Saturday, September 29, 2012

वो तालों का लटकना
वो रैली की बहार
वो बस में तोड़फोड़
वो मारपीट का समाचार
वो रेल को रोकना
वो आम लोगों पर अत्याचार
मुबारक हो आपको
बंद का त्यौहार!

छत्तीसगढ़ में आजकल बंद-बंद का खेल शुरू हो गया है। महंगाई के लिये प्रदेश में कांग्रेस पार्टी, सत्ताधारी दल भाजपा को जिम्मेदार ठहराती है तो प्रदेश की भाजपा सरकार केन्द्र की कांग्रेसनीत सरकार को जिम्मेदार ठहराकर अपना दामन पाक-साफ बताने का प्रयास करती है। कभी भाजपा केन्द्र सरकार के खिलाफ च्बंदज् का आयोजन करती है तो कभी प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस, भाजपा की प्रदेश सरकार के खिलाफ बंद का आयोजन करती है और मासूम जनता दोनों पार्टी के बंद पर चुपचाप तमाशा देखने मजबूर है उसे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर कौन सच बोल रहा है कौन झूठा!
हाल ही में केन्द्र ने गैस सिलेण्डर की सीमा प्रतिवर्ष 6 कर दी है और अतिरिक्त सिलेण्डर लेने पर सब्सिडी नहीं देने का फैसला लिया है वही डीजल प्रति लीटर 5 रूपये महंगा कर दिया है। इसी बात को लेकर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने केन्द्र सरकार से अपना समर्थन वापस लेकर केन्द्र में शामिल अपने मंत्रियों को इस्तीफा दिलवा दिया है।
इधर केन्द्र सरकार ने कांग्रेस शासित राज्यों में 6 सिलेण्डर के अतिरिक्त 3 सिलेण्डर पर राज्य सरकार को सब्सिडी की राशि वहन करने का निर्देश दिया है वही गैर सब्सिडी युक्त सिलेण्डरों से एक्साईज और कस्टम टैक्स हटाकर 105 रुपये की और भी राहत दी है। इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा चांऊर वाले बाबा के नाम से देश में चर्चित डा. रमन सिंह 6 सिलेण्डरों के बाद छत्तीसगढ़ की जनता को राहत देने के मूड में नहीं है। सलवा जुडूम अभियान में अरबों खर्च हो चुका है पर नक्सली समस्या बढ़ती ही जा रही है। एक और दो रुपये चावल बांटने की योजना में भी हर साल करोड़ों खर्च हो रहे हैं। पर आम जनता को साल में 3 सिलेण्डर में सब्सिडी देने के लिये डा. रमन सिंह इललिए तैयार नहीं है क्योंकि उनके रणनीतिकारों की सलाह है कि अभी ऐसा करना उचित नहीं होगा कोल ब्लाक आबंटन की बात हो या नदियों का जल उद्योगपतियों को बेचने का मामला हो या बांध बेचने की बात हो, कृषि भूमि को उद्योगपतियों के लिये अधिग्रहण का मामला हो तो यह सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई देती है पर आम जनता को 3 सिलेण्डरों के लिये सब्सिडी देने के मामले में सरकार राणनीति के चलते राहत देने के मूड में नहीं है क्योंकि मप्र में भी कुछ इसी तरह का बयान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दे चुके हैं। जब गोवा की भाजपा सरकार राहत दे सकती है तो छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार क्यों नहीं? वैसे काफी कम लोगों को पता है कि डीजल-पेट्रोल के वैट से राज्य सरकार को जितनी आय होती है उतनी शराब में भी नहीं होती है।
चरण की सीख, जोगी का जवाब
कभी नायब तहसीलदार रहे केन्द्र में राज्यमंत्री तथा छत्तीसगढ़ के एकमात्र कांग्रेसी सांसद डॉ. चरणदास महंत कभी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके आसपास सक्रिय कुछ अफसरों को जेल जाने की बात करते हैं। वे भटगांव एक्सटेशन 2 कोल ब्लाक, पुष्प स्टील को लौहा, कोल ब्लाक आबंटन, नवभारत फ्यूज को कोल ब्लाक तथा कवर्धा में मां बम्लेश्वरी कंपनी को कोलब्लाक आबंटन पर अनियमितता का आरोप मढ़कर इसे ही भविष्य में नेता जेल जाने का प्रमुख करण बता रहे है। खैर भाजपा की सरकार और मुखिया पर आरोप लगाना तो उनकी राजनीति का हिस्सा हो सकती है परन्तु अपनी ही पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को बुजुर्ग ठहराकर सेकेण्ड लाईन को मौका देने का बात कहकर उन्होंने अपनी ही पार्टी के मठाधीशों से पंगा ही ले लिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि पहली पंक्ति के बड़े और बुजुर्ग नेता अपने घरों में न बैठे बल्कि छोटे नेताओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करें। परंपरा यही है कि अधिकार और क्षमता एक पीढी से दूसरी पीढ़ी में विकसित करें। डा. महंत ने बुजुर्ग नेताओं की श्रेणी में विद्याचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा, अजीत जोगी आदि को रखा है। वही सेकेण्ड लाईन के नेताओं में स्वयं सहित नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे को रखा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने तो इन त्रिफला पर पहले ही टिप्पणी कर चवनप्रास स्वयं से लेने की सलाह दी थी अब महंत के ताजे बयान के बाद उन्होंने कहा है कि मैं डोकरा नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मोतीलाल वोरा और विद्याचरण शुक्ल उनसे 20 साल बड़े है। जब इन दोनों नेताओं ने राजनीति शुरू की थी मैं बच्चा था। उनका यह भी महंत को सुझाव था कि सेकेण्ड लाईन के बच्चे नेता और बुजुर्ग नेताओं के बीच मुझे एडजेस्ट किया जा सकता है। वैसे डा. चरणदास महंत कभी नायब तहसीलदार रह चुके है और राजनीति में आने के बाद मप्र के गृहमंत्री होकर सांसद तथा केन्द्रीय राज्य मंत्री बन चुके है तो अजीत जोगी कलेक्टर रह चुके है, मुख्यमंत्री रह चुके हैं, राज्यसभा और लोकसभा सदस्य रह चुके हैं एक बात जरुर है कि वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सकें है।
पुलिस मुख्यालय से
छत्तीसगढ़ का पुलिस मुख्यालय हमेशा चर्चा में रहा है। पहले डीजीपी विश्वरंजन बहुत बड़बोले थे और अभी के डीजीपी अनिल नवानी बहुत कम बोलते हैं ये अंतर्मुखी है बस पुलिस मुख्यालय के एक-दो बड़े अफसरों के सामने ही खुलते हैं। खैर नवम्बर माह में अनिल नवानी सेवानिवृत्त हो जाएंगे और उनके स्थान पर संतकुमार पासवान और रामनिवास यादव में से एक डीजीपी बनेंगे यह तय माना जा रहा है। पहला तर्क पुलिस मुख्यालय में यह दिया जा रहा है कि केन्द्र मे ंडीजी के रूप में वरिष्ठता हासिल करने वाले संतकुमार पासवान को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। वैसे पासवान भी अप्रेल 2012 यादि अनिल नवानी की सेवा निवृत्ति के बाद 5 महीने बाद सेवा निवृत्त हो जाएंगे यदि उन्हें डीजीपी बनाया जाता है तो नक्सली क्षेत्र में बहुत कुछ हो सकता है क्योंकि नक्सल क्षेत्र सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में एसपी से लेकर आईजी तक की जिम्मेदारी वे सम्हाल चुके हैं। उनकी गिनती अनुभवी तथा गंभीर अफसरों में होती है। केवल 5 महीने के लिये डीजीपी बनाने का जहां तक सवाल है तो पहले भी स्व. दास कुछ महीनों के लिये डीजीपी बने थे। इधर रामनिवास यादव के विषय में कहा जा रहा है कि वर्तमान डीजीपी तथा सरकार के करीबी होने का उन्हें लाभ मिल सकता है पर उनकी पासवान के मुकाबले कनिष्ठता उनके लिये बड़ी कमी बताई जा रहे हैं। सूत्र कहते है कि स्पेशल डीजी बनाकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास है। इधर यह भी तर्क दिया जा रहा है कि चूंकि केन्द्रीय गृहमंत्रालय को दो नामों का पेनल भेजना है और पासवान को छोड़कर कोई डीजी रैंक का अफसर नहीं था इसलिये रामनिवास को स्पेशल डीजी बनाया गया था। सूत्र यह भी तर्क देते है कि 5 महीने संतुकमार पासवान को डीजीपी बनाकर अनुसूचित जाति वर्ग में ेक संदेश देने का प्रयास हो सकता है। इनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात करीब 9 महीने का समय राम निवास के पास होगा और वे विधानसभा चुनाव कारकर सेवानिवृत्त हो सकते है ऐसे में राज्य सरकार दोनों को संतुष्ट कर सकती है।
एक भी एडीजी नहीं!
छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में अब एक भी एडीजी नहीं रह गया है। एक मात्र एडीजी रामनिवास को स्पेशल डीजी बनाया गया है। हालांकि राज्य में एडीजी रैंक के 5 अफसर है पर सभी पुलिस मुख्यालय से बाहर हैं। पुलिस मुख्यालय में एडीजी नक्सल आपरेशन और सीएफ, प्रशिक्षण और गुप्चर शाखा का पद स्वीकृत है। वर्तमान में एडीजी के स्वीकृत पद के विरुद्ध आईजी और आईजी पद के निरूद्ध एडीजी कार्यरत हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में एडीजी पद पर गिरधारी नायक जेल में पदस्थ है तो एम डब्लु अंसारी लोक अभियोजन के संचालक ए.एन. उपाध्याय गृह मंत्रालय में ओएसडी, डीएम अवस्थी एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा में आरसी श्रीवास्तव पुलिस गृह निर्माण में प्रबंध संचालक है। जल्दी ही संजय पिल्ले, आर.के विज और मुकेश गुप्ता की पदोन्नति एडीजी के पद पर हो जाएगी। इधर बस्तर, रायपुर और दुर्ग में भी नये आईजी की तलाश जारी है। वही कुछ और पुलिस कप्तान भी बदले जाने हैं। वैसे सूत्र कहते है कि नवम्बर के पहले या नवम्बर के बाद दिसम्बर महीने में पुलिस मुख्यालय से लेकर जिलों तक एक बड़ा फेरबदल हो सकता है।
और अब बस
0 कोल ब्लाक आबंटन में सीबीआई द्वारा प्रकरण बनाये जाने के बाद ही एक दामाद की उनके मूल कैडर में वापसी हो गई है। यह संयोग भी हो सकता है।
0 गृहमंत्री ननकीराम कंवर कहते है कि उन्होंने डा. चरणदास महंत को तहसीलदारी सिखाई है एक टिप्पणी... पुराने समय की बात है आजकल तो गृहमंत्री होने के बाद भी वे किसी को थानेदारी भी नहीं सिखा पा रहे हैं।
0 बृजमोहन अग्रवाल और रामविचार नेताम अब छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता होंगे। चलो अब आफ दी रिकार्ड बात तो हो सकेगी।

Tuesday, September 18, 2012

ये जो सियासी घराने है, सब एक निकले
बुझाने वाले-जलाने वाले, सब एक निकले
खाने वाले-खिलाने वाले, सब एक निकले
बचाने वाले-गिराने वाले, सब एक निकले
महंगाई से पहले से परेशान आम जनता पर केन्द्र सरकार ने डीजल के दामों में 5 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि कर भारी भरकम बोझ डाल दिया है यही नहीं अब रसोई गैस के मात्र 6 सिलेण्डरों ही एक वर्ष में सब्सिडी पर मिलेगें वहीं सातवां सिलेण्डर अब बाजार दर यानि 750 से 800 रूपये में खरीदना होगा।
4 सदस्यीय परिवार को माह में एक गैस सिलेण्डर लगता है इस हिसाब से साल में 12 गैस सिलेण्डर लगते हैं। अभी राजधानी रायपुर में 405 रूपये प्रति सिलेण्डर सब्सिडी के साथ मिलते है। सरकार को चाहिये  था कि 100 रूपये प्रति सिलेण्डर की दर में वृद्धि करके 12 सिलेण्डर साल में सब्सिडी के तहत देती और 12 से अधिक गैस सिलेण्डर को बाजार भाव यानि 750 से 800 रूपये खरीदने की बाध्यता रखती तो बेहतर होता। सरकार मानती है कि देश की करीब 44 प्रतिशत आबादी 6 सिलेण्डर ही उपयोग करती है पता नहीं यह आंकड़ा कहां से एकत्रित किया गया है। इधर इसी केन्द्र सरकार के योजना आयोग ने कहा था कि जिनकी एक दिन की कमाई 28 रूपये है वह गरीब नहीं है। वह आंकड़ा भी कहां से एकत्रित किया गया था यह भी पता नहीं चला है।
सरकार ने डीजल की कीमत प्रति लीटर 5 रूपये की वृद्धि की है। इसमें से 3.50 पैसे तेल कंपनियों तथा शेष 1.50 पैसे सरकार के खजाने में बतौर शुल्क और कर जमा होगा। जाहिर है कि डीजल के 5 रूपये प्रति लीटर की वृद्धि से परिवहन महंगा होगा तो उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होगी और अनुमान लगाया जा रहा हैकि इससे एक फीसदी महंगाई में वृद्धि होगी। डीजल के महंगा होते ही परिवहन भाड़े में 15 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की गई है वही सब्जियों के दाम भी 05 प्रतिशत बढ़ा दिये गये है इसका असर आम आदमी पर जरूर पड़ेगा यह तो तय है।
रमन से अपेक्षा
छत्तीसगढ़ में गरीब और गरीबी सीमा रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों को एक-दो रूपये प्रति किलो चावल बांटकर डा. रमन सिंह ने पूरे देश में एक मिसाल कायम किया है। उनका मानना है कि प्रदेश में कोई भी भूखा पेट नहीं सोएगा। उन्होंने चना, नमक आदि वितरण के साथ ही मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, स्कूली छात्राओं को सायकल आदि देने की योजनाएं शुरू की है। पर डीजल और रसोई गैस सिलेण्डर के दामों में वृद्धि के बाद वे कोई राहत देने के मूड में नहीं है। वे वैट प्रदेश में कम करने से इंकार कर रहे हैं क्यों?
