Friday, April 19, 2013



बैठे-ठाले कुछ तो कर,  

और नहीं तो पैदल चल 

हर दल अब यात्रा पर निकले,  

भले ही प्रदेश में हो रहा दलदल


छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी परिवर्तन यात्रा निकाल चुकी है, कांग्रेस के बड़े नेता देश में नहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में परिवर्तन कराकर कांग्रेस की सत्ता स्थापित करना चाहते हैं। कभी छत्तीसगढ़ से विजयी कांग्रेसी विधायकों की संख्या के आधार पर अविभाजित म.प्र. में कांग्रेस की सरकार बनती थी पर बड़े भाई यानि म.प्र. से अलग होने के बाद आखिर क्या हो गया कि बड़े भाई म.प्र. और छोटे भाई छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार पिछले 2 बार के विधानसभा चुनावों में नहीं बन सकी है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार बनती आ रही है और अब तीसरी बार तिकड़ी बनाने भाजपा प्रयासरत है। विजय यात्रा पर अब भाजपा निकालने वाली है। 
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास लम्बे समय तक राजनीतिक अनुभव रखने वाले विद्याचरण शुक्ल है तो पूर्व राज्यसभा, लोकसभा सदस्य, छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री तथा आईपीएस , आईएएस रह चुके अजीत जोगी है तो म.प्र. में मुख्यमंत्री , केन्द्रीय मंत्री तथा उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रह चुके वयोवृद्ध नेता मोतीलाल वोरा है। डा. चरणदास जैसे अनुभवी नेता है। महेन्द्र कर्मा जैसे वरिष्ठ आदिवासी नेता है तो परसराम भारद्वाज जैसे वरिष्ठ सतनामी नेता भी है फिर भी कांग्रेस को लगातार दो बार पराजय का सामना करना पड़ा.
इधर भाजपा के पास तो मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह है जो इन नेताओं के मुकाबले राजनीतिक तौर पर कम अनुभवी है। उनके पास तो जाति, समाज के स्तर पर भी बड़े नेताों की कमी भी है। पिछड़े वर्ग के नेता रमेश बैस तो डा. रमन सिंह से अलग-थलग से हैं। सतनामी समाज में पुन्नुलाल मोहिले , विजय कुमार गुरू, डा. कृष्णमूर्ति बांधी आदि है पर इनकी समाज में स्थिति किसी से छिपी नहीं है। आदिवासी क्षेत्र में दखल रखने वाले बलीराम कश्यप अब नहीं रहे वहीं दिलीप सिंह जूदेव भी कम से कम खुले दिल से तो डा. रमन सिंह के साथ नहीं है। मंत्रिमंडल में शामिल ननकीराम कंवर के तो बयानबाजी को लेकर चर्चा उठ रही है कि वे डा. रमन सिंह के साथ है या नहीं, केदार कश्यप, लता उसेण्डी, विक्रम उसेण्डी , रामविचार नेताम की तो अपने क्षेत्र में ही प्रभावी भूमिका नहीं रही है. ऐसे हालत में डा. रमन सिंह रणनीति के बल पर दो बार मुख्यमंत्री बनाया गया है और यदि सरकार अपनी तिकड़ी बनाने में सफल रही तो डा. रमन सिंह की तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी की पूरी संभावना है। 
बहरहाल कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा शुरू हो गई है। अम्बिकापुर से शुरू यात्रा की शुरूआत अच्छी कही जा सकती है। अपनी वृद्धावस्था के चलते झुकी कमर के साथ मोतीलाल वोरा, अपनी धीमे थके हुए कदमों के साथ विद्याचरण शुक्ल, व्हील चेयर्स में अजीत जोगी पहुंचे तो परसराम भारद्वाज सहित नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे तथा अगली बार सरकार कांग्रेस की बनाने की पूरी उम्मीद के साथ नंदकुमार पटेल भी पहुंचे। वैसे म.प्र. के मुकाबले छत्तीसगढ़ की परिवर्तन यात्रा की शुरूआत अच्छी रही। अब वरिष्ठ नेताओं की एकता के पीछे राहुल के तेवर थे, अधिक दिन सत्ता से दूरी थी या सरकार बनने की संभावना थी यह तो नहीं कहा जा सकता पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर देखकर आम कांग्रेसी जरूर खुश हुए होंगे।
