंत्री तथा गर्वनर रहे डा. राघवेन्द्र राव ने भी अगस्त महीने में ही जन्म लिया था। इनके साथ ही छत्तीसगढ़ की नृत्य संगीत विरासत को देश-विदेश में चर्चित कराने महान योगदान देने वाले रायगढ़ नरेश राजा चक्रधर सिह भी अगस्त माह में ही धरती पर आये थे।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख नेता तथा सीपीएफ बरार तथा मप्र के मुख्यमंत्री रहे पं. रविशंकर शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1877 को हुआ था तो मप्र के मुख्यमंत्री रहे पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र ने 5 अगस्त 1901 को जन्म लिया था। छत्तीसगढ़ के ही एक प्रमुख नेता डा. राघवेन्द्र राव 4 अगस्त 1889 तो रायगढ़ नरेश चक्रधर सिंह 19 अगस्त 1905 को जन्मे थे। वरिष्ठ आदिवासी नेता मनकूराम सोही का जन्म भी। 1 अगस्त 1939 को हुआ था।
वैसे अगस्त महीने का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कुछ नेताओं का जन्म दिन भी इसी महीने हुआ है और उनके समर्थकों को भी यह माह विशेष याद रहता है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता तथा वर्षों तक केन्द्र सरकार में कई विभागों में मंत्री का पद सम्हालने वाले विद्याचरण शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1929 को ही हुआ था उनके समर्थक इस दिन को उत्साह पूर्वक मनाते हैं। विद्या भैय्या के प्रमुख प्रतिद्वंदी तथा लोकसभा चुनाव में उन्हें पराजित करने वाले देश तथा प्रदेश के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस भी 2 अगस्त 1947 को ही इस दुनिया में आये हैं। उनके पैदा होने के 13 अगस्त दिन बाद ही देश आजाद हुआ था। विद्याचरण शुक्ल तथा उनके अग्रज स्व. श्यामाचारण शुक्ल को पराजित करने का श्रेय रमेश बैस के खाते में दर्ज हैं। उनका जन्म दिन भी उनके समर्थक उत्साह पूर्वक मनाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व नेता प्रतिपक्ष तथा आदिवासी नेता महेन्द्र कर्मा का जन्म भी अगस्त माह में ही हुआ था। 5 अगस्त 1950 को बस्तर में जन्म लेने वाले महेन्द्र कर्मा भी छग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी बलौदाबाजार की पूर्व विधायक तथा जांजगीर की सांसद रही श्री करूणा शुक्ला का भी जन्म एक अगस्त 1950 को ग्वालियर में हुआ था। वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक गुरुमुख सिंह होरा तो 15 अगस्त 1947 भारत की आजादी मिलने के दिन ही पैदा हुआ थे। पूर्व मंत्री तथा विधायक ताम्रध्वज साहू ने भी 6 अगस्त 1949 को जन्म लिया था। इसके अलावा बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा विधायक दाऊराम रत्नाकर (3 अगस्त 1958) बदरूद्दीन कुरैशी (11 अगस्त 1947) पूर्व सांसद मनकूराम सोढ़ी (13 अगस्त 1934) पूर्व मंत्री तथा विधायक मो. अकबर (24 अगस्त 1955) भूपेश बघेल (23 अगस्त 1961) ने अगस्त माह में जन्म लिया। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी के सुपुत्र तथा युवा नेता अमित एश्यर्व जोगी का जन्म भी 7 अगस्त को अमेरिका में अपनी मौसी के घर हुआ था। इनका जन्म दिन भी उनके समर्थक उत्साह से मनाते हैं।
नई राजधानी और नामकरण!
