लोग बैठे है अंधेरे
को लपेटे देखिये
क्या पता सूरज अभी तक है कहां ठहरा हुआ
पेट्रोल की कीमत बढऩे से भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार के युवा कार्यकर्ता काफी नाराज हैं। भाजपा की यूथविंग के कार्यकर्ता 7 रूपये 50 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत बढ़ाने को लेकर कांग्रेस भवन में उग्र प्रदर्शन किया। संभवत: यह पहला मामला है जब किसी पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं ने विपक्षी पार्टी के दफ्तर के आसपास प्रदर्शन किया है। भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने ऐतिहासिक कांग्रेस भवन के पास अपनी ही बाईक पर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी, पुलिस ने पानी की बौछार से बाईक में लगाई गई आग बुझाई तो युवाओं ने फिर आग लगा थी। इस बात को लेकर युवा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच भी झूमाझटकी हुई। करीब घंटे भर के प्रदर्शन के बाद भाजयुमो और भाजपा के नेता वापस चले गये पर जिस तरह भाजपा के प्रदेश सरकार के युवा कर्णहारो ने पुलिस से धक्का मुक्की की, बेरीकेट्स तोड़ डाले और पुलिस कुछ करने की स्थिति में नहीं थी। वह चर्चा में है।
कांग्रेस समर्थित केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी, प्रदर्शन करने वाले भाजयुमो के नेताओं ने ेएक तरह से खुलकर प्रदर्शन किया अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और पुलिस की असहाय छवि के भी दर्शन हुए सवाल यह है कि केन्द्र सरकार ने साढ़े सात रूपये प्रति लीटर पेट्रोल के दाम बढ़ाये, किन कारणों से बढ़ाना जरूरी समझा गया, कांग्रेस की केन्द्र सरकार में शामिल दल भी इस वृद्धि का विरोध कर रहे है यह सही है कि देश में यूपीए की सरकार बनने के बाद पेट्रोल, डीजल, खाना पकाने का गैस में वृद्धि होती रही है और इससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को काफी तकलीफ हो रही है पर भाजयुमो के नेता प्रदेश सरकार को भी तो कर कम करने दबाव बना सकते थे। गोवा, झारखंड तथा दिल्ली में राज्य सरकारें अपना कर माफ कर प्रदेश के नागरिकों को राहत दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार पेट्रोल डीजल पर 25 प्रतिशत वैट लेती है यानि यदि 75.28 पैसे पेट्रोल प्रति लीटर उपभोक्ताओं को मिलता है तो उसका 25 प्रतिशत यानि 18.82 पैसा राज्य सरकार की जेब में जाता है। वैसे इसी तरह डीजल 51.04 पैसा लीटर है तो 12.21 पैसे सरकार वैट लेती है।
भाजयुमो के प्रदर्शनकारी यह शायद ही जानते होंगे कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को पेट्रोल-डीजल से की राज्य में बिक्री से जितनी आय होती है उतनी आय शराब बिक्री से भी नहीं होती है इसलिये राज्य सरकार अपना कर कम करेगी ऐसा लगता तो नहीं है।
कहां थे भाजयुमो कार्यकर्ता
छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के समय यहां पानी की अधिकता, धरती के भीतर मौजूद खनिज जंगलों की बहुतायत के कारण ही छत्तीसगढ़ राज्य को कर मुक्त करने का भी सपना दिखाया गया था। पानी कोयला, हीरा, लोहा, सोना एलेक्जेण्डर, यूरेनियम सभी तो छग में उपलब्ध है फिर भी हाल ही में शहरी निवासियों के लिये पानी का कर बढ़ाया गया। राज्य सरकार के आदेश पर निगम प्रशासन ने कर बढ़ाया यानि पानी की बहुतायत वाले क्षेत्र में राजधानी के निवासी महंगा पानी पीने को मजबूर है। निगम प्रशासन राज्य सरकार पर और राज्य सरकार निगम प्रशासन पर पानी की कीमत बढ़ाने का आरोप मठ रहा है तब भाजयुमो कार्यकर्ता कहां थे, पानी तो सभी पीते ही है, पेट्रोल का उपयोग तो कई लोग नहीं भी करते होंगे।
छत्तीसगढ़ की बिजली दूसरे राज्यों में बेची जाती है उससे आय भी होती है। जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था तो बिजली के मामले में छत्तीसगढ़ को सरप्लस राज्य कहा जाता था। पर सरप्लस राज्य में यहां के निवासियों को महंगी बिजली खरीदने मजबूर, होना पड़ा है। हाल ही में बिजली की दरों में वृद्धि हुई है। कहा जा रहा है कि बिजली उत्पादन वितरण कंपनियों जो सरकार ने बनाई है उसको घाटे से मुक्त कराने बिजली की कीमत बढ़ाना जरूरी है। गरीब से लेकर अमीर तक, गृह उद्योग से लेकर सार्वजनिक उद्योग के क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति की दरों में वृद्भि की गई है। सरकार का कहना है कि करना जरूरी था क्यों? जब राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से विद्युत उत्पादन करती है तो विद्युत दर बढ़ाने की क्या मजबूरी थी जबकि पेट्रोल-डीजल के लिए तो भारत को खाड़ी देशों पर निर्भर होना पड़ता है। खैर बिजली और पानी की दर में वृद्धि की गई तब भाजयुमो के नेता और कार्यकर्ता कहां थे। बहरहाल राजनीति करना तो ठीक है पर सही और गलत को एक ही पलड़े में रखकर राजनीति करना भी तो सही नहीं कहा जा सकता है।
बेचारे कंवर...