12 जिलों में आसार अच्छे नहीं
गांवों में कृषि, वनभूमि और सामुदायिक उपयोग की जमीन को उद्योगों के लिये अधिग्रहित करने की राज्य सरकार, सरकारी मशीनरी और निवेशकों की नीति के चलते प्रदेश के लगभग 12 जिलों में ग्रामीणों नाखुश है कई जगह तो तनाव की स्थिति भी बन रही है। राईट्स एण्ड रिर्सोसेज इनशिएटिव्ह की रिपोर्ट कहती है प्रदेश सरकार के इशारे पर निजी उद्योगपतियों, निवेशकों के लिये गांवों में सामुदायिक उपयोग की जमीन को उद्योगों के लिये अधिग्रहित किया जा रहा है। प्रदेश के 12 जिलों में करीब 10 लाख हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की कार्यवाही या तो हो चुकी है या चल रही है। आदिवासी तथा नक्सली प्रभावित दंतेवाड़ा में मासी और दुर्ली गांव में 1500 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली गई है। वहां एनएमडीसी, टाटा और एस्सार ने जमीन अधिग्रहण तो किया है पर अभी तक एमओयू के मुताबिक उद्योग स्थापित नहीं किया है, समय सीमा जरूर बढ़ाई जा रही है।
भदौरा की चर्चा भी
भदौरा में भूमि घोटाला का मामला सुर्खियों में है। किसानों की जमीनों की फर्जी ऋण पुस्तिका तैयार कर दलालों द्वारा किसानों की जानकारी के बिना ही तीन कंपनियों को जमीन बेचने का मामला उजागर हुआ है। भदौरा ग्राम में शासकीय और निजी भूमि मिलाकर करीब 60 एकड़ जमीन पिछले 3 साल के भीतर फर्जी तौर पर बिक चुकी है। तीन कंपनियों में एक कंपनी के संचालक एक वरिष्ठ भाजपा नेता के पुत्र है यह तो तय है। वहीं कुछ कांग्रेसी और भाजपा नेताओं को भी दलालों ने फर्जीवाड़ा कर उपकृत किया है। कांग्रेस भदौरा जमीन घोटाले पर राज्य सरकार के एक मंत्री को निशाना बना रहे है तो उक्त मंत्री ने कांग्रेसियों पर आरोप मढकर किसी भी स्तर पर जांच कराने की बात कही है। प्रदेश में सरकार जब उनकी है तो स्वयं भी मुख्यमंत्री से किसी एजेंसी से जांच कराने की मांग तो कर ही सकते हैं।
जे.पी. सीमेण्ट और...
दुर्ग जिले के मलपुरी खुर्द में अपनी भूमि देने के मामले में वहां स्थापित हो रहे जेपी लक्ष्मी सीमेंण्ट प्रबंधन से नौकरी की मांग को लेकर हाल ही में ग्रामीण आक्रोशित हो गये। ग्रामीणों पर आरोप है कि कुछ ही घण्टों में ग्रामीणों ने 600 करोड़ की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा दिया। बाद में वहां के पुलिस कप्तान और डाक्टर छाबड़ा ने मुख्य आरोपी कुर्रे को भी गिरफ्तार किया, उसके घर से एक रजिस्ट्रर भी जप्त किया जिसमें सीमेण्ट संयंत्र में आग लगाने की योजना थी। खैर पुलिस ने तो 2 देशी बम भी वहीं बरामद कर लिया, कुर्रे नक्सलियों के संपर्क में था यह भी जल्दी ही पता लगा लिया। सवाल यह है कि अप्रशिक्षित ग्रामीण 600 करोड़ की सम्पत्ति को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं। चर्चा है कि बैंक ऋण लेकर सीमेंण्ट प्रबंधन ने काम शुरू किया था। अप्रैल में पहली किश्त भी देना था पर सीमेंण्ट संयंत्र तो शुरू ही नहीं हो सका है। जहां तक प्रभावितों को नौकरी की बात है तो मलपुरीखुर्द में अधिकांश किसानों से जेपी सीमेंट प्रबंधन की जगह कुछ हरियाणा के लोगों ने जमीन खरीदी और उसे प्रबंधन को बेच दी। सीमेण्ट प्रबंधन का कहना है कि जब हमने किसानों से सीधे जमीन ही नहीं खरीदी तो उन्हें जमीन के एवज में नौकरी देने का सवाल ही नहीं उठता है। किसानों का कहना है कि हमें धोखे में रखकर प्रबंधन ने अपने एजेण्टों के माध्यम से जमीन खरीदी है, किसान कहते हैं कि जमीन हमारी कमाई तुम्हारी, अब नहीं चलेगी। वैसे एडीजी संजय पिल्ले ने जेपी सीमेण्ट में आगजनी की जांच शुरू कर दी है। 
एनएमडीसी और पार्टनर...
बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से 20 किलो मीटर दूर ओडि़सा सीमा पर स्थित नगरनार में 16 हजार करोड़ की लागत से बन रहे राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के स्टील प्लांट का निर्माण विवादों में रहा है अब नया विवाद सामने आ रहा है। नया छत्तीसगढ़ बनने के बाद सन 2001 में पूर्व सांसद बलीराम कश्यप के प्रयास से बस्तर में औद्योगिक विकास की शुरूआत हुई. 
सन् 2003 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने रोमेल्ट तकनीक पर आधारित इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिये भूमिपूजन किया था। भूमिपूजन के बाद ही एनएमडीसी ने कम जमीन होने का बहाना बनाकर अपना वादा तोड़कर नगरनार में मिनी स्पंज प्लांट की स्थापना का मन बनाया। बस्तर में ग्रामीणों के आक्रोश के चलते ही 17 सितम्बर 2008 को तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान नगरनार के 3 मिलियन टन क्षमता के इंट्रीग्रेटेड इस्पात संयंत्र की स्थापना की पुन: आधारशिला रखी थी।
अब ग्लोबल टेण्डर कर एनएमडीसी पुन: चर्चा में है। एनएमडीसी ने ग्लोबल टेण्डर बुलाकर 49 फीसदी शेयर स्टील निर्माण में विशेषज्ञता प्राप्त कंपनी को दिए जाने का प्रस्ताव है। इससे निर्माणाधीन स्टील प्लांट पर एनएमडीसी का एकाधिकार नहीं रहेगा इसी बात को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन अब एनएमडीसी के खिलाफ एकजुट  हो रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि जब एमओयू में ज्वाइंट वेंचर की बात नहीं थी तब पब्लिक सेक्टर की कंपनी एमएमडीसी अपने साथ किसी निजी कंपनी को पार्टनर कैसे बना सकती है...। 12 साल से चल रहे इस गडबड़झाले को लेकर ग्रामीण भी आक्रोशित हैं।
और अब बस
भदौरा गांव में जमीन के फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद महिला सरपंच सहित कुछ लोग पता नहीं कहां चले गये हैं।
2 भाजपा के प्रदेश कार्यालय के लोकार्पण समारोह में संगठन मंत्री सौदान सिंह मंच पर नहीं बैठे उनकी नाराजगी का कारण पता लगाने का प्रयास चल रहा है।
3 छत्तीसगढ़ विस चुनावों में नेता प्रतिपक्ष पुन: चुनाव नहीं जीतता है.. वैसे पंचायत मंत्री की वापसी के विषय में भी यही कहा जाता है।
4 छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद दूसरी बार छत्तीसगढिय़ां जनसंपर्क संचालक बनाया गया है। रायगढ़ जिले के मूल निवासी अभी ओमप्रकाश चौधरी बने पहले तिवारी जी संचालक बनाए गये थे. 

Tuesday, April 9, 2013

मैं दहशतगर्द था मरने पर बेटा बोल सकता है
हुकुमत के इशारे पर तो मुरदा बोल सकता है
हुकुमत की तवज्जों चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है

नंदिनी अहिवार में निर्माणाधीन जे.के. लक्ष्मी सीमेण्ट प्लांट में स्थायी नौकरी और जमीन का उचित मुआवजा की मांग को लेकर ग्रामीण उत्तेजित हो गये और प्रदर्शन हिंसक हो गया। आगजनी, तोडफ़ोड़, मारपीट के कारण प्लांट प्रबंधन ने 600 करोड़ के नुकसान का दावा किया है पर यह बाते गले नहीं उतर रही है कि क्या गांव वाले इतने हिंसक होकर कुछ भी समय में करोड़ों की सम्पत्ति को फूंक सकते हैं। वैसे पुलिस और प्रशासन अपना काम कर रह हैं पर इस आगजनी तथा आगजनी के कारणों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