हाल ही में रसोई गैसे की 6 सिलेण्डर की शर्त पर गोवा सरकार ने राज्य की ओर से सब्सिडी देने की घोषणा की है। तीन लाख वार्षिक आय वाले परिवारों को गोवा सरकार ने रियायती दर पर ही गैस सिलेण्डर उपलब्ध कराएगी और खर्च राज्य खुद वहन करेगी। वही गोवा सरकार ने पहले भी गैस और पेट्रोल में वैट कर कम करके प्रदेश वासियों को राहत दी है। केन्द्र द्वारा डीजल की कीमत में प्रति लीटर 5 रूपये की वृद्धि के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने वैट 20 प्रतिशत की जगह 8 प्रतिशत करके 95 पैसे प्रति लीटर कम करने का प्रयास किया है तो केरल राज्य सरकार ने वैट कम करके एक रूपये 15 पैसे प्रति लीटर की राहत राज्य के निवासियों को दी है।
छत्तीसगढ़ सरकार भी कुछ ऐसा ही कदम उठा सकती है। छत्तीसगढ़ में वैट 25 प्रतिशत है जो अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत है। वैसे बहुत कम लोगों को पता है कि राज्य सरकार को डीजल-पैट्रोल से जितनी आय वैट के रूप में मिलती है उतनी आय तो शराब से भी नहीं होती है। शायद इसी लिये डा. रमन सिंह वैट कम करने के पक्ष में नहीं है। वैसे दिल्ली राज्य में पैट्रोल पर 19 प्रतिशत तथा डीजल पर 13.29 प्रतिशत वैट है।
अमन पर कांग्रेस का हमला
मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के साथ उनके सबसे करीबी संविदा सचिव अमन सिंह भी अब कांग्रेस के निशाने मे ंहैं। हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत नागवंशी ने 2733 पृष्ठों की जानकारी एकत्रित करके 7200 करोड़ के गोलमाल का आरोप लगाकर उसे उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका लगाकर संविदा सचिव उर्जा अमन सिंह को नोटिस दिलवा दिया है। वहीं छग कैग की रिपोर्ट में भी उर्जा विभाग पर 1700 करोड़ का अनियमितता उजागर की थी। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार विद्युत उत्पादकों से बिजली खरीदने से वितरण कंपनी को एक साल में 420 करोड़ का और पारेषण कंपनी को ट्रांस मिशन हानि होने पर 1122 करोड़ का नुकसान हुआ।
दरअसल अमन सिंह भारतीय राजस्व सेवा के 1995 बैच के अधिकारी है और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद सन् 2004 से मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ है। प्रमुख सचिव उर्जा तथा अपनी इमानदारी के लिये चर्चित डीएस मिश्रा को हटाकर उनके स्थान पर अमन सिंह को उर्जा सचिव बनाया गया यह पहला अवसर देश में था जब किसी आई आरएस अफसर को उर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौपी गई है। जबकि छग को पावर हब बनाने कई निवेशकों से एमओयू का दौर जारी था। हद तो तब हो गई जब राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को अमन सिंह की प्रति नियुक्ति की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया और केन्द्र सरकार ने इंकार कर दिया। उसके बाद 27 जनवरी 10 को भारतीय राजस्व अधिकारी आईआरएस से अमन सिंह ने इस्तीफा दे दिया और राज्य सरकार ने समान पद पर संविदा नियुक्ति कर लिया है। मुख्यमंत्री किसी को भी संविदा नियुक्ति में अपने पास यानि मुख्यमंत्री सचिवालय में रख सकते है पर जो शासकीय सेवा में ही नहीं है उसे उर्जा मंत्रालय में सचिव पद पर नियुक्ति कैसे की जा सकती है। सवाल तो मंत्रालय में अभी तक उठ रहा है कि जिस अफसर अमन सिंह की 20 साल से अधिक सेवा बची थी उसने अखिल भारतीय स्तर की आईआरएस सेवा से इस्तीफा क्यों दे दिया जबकि छत्तीसगढ़ में उनके रिश्ते नातेदार भी नहीं है। सबसे अधिक आश्चर्य तो उस समय मीडिया साथियों के यशगान का भी रहा। उनका त्यागपत्र राज्यहित में बताया गया। बहरहाल कांग्रेस ने अब अमन सिंह को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इनके एक रिश्तेदार तथा छग शासन के पूर्व अधिकारी से हाल ही में कोयला मामले में सीबीआई प्रारंभिक पूछताछ भी कर चुकी है। डा. रमन मंत्रिमंडल के एक सदस्य कहते है कि अमन सिंह तो सुपर सीएम है। उनकी संविदा नियुक्ति पर मंत्रिमंडल में एक बार मुहर लगी है अब संविदा नियुक्ति बढ़ाने का फैसला तो नई सरकार के गठन के बाद ही लिया जाएगा। तब तक देखे कि क्या होता है। अभी तो नियुक्ति करने वाले और कराने वाले ही असमंजस में है।
विद्याचरण को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी....
देश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा इंदिरा राजीव गांधी के कभी काफी करीबी रहे विद्याचरण शुक्ल को कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ प्रधानमंत्री की बुरे समय में संकट मोचन रहे विद्या भैय्या का सभी दलों के नेताओं से मधुर रिश्ते भी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुलायाम सिंह, शरद पवार, शरद यादव आदि से उनके रिश्ते भी मधुर है। इनमें से कुछ तो उनके समकालीन है। सुत्र कहते है कि जब भी सरकार संकट में होती थी तो पहले आर.के. धवन, माखनलाल फोतेदार, विद्याचरण शुक्ल प्रणब मुखर्जी आदि मध्यस्थ की भूमिका अदा करके विपक्ष को मना लेते थे। हाल ही में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार कोल ब्लाक आबंटन में अनियमितता को लेकर लोकसभा-राज्यसभा ही विपक्षी दल भाजपा ने नहीं चलने दी। भाजपा का यह भी खुला आरोप था कि सरकार की तरफ से कोई ठोस पहल ही नहीं हुई। बहरहाल कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को विद्याचरण शुक्ल का नाम भी सुझाया है और उनके उपयोग की भी सलाह दी है। हालांकि विद्या भैय्या का कैसे उपयोग होगा यह तो अभी तय नहीं है पर केन्द्र सरकार के सामने मौजूदा परिस्थितियां और विपक्ष के बढ़ते हमले के बीच यदि सक्रिय रूप से विद्याचरण शुक्ल का कांग्रेस हाई कमान उपयोग करें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। वैसे दिल्ली में विद्याचरण शुक्ल को लेकर जमकर चर्चा है।
