Saturday, May 4, 2013

वह सरफिरी हवा थी,
सम्हलना पड़ा मुझे
मैं आखरी चिराग था,
जलना पड़ा मुझे

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के वोटों का गणित सत्ता की ओर तथा सत्ता से विमुख करा सकता है। नये राज्य में सत्ता की चाबी आदिवासी क्षेत्रों के पास ही है। नया राज्य बनने के बाद आदिवासी न जाने क्यों कांग्रेस से रुठ गये हैं वही भाजपा के करीबी हो गये हैं पिछले 2 विधानसभा चुनावों में आदिवासियों ने भाजपा का समर्थन किया। वैसे आदिवासी क्षेत्रों में भारी मतदान के कारणों का भी खुलासा अभी तक नहीं हो सका है।
छग में पिछले 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकाबले मात्र 39 हजार 596 मत अधिक हासिल करके भाजपा ने 19 सीटों पर कब्जा किया था और कांग्रेस 10 सीटों पर ही अपनी जीत दर्ज कर सकी थी। 2003 के विस चुनावों छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा क्षेत्र में 34 आदिवासी वर्ग के लिये सीट आरक्षित थी कुल 50 विधायक भाजपा के चुनकर आये थे जिसमें 25 विधायक आदिवासी क्षेत्रों से आये थे। जबकि कांग्रेस को 38 सीटें मिली थी और 9 विधायक आदिवासी थे।
2008 के विस चुनाव में परिसीमन के कारण आदिवासी क्षेत्रों की संख्या 29 हो गई थी। इस विस चुनाव में भाजपा को 50 सीटें मिली थी जिनमें आदिवासी सीटों की संख्या 19 थी। वही कांग्रेस को 10 आदिवासी क्षेत्रों में सफलता मिली थी इस हिसाब से सीटें घटने के बाद भी कांग्रेस की आदिवासी क्षेत्र में एक सीट बढ़ी थी।
2008 में 19 आदिवासी सीटों में भाजपा को 12 लाख 7 हजार 982 मत मिले थे तो कांग्रेस 10 सीटों में विजयी रही थी और उसे 11 लाख 68 हजार 386 मत मिले थे। यानि 2008 के विस चुनाव में भाजपा 19 सीटें ले सकी थी और कांग्रेस 10 सीटों पर विजयी रही थी पर मतों का अंतर मात्र 39 हजार 596 का ही थी। कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस में मामूली अंतर से परिणाम चौकाने वाले हो सकते हैं।
भाजपा और गुटबाजी
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने बाकी है। कांग्रेस, भाजपा, बसपा सहित तीसरा मोर्चा के नाम पर कुछ राजनेता तथा राजनीतिक पार्टी सक्रिय हो गई हैं। सत्ता धारी दल भाजपा में में भी गुटबाजी है यह बात और है कि अनुशासन के डंडे के चलते बात बाहर नहीं आ पाती है वही कांग्रेस के बड़े नेता तो गुटबाजी को सार्वजनिक भी करते रहते हैं। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच, एनसीपी, एनपीपी (संगमा), कम्युनिस्ट पार्टी, मुक्ति मोर्चा, बसपा आदि सभी दल तीसरा मोर्चा बनाकर कांग्रेस-भाजपा को चुनौती देने की योजना बना रहे हैं।
सत्ताधारी दल भाजपा में कभी-कभी आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग उठती रहती है। यह बात और है कि छग बनने के बाद प्रदेश के बड़े आदिवासी नेता नंदकुमार साय, शिवप्रताप सिंह, सोहन पोटाई आदि हासिये पर हैं तो डॉ. रमन सिंह मंत्रिमंडल में शामिल ननकीराम कंवर, रामविचार नेताम कभी-कभी अपना विरोध प्रकट कर ही देते हैं। गृहमंत्री ननकीराम कंवर के तो विवादास्पद, सरकार विरोधी बयान सुर्खियां बनते रहते हैं। बस्तर तथा सरगुजा ही भाजपा की सरकार बनाने का प्रवेश द्वार है और यहां के आदिवासी तथा गैरआदिवासी नेता भी उपेक्षा से दुखी हैं। छत्तीसगढ़ में पहले आदिवासियों को 20' आरक्षण दिया जाता था उसे बढ़ाकर 32 फीसदी कर दिया गया है फिर भी आदिवासी समाज का बड़ा वर्ग सरकार से नाराज है। प्रदेश के 18 आदिवासी संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सर्व आदिवासी समाज के प्रांतीय संयोजक और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी वीपीएस नेताम छत्तीसगढ़ में 'झारखंड फार्मूलेÓ को लागू करने पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि यदि झारखंड में 26' आदिवासियों की आबादी के बाद भी आदिवासी समाज को शिबू सोरेन , बाबूलाल मरांडी, मधु कोडा और अर्जुन मुण्डा मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं!