दुर्ग जिले के अंतर्गत मलपुरी गांव के आसपास बड़े-बड़े फार्म हाऊस है यहां खेती के साथ फल, साग-सब्जी आदि का भी उत्पादन होता है। चर्चा हो रही है कि विधिवत अनुमति के बिना मलपुरी में जे.के. लक्ष्मी प्लांट की आधार शिला रखी गई है। यहां प्लांट के लिये जमीन खरीदी में अनियमितता, स्थायी नौकरी देने के वादे, गांव की सड़क बंद करने, प्लांट के सुरक्षा कर्मियों की दादागिरी, मारपीट को लेकर अक्सर प्लांट प्रबंधन और ग्रामीणों में टकराव होता रहा है। इसकी रिपोर्ट भी थाने सहित कलेक्टर, एसपी के पास पहुंचती रहती है कई बार मध्यस्थता भी हो चुकी है पर हालात जस के तस है।
करीब 2 साल से छुटपुट विरोध कर रहे ग्रामीणों ने करीब पौने 2 माह पूर्व 14 फरवरी को स्थायी नौकरी की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। 4 अप्रैल को भी सुरक्षा सुरक्षाकर्मियों और आंदोलनकर्मियों के बीच झड़प हुई और यहा स्थिति सामने आई, पुलिस ने हालांकि जेके. सीमेण्ट संयंत्र के पास दो हेण्डग्रेनेड जप्त करने का दावा किया है पर सवाल यह उठ रहा है कि ग्रामीणों या आंदोलनकारियों ने कुछ ही समय में 600 करोड़ की सम्पत्तियों को नुकसान कैसे पहुंचाया. ग्रामीण कोई प्रशिक्षित नक्सली तो थे नहीं कि उन्होंने योजना बनाकर इस घटना को अंजाम दिया, कहीं इस पूरी घटना के पीछे प्रबंधन की भूमिका तो नहीं थी। बहरहाल  सरकार  ने प्रशासनिक और एडीजी संजय पिल्ले जांच कराने की घोषणा की वैसे इतनी बड़ी घटना के लिये जिसमें कुछ समय के भीतर 600 करोड़ की सम्पत्ति का नुकसान हुआ है बड़े स्तर की जांच जरूरी है।
सुनील का दिप्वास्वप्न
रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा एक बार फिर नगरवासियों को दिप्वास्वप्न दिखाया जा रहा है। नगर निगम में महापौर, सभापति आदि पद की जिम्मेदारी सम्हाल चुके सुनील सोनी काफी अनुभवी नेता है। जनता की कमजोरी को जानते हैं, विवादित कमल विहार योजना से ध्यान हटाने कुछ नई योजनाओं की शुरूआत की घोषणा कर दी है। शहर की जनता वैसे इन योजनाओं को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ रही है।
पहले ईएसई कालोनी (जिलीधीश कार्यालय से लगी) के जीर्णोद्वार में राविप्रा लाखों रूपए खर्च कर चुका है अब उसी कालोनी में स्वाभिमान प्लाजा बनाने की घोषणा हाल ही में राविप्रा के बजट में की गई है। राविप्रा दक्षिण कोरिया स्थित सियोल के ग्वांगवामन स्केवेयर की तर्ज पर ईएसई कालोनी में प्रस्तावित छत्तीसगढ़ स्वाभिमान प्लाजा पर 480 करोड़ खर्च करने की योजना बना चुका है। इसके लिये 2013-2014 के बजट में प्रावधान किया गया है। इस मनोरंजन स्थल में प्रवेश पर आम लोगों से तगड़ा शुल्क लिया जाएगा। इस प्लाजा की कमाई से टाटीबंध से तेलीबांधा तथा शास्त्री चौक से स्टेशन चौक के बीच फ्लाईओवर बनाने की घोषणा है।
इस संबंध में राविप्रा की इस कागजी योजना पर एक किस्सा याद आ रहा है। एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसी को बताया कि वह एलसीडी लेना वाला है उसके पड़ोसी ने पूछा कि -कब एलसीडी लोगे तो उसने कहा कि जब हम अपना नया मकान बनाएंगे। पड़ोसी ने फिर पूछा कि नया मकान कब बनेगा। इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि जब तक पुराना मकान अपने आप नहीं गिर जाएगा। कुछ इसी तरह राविप्रा भी स्वाभिमान माल और फ्लाई ओवर की बात कर रहा है।
सड़क चौड़ीकरण?