और अब बस
0 कोयला ब्लाक आबंटन में अनियमितता की सीबीआई (सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन) जांच कर रही है। एक भाजपा नेता ने अपने समर्थकों को समझाया चिंता की बात नहीं है मेरा बैक खाता सीबीआई में नहीं एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) में है।
0 कोयला ब्लाक अनियमितता में सीबीआई ने एक समधी से पूछताछ कर ली है अब दूसरे समधी से पूछताछ का इंतजार किया जा रहा है।
0 बंगलादेश में चोरों को रायपुर क्राइम स्काड ने पकड़ा है। एक भाजपाई ने इसके लिये इंदिरा गांधी को दोषी बताया है। उसका कहना है कि इंदिरा जी द्वारा न बंगलादेश बनाया जाता और न ही वहां से लोग रायपुर चोरी करने आते।

Tuesday, September 11, 2012

जुर्म खुद करना, इलजाम किसी पर धरना
यह नया नुस्खा है, बीमार भी कर सकता है
जागते रहिये की आवाज लगाने वाला
लूटने वालों को होशियार भी कर सकता है

छत्तीसगढ़ में अजात शत्रु माने जाने वाले मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह कुछ परेशान दिखाई दे रहे है। छग नियंत्रक और महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट ने कोयला खदानों के आबंटन में अनियमितता का आरोप लगाकर संसद के दोनों सदनों के नहीं चलने के बाद कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई  सड़कों पर आ गई है और ऐसे मौैके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिन गड़करी के करीबी तथा भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय संचेती की एमएमएस इंफास्ट्रक्चर कंपनी को 552 रूपये मिट्रीक टन की दर के मुकाबले मात्र 129.60 पैसे की दर पर भाटागांव कोल ब्लाक आबंटन भाजपा के गले की हड्डी बन गया है। संचेती का प्रदेश में कोई उद्योग नहीं है वही पहले भी टोल प्लाजा के नाम पर वाणिज्य कर विभाग द्वारा संचेती की कंपनी बाद में उसकी वापसी भी चर्चा का कारण बनी हुई है। भिलाई-राजनांदगांव बायपास का निर्माण 150 करोड़ की लागत से कराया है।
कोल आबंटन में अनियमितता का आरोप लगाकर कांग्रेस ने तो डा. रमन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन कर चुकी है। वैसे कांग्रेस के अलावा डा. रमन सिंह की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे भाजपा के कुछ नेता भी अपनी तीखी टिप्पणी पहले ही कर चुके है। अप्रेल माह में छत्तीसगढ़ में कैग की रिपोर्ट में 1052 करोड़ के नुकसान की बात सामने आने पर देश और प्रदेश के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस ने तो यहां तक कह दिया था कि यदि गडकरी का करीबी होने के कारण संचेती को कोल ब्लाक दिया गया है तो मैं तो सांसद हूं मुझे भी कोल ब्लाक मिलना चाहिये। उन्होंने आबंटन प्रक्रिया पर सवाल उठाये थे यह बात और है कि अगले ही दिन बैस अपने आरोपों से पलट गये और प्रक्रिया को जायज ठहरा दिया। पर हाल ही में जनदर्शन कार्यक्रम में उन्होंने प्रदेश की कैग की रिपोर्ट पर संयुक्त विधायको की समिति से जांच कराने की भी वकालत कर दी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी पिछले लोस चुनाव में डा. चरणदास महंत से पराजित तथा हाल ही में राज्यसभा जाने से वंचित करूणा शुक्ला ने भी कैग की रिपोर्ट को काल्पनिक कहे जाने पर आपत्ति की थी। बहरहाल गडकरी से मामला जुड़ा होने के कारण खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के माध्यम से पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया गया। इधर 2002 में एनडीए सरकार के कोयला मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद पर भी उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा नवीन जिंदल के लिये सिफारिश पत्र देने और 2003 में नवीन जिंदल को उड़ीसा में कोल ब्लाक आबंटित होने का मामला भी चर्चा में आया है।
छत्तीसगढ़ में डा. रमन सिंह सरकार के खिलाफ एक बार आदिवासी एक्सप्रेस नेताओं ने दिल्ली जाकर मुहिम भी चलाई पर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सिंह का ही पक्ष लिया और मुहिम दबा दी गई। हाल ही में सरकार में शामिल एक आदिवासी मंत्री ने भी दिल्ली जाकर दबाव बनाया पर उन्हें भी मुह की खानी पड़ी। पर प्रदेश में कोल ब्लाक आबंटन के मुद्दे पर पहला मौका है जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को डा. रमन सिंह सरकार के बचाव के लिये उतरना पड़ा है।
लता, नंदकुमार या कोई और...
