Monday, January 16, 2012

आइना छत्तीसगढ़
लो फिर तहकीकत चली!
छुप-छुप कर सौगात चली!
वोटों पर जब गाज गिरी!
आरक्षण की बात चली!

भारतीय जनता पार्टी के पितृपुरुष लालकृष्ण आडवाणी भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काला धन वापस लाने देशव्यापी रथयात्रा निकालते हैं, भाजपा की नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली, ए राजा और कलमाड़ी जैसे भ्रष्ट नेताओं को सजा दिलाने जमीन आसमान एक कर दी है, टू जी स्पेक्ट्रम मामले में कथित रूप से शामिल होने का आरोप पी चिदंबरम पर लगाकर भाजपा ने कई दिनों तक संसद नहीं चलने दी, देश में मजबूत लोकपाल के लिये अन्ना हजारे के साथ भी भाजपा खड़ी नजर आई पर हाल ही में बसपा से भ्रष्टाचार के आरोप में हकाले गये नेता बाबूसिंह कुशवाहा को भाजपा में प्रवेश बाद में मामला तूल पकडऩे पर केवल भाजपा की सदस्यता निलंबित करने के मामले से भाजपा के दामन में छींटे जरूर पड़े हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को आदर्श मानने वाली पार्टी भाजपा दूसरे दल से भ्रष्टाचार के मामले में बहिष्कृत करने वाले नेता को गले लगा सकती है। यह बात गले नहीं उतर रही है। वैसे कुशवाहा के भाजपा प्रवेश पर यह कहना भी हास्यास्पद ही है कि हमारी गंगा रूपी पार्टी में 'गंदे नालेÓ भी पवित्र हो जाते हैं। वैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी कह रहे हैं कि कुशवाहा की भाजपा से सदस्यता स्थगित की गई है, हमें पिछड़े वर्ग के लोगों का भी ख्याल रखना होगा। वैसे भाजपा के भीतर तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विरोध और दूसरे दलों के नेताओं से भाजपा की किरकिरी बनी तो गडकरी ने कुशवाहा को 'चलताÓ करने की जगह 'सहेजकरÓ रख लिया है। वैसे कर्नाटक में मुख्यमंत्री येदूरप्पा को हटाने के मामले में भी भाजपा के सिद्धांतों पर सवाल उठे थे। अन्ना हजारे के लोकपाल बिल के लिये भाजपा उनके साथ खड़ी दिखाई दी पर राज्यों में लोकपाल की नियुक्ति के लिये राज्य सरकारों को उनकी मर्जी पर निर्णय लेने स्वतंत्र किया जाए यह प्रस्ताव तो भाजपा का ही था। भाजपा शासित राज्यों में लोकपाल की नियुक्ति करने केन्द्रीय नेतृत्व दबाव क्यों नहीं बना रहा है यह भी चर्चा में है।
डॉ.रमन का दांव
छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और दूसरी बार भी उनका सफल नेतृत्व और कांगे्रस का बिखराव सरकार बनाने का आधार रहा। छत्तीसगढ़ की पहली सरकार बनने के पीछे तो विद्याचरण शुक्ल की कांगे्रस से बगावत, राकांपा प्रत्याशी खड़ा करने कांगे्रस के परंपरागत मत तोडऩा प्रमुख कारण रहा तो दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के पीछे कांगे्रस के दिग्गजों की पराजय प्रमुख कारण माना जा सकता है। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, उपनेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल, कांगे्रस के अध्यक्ष धनेंद्र साहू, सत्यनारायण शर्मा, मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा, अरविंद नेताम की बेटी डॉ. प्रीति की पराजय प्रमुख कारण रहे हैं। ये दिग्गज यदि विजयी होते तो कांगे्रस की सरकार जरूर बनती। इधर पिछले विस चुनाव में जीत का एक कारण सस्ता चावल योजना भी रही है। वैसे विधानसभा, लोकसभा चुनाव के बाद हुए नगरीय निकाय चुनावों में प्रमुख विपक्षी दल कांगे्रस के महापौर रायपुर, बिलासपुर, भिलाई और राजनांदगांव में विजयी रहे थे। वहीं भिलाई में विधानसभा उपचुनाव में कांगे्रस के भजन सिंह निरंकारी की जीत भी चौंकाने वाली रही है।
इधर सत्ताधारी दल भाजपा के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह केन्द्रीय नेतृत्व में भाजपा की किरकिरी के चलते ही अभी से अपनी जमीन बनाकर तीसरी बार सत्ता में काबिज होने की तैयारी शुरू कर चुके हैं। प्रदेश में 9 नये राजस्व जिलों का गठन कर वह फिर माहौल बनाने लगे हैं वैसे नये जिलों के बनने का लाभ तो डॉ. रमन के खाते में जाएगा पर असंतोष का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। कुछ जगह नये जिलों में शामिल करने सहित जिला मुख्यालय तय करने को लेकर असंतोष है। इधर पुलिस में तो डॉ. रमन सिंह ने अच्छी खासी सर्जरी कर दी है। वही अब डी के एस मंत्रालय स्तर पर बड़ी सर्जरी की तैयारी की जा रही है। वैसे पुलिस की सर्जरी में अधिकारियों को उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र रिश्ता काम नहीं आया और संभवत: ऐसा ही प्रशासनिक सर्जरी में भी होने वाला है।
ये क्या हो रहा है?