नगर निगम ने आमापारा से जयस्तंभ चौक तक सड़क चौड़ीकरण की योजना बनाई थी उसमें तात्यापारा तक तो चौड़ीकरण हो चुका है बस फूल चौक से जयस्तंभ चौक के बीच सड़क चौड़ीकरण होना है, उसके लिये बजट भी स्वीकृत है फिर क्यों सड़क चौड़ीकरण नहीं किया गया यह किसी को पता नहीं है। भाई सुनील सोनी सत्ताधारी दल के एक प्रमुख सदस्य है, राविप्रा के अध्यक्ष है तथा नगर निगम में महापौर, सभापति की जिम्मेदारी सम्हाल चुके है। वे शहर के ह्रदयस्थल जयस्तंभ तक इस सड़क के कुछ मीटर ही चौड़ीकरण कराने पहल करें तो रोज जाम में फंसे लोगों की दुआएं हासिल कर सकते हैं।
राजनांदगांव दौरा करें
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को सपनों का सौदागार कहा जाता है. उन्होंने भी अपने कार्यकाल में रेलवे स्टेशन से शास्त्री चौक होकर कालीबाड़ी तक ओव्हर प्लाई बनाने की घोषणा की थी खैर आमानाका और फाफाडीह स्थित ओव्हर ब्रिज उनकी ही कल्पना के कारण अस्तित्व में आ चुका है।
राविप्रा ने टाटीबंध से तेलीबांधा तथा शास्त्री चौक से स्टेशन चौक तक फ्लाई ओव्हर बनाने की योजना बनाई है। भाई सुनील सोनी कभी राजनांदगांव नहीं गये हैं ऐसा लगता है। राष्ट्रीय राजमार्ग में राजनांदगांव शहर में फ्लाईओव्हर बनाने के बाद उस शहर की यातायात व्यवस्था की दुर्दशा हुई है वह किसी से छिपी नहीं है। मुख्यमंत्री के करीबी वरिष्ठ भाजपाई नेता लीलाराम भोजवानी से तो सुनील सोनी सलाह ले ही सकते है। खैर कुछ कांग्रेसी नेता कहते है कि आगामी विधानसभा चुनाव में शहर से सुनील सोनी भाजपा की टिकट चाहते हैं और यह दिवास्वप्न का उसी से गहरा संबंध है।
17 आईएएएस 10 प्रमोटी
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश की भाजपा सरकार ने अंतिम फेरबदल किया है। कुछ प्रमुख सचिवों सहित 7 जिलो कलेक्टरों को बदल दिया है वहीं 15 आईएएस अफसरों के प्रभार में भी फेरबदल कर दिया है। नए फेरबदल के बाद प्रदेश के 27 जिलों में 17 जिलों की कमान सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों को सौंपी गई है। इस तरह 10 जिलों में आईएएस पदोन्नत अफसरों के जिम्मे जिलों का प्रभार है। आईएएस और पदोन्नत आईएएस की नियुक्ति के लिये सरकार के मुखिया डा. रमन सिंह की क्या नीति है इसका खुलासा तो नहीं हो सका है पर कुछ आईएएस और पदोन्नत आईएएस अफसर जरूर जिलों का प्रभार नहीं मिलने से नाखुश है. कुछ तो जिला पंचायतों में सीईओ बनाने से नाराज है. वैसे सरकार की मंशा क्या है यह तो वही जाने पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सीधी भर्ती के आईएस सिद्धार्थ कोमल परदेशी की तैनाती है तो न्यायाधानी बिलासपुर में सीधी भर्ती के ठाकुर रामसिंह बतौर कलेक्टर पदस्थ है और दुर्ग-भिलाई में भी पदोन्नत ब्रजेश मिश्रा बतौर कलेक्टर कार्यरत है। तो अशोक अग्रवाल मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव में आरपीएस त्यागी जांजगीर जिले कार्यरत है. वैसे राजधानी में हाल ही में तबादले से प्रभावित एक सीधी भर्ती का आईएएस अफसर दुर्ग कलेक्टर बनने प्रयत्नशील है। इधर अन्य प्रमुख जिलों में पदोन्नत आईएएस कलेक्टर के रूप में कार्य कर रहे हैं। खैर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यदि सरकार ने बतौर कलेक्टर नई नियुक्ति की है या कलेक्टर पद पर यथावत रखा है तो कोई बात तो जरूर होगी।
शराब से पानी तक
हाल ही में राज्यशासन की तबादला सूची में गांधी जी के अनन्य भक्त , गांधीजी के बताए आदर्श पर चलने और चलाने पर यकीन करने वाले भाई गणेश शंकर मिश्रा को आबकारी और विक्रयकर प्रमुख से हटाकर सीधे पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) के प्रमुख के पद पर पदस्थापित कर केदार कश्यप के साथ संलग्न करने की कम से कम मंत्रालय सहित अफसरों में जमकर चर्चा है सत्ता के काफी करीबी रहनेवाले भाई गणेश शंकर मिश्रा इस सरकार में अफसरों की मनचाही पदस्थापना कराने में सक्षम माने जाते थे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से उनके मधुर संबंध भी किसी से छिपे नहीं थी पर (सम्मान) की भूख ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। महात्मा गांधी को आदर्श मानने वाले भाई गणेश शंकर ने सरकार सहित वेबरेज निगम के अध्यक्ष भाई देवजी पटेल को विश्वास में लिए बिना ही महात्मा गांधी को ब्रांड एम्बेसडर बनाकर विपक्ष के निशाने पर आ गए, वहीं सरकार की किरकिरी कराने भी कोई कोताही नहीं बरती। बताया जाता है कि उनके खिलाफ पार्टी के ही कुछ नेता सहित अफसर लगातार शिकायत भी करते रहे थे। खैर शराब विभाग के प्रमुख को नल बोरिंग विभाग का प्रमुख बना दिया गया है। वैसे भाई गणेश शंकर  को यह तो पता ही होगा कि सरकार के करीबी  रहे पूर्व मुख्य सचिव पी जाय उम्मेन और पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन को किस तरह सरकार ने एक झटके में ही समय पूर्व हटा दिया था आपकी तो अभी नौकरी में कुछ समय बचा भी है।
तारण और जनसंपर्क!