छत्तीसगढ़ में भी कोयला ब्लाक आबंटन को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को इस्तीफा देने रैली, धरना प्रदर्शन किया है तो कांग्रेस डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग को लेकर धरना रैली सभा करके मुख्यमंत्री निवास को घेरने का असफल प्रयास कर चुकी है। सीबीआई द्वारा ही में छत्तीसगढ़ में कोल ब्लाक लेने वाले कांग्रेस के सांसद विजय दर्डा और उनके भाई राजेन्द्र दर्डा के मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड नागपुर में छापा मार चुकी है वही सूत्र कहते है कि कांग्रेस सांसद के बाद नागपुर के ही भाजपा के राज्यसभा सदस्य तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी विजय संचेती का नंबर है उनकी एमएमएम इंफास्ट्रक्चर को काफी कम दर पर भटगांव कोल ब्लाक आबंटन किया गया है। सूत्र कहते है कि यदि संचेती के खिलाफ कार्यवाही होती है तो डा. रमन सिंह की मुश्किल बढ़ेंगी यह लगभग तय है। वैसे भी पुष्प स्टील्स, बमलेश्वरी माइंस एवं इस्पात आदि पहले ही कांग्रेस के निशाने पर है। केन्द्रीय कोयला मंत्री कपिल सिब्बल भाजपा शासित राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों वसुंधरा राजे सिंधिया (राजस्थान) शिवराज सिंह चौहान (मप्र) नवीन पटनायक (उड़ीसा) डा. रमन सिंह (छत्तीसगढ़) आदि के खिलाफ कोल आबंटन करने सिफारिश करने का आरोप लगा चुके है हालांकि छग से तत्कालीन मुख्य सचिव एके विजय वर्गीय ने पत्र लिखा था।
बहरहाल मान लो कि डा. रमन सिंह को हटाने की नौबत आती है तो विकल्प के तौर पर नये नेताओं का नाम भी चर्चा में है। सूत्र कहते है कि पहला नाम डा. रमन सिंह मंत्रिमंडल की सदस्य लता उसेण्डी का है। आदिवासी होने के साथ वे महिलाओं का भी नेतृत्व करती है, उनके सहारे नाराज आदिवासियों सहित महिला मतदाताओं को भी प्रभावित किया जा सकता है। दूसरा नाम राज्यसभा सदस्य नंदकुमार साय का भी उभरा है पहले नेता प्रतिपक्ष की भाजपा सरकार बनने के बाद उपेक्षा की गई थी पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके प्रति भी सहानुभूति रखते है फिर हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में संगमा द्वारा पराजय के बाद नई पार्टी बनाने की कोशिश पर भी नंदकुमार साय भाजपा के लिये अच्छा माहौल बना सकते हैं। हालांकि चर्चा तो सांसद रमेश बैस, रामविचार नेताम आदि की भी है पर ऐन चुनाव के पहले इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी ऐसा लगता नहीं है। खैर डा. रमन सिंह जिस तरह मजबूत बनकर उभरे हैं इसलिये उन्हें हटाना तो फिलहाल संभव नहीं है पर लगातार 9 साल मुख्यमंत्री रहना, भाजपा के वरिष्ठ नेता सौदान सिंह के सामने जिला स्तरों पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी उभरना भी हाई कमान के लिये चिंता का विषय बना हुआ है। खैर राजनीति में कब क्या ह जाए यह नहीं कहा जा सकता है।
त्रिफला च्वयनप्रास और आयुर्वेदिक डा. रमन
केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. चरणदास महंत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और नेता प्रतिक्ष रविन्द्र चौबे के त्रिफला के खिलाफ कांग्रेस के बाजार में अजीत जोगी ने च्वयनप्रास को विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि त्रिफला तो हाजमे के लिए लिया जाता है पर कमजोरी दूर करने तथा ताकत बढ़ाने च्वयनप्रास का उपयोग होता है और वह हमारे पास है। कांग्रेस के बीच चल रहे इन आयुर्वेदिक दवाओं का विकल्प तो आयुर्वेदिक चिकित्सक डा.रमन सिंह को ढूंढना है हालांकि पिछले 2 विधानसभा तथा लोक सभा चुनाव मेें उन्होंने काट तैयार कर उसका उपयोग किया था अब आगामी चुनाव में उन्हें त्रिफला और च्वयनप्रास का विकल्प तैयार करना होगा।
बहारहाल प्रदेश के एकमात्र कांगे्रसी सांसद तथा मनमोहन मंत्रिमंडल में शामिल डा.चरणदास महंत ने मंत्रीमंडल की शपथ लेकर पहलीबार रायपुर आकर कहा था कि डा.रमन सिंह से सत्ता से हटानेे त्रिफला तैयार किया गया है जिसमें नंदकुमार पटेल और रविन्द्र चौबे शामिल है यह त्रिफला ही भाजपा सरकार से लड़ाई करेगा और कांग्रेस को सत्ता दिलाएगा वैसे त्रिफला में डा.चरणदास महंद बाद मेें कम ही नजर आए। कुछ दिन दिल्ली में रहकर लौटे अजीत जोगी ने इसी त्रिफला के खिलाफ च्वयनप्रास का विकल्प सुझाया है  यह भी कहा है कि कमजोरी दूर करने तथा ताकत बढ़ाने च्वयनप्रास हमारे पास से ले जाएं। ज्ञात रहे कि हाल ही मेें एक अफवाह उड़ी थी कि अजीत जोगी कांग्रेस छोड़ रहे हैं उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस में है और रहेंगे। दिल्ली में लंबी चर्चा भी हुई उससे कांग्रेस छोडऩे  की अफवाह किसी ने उड़ा दी है। 10 जनपद से उनकी राजनीति शुरू हुई है और वहीं  से खत्म भी होगी।