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद लगता है कि कुलपतियों को निशाना बनाया जा रहा है। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति डॉ. लक्ष्मण चतुर्वेदी के खिलाफ लोक आयोग में पूर्व में ही प्रकरण दर्ज हो चुका है। वे फिलहाल प्राइवेट छात्रों की परीक्षा नहीं लेने के नाम पर चर्चा है तो तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति मल्ल, कुलसचिव दुबे पूर्व कुलसचिव भगवंत सिंह के खिलाफ भी प्रकरण पंजीबद्ध हो गया है यह प्रकरण पुलिस ने दर्ज किया है। इधर पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शिवकुमार पांडे के खिलाफ भी विशेष थाने तक शिकायत पहुंची है।
अजा/जजा नाराज!
छत्तीसगढ़ आदिवासी और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। अनुसूचित जनजाति 32 फीसदी आरक्षण तत्काल लागू करने के लिये दबाव बना रही है तो अनुसूचित जाति वर्ग 4 प्रतिशत आरक्षण कम करने को लेकर मोर्चा खोल दिया है। आदिवासी समाज के लोगों ने वीरनारायण सिंह की शहादत दिवस पर प्रदेश के कुछ स्थानों पर रैली निकालकर विरोध प्रकट किया है और जल्दी ही भाजपा सरकार के अनुसूचित जनजाति वर्ग के मंत्रियों, सांसदों के घेराव की भी योजना है तो अनुसूचित जाति वर्ग के करीब 5 हजार लोग मुख्यमंत्री निवास घेरने की कोशिश कर अपनी गिरफ्तारी दे चुके हैं। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति वर्ग का राज्य सरकार आरक्षण कम कर रही है तो समाज के सत्ताधारी दल के मंत्री सांसद विधायक क्यों चुप बैठे हैं।
अगला मुख्य सचिव कौन!
सुनील कुमार-नारायण सिंह
छत्तीसगढ़ में अगला मुख्य सचिव कौन होगा इसको लेकर फिर चर्चा शुरू हो गई है। वैसे जाय उम्मेन मई माह में सेवानिवृत्त हो जाएंगे वैसे रोगदा बांध को एस के एस पावर लिमिटेड को बेचने के मामले में विधानसभा की कमेटी उनकी भूमिका की जांच कर रही है। अगले विस सत्र में उसकी रिपोर्ट भी पेश हो जाएगी। सूत्र कहते हैं कि फिर भी वे अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। उन्हें सरकार सेवानिवृत्ति के बाद भी उपकृत करती है अथवा नहीं इसका अभी फैसला नहीें हो सका है वैसे अगले मुख्य सचिव की दौड़ में एसीएस नारायण सिंह और सुनील कुमार का नाम चर्चा में है। केन्द्र से प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद सुनील कुमार को एसीएस बनाकर शालेय शिक्षा का दायित्व सौंपा गया है और वे छत्तीसगढ़ के सबसे दमदार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के साथ ही अटैच हैं। अपनी अच्छी तथा तेजतर्रार छवि के चलते कुछ लोग प्रशासनिक कसावट के लिये अगला मुख्य सचिव उन्हें बनाने की संभावना देखते हैं तो एक वर्ग नारायण सिंह की पैरवी करता है। मिलनसार होन के साथ ही उन्हें प्रदेश में काम करने का दीर्घ अनुभव है फिर प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री नहीं बन सका तो आदिवासी मुख्य सचिव बनाकर उसका तत्कालिक लाभ भी प्रदेश सरकार ले सकती है। ऐसी भी दलील कुछ लोग दे रहे हैं। बहरहाल अगला मुख्य सचिव कौन बनेगा यह निर्णय लेने का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास है और उनका निर्णय ही अंतिम होगा ऐसा कहा जा रहा है। वैसे आईएएस लाबी भी दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। ज्ञात रहे कि सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर होने के बाद भी बी के एस रे की जगह उनसे जूनियर जाय उम्मेन को पिछली बार मुख्य सचिव बनाया गया था। वहीं 'रेÓ को सेवानिवृत्ति के पश्चात कही समायोजित भी नहीं किया गया था।
और अब बस
(1)
प्रदेश में अब 27 जिले हो गये हैं- इसलिये कुछ एडीशनल कलेक्टर तथा एडीशनल एस पी स्तर के अधिकारी भी कार्यवाहक कलेक्टर/एसपी बनने के सपने देखना शुरू कर चुके हैं।
(2)
भाजपा के सांसद दिलीप सिंह जूदेव की नाराजगी से एस पी और आई जी को फील्ड से हटा दिया गया वहीं सांसद रमेश बैस की नाराजगी के चलते खेल संचालक को फील्ड में आई जी बना दिया गया। लाभ में कौन रहा यह स्पष्ट है।
(3)
केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नंदकुमार पटेल को भावी मुख्यमंत्री क्या कह दिया कई नेताओं को पटेल का दुश्मन बना दिया। वैसे पटेल भी मन ही मन तो स्वयं को भावी मुख्यमंत्री मानकर चल ही रहे हैं?