रायगढ़ जिले के मूल निवासी ओमप्रकाश चौधरी संचालक जनसंपर्क बन गये है इसके पहले से नगर निगम रायपुर में कमिश्नर रह चुके हैं। राजनांदगांव के कलेक्टर अशोक अग्रवाल इसके पहले संचालक जनसंपर्क रह चुके हैं। वे रायपुर नगर निगम में आयुक्त रह चुके है। मनोज श्रीवास्तव (अब म.प्र.) भी रायपुर निगम के कमिश्नर रहे है और बाद में म.प्र. सरकार में जनसंपर्क आयुक्त बने। इस हिसाब से तो वर्तमान आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा के सितारे भी बुलंद दिख रहे है। भविष्य में वे भी संचालक जनसंपर्क बन सकते है। वैसे भी जिस तरह पार्षद से लेकर आम जनता महापौर की जगह उनके  जनसंपर्क करने या समस्या बताने अधिक प्रयासरत है उससे उनके जनसंपर्क अधिकारी के रूप में अच्छी ट्रेनिंग हो रही है।
... और अब बस
द्य सेल (स्टील एथारिटी आफ इंडिया) के नाम से नकली सरिया बनाकर उसे बड़े प्रोजेक्ट को आपूर्ति करने वाले उद्योगपति अग्रवाल पिता पुत्र के पीछ आखिर किस राजनेता का पैसा लगा है। दोनों पिता-पुत्र अचानक कैसे अमीर हो गये?
द्य नई राजधानी के एक भव्य समारोह में भाजपा की महिला नेत्री को किस आईएएस अफसर ने सुश्री की जगह श्रीमती कहकर संबोधित किया?
द्य किस वरिष्ठ आईएएस अफसर को उसके ओहदे से नीचे के पद पर नई पदस्थापना की गई है।

Tuesday, April 2, 2013

मांगने वाला तो गूंगा था मगर
देने वाला तू भी बहरा हो गया

छत्तीसगढ़ में लगातर दो बार भाजपा की सरकार बनाने वाले डा. रमन सिंह भाजपा सरकार की तिकड़ी बनाने के लिये प्रयत्नशील है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली सहित सभी बड़े भाजपा नेता डा. रमन सिंह की सार्वजनिक मंच सहित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकों में तारीफ कर चुके हैं पर राजनाथ सिंह की टीम में छत्तीसगढ़ को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से कुछ नाराजगी जरूर है।
भाजपा महिला मोर्चा में जरूर दुर्ग की सांसद सुश्री सरोज पांडे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। पर उनसे मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से संबंध किसी से छिपे नहीं है। डा. रमन सिंह के समर्थक किसी भी नेता को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह नहीं मिली है जबकि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर छत्तीसगढ़ को अधिक महत्व मिलने की उम्मीद थी। इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी तथा पूर्व सांसद श्रीमती करूणा शुक्ला को भी इस बार राजनाथ सिंह की टीम में जगह नहीं मिली है। वैसे वे एक मात्र भाजपा सांसद प्रत्याशी रहीं जिन्हें पिछले लोस चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। इधर चर्चा थी कि डा. रमन सिंह को भी पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया जा रहा है पर शिवराज सिंह का नाम भी आने से केवल नरेन्द्र मोदी को ही संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। बहरहाल छत्तीसगढ़ की इतनी अधिक उपेक्षा की चर्चा जमकर है।
लता की सक्रियता
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में शामिल एक मात्र महिला मंत्री लता उसेण्डी के कार्यकाल में आखिर हो क्या रहा है। उनके विधानसभा से लगे झलियामारी कन्या आश्रम में 5 से 12 साल की उम्र की बच्चियों से बलात्कार मामले की चर्चा देश में होती रही। राष्ट्रीय स्तर पर इससे छग की छवि को धक्का लगा और इस मामले में कुछ लोगों को आरोपी बनाकर प्रभावित बच्चियों को मुआवजा देकर उन्हें दूसरे आश्रम में रखकर राज्य सरकार ने अपना काम पूरा कर लिया। बालौद के एक छात्रावास आमाडुला में एक लड़की को