वैसे डॉ. रमन सिंह सरकार की उपेक्षा से पिछड़ा वर्ग के नेता तथा छग के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस, बिलासपुर के सांसद, जशपुर सरगुजा क्षेत्र के निवासी दिलीप सिंह जूदेव, भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी श्रीमती करुणा शुक्ला भी कम नाराज नहीं हैं।
कांग्रेस और गुट
अब सवाल कांग्रेस पार्टी का है। कांग्रेस में बड़े नेताओं की कमी नहीं है। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का एक बड़ा गुट है जिसके कुछ विधायकों, पूर्व विधायकों, युवा वर्ग सहित महिलाओं की संख्या अधिक है। दूसरा गुट मोतीलाल वोरा, विद्याचरण शुक्ल, डॉ. चरण दास महंत, रविन्द्र चौबे, नंदकुमार पटेल, सत्यनारायण शर्मा का है। दूसरे गुट में नेता कभी-कभी  साथ-साथ नजर आते हैं कभी अलग-अलग नजर आते हैं। वैसे सभी नेताओं का गुट मिलाकर भी अजीत जोगी के गुट के बराबर भी नहीं पहुंचता है। वैसे अजीत जोगी विरोधी गुट का नेतृत्व डॉ. चरणदास महंत कर रहे हैं और उनके पीछे दिग्विजय सिंह का हाथ है ऐसा समझा जा रहा है। बहरहाल कांग्रेस में बड़े नेता गुटबाजी का शिकार हैं पर कभी-कभी सभी एक मंच पर भी दिखाई दे जाते हैं तथा 'हम साथ-साथ हैंÓ्र यह संदेश भी देना चाहते हैं। वैसे अजीत जोगी का कहना है कि कांग्रेस देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है इसमें मतभेद नहीं मतभेद हो सकता है। हमारी नेता सोनिया गांधी ही है। भाजपा में तो उनका नेता राजनाथ सिंह हैं, आडवाणी हैं, सुषमा स्वराज हैं, नरेन्द्र मोदी हैं , नितिन गडकरी हैं, अरुण जेटली हैं यह तय नहीं है। जहां तक प्रदेश की बात है तो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल-राजेश मूणत की तकरार किसी से छिपी नहीं है। धरमलाल कौशिक-अमर अग्रवाल, सरोज पांडे-प्रेमप्रकाश पांडे का झगड़ा कई बार सार्वजनिक हो चुका है। रमन सिंह के खिलाफ ही उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य भी हैं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा में गुटबाजी का दीमक अधिक है।
महिला आयोग का फरमान
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कड़े रूख के चलते कई निजी संस्थान दुविधा में हैं। आयोग ने शाम 6 बजे के बाद महिलाओं से काम लेने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के संकेत दिये हैं। अब शाम 6 बजे के बाद महिलाओं से काम लेना अपराध माना जाएगा। वैसे महिला आयोग के इस आदेश के बाद