और अब बस
0 भाजपा सरकार के गृहमंत्री तथा वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने कोरबा के कलेक्टर और पुलिस कप्तान पर कांग्रेसियों को अभयदान देकर भाजपाईयों को प्रताडि़त करने का आरोप लगाकर सभी को चौंका दिया है।
0 उच्च न्यायालय ने चार पावर प्लांट का भूमि अधिग्रहण रद्द कर दिया है जिसमें जांजगीर की एसकेएस महानदी भी शामिल हैं। वल्र्ड बैंक के सहयोग से बने बांध को इसी पावर प्लांट को राज्य सरकार द्वारा बेचे जाने की चर्चा लंबे समय तक चली भी है।
0 नए कलेक्टर कोमल सिद्धार्थ परदेशी ने कार्यभार सम्हालते ही अपने तेवर दिखाना शुरू कर  दिया है। जनहित में उनकी रूचि देखकर पूर्व एडीएम कोमल सिंह की याद ताजा हो रही हैं।

Monday, September 3, 2012

बदल रहे है यहां सब रिवाज क्या होगा
मुझे ये फिक्र है, कल का समाज क्या होगा
लहू तो कम है मगर, रक्तचाप भारी है
अब ऐसे रोग का आखिर इलाज क्या होगा

केन्द्र की कांग्रेस नीत सरकार और प्रदेश की भाजपा सरकार के बीच कोयला आबंटन को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। वैसे देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा ने प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से इस्तीफा की मांग करते हुए लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही बाधित कर रखी है। शनिवार को ही देश के 40 स्थानों पर आसमभा लेकर जनजागरण का प्रयास किया है तो अब कांग्रेस भी जनता के बीच जा रही है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने डा. रमन सिंह पर राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के करीबी विजय संचेती को भटगांव कोयला ब्लाक आबंटन का आरोप लगाकर इस्तीफे की मांग की है और उनके घेराव की चेतावनी रही है। कोयले को लेकर देश की राजधानी दिल्ली सहित प्रदेश की राजधानी रायपुर में भी राजनीतिक माहौल गर्म है। कांग्रेस और भाजपा के बीच शह और मात का खेल शुरू हो गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन प्रमुख सचिव ए.के. विजय वर्गीय ने केन्द्रीय कोयला सचिव को 27 मार्च 2005 को पत्र लिखा था कि कोयला ब्लाकों की खुली नीलामी करने से कोयला की कीमतों में इजाफा होगा और इसका स्टील और अन्य उद्योगो में सीधा असर पड़ेगा। उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से केन्द्र की कोयला ब्लाकों की खुली नीलामी की प्रस्तावित नीति का समर्थन नहीं करते हुए पुरानी नीति ही बहाल करने की सिफारिश की थी। ज्ञात रहे कि उस समय भी डा. रमन सिंह ही मुख्यमंत्री थे।
सहाय से पहले राज्य सिफारिश कर चुका था!
छत्तीसगढ़ में कोल ब्लाक आबंटन को लेकर पूर्व मंत्री तथा विधायक मो. अकबर ने एक बड़ा खुलासा कर भाजपा की प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मो. अकबर के अनुसार 18 जून 2007 को राज्य शासन ने केन्द्रीय कोयला मंत्रालय को एक पत्र लिखकर एक मुश्त 34 कंपनियों के लिये कोल ब्लाक आबंटन की सिफारिश की थी। तत्कालीन विशेष निवेश उर्जा सचिव के हस्ताक्षर से जारी 34 पत्र में ताप विद्युत संयंत्रों के लिये कोल ब्लाक आबटंन की सिफारिश की गई थी। इसमें 26 कंपनियां ऐसी थी जो राज्य में स्वतंत्र इकाईयों की स्थापना करना चाहती थी वही 8 ऐसी कंपनियों को कोल ब्लाक देने की सिफारिश की गई थी छत्तीसगढ़ शासन के साथ जिनका कैप्टिव पावर प्लांट लगाने एमओयू हो चुका था।
18 जून 2007 को जिन कोल ब्लाक देने की सिफारिश की गई थी। उनमें एस.के.एस. इस्पात एवं पावर, प्रकाश इंडस्ट्रीज सहित एस्सार, भूषण, आर्यन कोल, वेनी फिकेशन, जीएमआर एनर्जी बैगलुरू, टाटा स्टील, जिंदल, मोनेट इस्पात आदि शामिल है। सवाल यह उठ रहा है कि एक तरफ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर एस के एस इस्पातल को कोयला ब्लाक आबंटन के लिये केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय के 6 फरवरी 2008 के पीएमओ को लिखे गये सिफारिश पत्र का उल्लेख कर रही है वहीं स्वयं छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन विशेष सचिव उर्जा ने 18 जून 2007 यानि सहाय के पत्र के 8 माह पूर्व ही एसकेएस को सिफारिश कर दी थी ऐसे में भाजपा की प्रदेश सरकार के दामन पर भी छीटे जरूर पड़ते ही हैं।
जेटली का नाम चर्चा में
