Tuesday, April 19, 2011

आईना-ए-छत्तीसगढ़

आईना-ए-छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल बस्तर के लोकसभा उपचुनाव में परिणाम जो भी आये पर यह मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पूर्व मुख्ममंत्री अजीत जोगी के लिये प्रतिष्ठïा का सवाल है। प्रदेश में सत्ताधारी दल भाजपा 'दस का दमÓ दिखाने का प्रयास करेगी यानि यह सीट फिर अपने पास रखने की भरपूर कोशिश करेगी तो कांगे्रस इसे जीतकर 'एक का दोÓ करने के लिये अपना पूरा जोर लगाएगी। यदि यह सीट पुन: भाजपा की झोली में जाती है तो कांगे्रस के नेताओं के लिए खासतौर पर अजीत जोगी के लिये एक बड़ा झटका होगा वहीं यह सीट यदि सत्ताधारी दल भाजपा से कांगे्रस झटक लेती है तो यह डॉ. रमन सिंह के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
बहरहाल कांगे्रस के वरिष्ठï नेता अजीत जोगी अपने समर्थकों सहित बस्तर में डेरा डाल चुके हैं। बस्तर एक लोकसभा प्रत्याशी कवासी लखमा उनकी व्यक्तिगत पसंद हैं, आम आदिवासियों के बीच के ही कवासी लखमा 2 बार विधायक चुने गये हैं। बस्तर में वहीं एक विधायक कांगे्रस का नेतृत्व कर रहे हैं। इधर हाल ही में प्रदेश कांगे्रस के नवनियुक्त अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के लिये भी यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण होगा। क्योंकि अध्यक्ष बनते ही यह उनका पहला उपचुनाव है। बस्तर में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तत्कालीन विपक्ष के नेता महेंद्र कर्मा के साथ 'सलवा जुडूमÓ शुरू किया गया था हालांकि अब वह मृतप्राय हैं पर इस अभियान से 644 गांव उजड़ गये करीब 3 लाख लोग विस्थापित हुए, करीब 50 हजार लोग सलवा जुडूम केम्प में रहे, कई लोग पास के प्रदेशों में पलायन कर गये, करीब 4000 एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारी) की भर्ती के बाद आम ग्रामीण नक्सली, सुरक्षाबल तथा एसपीओ के बीच पिसते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी लगातार 'सलवा जुडूमÓ का विरोध करते रहे वहीं उन्हीं की पार्टी के महेंद्र कर्मा इस अभियान की अगुवाई करते रहे। खैर इस उपचुनाव में सलवा जुडूम, एसपीओ की भर्ती आदिवासियों की हत्या, नक्सलियों का आतंक बस्तर में उद्योगों की स्थापना आदि पर जमकर चर्चा होना तय है। देखे बस्तर के मतदाता किसे अपना नेता चुनते हैं।

'राजद्रोह पर दूसरा झटका!

नक्सलियों का समर्थक बताकर पीयूसीएल नेता बिनायक सेन को 'राजद्रोहीÓ बताना प्रदेश सरकार को भाटी पड़ा, देश की सबसे बड़ी न्याय पंचायत ने बिनायक सेन को जमानत दे दी यही नहीं प्रदेश सरकार की 'पुलिसिया कार्यप्रणालीÓ पर भी सवाल खड़े किये हैं। वैसे इसके पहले भी दंतेवाड़ा जेल से नक्सलियों द्वारा 'जेलबे्रकÓ करने के मामले में तत्कालीन जेलर पर भी 'राजद्रोहÓ का आरोप लगाया गया था पर वह भी जिला न्यायालय से दोषमुक्त हो गये।
जेल में नक्सलियों से मुलाकात करने, घर से कुछ नक्सली साहित्य मिलने पर नक्सलियों का समर्थक मानकार डॉ. बिनायक सेन को राज्य सरकार ने देशद्रोही करार दिया था। जिला न्यायालय में उसे उम्रकैद भी हो गई है। इधर प्रदेश की उच्च न्यायालय में जमानत अर्जी खारिज करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने डॉ. सेन को जमानत दे दी और यह भी टिप्पणी की है कि जैसे गांधी साहित्य मिलने से कोई गांधीवादी नहीं माना जा सकता उसी तरह नक्सलियों से मुलाकात करने, नक्सली साहित्य मिलने से डॉ. सेन नक्सली नहीं हो सकते हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ में पुलिस के मुखिया को बयानबाजी से फुर्सत नहीं है। पूरे देश-विदेश में चर्चित बिनायक सेन के मामले में जो पुलिस ने प्रकरण बनाया वह काफी लचर था। इससे राज्य सरकार की किरकिरी भी हुई है। वैसे पुलिस ने सबक नहीं सीखा है। देश का सबसे बड़ा नक्सली जेलबे्रक दंतेवाड़ा में हुआ था। 299 नक्सली और अन्य बंदी कैदी भाग गये थे। पुलिस ने तत्कालीन जेलर के खिलाफ 'राजद्रोहÓ का प्रकरण तैयार किया था पर जिला न्यायालय ने उसे दोषमुक्त कर दिया। उस प्रकरण में राजद्रोह का आरोप लगाया था पर प्रदेश की पुलिस राजद्रोह लगाने के लिये राज्य सरकार से अनुमति लेना भूल गई थी। यहीं नहीं उक्त जेलर का नार्कों टेस्ट भी नहीं कराया था जो आजतक चर्चा में है।