प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों स्थित शापिंगमाल, सुपर मार्केट, कपड़ों, साड़ियों और स्वर्णाभूषणों के शो रूम में कार्यरत महिलाओं सहित प्रबंधन के सामने कई समस्या उभरी है। बताया जाता है कि इन संस्थानों में कार्यरत महिलाएं सुबह 10-11 बजे से रात 9 बजे तक कार्य करती हैं। वैसे रात में काम से छूटकर घर जाती महिलाएं छेड़छाड़ या अन्य तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ता है। कभी कभी यह देरी अप्रिय स्थिति भी निर्मित कर देती है। वैसे देखना यह है कि महिला आयोग के शाम 6 बजे वाले आदेश का कलेक्टर कितना पालन कराते हैं।
डीएसपी और बाल विवाह
छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया के समय बाल विवाह होते हैं और इन्हें रोकने हर साल राज्य सरकार संबंधित जिलों के कलेक्टर, पुलिस कप्तान सहित थाना प्रभारियों को निर्देश भी देती है और कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में बाल विवाह की रोकथाम में सरकार को कुछ सफलता भी मिली है पर छत्तीसगढ़ की नई राजधानी स्थित मंत्रालय में बतौर सुरक्षा में तैनात एक अधेड़ पुलिस उप अधीक्षक नाबालिग से शादी करते पकड़ा जाए तो इसे आप क्या कहेंगे।
उत्तरप्रदेश के चंदौली में एक अधेड़ पुलिस अफसर को एक नाबालिग से मंदिर में विवाह रचाते पुलिस ने पकड़ा और दुल्हा-दुल्हन सहित इनके परिजनों को थाने भी ले गई। छत्तीसगढ़ में पदस्थ डीएसपी 50 साल का है तो दुल्हन की उम्र मात्र तेरह साल है। दुल्हा उत्तरप्रदेश के चंदोली के बलुआ थाना क्षेत्र का रहने वाला है। उसकी पत्नी का निधन हो गया है। हालांकि पुलिस को देखकर टोपी और गले में पड़ी वरमाला फेंककर भागने का प्रयास भी किया। उनका कहना है कि लड़की बालिग है जबकि लड़की 10 वीं पास है और उसकी उम्र मात्र 13 साल है। गरीबी के कारण लड़की के पिता ने बेमेल वर से शादी करने का फैसला मजबूरी में लिया था। बहरहाल पुलिस अधिकारी, लड़की के पिता और विवाह कराने पहुंचे पंडित के खिलाफ बाल विवाह अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। जिन पर समाज ने बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी दी है यदि वही ऐसा करें तो क्या कहा जा सकता है। अब तो छग सरकार क्या करती है इसी का इंतजार है।
और अब बस
(1) बृजेन्द्र कुमार को पहले जनसंपर्क आयुक्त के पद से हटाया गया फिर प्रमुख सचिव के पद से मुक्त किया गया। एक टिप्पणी...एक साथ पदमुक्त नहीं किया जा सकता था क्या?