(4)
आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत ने भिलाई में छात्रों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में आरएसएस स्वयं सेवकों ने जमकर हिस्सा लिया था।

Wednesday, January 11, 2012

अंगुलियां यूं सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो
जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
बारिशों में पतंग उड़ाया करो

छत्तीसगढ़ में अब 27 जिले हो गये हैं। 27 दिसंबर को 9 जिलों के गठन की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई अब यह संयोग है कि किसी ज्योतिषी से पूछकर यह तय किया गया है यह तो पता नहीं है पर अंक ज्योतिष के अनुसार सभी का योग 9 ही आता है। छत्तीसगढ़ का योग 9 होता है तो 27 दिसंबर को अंतिम अधिसूचना जारी की गई और उसका योग भी 9 ही आता है। नये 9 जिले अस्तित्व में आ गये हैं यानी उसका भी योग 9 है। बहरहाल 9 का आंकड़ा डॉ. रमन सिंह या भाजपा के लिये शुभ होगा या कांगे्रस के लिये शुभ माना जाएगा इसका पता तो बाद में ही चलेगा पर नये जिलों के गठन के बाद उनमें शामिल क्षेत्र को लेकर जरूर कुछ जगह विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी। सिमगा को बलौदाबाजार जिले में शामिल करने का विरोध आमजनों सहित कबीरपंथी गुरु ने भी किया था वहीं बलौदाबाजार की जगह भाटापारा को जिला मुख्यालय बनाने की भी मांग उठी थी। वहीं पेण्ड्रारोड का भी जिला बनाने की पुरजोर मांग की गई थी। वैसे नये जिलों में सुकमा, कोण्डागांव, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर और बलरामपुर अस्तित्व में आ चुके हैं और 10 से 20 जनवरी के बीच इनका औपचारिक उद््घाटन किया जाएगा।
वैसे नये जिलों के गठन के बाद कुछ आला नेताओं का जिला ही बदल जाएगा। नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे अब बेमेतरा जिले के नागरिक हो जाएंगे अभी तक दुर्ग जिले के निवासी थे। ताम्रध्वज साहू छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री दयालदास बघेल, भी नये जिले बेमेतरा के निवासी हो जाएंगे तो बस्तर के एक मात्र कांगे्रसी विधायक कवासी लखमा अब सुकमा जिले के निवासी हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की खेल मंत्री लता उसेंडी का भी जिला अब कोण्डागांव हो जाएगा। कांगे्रस के विधायक राजकमल सिंघानिया, चैतराम साहू, डॉ. शिवडहरिया बलौदाबाजार जिले के विधायक हो जाएंगे।
इधर विधायक नीलिमा सिंह टेकाम, वीरेंद्र कुमार साहू, कुमारी साहू, अब बालोद जिले की राजनीति में सीमित हो जाएंगे। श्रीमती रेणुका सिंह सूरजपुर जिले की नागरिक कहलाएंगी तो मंत्री रामविचार नेताम, प्रेमसाय सिंह को बलरामपुर जिले का नागरिक बनना पड़ेगा। कुल मिलाकर नये जलों के गठन के साथ ही सांसदों की हालत भी बिगड़ेगी क्योंकि उन्हें अब नये जिला बनने के बाद नये कलेक्टरों से अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने अधिक दबाव बनाना पड़ेगा। जैसे रायपुर के लोकसभा सदस्य रमेश बैस को अब रायपुर जिले के साथ ही साथ बलौदाबाजार जिले में भी मेहनत करनी पड़ेगी। सांसदों का क्षेत्र तो वही ंहै पर नये जिलों के गठन के बाद वहां के अधिकारियों से तालमेल बढ़ाना ही पड़ेगा।
अफसरों द्वारा ठुमका!
छत्तीसगढ़ के महासमुंंद जिले के एसडीएम और तहसील कार्यालय के शुभारंभ पर एक जनवरी को अफसरों द्वारा ठुमका लगाये जाने की शिकायत मुख्य सचिव तक पहुंच गई है। विधायक अग्निचंद्राकर ने पुराने डी जे कोर्ट में हुए नाच-गाने को अशोभनीय बताते हुए शासकीय भवन, शासकीय धन तथा शासकीय वाहनों के दुरुपयोग पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एक अधिकारी के पुत्र का जन्मदिन इस तरह मनाने की इजाजत क्या शासन दे सकता है। अग्निचंद्राकर ने गंभीर आरोप लगाया है कि अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने महिलाओं की वेशभूषा में नृत्य किया है जो अशोभनीय है। उन्होंने अधिकारियों पर युगल नृत्य पेश करने का भी आरोप मढ़ा है। बहरहाल विधायक के आरोप पर क्या होता है यही देखना है।
फेरबदल पुलिस में!