छत्तीसगढ़ के एकमात्र माना विमानतल का नामकरण स्वामी विवेकानंद की स्मृति में रखने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को साधूवाद दिया जा सकता है। इससे स्वामी विवेकानंद के रायपुर में कुछ समय रहने की चिर स्मृति बनी रहेगी वही अब नई राजधानी के नामकरण की बारी है। अगला राज्योत्सव नई विकसित राजधानी में होगा। राष्ट्रपति को आमंत्रण भी दिया जा चुका है। नई राजधानी आकार लेने आतुर है पर अभी तक उसका नामकरण नहीं हो सका है।
भारत की राजधानी जब दिल्ली बनी तो उसे नई दिल्ली नाम दिया गया। वैसे जिस भी राज्य में नई राजधानी किसी बड़े शहर के पास विकसित की गई तो उसे नया नाम दिया गया। हां अविभाजित मप्र में जरुर ओल्ड भोपाल, न्यू भोपाल का नाम दिया गया और लगता है कि अभी भी हम अविभाजित मप्र की मानसिकता से बाहर नहीं आये हैं तभी तो हम नई राजधानी का नाम नया रायपुर देने प्रयासरत हैं। भारत के एक प्रमुख प्रदेश गुजरात की नई राजधानी अहमदाबाद से कुछ किलोमीटर दूर बनी और महात्मागांधी की याद मे ंउस नई राजधानी का नाम गांधीनगर दिया गया उसी तरह मां कामाख्या की नगरी गुवाहाटी के पास नई राजधानी विकसित की गई और उसका नाम दिया गाय दिसपुर। छत्तीसगढ़ की नई राजधानी निर्माणाधीन है। रायपुर शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्तिथ इस नई राजधानी को अभी से छत्तीसगढ़ की गरिमा के अनुरूप नाम दिया जाना जरूरी है। वैसे नामकरण के संबंध में एक उदाहरण रायपुर शहर के 700 बिस्तर अस्पताल का भी हैं। पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध यह अस्पताल पहले डीके अस्पताल (दाऊकल्याण सिंह) के नाम से जाना जाता था क्योंकि दाऊजी ने इसके लिए बड़ा दान दिया था। बाद में अस्पताल को मेडिकल कालेज का नया भवन बनने पर सेन्ट्रल जेल के सामने स्थानांतरित कर दिया गया तथा मरीज बिस्तरों की संख्या भी 700 कर दी गई इसके बाद वहां नामकरण की राजनीति चली। किसी ने डा. आम्बेडकर के नाम पर तो किसी ने इंदिरा गांधी के नाम पर नामकरण करना चाहा, डा. अम्बेडकर की मूर्ति की भी अस्पताल के सामने स्थापित हो गई। सियासत के चलते आज तक विधिवत इस अस्पताल का नामकरण नहीं हो सका है। कोई मेकाहारा (मेडिकल कालेज हास्पिटल रायपुर) कहता है तो कोई 700 बिस्तर अस्पताल कहता है वहीं कुछ लोग पहले की तरह आज भी इसे बड़ा अस्पताल कहते हैं। छत्तीसगढ़ की नई राजधानी का नामकरण करने अभी से प्रयास किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ का पुराना नाम दक्षिण कौसल रहा है। दक्षिण कौसल (वर्तमान छत्तीसगढ़) का साम्राज्य श्री राम के पुत्रकुश को मिला था। महाराज कुश ने इस राज्य की राजधानी का नाम कुशावती रखा था। तब रतनपुर, मल्हार तथा सिरपुर आदि विकसित नहीं हुए थे ऐसा जानकार कहते हैं जाहिर है उस समय रायपुर बिलासपुर आदि का तो नामो निशान ही नहीं था। महाराजा कुश के वंशज हजारों वर्षों तक दक्षिण कौसल में राज्य करते रहे। महारानी कौशल्या के पिता, श्री राम के नाना, मामा का पहले यहां राज्य रहा है। इसी कारण ही छत्तीसगढ़ में मामा-भांजा का रिश्ता काफी पवित्र और सम्मानजनक माना जाता है। इतिहास कहता है कि महाराजा नाग्नाजित की राजधानी जांजगीर-चांपा जिले के कोसला में थी संभवत: यही कुशावती का परिवर्तित नाम हो। बहरहाल नई राजधानी का नाम कुशावती भी रखा जा सकता ह वही राजधानी में नया रायपुर कहने की जगह कोई और भी अच्छा नाम दिया जा सकता है जिससे छत्तीसगढ़ के प्राचीन गौरवांवित इतिहास की झलक लोगों को मिलेगी साथ ही राजधानी को नये नाम के साथ भी पहचान मिलेगी।
और अब बस
0 छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख नौकरशाह को एक राजनेता दम्पत्ति द्वारा अच्छी तरही खबर लेने के समाचार मिले है। उन्हें पहले भी एक कांग्रेसी विधायक को च्खबरज् देने के नाम पर किनारे लगाया गया था।
0 जनदर्शन में भारी भीड़ उमड़ती देखकर राजनेता गदगद थे। किसी ने टिप्पणी की... यदि सरकार का कामकाज ठीक-ठाक होता तो इतनी भीड़ क्यों आती।
0 पी.ए. संगमा और अरविंद नेताम द्वारा एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने पर छग में क्या असर पड़ेगा एक टिप्पणी... नेताम कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लडऩे पर अपनी जमानत नहीं बचा सके है...पिछला विस चुनाव अपनी बेटी को नही जिता पाये हैं नई पार्टी का क्या होगा?