(2) रविशंकर विवि के कुलपति डॉ. पांडे और पत्रकारिता विवि के कुलपति डॉ. जोशी लगातार दो बार कुलपति बनने में सफल रहे।
(3) बस्तर के महाराजा कोमलचंद भंजदेव के सक्रिय होने से नुकसान कांग्रेस को होगा या भाजपा को। अभी चर्चा का विषय है।
(4) आदिवासी नेता अरविंद नेताम 'संगमा की पार्टीÓ के प्रदेश अध्यक्ष बन गये हैं। पिछले चुनाव में अपनी बेटी को वे कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जिताने में सफल नहीं हो सके थे।
(5) छत्तीसगढ़ की 2 महिला महापौर विधानसभा चुनाव लड़ने इच्छुक है। एक की तो पार्टी विधायक की सीट पर ही नजर है।
सुराज उजालों का मिलता है उनको ही दरवेज
जो खुद को अंधी गुफाओं  में डाल देते हैं

छत्तीसगढ़ राज्य बनने क बाद पहली बार आईपीएल का एक मैच सम्पन्न हो चुका है दूसरा मैच एक मई को होना है। छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े क्षेत्र में आईपीएल का मैच कराकर एक नया रिकार्ड बनाया है यहां के बच्चे-बूढ़े, युवा तथा महिलाएं क्रिकेट खिलाड़ियों को प्रत्यक्ष देखकर उत्साहित है। और धान के कटोरे में क्रिकेट का जलवा देख रहे है। कभी रायपुर के कमिश्नर के पद पर शेखरदत्त कार्यरत थे तब भिलाई में एक क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ था। तब पहली बार कुछ बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों को देखने का मौका छत्तीसगढ़वासियों को मिला था। उस समय भी क्रिकेट पूरे रोमांच पर था। तब मोहिंदर अमरनाथ जैसे खिलाड़ी आए थे साथ में कुछ छोटे उभरते हुए खिलाड़ी भी आये थे। तब एक खिलाड़ी के पास एक बच्ची ने आटोग्राफ मांगा था कुछ देर तक खिलाड़ी ने आटोग्राफ नहीं दिया बाद में पता चला कि बिना पैसों के आटोग्राफ देने का रिवाज नहीं है। यही नहीं उस समय दिल्ली के लिये एक ही विमान जाता था। क्रिकेट खिलाड़ियों को रायपुर आकर माना से दिल्ली जाना था। प्रेस क्लब रायपुर के पदाधिकारियों ने प्रेस क्लब होकर माना जाने का प्रस्ताव रखा था तो खिलाड़ी ने कहा था कि हमें प्रेस क्लब आने का कितना पैसा मिलेगा? खैर उस समय की एक घटना का भी उल्लेख जरूरी है। उस समय माना विमानतल में एक कमरा ही व्हीआईपी के बैठने के लिये था। उस समय मि. पिंटो माना विमानतल के प्रभारी थे। उन्होंने क्रिकेट खिलाड़ियों के लिये वह व्हीआईपी कमरा ही नहीं खोला था। एक तो वनडे क्रिकेट शुरआत हुई थी वही दूसरी ओर उस समय की तत्कालीन टीम पाक से मैच हार गई थी। उस समय जावेद मियांदाद पूरे फार्म में थे। पाक से मैच हारने के कारण भी मिस्टर पिंटो नाराज थे। खैर खिलाड़ी बाहर ही समय काटते रहे और फिर विमान से दिल्ली रवाना हो गये।
वैसे छत्तीसगढ़ में अतंर्राष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की कल्पना थी। उन्होंने युवाओं को छत्तीसगढ़  राज्य बनने का नया उपहार स्टेडियम के रूप में देने की कल्पना की थी और इस कल्पना के पीछे छत्तीसगढ़ के क्रिकेट खिलाड़ी राजेश चौहान की भी भूमिका रही। अजीत जोगी ने अपनी कल्पना को पूरी करने की जिम्मेदारी रायपुर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष, खेल संघों से जुड़े विमल जैन को सौंपी थी। विमल जैन ने इसके लिये 6 माह में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार किया और मोहाली स्टेडियम के डिजाइनर मिस्टर लाम्बा का आर्किटेक्ट के रूप में चयन किया था। मोहाली स्टेडियम सहित कई स्टेडियम का अलोकन कर उसकी खामियों को दूर करके एक नये स्टेडियम की आधारशिला रखी गई और छत्तीसगढ़ का यह वीरनारायण सिंह स्टेडियम विश्व के 170 देशों की निगाह में आ गया है यहां आईपीएल मैच के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के लिये अब रास्ता आसान हो गया है खैर आईपीएल मैच की व्यवस्था बनाने , कार्य करने के लिये कुछ लोगों को सम्मानित किया गया पर इस स्टेडियम की कल्पना करने, प्रोजेक्ट  रिपोर्ट तैयार करने, आर्किटेक्ट आदि का भी सम्मान तो किया जाना ही था। खैर अभी देर नहीं हुई है। अभी एक आईपीएल का मैच होना है। खैर दलगत राजनीति से खेल को दूर रखने की बात करनेवालों को अपने व्यवहार में भी ऐसा करना चाहिए.