छात्रावास अधीक्षिका द्वारा दूसरो के सामने पेश करने का मामला प्रकाश में आया, रात में आश्रम में बड़ी-बड़ी कारों में लोगों के आने का भी मामला उभरा था। छात्रावास अधीक्षिका अनिता ठाकुर ( खन्ना) को जेल भेज दिया गया। उसके बयान के भी एक कसबायी पत्रकार से पुलिस ने पूछताछ करना उचित नहीं समझा जबकि आरोप के चलते उसकी पत्रकारिता की एजेन्सी वापस ले ली गई और एक जनप्रतिनिधि ने अपने प्रतिनिधि के पद से हटा दिया गया। सबसे आश्चर्य तो यह है कि महिला अधीक्षिका के मोबाईल को आने वाले नंबरों की जांच भी नहीं की गई यही नहीं जेल के भीतर रहते उसे पदोन्नति का लाभ देने की खबर है। ये प्रकरण अभी चर्चा में ही थे तभी दुर्ग के बेथल चिल्ड्रन होम में कुछ बच्चों के साथ अप्राकृतिक कृत्य और कार्यवाही न करने के आरोप में  केयरटेकर और संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ में आखिर यह हो क्या रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री लता उसेण्डी कन्यादान योजना, महिलाओं को सिलाई मशीन, सायकल वितरण कराने सहित आईपीएल मैच कराकर छत्तीसगढ़ सरकार को वाहवाही दिलाने में व्यस्त है। सवाल यह उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में जो बच्चों के यौन शोषण की खबर आ रही है उससे बदनामी भी हो रही है आाखिर इसके लिये राज्य सरकार कर क्या रही है। झलियामारी में पुरूषों की तैनाती से बच्चियों का यौन शोषण हुआ तो बालोद के आमाडुला में महिला अधीक्षिका पर ही यौन शोषण कराने का आरोप है। कुल मिलाकर सरकारी आश्रम, छात्रावास सहित अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे  बाल, महिला आश्रम को अच्छा वातावरण बनाने के लिये राज्य सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे।
भदौरा जमीन घोटाला
कांग्रेस ने भदौरा  में जमीन की अवैध खरीदी-बिक्री को लेकर अमर अग्रवाल पर निशाना साधा है हालांकि अमर अग्रवाल ने इस मामले को स्वयं को दूर बताकर 100 करोड़ की मानहानि का नोटिस भी भिजवा दिया है।
भदौरा गांव में जमीन खरीदी बिक्री का सिलसिला पिछले 4 साल से चल रहा है। गांव में 127 बिक्री पत्रों के जरिये 205.96 एकड़ जमीन की खरीदी-बिक्री की गई। इसमें सरकारी जमीन खसरा नंबर 509 में 11.54 एकड़ भी शामिल है यह जमीन निस्तार पत्रक में चराई मद और धरसा मद में दर्ज है फिर भी किसी द्धिवजराम को विक्रेता बनाया गया है। किसी जसकरण सिंह कोरबा ने चिड़ीपाल गैस प्राईवेट लिमिटेड के लिये 16.20 एकड़ निजी और 11.54 एकड़ जमीन खरीदी वहीं अकुंश गोयल ने रंजू इन्फ्राकान के लिये 8.31 एकड़ निजी और 5.39 एकड़ शासकीय जमीन, मो. रफीक ने रूक्मिणी इन्फास्ट्राक्चर रायगढ़ के लिये 4.06 एकड़ निजी जमीन, संजय गर्ग दिल्ली ने 8.10 एकड़ निजी, मनोज तोसनवाल ने 5.93 एकड़ निजी जमीन फर्जी तरीके से खरीदने का आरोप है।
प्रदेश में सियासी मुद्दा बने भदौरा जमीन घोटाले की जांच मस्तूरी पुलिस  कर रही है। जिला प्रशासन की जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 16.93 एकड़ शासकीय और 42.93 एकड़ निजी जमीन की फर्जी बिक्री की तस्दीक हो चुकी है। कमिश्नर आर.पी. जैन ने कलेक्टर को रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए हैं। सबसे बड़ा तथ्य यह सामने आ रहा है कि मृतक व्यक्ति को न केवल जीवित बताया गया है बल्कि मृत व्यक्ति भदौरा से चलकर मस्तूरी तक पहुंचता है और रजिस्ट्रार के सामने अपनी जमीन बेचकर फिर मर जाता है। बहरहाल अमर अग्रवाल ने इस घोटाले में अपना नाम लपेटे जाने पर नाखुश है उन्होंने महापौर वाणीराव और कांग्रेस के सचिव वाजपेयी को 100 करोड़ के मानहानि का नोटिस भेजा है।
कहां है पवन, तरूण!