छत्तीसगढ़ में हाल ही में पुलिम महकमे में व्यापक फेरबदल चर्चा में है। वही अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि कुछ आईएएस के प्रभार भी जल्द बदले जाएंगे। हाल ही में 2 जिलों के पुलिस अधीक्षकों अविनाश मोहती और गर्ग को तत्काल हटाने के बाद पुलिस अफसर कुछ अनुमान लगा ही रहे थे कि तभी 27 आईपीएस और 2 रेंज पुलिस महानिरीक्षक और 8 पुलिस कप्तानों का फेरबदल कर सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी कि 'कामÓ प्राथमिकता है वहीं जनप्रतिनिधियों से अच्छा व्यवहार करने की भी नसीहत एक तरह से दे दी गई है।
बिलासपुर के पुलिस महानिरीक्षक अरुण देव गौतम और पुलिस कप्तान अजय यादव को सांसद दिलीप सिंह जूदेव और अमर अग्रवाल की नाराजगी के चलते हटाया गया है तो खेल संचालक जी पी सिंह को सांसद रमेश बैस की नाराजगी के चलते रायपुर से हटाकर बिलासपुर में जेल महानिरीक्षक बनाया गया है। वैसे वे खेल संचालक के पद से हटना नहीं चाहते थे और आईजी के रूप में पदोन्नत होकर वही रहना चाहते थे। इधर सरगुजा के प्रभावी मंत्री रामविचार नेताम, राजेश मिश्रा को तो हटाने के पक्षधर थे पर वे कल्लुरी को पदोन्नति होने पर रेंज आईजी के रूप में पदस्थ कराना चाहते थे पर बीच का रास्ता निकालते हुए जेल महानिरीक्षक भारत सिंह को वहां पदस्थ किया गया है। इधर रायगढ़ के पुलिस कप्तान राहुल शर्मा को राजधानी में पुलिस कप्तान बनाने की चर्चा हो रही थी पर उन्हें बिलासपुर में पुलिस कप्तान बनाकर पति-पत्नी को एक साथ रखने की सरकार की योजना पूरी की गई। श्रीमती शर्मा बिलासपुर रेलवे में कार्यरत हैं, वहीं जांजगीर में पदस्थ डॉ. आनंद छाबड़ा को गृहमंत्री ननकीराम कंवर की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। जांजगीर में एक पावर प्लांट के लिये जमीन खरीदने को लेकर गृहमंत्री के पुत्र संदीप कंवर का नाम चर्चा में आया था और तब डॉ. छाबड़ा की कार्यवाही से गृहमंत्री नाराज थे। पर उन्हें रायगढ़ का पुलिस कप्तान बनाकर एक तरह से सरकार ने बड़े जिले का प्रभार देकर पदोन्नत ही किया है। इधर राजधानी के पुलिस कप्तान दीपांशु काबरा और पुलिस महानिरीक्षक मुकेश गुप्ता को यथावत रखकर उनकी कार्यप्रणाली पर मुहर ही लगाई गई है वैसे मुकेश गुप्ता केवल गुप्तवार्ता का ही काम देखने की इच्छा प्रकट कर चुके थे। इधर पुलिस मुख्यालय में आईजी प्रशासन पवन देव को काफी मजबूत किया गया है। क्योंकि अब प्रशासन में उनके ऊपर केवल पुलिस महानिदेशक ही होंगे वैसे पवन देव को भी रेंज आईजी बनाने की जमकर चर्चा थी। खेल संचालक तथा युवा कल्याण के पद पर छत्तीसगढिय़ा राजकुमार देवांगन की पदस्थापना की गई है। इधर छत्तीसगढ़ में 7-8 जिला कप्तान के पदों पर छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना से कम से कम प्रमोटी अफसर तो खुश हैं। क्योंकि अभी तक किसी जिले का पुलिस कप्तान बनने की कई लोगों ने उम्मीदें ही छोड़ दी थी। वैसे डीजीपी नवानी का यह नया प्रयोग सफल होगा ऐसा लगता तो है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में कई पदों पर कार्यरत इन प्रमोटी अफसरों का अनुभव कुछ रंग तो लाएगा ही।
नहर खा गये लोग!
राजधानी रायपुर में अभी तक सरकारी भूखंड नाली, सड़क, गली तथा तालाब को अवैध कब्जाधारियों द्वारा दबाने की खबर तो मिलती रहती थी, कुछ सार्वजनिक कुएं पर भी कब्जा करने की शिकायत मिलती थी पर अब तो राजधानी में कुछ रसूखदार लोगों द्वारा नहर खा लेने की चांैकाने वाली खबर मिली है। जलसंसाधन विभाग ने राजधानी में देवपुरी से उरला तक की महानदी केनाल को अनुपयोगी मानकर फोरलेन सड़क बनाने राजस्व विभाग को सौंप दी थी और अब लोकनिर्माण विभाग धनी आबादी के बीच की इस नहर का इस्तेमाल फोरलेन सड़क बनाकर करने वाला है। लोकनिर्माण विभाग को मौके का मुआइना करने पर पता चला कि नहर का अधिकांश हिस्सा अवैध कब्जे की भेंट चढ़ गया है। मुख्य नहर से शाखा नहर की लम्बाई 58 किलोमीटर है और यह 250 एकड़ में फैली है। पंडरी बस स्टैण्ड से तेलीबांधा और वहां से माना बस्ती तक कई लोग नहर पर कब्जा कर चुके हैं। पंडरी से रविनगर तक कई लोगों ने कब्जा ही नहीं किया है रजिस्ट्री भी करवा ली है। एमएमआई से लालपुर होकर राजेंद्र नगर होकर तेलीबांधा पहुुंची यह नहर अवैध कब्जा धारियों के कब्जे में है। पंडरी में जेल के पीछे के तो यह नहर दिखाई देती है पर सरकारी अफसरों की कालोनी देवेंद्र नगर में यह नहर फिर गायब हो गई है। इधर नहर से अवैध कब्जा हटाने शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा वैसे पहले चरण में लोकनिर्माण विभाग 2 किलोमीटर हिस्से को पाटकर सड़क बनाने में जुट गया है।
और अब बस
(1)
गीदम में नवनिर्मित थाना भावन को नक्सलियों द्वारा उड़ाने से नाराज सरकार ने दंतेवाड़ा के पुलिस कप्तान को हटा दिया। एक टिप्पणी... दंतेवाड़ा जेल बे्रक के समय मौजूद पुलिस कप्तान को फिर लगातार बड़े जिलों का प्रभार क्यों दिया जा रहा है?
(2)
मीना खलको बलात्कार और फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बाद आईजी भी निपट गये एक टिप्पणी... आदिवासियों को साधना जरूरी भी तो है?

