Tuesday, April 10, 2012

आइना ए छत्तीसगढ़

झूठों ने झूठों से कहा कि सच बोलो
सरकारी एलान हुआ कि सच बोलो
घर के अंदर है झूठों की मंडी
दरवाजे पर लिखा है कि सच बोलो

भारतीय जनता पार्टी 32 साल की हो गई, इन सालों में भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा काफी बदल गया है। भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे अनुभवी नेताओं की जगह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहल पर बागडोर युवा नेताओं के हाथ आ गई पर संघ जिस बदलाव की उम्मीद कर रहा था वैसे कुछ हुआ नहीं। लिहाजा फिर भाजपा को अपनी पुरानी विरासत का आइना दिखाकर रास्ते में लाने की पहल शुरू हो गई है।
आदर्श, भयमुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, शासन, चाल, चरित्र और चेहरा की बात करने वाली, भाजपा का सत्ता पाते ही कुछ राज्यों में जिस तरह चाल, चरित्र और चेहरा बदला है वह चिंता का विषय है। जनता ने आदर्श और सिद्धांतवादी, हिन्दुओं का ही हिन्दुस्थान आदि कुछ बातें जेहन में लाकर भाजपा को 2 सांसदों से प्रधानमंत्री तक का सफर पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अटल बिहारी वाजपेयी ने जनता का भरोसा तोड़ा भी नहीं था। गठबंधन सरकार होने के बावजूद उन्होंने कुछ आदर्श राजनीतिक उदाहरण भी प्रस्तुत किये थे। भाजपा देश में गठबंधन सरकार के समय श्रीराम मंदिर का मुद्दा कहीं खो गया था और अब आगामी लोस, कुछ राज्यों में विस चुनावों को देखते हुए यह मुद्दा फिर उछाला गया है।
संघ ने बुजुर्ग नेताओं के स्थान पर नीतिन गडकरी जैसे युवा नेता को संगठन की जिम्मेदारी दी तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में सुषमा स्वराज को आगे किया। युवा नेतृत्व से जैसी उम्मीद लगाई गई थी वैसे परिणाम अभी तक तो सामने नहीं आ पाया है। बल्कि बुजुर्ग और युवा नेताओं को बीच केन्द्र स्तर पर नहीं राज्य स्तर पर भी मतभेद सामने आ रहे हैं। पार्टी के एक आला नेता की मानें तो भाजपा में शामिल नये कार्यकर्ता ऐसी कई बातें नहीं जानते जो उनके लिये जानना जरूरी है भाजपा की स्थापना कैसे हुई, पार्टी की नीति क्या है? किन लोगों के प्रयास से यह पार्टी बनी, पार्टी का सिद्धांत क्या है? यह जानना जरूरी है। उस नेता का यह भी कहना है कि पार्टी में पहले जो बड़े बूढ़ों की प्रतिष्ठा थी आंखों की शरम थी, पार्टी का अनुशासन था वह सत्ता प्राप्त करने के बाद खत्म होता दिखाई दे रहा है। अब पार्टी, विकास के स्थान पर व्यक्तिगत स्वार्थ की बात सामने आ गई है। वहीं सत्ता के कारण पार्टी से जुड़े इधर-उधर के नेताओं की फौज एकत्रित हो गई है और कई राज्यों में इसीलिये कुछ भी हो रहा है। पार्टी तथा सत्ता में बैठे कुछ नेताओं की आम कार्यकर्ताओं से दूरी बढ़ रही है। आयातित नेता भारी पड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी जिस तरह उपेक्षा का दौर शुरू हुआ है उसी से वर्षों से पार्टी से जुड़े नेता परेशान हैं और पार्टी तथा नेताओं के खिलाफ जो पर्चेबाजी हो रही है वह इसी का परिणाम है। पर्चे की भाषा देखकर ही लगता है कि पार्टी के तपे-तपाये किसी नेता या गुट का इस पर्चेबाजी में बड़ा रोल है।

सीएजी रिपोर्ट पर बवाल!