छत्तीसगढ़ और रिकार्ड...
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता था पर राज्य बनने के बाद यह उद्योगों का खौलता कड़ाह बनने की ओर अग्रसर है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार आईपीएल मैच कराकर राज्य सरकार ने इतिहास रचा है। वैसे भी नया राज्य बने के बाद कई इतिहास बने है और उनसे छत्तीसगढ़ का नाम लोगों की जुबान पर आ गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने की घोषणा के बाद ही अविभाजित म.प्र. के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ विद्याचरण शुक्ल समर्थकों ने क्या किया था? यह भी अब इतिहास में जुड़ गया है। भाजपा के विधायकों का कांग्रेस में शामिल होना और दो को मंत्री बनाना भी दलबदल का इतिहास बन चुका है। कांग्रेसी शासन में तत्कालीन राज्यपाल का पुतला भाजयुमो द्वारा दोपहिया वाहन घसीटना भी चर्चा में रहा।
भाजयुमो-भाजपा के आंदोलन में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय, म.प्र. के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर पुलिसिया लाठी चार्ज भी इतिहास बन चुका है।
नक्सली क्षेत्र में सलवा जुडूम आंदोलन, एसपीओ( विशेष पुलिस अधिकारी) की भर्ती, दंतेवाड़ा जेल से 299 नक्सली और कैदियों का जेल ब्रेक तो विश्व रिकार्ड बना चुका है वहीं सीआरपीएफ के 75 जवानों की नक्सलियों के हमले से शहादत, झलियामारी आश्रम में महीनों तक यौन शोषणा रिकार्ड बना चुका है। एक और दो रूपए प्रति किलो में गरीब वर्ग को चावल वितरण, किसानों के धान की सरकारी खरीदी, पीडीएस प्रणाली भी रिकार्ड बना चुकी है। नये जिलों का निर्माण, नई राजधानी का निर्माण और बिना किसी विशेष सुविधा के नई राजधानी में सरकारी कार्यालयों का स्थानांतरण कम चर्चा में नहीं है।
कुछ रिकार्ड ऐसे भी
छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग कालेज में अध्यापन कराने तथा आयुवेदिक कालेज के सामने एक किराए के मकान में रहने वाले अजीत जोगी का रायपुर में कलेक्टर और उसके बाद नए छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रथम मुख्यमंत्री बनना भी इतिहास बन चुका है। पहली बार कांग्रेस सरकार को हटाने और भाजपा का एक तरह से सहयोग करने का रिकार्ड तो विद्याचरण शुक्ल भी बना चुके है यह बात और है कि एनसीपी, भाजपा होकर वे वापस कांग्रेस में आ चुके हैं। वैसे एक बात की चर्चा भी जरूरी है जब किस्सा कुर्सी का जैसे कुछ मामले आपातकाल के समय विद्याचरण शुक्ल के खिलाफ लंबित थे तब बतौर निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर अजीत जोगी ने उन्हें आपत्ति अवलोकन खारिज करने के बाद चुनाव लड़ने देने का निर्णय दिया था। महासमुन्द लोकसभा में वहीं विद्याचरण  शुक्ल को अजीत जोगी से पराजित होना पड़ा था। वैसे छत्तीसगढ़ में पति- पत्नी अजीत जोगी, और डा. श्रीमती रेणु जोगी का एक ही सदन को सदस्य होना भी रिकार्ड है। इसके पहले राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह और उसकी पत्नी रानी पद्मावती देवी के नाम यह रिकार्ड था।