Thursday, January 5, 2012

आइना ए छत्तीसगढ़ 
अंधेरे चारों तरफ सांय-सांय करने लगे
चिराग हाथ उठाकर दुआएं करने लगे
तरक्की कर गये बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज हैं जो दवाएं करने लगे

मध्यप्रदेश से अलग होकर नया छत्तीसगढ़ राज्य बन गया तो एक संवेदनशील नारा फिंजा में गूंजा था 'अमीर धरती के ऊपर रहने वाले गरीब लोगÓ छत्तीसगढ़ की धरा के भीतर तथा ऊपर प्रकृति काफी मेहरबान है। भूगर्भ में हीरा, सोना, लोहा, मैग्नीज, कोयला के भंडार हैं तो स्वच्छ और मीठा पानी लिये हुए नदी, झरने तथा बांध हैं, विभिन्न प्रजाति के जंगल भी हैं पर छत्तीसगढ़ के ऊपर रहने वाला, आम छत्तीसगढिय़ा गरीब हैं। गरीब क्यों है यह विसंगति क्यों है इसका अब धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है। जनप्रतिनिधि बनते ही जिस तरह के 'राजसी ठाठÓ नेताओं के दिखाई दे रहे हैं। अफसरशाही और नेताओं में अधिकाधिक कमाने की होड़ चल रही है 'अपने ही छत्तीसगढ़Ó यह आम आदमी देख रहा है। बासी से शुरू उसकी लड़ाई अपना राज्य बनने के बाद ही 'बासीÓ तक ही पहुंच सकी है। छत्तीसगढ़ में जिस तरह लूट-खसोट का खेल चल रहा है उस पर नियंत्रण लगाया जाना संभव नहीं दिख रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के ही अधीन राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जुलाई 2010 से सितंबर 2011 यानी करीब 14 माह के भीतर ही सरकारी महकमे के अमले के घरों, कार्यालयों में 101 छापा मारकर करीब 92 करोड़ की काली कमाई का खुलासा किया है यह चौंकाने वाला तथ्य ही है। वैसे छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2001 से 2009 तक प्रदेश के 38 छापे ही मारे गये थे। 
विपणन संघ के सहायक प्रबंधक बी पी लमहौर के पास 25 करोड़ की अघोषित संपत्तियां मिली है तो वन विभाग के एक रेंजर भी 25 करोड़ का आसामी निकला। लवकुमार मिश्रा उपनिरीक्षक आबकारी 3 करोड़ 23 लाख, लोक निर्माण विभाग का उप अभियंता राजेश कुमार सेन 2 करोड़ 2 लाख, पी एच ई के ईई घनश्याम देवांगन एक करोड़ 7 लाख, जल संसाधन के उपसचिव एम डी दीवान पौने पांच करोड़, इसी विभाग के अंबिकापुर के उप अभियंता जे एस चंदेल ढाई करोड़, पांडुका के रेंजर हरीश पांडे 4 करोड़ 20 लाख, जनपद पंचायत गुरुर के सीएमओ मंडावी 2 करोड़ 14 लाख, सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग जी एस कुम्हारे 4 करोड़, नगर निगम अधिकारी के ईई एन एच राठौर साढे 3 करोड़, लोकनिर्माण विभाग रामानुंजगंज के ईई रामस्वरूप राम साढे 3 करोड़, नगर निगम बिलासपुर के उपयंत्री राकेश चंद्रकांत मानिक 2 करोड़ 20 लाख, नगर पंचायत उतई के सीएमओ उमेश मिश्रा 65 लाख, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बैकुंठपुर साढे 4 करोड़, जल संसाधन विभाग कटघोरा के एसडीओ भूपेंद्र चंद्रवंशी साढे 6 करोड़, नगर निगम भिलाई के उपयंत्री राकेश अवधिया 2 करोड़ 3 लाख, रायपुर के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर एस बाबू साढे 3 करोड़ गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन यंत्री आर यू खान डेढ करोड़, कोरबा के एसडीओ वन देवीदयाल संत 3 करोड ़20 लाख, महासमुंद के सहायक आबकारी अधिकारी किलेमान किन्द्रों 3 करोड़ 17 लाख, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता विजय कुमार भान पहरी 4 करोड़ 50 लाख, जल संसाधन विभाग के अधीक्षक यंत्री जे पी अग्रवाल 5 करोड़ 50 लाख, प्रधानमंत्री सड़क योजना के कार्यपालन यंत्री राजकिशोर हरबंस 3 करोड़ 75 लाख बेनामी संपत्तियों के मालिक मिले हैं। 
इधर सरकारी काम के नाम पर रिश्वत लेने वालों की भी संख्या बढ़ रही है। टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त निदेशक एम के गुप्ता 20 हजार, अंबिकापुर के एक थानेदार 30 हजार रिश्वत लेते पकड़े गये हैं। वैसे सरकारी सेवा में रत महिला अफसर और कर्मचारी भी रिश्वत लेने के पीछे नहीं हैं। 5 महिलाओं को सरकारी कामकाज कराने के नाम पर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है। अभनपुर की परियोजना अधिकारी सुशीला वाखला 5000, संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्था की लेखापाल वीणा मिश्रा 1500, पाटन की पटवारी प्रीति शर्मा 4500, पामगढ़ की साधना धीवर 12000 की रिश्वत लेते पकड़ी गई है। वैसे छत्तीसगढ़ सरकार लोक सेवा गारंटी विधेयक लाकर भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने की तैयारी कर रही है। 
गृहमंत्री विरुद्ध पुलिस!