किसी और से नहीं है, मेरा खुद से सामना है
समूचे भारत सहित छत्तीसगढ़ में अगस्त महीने का बड़ा महत्व है। सावन की समाप्ति के साथ ही रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार इसी माह आता है। साथ ही क्रांति दिवस के साथ ही आजादी का पर्व 15 अगस्त का राष्ट्रीय त्यौहार भी मनाया जाता है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ में कुछ प्रमुख नेताओं का जन्मदिन भी इसी माह आता है। पंडित रविशंकर शुक्ल कसडोल उपचुनाव में विजयी होने के बाद मप्र के मुख्यमंत्री बने द्वारिका प्रसाद मिश्रा, मप्र बनने के पूर्व मुख्यमंत्री तथा गर्वनर रहे डा. राघवेन्द्र राव ने भी अगस्त महीने में ही जन्म लिया था। इनके साथ ही छत्तीसगढ़ की नृत्य संगीत विरासत को देश-विदेश में चर्चित कराने महान योगदान देने वाले रायगढ़ नरेश राजा चक्रधर सिह भी अगस्त माह में ही धरती पर आये थे।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख नेता तथा सीपीएफ बरार तथा मप्र के मुख्यमंत्री रहे पं. रविशंकर शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1877 को हुआ था तो मप्र के मुख्यमंत्री रहे पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र ने 5 अगस्त 1901 को जन्म लिया था। छत्तीसगढ़ के ही एक प्रमुख नेता डा. राघवेन्द्र राव 4 अगस्त 1889 तो रायगढ़ नरेश चक्रधर सिंह 19 अगस्त 1905 को जन्मे थे। वरिष्ठ आदिवासी नेता मनकूराम सोही का जन्म भी। 1 अगस्त 1939 को हुआ था।
वैसे अगस्त महीने का छत्तीसगढ़ में विशेष महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कुछ नेताओं का जन्म दिन भी इसी महीने हुआ है और उनके समर्थकों को भी यह माह विशेष याद रहता है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता तथा वर्षों तक केन्द्र सरकार में कई विभागों में मंत्री का पद सम्हालने वाले विद्याचरण शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1929 को ही हुआ था उनके समर्थक इस दिन को उत्साह पूर्वक मनाते हैं। विद्या भैय्या के प्रमुख प्रतिद्वंदी तथा लोकसभा चुनाव में उन्हें पराजित करने वाले देश तथा प्रदेश के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस भी 2 अगस्त 1947 को ही इस दुनिया में आये हैं। उनके पैदा होने के 13 अगस्त दिन बाद ही देश आजाद हुआ था। विद्याचरण शुक्ल तथा उनके अग्रज स्व. श्यामाचारण शुक्ल को पराजित करने का श्रेय रमेश बैस के खाते में दर्ज हैं। उनका जन्म दिन भी उनके समर्थक उत्साह पूर्वक मनाते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व नेता प्रतिपक्ष तथा आदिवासी नेता महेन्द्र कर्मा का जन्म भी अगस्त माह में ही हुआ था। 5 अगस्त 1950 को बस्तर में जन्म लेने वाले महेन्द्र कर्मा भी छग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी बलौदाबाजार की पूर्व विधायक तथा जांजगीर की सांसद रही श्री करूणा शुक्ला का भी जन्म एक अगस्त 1950 को ग्वालियर में हुआ था। वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक गुरुमुख सिंह होरा तो 15 अगस्त 1947 भारत की आजादी मिलने के दिन ही पैदा हुआ थे। पूर्व मंत्री तथा विधायक ताम्रध्वज साहू ने भी 6 अगस्त 1949 को जन्म लिया था। इसके अलावा बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा विधायक दाऊराम रत्नाकर (3 अगस्त 1958) बदरूद्दीन कुरैशी (11 अगस्त 1947) पूर्व सांसद मनकूराम सोढ़ी (13 अगस्त 1934) पूर्व मंत्री तथा विधायक मो. अकबर (24 अगस्त 1955) भूपेश बघेल (23 अगस्त 1961) ने अगस्त माह में जन्म लिया। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी के सुपुत्र तथा युवा नेता अमित एश्यर्व जोगी का जन्म भी 7 अगस्त को अमेरिका में अपनी मौसी के घर हुआ था। इनका जन्म दिन भी उनके समर्थक उत्साह से मनाते हैं।
नई राजधानी और नामकरण!