सरपंच से प्रदेश अध्यक्ष

छत्तीसगढ़ में नये प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी आलाकमान ने नंदकुमार पटेल के रूप में एक अनुभवी नेता का चयन कर यह तो बता ही दिया है कि कांगे्रस अब प्रदेश के विषय में गंभीर हैं।
नंदेली ग्राम पंचायत में सरपंच बनकर अपने सर्वाजनिक जीवन की शुरूआत करने वाले नंदकुमार पटेल, ब्लाक कांगे्रस कमेटी के कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं। खरसिया से लगातार कांगे्रस विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व करने वाले नंदकुमार साय को अविभाजित मध्यप्रदेश में अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा आदि के साथ काम करने का अनुभव है तो मध्यप्रदेश के दिग्विजय सिंह तथा छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी मंत्रिमंडल में भी काम करने का अनुभव है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लम्बे समय तक गृहमंत्रालय की बागडोर भी वे सम्हाल चुके हैं। वैसे एक आम छत्तीसगढिय़ा के रूप में उनकी छवि है, तेजतर्रार तथा सुलझे हुए विधायक के रूप में उन्हें जाना जाता है अब संगठन में कांगे्रस आलाकमान ने उन्हें नई भूमिका दी है। कांगे्रस का अध्यक्ष बनने के बाद उनके सामने कई चुनौतियां है। पूर्व अध्यक्ष मोतीलाल वोरा के समय की गठित कार्यसमिति की जगह उन्हें नई कार्यसमिति बनाना है। कांगे्रस के कई दिग्गज नेता जो छत्तीसगढ़ बनने के बाद उपेक्षा का शिकार होकर लगभग घर में बैठ गये हैं उन्हें सक्रिय करना है, कई पूर्व विधायक जो उनके साथ विधायक रह चुके हैं उनकी लोकप्रियता का लाभ भी लेना है। कांगे्रस के कुछ स्वयंभू तथा चर्चित नेताओं की छटनी करना भी प्रमुख कार्य है। बहरहाल नंदकुमार पटेल को दिग्विजय सिंह का आशीर्वाद प्राप्त है और अर्जुन-दिग्विजय सिंह समर्थक, अजीत जोगी, विद्याचरण शुक्ल समर्थकों को एक मंच में लाना भी बड़ी चुनौती ही है।

रोगदा बांध की जांच

जांजगीर-चांपा जिले के नरियारा में निर्माणाधीन के एस के महानदी पावर प्लांट की स्थापना के लिये करीब 6 करोड़ में रोगदा बांध राज्य सरकार के मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी द्वारा बेचे जाने के मामले में विधानसभा द्वारा गठित समिति ने जांच शुरू कर दी है। कल ही समिति के अध्यक्ष नारायण चंदेल के नेतृत्व में सदस्य मो. अकबर धर्मजीत सिंह, देवजी पटेल तथा दीपक पटेल ने संबंधित कंपनी, सरकारी अधिकारियों सहित ग्रामीणों से चर्चा की। हालांकि जांच के बिंदू पूरी तरह गोपनीय रखे गये हैं पर सूत्रों की मानें तो वह कौन सी परिस्थिति थी जिसके कारण बांध को बेचने की स्थिति बनी, बांध का वर्तमान में क्या उपयोग था, बांध के आस-पास किसानों की कितनी जमीन ली गई, बांध बिकने के पहले क्या ग्रामीणों को इसकी जानकारी थी, क्या बांध बेचने की मुनादी कराई गई थी, बांध बिकने से अब क्या समस्या उभर रही है आदि-आदि इस विषय पर जांच चल रही है।
सवाल यह फिर उठ रहा है कि इस बांध के बेचने में किस अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तत्कालीन कलेक्टर की क्या भूमिका थी, तत्कालीन जलसंसाधन सचिव सहित मुख्य सचिव की क्या-क्या भूमिका रही। बहरहाल किसी सरकारी अधिकारी को प्रदेश के भीतर स्थित बांध या कोई भी सरकारी सम्पत्ति बेचने का अधिकार तो नहीं है यह तय है। बहरहाल जांच रिपोर्ट विस में पेश होने के बाद ही स्थिति का खुलासा हो सकेगा।

और अब बस

(1)
भाजपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मिशन 2014 के तहत केन्द्र में सरकार बनने पर 'हर हाथ को काम हर खेत को पानीÓ देने की बात की। एक टिप्पणी- प्रदेश में पानी की दर कम करवाकर हर होठ तक पानी का पहले तो प्रबंध करवाइये?
(2)
राजधानी के एक थाना निरीक्षक को एक महिला आरक्षक पर दबाव बनाने के नाम पर केवल डांटा गया, महिला आरक्षक को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया। क्या उस थाने में अब महिला आरक्षक की तैनाती नहीं की जाएगी?

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