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने एक मौखिक आदेश के तहत विशेष अनुसंधार सेल को अवैधानिक करार देते हुए भंग करने की बात की है। उनका कहना है कि 'सेलÓ के गठन के लिये कोई वैधानिक अनुमति शासन से नहीं ली गई थी। गृहमंत्री का मानना है कि उनके संज्ञान में सेल के 4-5 मामले लाये गये थे उसमें साफ तौर पर धन वसूली के लिये प्रकरण बनाये जाने की बात दिखलाई पड़ रही है। असल में छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री विरुद्ध पुलिस का मामला काफी समय से चल रहा है। पहले गृहमंत्री की तरह से एक सेल बनाया गया था जिसे एच एम स्क्वांड कहा जाता था। इस स्क्वांड की गतिविधियों की पुलिस के कुछ आला अफसरों ने उंगली उठाई थी, भाजपा-कांगे्रस के कुछ विधायकों ने भी सवाल खड़े किये थे और बाद में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्क्वांड भंग हो गया था। सवाल यह उठ रहा है कि गृहमंत्री कोयला चोरी के मामले में ट्रक पकड़ कर थाने में पहुंचाते हैं और उनके थाने में निकलने के बाद ही ट्रक थाने से ही छूट जाता है? एक बार गृहमंत्री ने कुछ पुलिस कप्तानों की बैठक बुलवाई थी पर तत्कालीन डी जी विश्वरंजन के हस्तक्षेप के बाद वह बैठक ही रद्द हो गई थी। कभी गृहमंत्री किसी सिपाही हवलदार की रिश्वत मांगने की सीडी जारी करते हैं पर कड़ी कार्यवाही नहीं की जाती है। आखिर यह हो क्या रहा है। वैसे प्रदेश में पुलिस विभाग के तबादला होता है और गृहमंत्री को समाचार पत्रों से जानकारी मिलती है। चर्चा, होती है कि गृहमंत्री की अनुशंसा पर पुलिस वालों का तबादला नहीं होता है बल्कि उन्हें प्रताडि़त किया जाता है। खैर मुख्यमंत्री प्रदेश की पुलिस को तो बदल नहीं सकते हैं गृहमंत्री बदलना जरूर उनके हाथ में है। वैसे गृहमंत्री ननकीराम कंवर को हटाने की चर्चा एक साल से चल रहा है पर मजबूरी यह है कि गृहमंत्री बनने कोई तैयार नहीं हो रहा है?
तारण से 'प्रकाशÓ की उम्मीद
नगर निगम के युवा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा की कार्यप्रणाली से 'रायपुर शहर का कुछ नहीं हो सकताÓ यह भावना बदलने लगी है। शहर को अवैध कब्जा मुफ्त करने की बात हो या प्रभावितों के व्यवस्थापन की बात हो, शहर की बदत्तर सफाई व्यवस्था को ठीक करने का मामला हो या शहर में स्वच्छंद घूम फिर रहे मवेशियों को पकड़कर कांजी हाऊस में बंद करने का मामला हो, शहर के बाग बगीचों के रख-रखाव तथा शहर को हरियाली युक्त बनाने के उनके कार्यों की प्रशंसा हो रही है। 
हाल ही में उन्होंने व्हीआईपी रोड में होटलों के संचालकों से समय पर बारात निकालने दिये गये निर्देश भी सराहनीय ही है। किसी की बारात निकलती है, किसी को पत्नी मिलती है, किसी को बहु मिलती है और उस सड़क से गुजरने वाला व्यक्ति फालतू ही पेरशान होता है कि शहर के भीतर भी कभी भी बारात, जुलूस, शोभायात्रा निकालकर चक्काजाम की स्थिति से राहत दिलाने भी वे कोई कठोर कदम उठाएंगे। वैसे युवा आयुक्त से शहरवासियों को कुछ अधिक ही उम्मीद है पर शहर में नगर निगम की कांगे्रस-भाजपा राजनीति से वे किस तरह ऊपर उठकर शहरवासियों की उम्मीद पर खरा उतरते हैं यही देखना है। वैसे वे अब उन निजी स्कूलों पर भी लगाम कसने जा रहे हैं जो शिक्षण संस्था होने के नाम पर निगम को कर तो नहीं देते है पर विवाह या अन्य समारोह आयोजित कर आयोजकों से बड़ी रकम वसूसते हैं। ज्ञात रहे कि पं. सुंदरलाल शर्मा शाला सुंदरनगर के मामले में महापौर किरणमयी नायक और कांगे्रस के महामंत्री सुभाष शर्मा आमने-सामने आ चुके हैं और आगे क्या कार्यवाही होती है इसी पर कईयों ने अपनी निगाह लगा रखी है। 
 और अब बस
(1)
अमित के विवाह का स्वागत समारोह राजकुमार कालेज रायपुर, कांस्टीट््यूशन क्लब दिल्ली में हो चुका है। अब मरवाही-कोटा विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिये 28 को 'गांवÓ में स्वागत समारोह आयोजित है। 
(2)
पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कुछ अफसर पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस कप्तान बनकर फील्ड में उतरने की लाबिंग कर रहे हैं उधर फील्ड में पदस्थ लोग परेशान है कि आखिर डीजीपी नवानी किसकी सुनते हैं?
(3)
डॉ. रमन सिंह के संकट मोचक बृजमोहन अग्रवाल का पैर फे्रक्चर हो गया। एक कांगे्रसी ने कहा कि यदि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बृजमोहन गिर जाते तो रमन सरकार का क्या होता? एक टिप्पणी... पहले कांगे्रसी विधायकों को तो एक जुट करो? 