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर सीधे सादे आदिवासी नेता है। अपनी बात वे सीधे सीधे कहने से विश्वास रखते है और इसीलिये मिडिया कर्मी उनसे कुछ न कुछ बुलवाने में सफल हो जाते हैं। हाल ही में घूर नक्सली प्रभावित सुकमा में उन्होने रात गुजारी। वहां के कलेक्टर एलेक्स पॉल के नक्सलियों द्वारा अपहरण के बाद वे पहले राजनीतिज्ञ है जो रात में वही रहे। खैर बाद में पत्रकारों से उन्होंने कह ही दिया कि उन्हें फ्रीहेण्ड दिया जाए तो वे एक घंटे के भीतर सब ठीक कर लेंगे। उन्हें फ्री हेण्ड कौन नही दे रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। उनसे जब किसी पत्रकार ने सवाल किया कि कोण्डागांव में मंत्री लता उसेण्डी के निवास पर हमले के बाद वहां के पुलिस कप्तान को हटा दिया गया तो गृहमंत्री ने कहा कि वहां के एसपी को हटाने की लिखित जानकारी उनसे पास नहीं है।
लगता है कि गृहमंत्री ननकी राम कंवर को सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पॉल के अपहरण और रिहाई के लिये चल रही गतिविधियों से अलग रखा गया था तभी तो कलेक्टर की रिहाई के लिये मध्यस्थ की भूमिका निभाने वालों को गृहमंत्री ने न केवल दलाल कहा बल्कि उन्हें नक्सलियों का सहयोगी, साथी कहने से भी गुरेज नहीं किया। बहरहाल देश के पहले गृहमंत्री ननकीराम कंवर ही होंगे जिनका आदेश गृहमंत्रालय के अफसर ही नहीं मानते हैं।
कांग्रेस से नई कपोल फूटी
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पिता-पुत्र भाई-भाई, पति-पत्नी राजनीति में है। सतनामी समाज के गुरूगद्दीनसीन विजय गुरु भाजपा में है तो बेटा रूद्रगुरू कांग्रेस का विधायक है। गुरूमुख सिंह कांग्रेस के विधायक है तो भाई दिलिप सिंह होरा भाजपा में है तथा अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा अजीत जोगी, सत्यनारायण शर्मा, गुरुमुख सिंह होरा, राधेश्याम शर्मा के बेटे भी सक्रिय राजनीति में है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हाल ही में एक पदाधिकारी के पुत्र ने भी राजनीति में पर्दापण किया है। उस नेता के बंगले में बैठकर वह भी राजनीति करने लगे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है उसका कद इतना बढ़ चुका है कि उसकी मर्जी के बिना पापा से अब मुलाकात भी संभव नहीं है। बहरहाल कांग्रेस की यह कपोल कुछ कांग्रेसियों की ही नाराजगी का कारण बनी हुई है।
और अब बस
द्य वित्त आयोग का कार्यकाल 6 माह बढ़ाया जा सकता है। गुरु सदस्य और चेला अध्यक्ष होने के बावजूद रिपोर्ट बनना शुरू हो गई है यह उपलब्धि ही है।
द्य लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा पूर्व डीजीपी अशोक दरबारी के विरूद्ध शिकायत की जांच 5 दिनों के भीतर कर उन्हें आरोपी ठहरा दिया गया था। आयोग के दो सदस्यों के खिलाफ शिकायतों की जांच में 5 साल लग गये और मामला ही खत्म करने की तैयारी है।
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