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी आयुर्वेदिक कालेज रायपुर में पढ़ाई कर चुके हैं और कालेजों के पीछे छात्रावास में रहते थे। कवर्धा विधानसभा में योगीराज से पराजित होने के बाद मोतीलाल वोरा को उसी साल लोकसभा चुनाव में पराजित कर केन्द्रीय मंत्री और राज्य बनने के बाद पहले चुनाव में भाजपा की सरकार बनाने और लगातार 2 बार मुख्यमंत्री बनने का भी उनका रिकार्ड है. वे हैट्रिक की तैयारी में है। भाजपा के मुख्यमंत्रियों में उन्हें केवल नरेन्द्र मोदी का रिकार्ड तोड़ना है।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ सांसद पूर्व केन्द्रीय मंत्री का सफर तय करने वाले रमेश बैस की राजनीतिक यात्रा वार्ड पार्षद से शुरू हुई. पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्यामाचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री विद्याचरण  शुक्ल को पराजित करने का भी इनका रिकार्ड है। रमेश बैस छग ही नहीं देश के वरिष्ठ सांसद है।
अविभाजित म.प्र. के समय रायपुर संभाग के आयुक्त पद पर तैनात शेखरदत्त वर्तमान में ्रनए छत्तीसगढ़ के राज्यपाल है। उन्होंने इस समय एक-दो बार बस्तर संभाग के कमिश्नर का पदभार भी सम्हाला था। रायपुर शहर के चारों ओर रिंग रोड, बांस प्लांटेशन, डबरी में मछली पालन आदि उनकी कुछ योजनाएं अभी भी चल रही है। छत्तीसगढ़ के विकास के लिये उस समय छत्तीसगढ़ विकास प्राधिकरण का भी गठन हुआ था और बतौर कमिश्नर उन्होंने उस प्राधिकरण के सचिव पद का भी कार्यभार सम्हाला था।
छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनील कुमार का भी छत्तीसगढ़ से  पुराना नाता है। आईएएस बनने के बाद उनकी पहली नियुक्ति बस्तर में हुई थी। और उन्होंने उस दौरान अबूझमाड का भी दौरा किया था तब कई कार्यालयों में चिमनी और लालटेन ही उजाला करने के साधन थे। बाद में अविभाजित म.प्र. के समय सुनील कुमार ने बतौर कलेक्टर का पद भार सम्हाला उस समय महासमुन्द , धमतरी, गरियाबंद, बलौदाबाजार(अब नए जिले) रायपुर जिले के अंतर्गत आते थे। अगले मुख्य सचिव की दौड़ में शामिल विवेक ढांड तो रायपुर विज्ञान महाविद्यालय में ही पढ़ चुके है इधर अगले पुलिस महानिदेशक की दौड़ में सबसे आगे चल रहे गिरधारी नायक भी अविभाजित रायपुर जिले में काफी पहले एडीशनल एसपी (ग्रामीण) के पद पर कार्य कर चुके है उस समय जिले में पुलिस कप्तान के अलावा एक ही ग्रामीण कप्तान होता था शहर की जिम्मेदारी एक सीएसपी के जिम्मे होती थी खैर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कई और भी रिकार्ड बने है उनकी चर्चा फिर कभी...
और अब बस
छत्तीसगढ़ में एडीजी अंसारी यदि रहते तो डीजीपी रामविास के सेवानिवृत्त होने के बाद महानिदेशक तो बन ही जाते पर वे अचानक प्रतिनियुक्ति में क्यों चले गये यही लोगों को समझ में नहीं आ रहा है।
2 डीके अस्पताल स्थित मंत्रालय में आपरेशन थियेटर में मुख्यमंत्री का कार्यालय था और वही से प्रशासनिक सर्जरी होती थी पर आजकल नए मंत्रालय में एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी की सर्जरी से कुछ भ्रष्ट निकम्मे अफसर परेशान है
3 छत्तीसगढ़ के कुछ अफसर कह रहे है कि प्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी या भाजपा पुन: जीतकर हैट्रिक बनाएगी यह तो नहीं कहा जा सकता पर एक बात तय है कि अगली सरकार किस पार्टी की बनेगी यह तो अजीत जोगी और उनकी रणनीति ही तय करेगी।