आइना ए छत्तीसगढ़ 
अंधेरे चारों तरफ सांय-सांय करने लगे
चिराग हाथ उठाकर दुआएं करने लगे
तरक्की कर गये बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज हैं जो दवाएं करने लगे

मध्यप्रदेश से अलग होकर नया छत्तीसगढ़ राज्य बन गया तो एक संवेदनशील नारा फिंजा में गूंजा था 'अमीर धरती के ऊपर रहने वाले गरीब लोगÓ छत्तीसगढ़ की धरा के भीतर तथा ऊपर प्रकृति काफी मेहरबान है। भूगर्भ में हीरा, सोना, लोहा, मैग्नीज, कोयला के भंडार हैं तो स्वच्छ और मीठा पानी लिये हुए नदी, झरने तथा बांध हैं, विभिन्न प्रजाति के जंगल भी हैं पर छत्तीसगढ़ के ऊपर रहने वाला, आम छत्तीसगढिय़ा गरीब हैं। गरीब क्यों है यह विसंगति क्यों है इसका अब धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है। जनप्रतिनिधि बनते ही जिस तरह के 'राजसी ठाठÓ नेताओं के दिखाई दे रहे हैं। अफसरशाही और नेताओं में अधिकाधिक कमाने की होड़ चल रही है 'अपने ही छत्तीसगढ़Ó यह आम आदमी देख रहा है। बासी से शुरू उसकी लड़ाई अपना राज्य बनने के बाद ही 'बासीÓ तक ही पहुंच सकी है। छत्तीसगढ़ में जिस तरह लूट-खसोट का खेल चल रहा है उस पर नियंत्रण लगाया जाना संभव नहीं दिख रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के ही अधीन राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जुलाई 2010 से सितंबर 2011 यानी करीब 14 माह के भीतर ही सरकारी महकमे के अमले के घरों, कार्यालयों में 101 छापा मारकर करीब 92 करोड़ की काली कमाई का खुलासा किया है यह चौंकाने वाला तथ्य ही है। वैसे छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2001 से 2009 तक प्रदेश के 38 छापे ही मारे गये थे। 
विपणन संघ के सहायक प्रबंधक बी पी लमहौर के पास 25 करोड़ की अघोषित संपत्तियां मिली है तो वन विभाग के एक रेंजर भी 25 करोड़ का आसामी निकला। लवकुमार मिश्रा उपनिरीक्षक आबकारी 3 करोड़ 23 लाख, लोक निर्माण विभाग का उप अभियंता राजेश कुमार सेन 2 करोड़ 2 लाख, पी एच ई के ईई घनश्याम देवांगन एक करोड़ 7 लाख, जल संसाधन के उपसचिव एम डी दीवान पौने पांच करोड़, इसी विभाग के अंबिकापुर के उप अभियंता जे एस चंदेल ढाई करोड़, पांडुका के रेंजर हरीश पांडे 4 करोड़ 20 लाख, जनपद पंचायत गुरुर के सीएमओ मंडावी 2 करोड़ 14 लाख, सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग जी एस कुम्हारे 4 करोड़, नगर निगम अधिकारी के ईई एन एच राठौर साढे 3 करोड़, लोकनिर्माण विभाग रामानुंजगंज के ईई रामस्वरूप राम साढे 3 करोड़, नगर निगम बिलासपुर के उपयंत्री राकेश चंद्रकांत मानिक 2 करोड़ 20 लाख, नगर पंचायत उतई के सीएमओ उमेश मिश्रा 65 लाख, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बैकुंठपुर साढे 4 करोड़, जल संसाधन विभाग कटघोरा के एसडीओ भूपेंद्र चंद्रवंशी साढे 6 करोड़, नगर निगम भिलाई के उपयंत्री राकेश अवधिया 2 करोड़ 3 लाख, रायपुर के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर एस बाबू साढे 3 करोड़ गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन यंत्री आर यू खान डेढ करोड़, कोरबा के एसडीओ वन देवीदयाल संत 3 करोड ़20 लाख, महासमुंद के सहायक आबकारी अधिकारी किलेमान किन्द्रों 3 करोड़ 17 लाख, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता विजय कुमार भान पहरी 4 करोड़ 50 लाख, जल संसाधन विभाग के अधीक्षक यंत्री जे पी अग्रवाल 5 करोड़ 50 लाख, प्रधानमंत्री सड़क योजना के कार्यपालन यंत्री राजकिशोर हरबंस 3 करोड़ 75 लाख बेनामी संपत्तियों के मालिक मिले हैं। 
इधर सरकारी काम के नाम पर रिश्वत लेने वालों की भी संख्या बढ़ रही है। टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त निदेशक एम के गुप्ता 20 हजार, अंबिकापुर के एक थानेदार 30 हजार रिश्वत लेते पकड़े गये हैं। वैसे सरकारी सेवा में रत महिला अफसर और कर्मचारी भी रिश्वत लेने के पीछे नहीं हैं। 5 महिलाओं को सरकारी कामकाज कराने के नाम पर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है। अभनपुर की परियोजना अधिकारी सुशीला वाखला 5000, संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्था की लेखापाल वीणा मिश्रा 1500, पाटन की पटवारी प्रीति शर्मा 4500, पामगढ़ की साधना धीवर 12000 की रिश्वत लेते पकड़ी गई है। वैसे छत्तीसगढ़ सरकार लोक सेवा गारंटी विधेयक लाकर भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसने की तैयारी कर रही है। 
गृहमंत्री विरुद्ध पुलिस!