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने के बाद नंदकुमार पटेल ने प्रदेश में विपक्ष जिंदा है इसका एहसास तो भाजपा सरकार को कराया है इसमें कोई संदेह नहीं है उनकी सक्रियता और सरकार के खिलाफ आंदोलनों के चलते कांग्रेसी भी उत्साहित हैं वही अगली सरकार बनाने के मंसूबे भी पाल रहे हैं। वैसे अगले विधानसभा चुनाव में यदि कांग्रेस के पक्ष में बेहतर परिणाम आते हैं तो उसका श्रेय भाजपा सरकार को ही जाएगा। यह भी तय है अभी से चर्चा चल रही है है कि यदि ऐसा होता तो कांग्रेस की जीत नहीं भाजपा की हार प्रमुख रूप से जिम्मेदार होगी। बहरहाल नंदकुमार पटेल के साथ एक कमी जरूर खल रही है वह यह कि उन्होंने रूठे और प्रमुख पुराने नेताओं को फिर से जोड़ने और सक्रिय करने का संभवत: प्रयत्न नहीं किया है। छत्तीसगढ़ में गांधी के नाम से चर्चित पवन दीवान अपने आश्रम तक ही सीमित है। पवन दीवान, छत्तीसगढ़ियों के बीच एक बड़ा और लोकप्रिय नाम है। उनके प्रशंसक आज भी छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में मिल जाएंगे पर वे भी पूरे मन से राजनीति से जुड़ नहीं सके हैं। रायपुर शहर में कभी शहर जिला कांग्रेस से लोक निर्माण मंत्री बनने वाले तरूण चटर्जी भी न जाने कहां है, एक समय में रायपुर की राजनीति में उनका बड़ा सक्रिय नाम था, राजेश मूणत से एक बार पराजित होने के बाद उनका भी अता-पता नहीं है। ये तो कुछ उदाहरण है ऐसे कई समर्पित कांग्रेसी अभी भी सक्रिय नहीं है। वैसे नंदकुमार पटेल पर यह आरोप लगता रहता है कि जनाधार विहीन कुछ नेताओं से वे घिरे रहते है जो कभी विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी के दरबार में जी-हुजुरी किया करते थे। एक बात यह अच्छी है कि उनके करीबी नेता कांग्रेस संगठन के बड़े पद पर तो है पर विधानसभा टिकट नहीं चाहते है क्योंकि उन्हें जनता के बीच अपनी हैसियत का अंदाजा है। बहरहाल नंदकुमार पटेल, रविन्द्र चौबे और चरणदास महंत का त्रिफला सक्रिय है। महंत ने तो आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने सहित मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होने का खुलासा पत्रकारावार्ता में कर दिया है। अजीत जोगी स्वास्थ्यगत कारणों से मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहेंगे पर भाभी डा. रेणु जोगी का नाम जरूर बढ़ाएंगे ऐसे में नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे को उम्मीद तो करना ही चाहिए।
और अब बस
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बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ महापौर किरणमयी नायक को चुनाव लड़ाने की चर्चा है...। कांग्रेस की मजबूरी है बृजमोहन के खिलाफ कोई कांग्रेसी चुनाव लड़ने तैयार नहीं है।
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मुख्य सचिव सुनील कुमार के दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने की अफवाह पता नहीं कौन फैला रहा है.... कुछ माह का कार्यकाल बचा होने पर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति नहीं होती है यही नियम है।
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बस्तर की एक मात्र सामान्य विधानसभा सीट से रायपुर के एक बड़े नेता के चुनाव लड़ने की चर्चा है तो जमीन के धंधे से जुड़े एक भाजपा के नेता महासमुन्द जिले से चुनाव लड़ने की तैयार शुरू कर चुके हैं।
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प्रदेश के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर संत कुमार पासवान पुलिस महानिदेशक बने बिना सेवानिवृत्त हो गए, इसके पहले तब के सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर बी.के.एस.रे. भी बिना मुख्य सचिव बने रिटायर हो गये थे।
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भाजपा नेता अगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार होली मिलन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं यह बात और है कि मिलने समारोह में कम भीड़ देखकर नेता परेशान भी लग रहे हैं।
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नितिन गडकरी के प्रदेश भाजपा के प्रभारी बनने की चर्चा शुरू होते ही एक आईएएस अफसर काफी खुश है उन्हें जिले की कमान मिलने की पूरी संभावना है।