कोयला ब्लाक आबंटन के मामले में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय बुरी तरह घिर गए हैं। उनकी सिफारिश पर एसकेएस इस्पात एंड पावर कंपनी को कोयला ब्लाक दिए जाने की असल कहानी सामने आ गई है। सुबोध के भाई सुधीर सहाय एसकेएस कंपनी के डायरेक्टर हैं। कोयला ब्लाक आबंटन के लिए 7 फरवरी 2008 को कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में भी सुधीर बतौर कंपनी डायरेक्टर पेश हुए थे। केंद्रीय मंत्री सहाय ने 5 फरवरी 2008 को पीएमओ एक चिट्ठी भेजी, जिसमें पीएम को लिखा गया, एसकेएस इस्पात को अपनी स्टील कंपनी के लिए झारखंड और छत्तीसगढ़ में दो कोल ब्लाक की जरूरत है। कंपनी सभी शर्तें पूरी करती है। मैं आपका आभारी रहूंगा अगर आप व्यक्तिगत पहल कर ये आबंटन करवाएं।
इस चिट्ठी के मिलने के 24 घंटे के भीतर ही पीएमओ की अनुशंसा पर 6 फरवरी 2008 को इस कंपनी को दो कोयला ब्लाक आबंटित किए गए। सुबोध कांत सहाय पहले तो एककेएस इस्पात से संबंध होने से इनकार करते रहे लेकिन जब स्क्रीनिंग कमिटी की मीटिंग में उनके भाई के पेश होने के साक्ष्य सामने आए तो उनसे जवाब देते नहीं बना। इतना ही नहीं, झारखंड सरकार और एसकेएस के साथ हुए समझौते (एमओयू) में भी सुधीर सहाय के हस्ताक्षर दर्ज हैं।
पूरे मामले में सफाई देने के लिए सुबोध कांत सहाय दिल्ली मे ंप्रेस कांफ्रेंस बुलाई लेकिन उसमें भी बुरी तरह से फंस गए। जब संवादताताओं ने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने भाई से जुड़ी कंपनी के लिए सिफारिशी पत्र क्यों लिखा, तो उन्होंने जवाब दिया कि चूंकि वह झारखंड से सांसद है लिहाजा वहां के विकास के लिए उन्होंने इस कंपनी को ब्लाक दिए जाने की सिफारिश की है। हालांकि, इस सवाल का उनके पास कोई जवाब नहीं था कि राज्य की दूसरी कंपनियों पर उन्होंने ऐसे मेहरबानी क्यों नहीं दिखाई।
इससे पहले सुबोध कांत सहाय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है और राज्य सरकार की सिफारिश के बिना कोई भी खदान आबंटित नहीं हो सकती। सहाय ने प्रकाश इंडस्ट्री का बीजेपी से संबंध होने का आरोप लगाया क्योंकि जब केस कोर्ट में था तो अरूण जटेली ने ही कंपनी की पैरवी की थी। गौरतलब है कि कोयला ब्लाक आबंटन पर कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होन ेऔर इसमें 1.86 लाख करोड़ के घाटे की बात सामने आने के बाद से राजनीतिक बवंडर मचा है।
पुष्प स्टील नवभारत और प्रकाश इंडस्ट्रीज
संसद में भाजपा कोयला घोटाला पर हंगामा कर रही है पर प्रदेश की रमन सरकार और उनके कुछ अधिकारी भी लपेटे में है।
सन् 2006 से 2009 के बीच 13 कंपनियों को कोल ब्लाक छत्तीसगढ़ में दिये गये है, इनमें से ज्यादातर वे छग के कोई उद्योग नहीं है। वैसे छग में कोयला ब्लाक लेने नकली कंपनियां बनाई गई नियम और शर्तों को तोड़कर कमाई करने के भी आरोप लगे है।
पुष्प स्टील एक माइनिंग कंपनी दिल्ली के अजमेरी गेट इलाके में एक लाख की पूंजी से खुली एक कंपनी को दिल्ली से एक हजार किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ में लोहे और कोयला की खदान के लिये आवेदन किया पूर्व के अनुभव नहीं होने पर भी उसे लोहे की माइनिंग लीज मिल गई इस मामले में मोतीलाल वोरा की सिफारिश की चर्चा रही है।
नवभारत कोल्स लिमिटेड को 2006 में स्पंज आयरन बनाने कोयला खदान दी गई। कंपनी को 5 लाख टन कोयले की जरूरत थी लेकिन उसे 3 करोड़ 60 लाख टन कोयले वाली खदान मिली और बाद में इसने 74 प्रतिशत हिस्सेदारी दूसरी कंपनी को बेच दी यह भाजपा की एक नेत्री नीला सिंह की कंपनी है।
प्रकाश इंडस्ट्रीज का मामला भी चौकाने वाला है। जांजगीर चांपा में स्पंज आयरन बनाने वाली इस कंपनी में अपनी क्षमता बढ़ाने 2 कोल ब्लाक आबंटित कराये क्षमता नहीं बढ़ाई बल्कि कोयला बाजार में बेचना शुरू किया, मामला खुलने पर सीबीआई ने छापा मारा और एफआईआर भी कराई।
और अब बस
0 छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल का सड्डू प्रोजेक्ट फेल होने की चर्चा के बीच ही 2010 में बने मौलाश्री प्रोजेक्ट के तहत व्हीआईपी रोड में बने 17 मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों के बने बंगलों में बृजमोहन अग्रवाल, प्रेम प्रकाश पांडे के बंगलों में के, सीपेज आने की चर्चा है वही कुछ विधायकों के डुप्लेम्स मकान की भी दीवारें क्रेक हो गई है। अब ऐसे में गृह निर्माण मंडल के मकान कौन खरीदेगा।
0 नये कलेक्टर परदेशी के साथ एडीएम संजय अग्रवाल काम कर चुके हैं, उन्हें छोड़कर बाकी अफसर, कर्मचारी साहब की कार्यप्रणाली देखकर बेचैन हैं।
0 राजधानी में नये पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक को लेकर चर्चा चल रही है दोनों पदों के लिये 2 ब्राम्हण अधिकारियों के नाम उपर चल रहे है पर उनकी नियुक्ति होगी ऐसा लगता नहीं है।