महालेखाकार (सीएजी) की रिपोर्ट को लेकर फिलहाल छत्तीसगढ़ की राजनीति गर्म है। महालेखाकार की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार के कई विभागों में आर्थिक गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ऊर्जा (बिजली) विभाग सहित खनिज विभाग में 7 हजार 89 करोड़ के नुकसान का मामला रिपोर्ट में उभरा है तो कुल 1052 करोड़ का नुकसान सरकारी विभाग की अनियमितता को एजी की रिपोर्ट में सामने आई है। सीएजी की रिपोर्ट पर राजनेता तो टिप्पणी करते हैं यह आम बात है पर छत्तीसगढ़ में तो नौकरशाह ने भी टिप्पणी कर दी है। यह संवैधानिक संस्था के औचित्य पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। वैसे छत्तीसगढ़ में यह कोई नई बात नहीं है। चुनाव आयोग पर टिप्पणी करने के कारण तत्कालीन डीजीपी विश्वरंजन को चुनाव तक अवकाश में भेजा गया था फिर उन्हें चुनाव के बाद पुन: कई सालों तक डीजीपी बनाये रखा गया।
हाल ही में कैग की रिपोर्ट के बाद विपक्ष तो सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। सरकार को कटघरे में खड़ा करने प्रयास कर रहा है। खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने तो बाकायदा पत्रकार वार्ता लेकर महालेखाकार की रिपोर्ट को काल्पनिक कह दिया है। साथ ही साथ सरकार की तरफदारी की, छत्तीसगढ़ के लाभ और नियम प्रक्रिया का हवाला भी दिया वहीं एक वरिष्ठ आईएएस अफसर सुबोध सिंह ने जिस तरह महालेखाकार की रिपोर्ट की टिप्पणी की वह जरूर आश्चर्य जनक है। क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी इस तरह के बयान देता नहीं है। खैर देश के वरिष्ठ भाजपा सांसद तथा लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक रमेश बैस ने भी महालेखाकार की रिपोर्ट पर टिप्पणी... करने को घोर आपत्तिजनक माना है। उनका कहना है कि इस संवैधानिक संस्था का सम्मान करना सभी का कतर्व्य है। खैर बाद में श्री बैस ने बयान ही बदल दिया। वैसे छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ सांसद तथा प्रथम नेता प्रतिपक्ष नंद कुमार साय, वरिष्ठ सांसद दिलिप सिंह जूदेव तथा पूर्व सांसद करुणा शुक्ला ने भी कुछ इसी तरह के बयान दिये हैं।
सीएजी की रिपोर्ट के बाद उस पर पार्टी के नेताओं पर सरकार के अधिकारी की टिप्पणी से पार्टी के कुछ सांसदों ने नाराजगी व्यक्त की है और 11-12 को पार्टी की कार्य समिति की बैठक में भी यह मामला उठेगा ऐसा लगता है। कोई तैयार नहीं!
छत्तीसगढ़ में आखिर यह हो क्या रहा है? छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सली वारदात में वृद्धि हो रही है, अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। अपने वरिष्ठ अधिकारी की प्रताड़ना से एक पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा को आत्महत्या करने मजबूर होना पड़ा, काम के अधिक बोझ के चलते एक आदिवासी समाज के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बोधन सिंह मरावी की मौत हो जाती है। फिर भी सब ठीक है यही कहा जाता है।
दिलिप सिंह जूदेव के 'प्रशासनिक आतंकवादÓ की टिप्पणी के बाद बिलासपुर के तत्कालीन आईजीएडी गौतम तथा एस पी यादव को हटाकर उनके स्थान पर जी पी सिंह और राहुल शर्मा की नियुक्ति की जाती है। राहुल शर्मा खुद की सरकारी पिस्तौल से 'सुसाइड नोटÓ लिखकर आत्महत्या करते हैं। आईजी जीपी सिंह को सरकार हटाकर वहां पूरी तरह स्वस्थ नहीं होने पर भी बी एस मरावी को आईजी बनाया जाता है, काम के बोझ के चलते उनकी हार्टअटैक से मौत हो जाती है। फिर सरकार उनके स्थान पर दिसम्बर में सेवानिवृत्त होने वाले पी एन तिवारी की आईजी पद पर अस्थायी नियुक्ति करती है। उनके पास सी आई डी शाखा, मानव अधिकार प्रकोष्ठ का काम भी पूर्ववत रहेगा। न्यायधानी बिलासपुर के साथ आखिर यह क्या हो रहा है?
गृहमंत्री ननकी राम कंवर को गृहमंत्री पद से हटाने की चर्चा पिछले 2 साल से है, वे स्वयं भी गृहमंत्री बने रहना नहीं चाहते, वे तो राज्य की राजनीति से तंग आकर अगली बार लोकसभा चुनाव लड़ने की भी बात सार्वजनिक तौर पर कर चुके हैं। पर सरकार की मजबूरी है कि गृहमंत्री बनने कोई तैयार नहीं है? प्रमुख सचिव गृह के पद पर एन के असवाल पदस्थ हैं। पिछले फेरबदल में उनको भी हटाने की चर्चा थी। गृह, जेल, परिवहन के साथ उनके पास जलसंसाधन विभाग भी है। पर यहां भी सरकार की मजबूरी है। प्रमुख सचिव गृह मंत्री बनने कोई अधिकारी तैयार नहीं है। बस्तर में लगभग 12-13 सालों से पदोन्नति पाते-पाते टी जे लॉगकुमेर आई जी बन गये हंै, वे छत्तीसगढ़ कैडर के भी नहीं हैं। पर यहां भी मजबूरी है कि कोई अधिकारी वहां जाने तैयार नहीं है। हाल फिलहाल बिलासपुर आई जी पद को लेकर भी है। सूत्र कहते हैं कि वहां के हालात, शराब माफिया के दबाव के चलते वहां भी कोई आईपीएस अफसर जाने तैयार नहीं है। ऐसे हालात में पी एन तिवारी को भार साधक आईजी बनाया गया है। क्या करें सरकार के पास दृढ़इच्छा शक्ति का अभाव देखा जा रहा है।

और अब बस
(1)
भाजपा और कांगे्रस के कुछ नेताओं ने सीमेंट की कीमत कम करने आंदोलन किया, आंदोलन की सफलता या असफलता इसी से आंकी जा सकती है कि सीमेंट का दाम कम होने की जगह बढ़ गया। अब एक विधायक और पूर्व मंत्री की चुप्पी भी चर्चा में है।
(2)
सतनामी समाज के गुरु गद्दीनसीन विजय कुमार गुरु को भाजपा सरकार ने पुन: निगम का अध्यक्ष बना दिया। बेटा रुद्र कुमार गुरु कांगे्रस के विधायक है। अगला विस चुनाव दोनों के बीच होता है तो मजा जरूर आएगा।
(3)
महापौर किरणमयी नायक विदेश यात्रा पर हैं निगम का बजट सामान्य सभा में पारित नहीं हो सका है फिर भी निगम का कामकाज तो चल ही रहा है।

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