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने एक मौखिक आदेश के तहत विशेष अनुसंधार सेल को अवैधानिक करार देते हुए भंग करने की बात की है। उनका कहना है कि 'सेलÓ के गठन के लिये कोई वैधानिक अनुमति शासन से नहीं ली गई थी। गृहमंत्री का मानना है कि उनके संज्ञान में सेल के 4-5 मामले लाये गये थे उसमें साफ तौर पर धन वसूली के लिये प्रकरण बनाये जाने की बात दिखलाई पड़ रही है। असल में छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री विरुद्ध पुलिस का मामला काफी समय से चल रहा है। पहले गृहमंत्री की तरह से एक सेल बनाया गया था जिसे एच एम स्क्वांड कहा जाता था। इस स्क्वांड की गतिविधियों की पुलिस के कुछ आला अफसरों ने उंगली उठाई थी, भाजपा-कांगे्रस के कुछ विधायकों ने भी सवाल खड़े किये थे और बाद में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्क्वांड भंग हो गया था। सवाल यह उठ रहा है कि गृहमंत्री कोयला चोरी के मामले में ट्रक पकड़ कर थाने में पहुंचाते हैं और उनके थाने में निकलने के बाद ही ट्रक थाने से ही छूट जाता है? एक बार गृहमंत्री ने कुछ पुलिस कप्तानों की बैठक बुलवाई थी पर तत्कालीन डी जी विश्वरंजन के हस्तक्षेप के बाद वह बैठक ही रद्द हो गई थी। कभी गृहमंत्री किसी सिपाही हवलदार की रिश्वत मांगने की सीडी जारी करते हैं पर कड़ी कार्यवाही नहीं की जाती है। आखिर यह हो क्या रहा है। वैसे प्रदेश में पुलिस विभाग के तबादला होता है और गृहमंत्री को समाचार पत्रों से जानकारी मिलती है। चर्चा, होती है कि गृहमंत्री की अनुशंसा पर पुलिस वालों का तबादला नहीं होता है बल्कि उन्हें प्रताडि़त किया जाता है। खैर मुख्यमंत्री प्रदेश की पुलिस को तो बदल नहीं सकते हैं गृहमंत्री बदलना जरूर उनके हाथ में है। वैसे गृहमंत्री ननकीराम कंवर को हटाने की चर्चा एक साल से चल रहा है पर मजबूरी यह है कि गृहमंत्री बनने कोई तैयार नहीं हो रहा है?
तारण से 'प्रकाशÓ की उम्मीद
नगर निगम के युवा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा की कार्यप्रणाली से 'रायपुर शहर का कुछ नहीं हो सकताÓ यह भावना बदलने लगी है। शहर को अवैध कब्जा मुफ्त करने की बात हो या प्रभावितों के व्यवस्थापन की बात हो, शहर की बदत्तर सफाई व्यवस्था को ठीक करने का मामला हो या शहर में स्वच्छंद घूम फिर रहे मवेशियों को पकड़कर कांजी हाऊस में बंद करने का मामला हो, शहर के बाग बगीचों के रख-रखाव तथा शहर को हरियाली युक्त बनाने के उनके कार्यों की प्रशंसा हो रही है। 
हाल ही में उन्होंने व्हीआईपी रोड में होटलों के संचालकों से समय पर बारात निकालने दिये गये निर्देश भी सराहनीय ही है। किसी की बारात निकलती है, किसी को पत्नी मिलती है, किसी को बहु मिलती है और उस सड़क से गुजरने वाला व्यक्ति फालतू ही पेरशान होता है कि शहर के भीतर भी कभी भी बारात, जुलूस, शोभायात्रा निकालकर चक्काजाम की स्थिति से राहत दिलाने भी वे कोई कठोर कदम उठाएंगे। वैसे युवा आयुक्त से शहरवासियों को कुछ अधिक ही उम्मीद है पर शहर में नगर निगम की कांगे्रस-भाजपा राजनीति से वे किस तरह ऊपर उठकर शहरवासियों की उम्मीद पर खरा उतरते हैं यही देखना है। वैसे वे अब उन निजी स्कूलों पर भी लगाम कसने जा रहे हैं जो शिक्षण संस्था होने के नाम पर निगम को कर तो नहीं देते है पर विवाह या अन्य समारोह आयोजित कर आयोजकों से बड़ी रकम वसूसते हैं। ज्ञात रहे कि पं. सुंदरलाल शर्मा शाला सुंदरनगर के मामले में महापौर किरणमयी नायक और कांगे्रस के महामंत्री सुभाष शर्मा आमने-सामने आ चुके हैं और आगे क्या कार्यवाही होती है इसी पर कईयों ने अपनी निगाह लगा रखी है। 
 और अब बस
(1)
अमित के विवाह का स्वागत समारोह राजकुमार कालेज रायपुर, कांस्टीट््यूशन क्लब दिल्ली में हो चुका है। अब मरवाही-कोटा विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिये 28 को 'गांवÓ में स्वागत समारोह आयोजित है। 
(2)
पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कुछ अफसर पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस कप्तान बनकर फील्ड में उतरने की लाबिंग कर रहे हैं उधर फील्ड में पदस्थ लोग परेशान है कि आखिर डीजीपी नवानी किसकी सुनते हैं?
(3)
डॉ. रमन सिंह के संकट मोचक बृजमोहन अग्रवाल का पैर फे्रक्चर हो गया। एक कांगे्रसी ने कहा कि यदि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बृजमोहन गिर जाते तो रमन सरकार का क्या होता? एक टिप्पणी... पहले कांगे्रसी विधायकों को तो एक जुट करो?