छत्तीसगढ़ के एकमात्र माना विमानतल का नामकरण स्वामी विवेकानंद की स्मृति में रखने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को साधूवाद दिया जा सकता है। इससे स्वामी विवेकानंद के रायपुर में कुछ समय रहने की चिर स्मृति बनी रहेगी वही अब नई राजधानी के नामकरण की बारी है। अगला राज्योत्सव नई विकसित राजधानी में होगा। राष्ट्रपति को आमंत्रण भी दिया जा चुका है। नई राजधानी आकार लेने आतुर है पर अभी तक उसका नामकरण नहीं हो सका है।
भारत की राजधानी जब दिल्ली बनी तो उसे नई दिल्ली नाम दिया गया। वैसे जिस भी राज्य में नई राजधानी किसी बड़े शहर के पास विकसित की गई तो उसे नया नाम दिया गया। हां अविभाजित मप्र में जरुर ओल्ड भोपाल, न्यू भोपाल का नाम दिया गया और लगता है कि अभी भी हम अविभाजित मप्र की मानसिकता से बाहर नहीं आये हैं तभी तो हम नई राजधानी का नाम नया रायपुर देने प्रयासरत हैं। भारत के एक प्रमुख प्रदेश गुजरात की नई राजधानी अहमदाबाद से कुछ किलोमीटर दूर बनी और महात्मागांधी की याद मे ंउस नई राजधानी का नाम गांधीनगर दिया गया उसी तरह मां कामाख्या की नगरी गुवाहाटी के पास नई राजधानी विकसित की गई और उसका नाम दिया गाय दिसपुर। छत्तीसगढ़ की नई राजधानी निर्माणाधीन है। रायपुर शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्तिथ इस नई राजधानी को अभी से छत्तीसगढ़ की गरिमा के अनुरूप नाम दिया जाना जरूरी है। वैसे नामकरण के संबंध में एक उदाहरण रायपुर शहर के 700 बिस्तर अस्पताल का भी हैं। पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध यह अस्पताल पहले डीके अस्पताल (दाऊकल्याण सिंह) के नाम से जाना जाता था क्योंकि दाऊजी ने इसके लिए बड़ा दान दिया था। बाद में अस्पताल को मेडिकल कालेज का नया भवन बनने पर सेन्ट्रल जेल के सामने स्थानांतरित कर दिया गया तथा मरीज बिस्तरों की संख्या भी 700 कर दी गई इसके बाद वहां नामकरण की राजनीति चली। किसी ने डा. आम्बेडकर के नाम पर तो किसी ने इंदिरा गांधी के नाम पर नामकरण करना चाहा, डा. अम्बेडकर की मूर्ति की भी अस्पताल के सामने स्थापित हो गई। सियासत के चलते आज तक विधिवत इस अस्पताल का नामकरण नहीं हो सका है। कोई मेकाहारा (मेडिकल कालेज हास्पिटल रायपुर) कहता है तो कोई 700 बिस्तर अस्पताल कहता है वहीं कुछ लोग पहले की तरह आज भी इसे बड़ा अस्पताल कहते हैं। छत्तीसगढ़ की नई राजधानी का नामकरण करने अभी से प्रयास किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ का पुराना नाम दक्षिण कौसल रहा है। दक्षिण कौसल (वर्तमान छत्तीसगढ़) का साम्राज्य श्री राम के पुत्रकुश को मिला था। महाराज कुश ने इस राज्य की राजधानी का नाम कुशावती रखा था। तब रतनपुर, मल्हार तथा सिरपुर आदि विकसित नहीं हुए थे ऐसा जानकार कहते हैं जाहिर है उस समय रायपुर बिलासपुर आदि का तो नामो निशान ही नहीं था। महाराजा कुश के वंशज हजारों वर्षों तक दक्षिण कौसल में राज्य करते रहे। महारानी कौशल्या के पिता, श्री राम के नाना, मामा का पहले यहां राज्य रहा है। इसी कारण ही छत्तीसगढ़ में मामा-भांजा का रिश्ता काफी पवित्र और सम्मानजनक माना जाता है। इतिहास कहता है कि महाराजा नाग्नाजित की राजधानी जांजगीर-चांपा जिले के कोसला में थी संभवत: यही कुशावती का परिवर्तित नाम हो। बहरहाल नई राजधानी का नाम कुशावती भी रखा जा सकता ह वही राजधानी में नया रायपुर कहने की जगह कोई और भी अच्छा नाम दिया जा सकता है जिससे छत्तीसगढ़ के प्राचीन गौरवांवित इतिहास की झलक लोगों को मिलेगी साथ ही राजधानी को नये नाम के साथ भी पहचान मिलेगी।
और अब बस
0 छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख नौकरशाह को एक राजनेता दम्पत्ति द्वारा अच्छी तरही खबर लेने के समाचार मिले है। उन्हें पहले भी एक कांग्रेसी विधायक को च्खबरज् देने के नाम पर किनारे लगाया गया था।
0 जनदर्शन में भारी भीड़ उमड़ती देखकर राजनेता गदगद थे। किसी ने टिप्पणी की... यदि सरकार का कामकाज ठीक-ठाक होता तो इतनी भीड़ क्यों आती।
0 पी.ए. संगमा और अरविंद नेताम द्वारा एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने पर छग में क्या असर पड़ेगा एक टिप्पणी... नेताम कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लडऩे पर अपनी जमानत नहीं बचा सके है...पिछला विस चुनाव अपनी बेटी को नही जिता पाये हैं नई पार्टी का क्या होगा?
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